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सामाय ान: सपूण अययन सामी Page 1

content.kopykitab.com · 2018-03-22 · साान् ज्ञा: सम् ूर्णअध् सा ग्री Page 3 इतिहास (History)1. ािी ाष्ट्री

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  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 1

  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 2

    विषय - सूची 1. इतिहास ………………………………………………3 2. अर्थव्यवस्र्ा ………………………………………..9 3. भूगोल ………………………………...................16 4. भारिीय राजव्यवस्र्ा ………………………….28 5. ववज्ञान और प्रोद्योगगकी……………………….41 6. भारि दर्थन …………………………………………47 7. अन्वेषण / अनुसंधान आधाररि ववचार-ववमर्थ

    और ववश्लेषण..........................................56 8. वन लाइनर फैक्ट्स ……………….…………....60

    10.परीक्षा आधाररि जीके (GK)एमसीक्टयू ………68

  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 3

    इतिहास (History)

    1. भारिीय राष्ट्रीय आंदोलन का सारांश यह देखा गया है कक भारि में स्विंत्रिा संघषथ कई राजनीतिक, सामाजजक– सांस्कृतिक और आगर्थक कारकों के श्ृंखला का मेल र्ा जजसन ेराष्ट्रवाद को बढाने का काम ककया।

    28 ददसबंर 1885 को भारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) का गठन गोकुलदास िेजपाल संस्कृि

    स्कूल, बॉम्बे में ककया गया। इसकी अध्यक्षिा डब्ल्यू.सी. बैनजी ने की र्ी और इसमें 72 प्रतितनगधयों न ेभाग ललया र्ा। ए.ओ. ह्यूम ने आईएनसी के गठन में अहम भूलमका तनभाई र्ी और इनका उदे्दश्य र्ा ब्रिटिर् सरकार को सेफ्िी वॉ्व प्रदान करना।

    ए.ओ. ह्यूम न ेआईएनसी के पहले महासगचव के िौर पर काम ककया। कांगे्रस का मुख्य उदे्दश्य भारिीय युवाओं को राजनीतिक आंदोलन में प्रलर्क्षक्षि करना और देर् में जनिा

    की राय बनाना र्ा। इसके ललए इन्होंने वावषथक सत्र पद्धति को अपनाया जहा ंवे समस्याओं पर चचाथ करि ेर्े और संक्प पाररि करिे र्े।

    भारिीय राष्ट्रवाद का पहला या आरंलभक चरण मध्यम दर्ज े(नरमदल) का चरण (1885-1905) भी कहलािा है। नरमदल के नेिा र्े, डब्ल्यू.सी. बनजी, गोपाल कृष्ट्ण गोखले, आर.सी. दत्िा, फीरोजर्ाह मेहिा, जॉजथ यूल आटद

    नरमपथंी नेिाओं को ब्रिटिर् सरकार में पूणथ ववश्वास र्ा और उन्होंने पीपीपी मागथ यातन ववरोध, प्रार्थना और यागचका, को अपनाया र्ा।

    काम के नरमपंर्ी िरीकों से मोहभंग होन े के कारण, 1892 के बाद कांग्रेस में चरमपथं ववकलसि होन ेलगा। चरमपथंी नेिा र्–े लाला लाजपि राय, बाल गंगाधर तिलक, ब्रबवपनचंद्र पाल और अरब्रबदंो घोष। पीपीपी मागथ के बजाए इन्होंने आत्म– तनभथरिा, रचनात्मक कायथ और स्वदेर्ी पर जोर टदया।

    प्रर्ासतनक सुववधा के ललए लॉडथ कजथन द्वारा बंगाल ववभाजन (1905) की घोषणा के बाद, 1905 में स्वदेर्ी और बटहष्ट्कार संक्प पाररि ककया गया र्ा।

    स्िदेशी आदंोलन के दौरान कांग्रेस के सत्रः 1. 1905 – बनारस में कांगे्रस सत्र। गोपाल कृष्ट्ण गोखले ने अध्यक्षिा की।

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    2. 1906– कलकत्िा में कांग्रेस सत्र। दादाभाई नैरोजी ने अध्यक्षिा की। 3. 1907– िाप्िी नदी के ककनारे सूरि में कांगे्रस का सत्र। कफरोजर्ाह मेहिा न ेअध्यक्षिा की जजसमें नरमपंर्ी

    और चरमपंगर्यों के बीच मिभेदों की वजह से कांग्रेस में ववभाजन हो गया। आगा खान III और मोहलसन मु्क द्वारा 1906 में मसु्स्लम लीग का गठन ककया गया। 1909 के मॉले– ममटंो सधुार अधधतनयम द्वारा अलग तनवाथचन मंडल प्रस्िुि ककया गया र्ा। लाला हरदयाल ने 1913 में गदर आदंोलन रु्रु ककया र्ा और कोिलैंड में 1 नवंबर 1913 को गदर पािी

    की स्र्ापना की र्ी। इसका मुख्यालय सैन फ्ांलसस्को के युगांिर आश्म में र्ा और गदर पब्रत्रका का प्रकार्न रु्रु ककया गया र्ा।

    कोमागाटा मारू घटना लसिंबर 1914 में हुई र्ी और इसके ललए भारिीयों ने र्ोर कलमटि नाम से एक सलमति बनाई र्ी जो याब्रत्रयों की कानूनी लडाई लडिी र्ी।

    1914 में पहला ववश्व युद्ध आरंभ हुआ र्ा। अप्रैल 1916 में तिलक न ेहोम रूल आदंोलन की रु्रुआि की र्ी। इसका मुख्यालय पूना में र्ा और

    इसमें स्वराज की मांग की गई र्ी।

    लसिंबर 1916 में एनीबेसेंि ने होम रूल आंदोलन रु्रु ककया और इसका मुख्यालय मद्रास के करीब अडडयार में र्ा।

    वषथ 1916 में हुए कांगे्रस के लखनउ अगधवेर्न की अध्यक्षिा अजम्बका चरण मौजूमदार (नरमपंर्ी नेिा) ने की र्ी जहां चरमपंर्ी और नरमपंर्ी दोनों प्रकार के नेिा एक जुि हुए र्े।

    भारि सरकार अधधतनयम 1919 या मोंटाग–ू चेम्सफोर्ण ररफॉमण एक्ट को भारि में जजम्मेदार सरकार की स्र्ापना के ललए पाररि ककया गया र्ा।

    9 जनवरी 1915 को गाधंी जी 46 वषथ की उम्र में दक्षक्षण अफ्ीका से भारि वापस आए र्े। 1916 में गांधी जी न ेसत्य और अटहसंा के ववचार के प्रचार के ललए अहमदाबाद (गुजराि) में साबरमिी

    आश्रम की स्र्ापना की। चंपारर् सत्याग्रह– 1917 खेडा सत्याग्रह– 1917 अहमदाबाद ममल हडिाल– 1918 रॉलेक्ट एक्ट सत्याग्रह– फरिरी, 1919 गांधी जी न ेफरवरी, 1919 में सत्याग्रह सभा की स्र्ापना की। इस आंदोलन में छात्र, मध्यम वगथ, मजदरू

    और पंूजीपतियों ने टहस्सा ललया और संगठन के िौर पर कागें्रस कहीं नही ंर्ी। यह गांधी जी का पहला जन आंदोलन र्ा।

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    र्जमलयांिाला बाग नरसहंार – 13 अप्रलै 1919। 13 अप्रैल 1919 को लोग अमिृसर के जललयांवाला बाग में सैफुद्दीन ककचलू और सत्यपाल की गगरफ्िारी का ववरोध करने के ललए इक्टठा हुए र्े।

    1 अगस्ि 1920 को खखलाफि सलमति न ेिीन मुद्दों– पंजाब में हुई बेइंसाफी, खखलाफि का मुद्दा और स्वराज की मांग, पर असहयोग आंदोलन की रु्रुआि की।

    इसके बाद 1920 में असहयोग – आदंोलन की रु्रुआि हुई। अक्टिूबर 1920 में एन.एम. जोर्ी, राय चौधरी ने बॉम्बे में अखखल भारिीय व्यापार संघ कांग्रेस की स्र्ापना

    की। अध्यक्षिा लाला लाजपि राय न ेकी र्ी। अकाली आदंोलन 1920 में रु्रु हुआ र्ा। वषथ 1925 में एसजीपीसी (लर्रोमखण गुरुद्वारा प्रबंधक कलमटि) का गठन हुआ र्ा। सी.आर दास और मोतिलाल नहेरू ने कांग्रेस खखलाफि स्वराज पािी का गठन ककया र्ा। यह कांग्रेस में

    दसूरे ववभाजन के नाम से भी जाना जािा है। वषथ 1927 में, श्लमक और ककसान पािी (डब्ल्यूपीपी) का गठन एस.एस. लमराजकर, के. एन. जुगलेकर और

    एस. वी. घािे ने बॉम्बे में ककया र्ा। वषथ 1924 में, एच.आर.ए. (टहन्दसु्िान ररपजब्ललकन एसोलसएर्न) का कानपुर में गठन हुआ र्ा। सी.एस

    आजाद, सगचन सान्याल और रामप्रसाद ब्रबजस्मल इसके सदस्य र्े। वषथ 1929 में, एचएसआरए ( टहन्दसु्िान सोर्ललस्ि ररपजब्ललकन एसोलसएर्न) का कफरोजर्ाह कोिला टद्ली

    में गठन हुआ। भगि लसहं एचएसआरए में र्ालमल हुए। 9 अगस्ि 1925 को, काकोरी रेल डकैिी हुई, इस षडयंत्र में राम प्रसाद ब्रबजस्मल, राजेन्द्र लाटहडी, रौर्न लाल

    और अर्फाकु्लाह खान को फासंी की सजा दी गई। 23 माचथ 1931 को भगि लसहं, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर षडयंत्र मामले में फांसी की सजा दी गई। 8 नवंबर 1927 को स्िेनली बा्डववन के िहि ब्रिटिर् कंजवेटिव सरकार द्वारा साइमन कलमर्न बनाया

    गया र्ा। कलमर्न का गठन 1919 के सुधार अगधतनयम के बाद देर् में सरकार की कायथ प्रणाली की जांच करने के ललए ककया गया र्ा।

    नेहरू ररपोटण– 1928, राष्ट्र का दजाथ, सावथभौलमक व्यस्क मिागधकार आटद के ललए। जजन्ना का 14 सूत्री कायथक्रम– 31 माचथ 1929 आईएनसी का 1929 में हुआ लाहौर अगधवेर्न, अध्यक्षिा जवाहरलाल नेहरू ने की। इसमें पूणथ स्वराज का

    संक्प कांगे्रस द्वारा पाररि ककया गया और गाधंी जी के नेितृ्व में सववनय अवज्ञा आंदोलन करन ेका फैसला ककया गया।

    26 जनवरी 1930 को पहली बार स्विंत्रिा टदवस मनाया गया। दांडी माचथ के सार् सविनय अिज्ञा आदंोलन रु्रु ककया गया र्ा। 12 माचथ से 6 अप्रैल 1930 िक गांधी

    जी ने अपन े78 अनुयातययों के सार् साबरमिी आश्म से दांडी िक की यात्रा की और 6 अप्रैल 1930 को नमक बनाकर नमक कानून को िोडा।

    12 निबंर 1930 को पहला गोलमेर्ज सम्मेलन आयोस्र्जि ककया गया था। 5 माचण 1931 को गांधी – इरविन समझौि ेपर हस्िाक्षर। 23 माचण 1931 को भगि मसहं, रार्जगरुु और सखुदेि का रायल। 29 माचण 1931, आईएनसी का कराची अधधिेशन, व्लभ भाई पिेल न ेअध्यक्षिा की। इस अगधवेर्न

    में पहली बार मौललक अगधकारों और आगर्थक नीति का संक्प पाररि ककया गया। 7 मसिबंर 1931 को दसूरा गोलमेर्ज सम्मेलन हुआ जजसमें कांगे्रस की िरफ से गाधंी जी न े टहस्सा

    ललया। 16 अगस्ि 1932 को सांप्रदातयक या रामसे मकैर्ोनाल्र् परुस्कार की घोषणा हुई।

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    26 मसिबंर 1932, पनूा पकै्ट पर हस्िाक्षर ककए गए। निबंर 1932 में िीसरा गोलमेर्ज सम्मेलन आयोजजि ककया गया र्ा। 1935 में, भारि सरकार अधधतनयम को अखखल भारिीय संघ, प्रांिीय स्वायत्ििा और कें द्र में द्वैध

    र्ासन पवद्धि होनी चाटहए, को बनाने के ललए पाररि ककया गया र्ा।

    भारि छोडो आदंोलन की ओर

    महत्िपूर्ण कांगे्रस सत्रः 1. 1936 – लखनउ (उ.प्र.)– अध्यक्षिा – र्जे.एल.नेहरू 2. 1937 – फैर्जपरु (महाराष्ट्र)– अध्यक्षिा– र्ज.ेएल.नेहरू (गांि में आयोस्र्जि पहला अधधिेशन) 3. 1938 –हरीपरुा (गरु्जराि)– एस.सी.बोस ने अध्यक्षिा की 4. 1939 –त्रत्रपरुी (एम.पी.)– एस.सी. बोस ने अध्यक्षिा की मसिबंर 1939 में द्वििीय विश्ि यदु्ध तछडा और भारि की सहमति के ब्रबना उसका सहयोगी घोवषि कर

    टदया गया । 1939 में एस. सी. बोस न ेफॉिाणर् ब्लॉक की स्र्ापना की। यह एक वाम पािी (left party) र्ी। 10 अगस्ि 1940– द्वविीय ववश्व युद्ध में भारिीयों के समर्थन पाने के ललए लॉडथ ललनललर्गो वायसराय

    न ेअगस्ि प्रस्िाि की घोषणा की र्ी। 11 माचथ 1942 को प्रधानमंत्री ववसं्िन चगचथल न े भारिीयों के संवैधातनक गतिरोध और समस्याओं का

    समाधान ढंूढने के ललए सर स्िाफोडथ कक्रप्स की अध्यक्षिा में लमर्न भेजने की घोषणा की। कक्रप्स लमर्न की असफलिा के सार् 1942 में भारिीय निेाओं द्वारा भारि छोडो आंदोलन की रु्रुआि

    हुई और भारि छोडों का संक्प गांधी जी ने िैयार ककया। गांधी जी ने करो या मरो का नारा टदया र्ा। 1942 में कैप्िन मोहन लसहं और तनरंजन गगल द्वारा लसगंापुर में इंडर्यन नेशनल आमी की स्र्ापना की

    गई। एस.सी. बोस ने लसगंापुर और रंगूनन के दसूरे मुख्यालय का पदभार संभाला। 21 अक्टिूबर 1943 को– एस.सी. बोस के अधीन लसगंापुर में आजाद टहदं सरकार बनी। इसमें एक मटहला

    रेजजमेंि भी र्ी जजसका नाम रानी झांसी रखा गया र्ा। 1945 में, द्वविीय ववश्व युद्ध समाप्ि हुआ। 1945 में, राजनीतिक गतिरोध को दरू करने के ललए लॉडथ वावेल द्वारा िािेल योर्जना या मशमला

    सम्मेलन का प्रस्िाव ककया गया र्ा। 1946 में, पीएम जक्टलमेंि एट्टली द्वारा कैत्रबनेट ममशन प्लान की घोषणा। 2 मसिबंर 1946 को, जे.एल. नहेरू के निेतृ्व में अिंररम सरकार का गठन हुआ।

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    माचण 1947 – लॉर्ण माउंटबेटन को सत्िा के हस्िांिरण के ललए रास्िा ढंूढने के उदे्दश्य के सार् भारि भेजा गया। इसे बालकन योजना के नाम से भी जाना जािा है।

    3 र्जून को इंडर्पेंर्से ऑफ इंडर्या एक्ट 1947 पाररि ककया गया जजसके द्वारा सत्िा को दो प्रभुत्व राष्ट्रों – भारि और पाककस्िान, को सौंपा गया।

    2. त्रिदटश शासन के दौरान भारि में विमभन्न सुधारों और अधधतनयमों की सूची

    भारिीय प्रदेर्ों पर पूणथ तनयंत्रण स्र्ावपि करने के बाद, अंग्रेजों न े व्यापार को प्रोत्साटहि करने के ललए भारि में ववलभन्न सुधार और अगधतनयम लाये िाकक वो ना लसफथ प्रर्ासतनक िौर से बज्क सामाजजक व्यवस्र्ा में भी उनकी पकड मजबूि हो सके | इस संबंध में, उन् होंने लोगों के सामाजजक जीवन को सुधारन ेके ललए बहुि सारे ऐसे कदम उठाए जजनको हम एक सूगच के रूप दे रहे हैं | त्रिटीश शासन के दौरान कई सुधार और अधधतनयमों की सूची:

    सुधार / अधधतनयमों के नाम

    िषण ककसके शासन में महत् ि

    सिी और कन्या लर्रु् का तनषधे

    1829 लॉडथ ववललयम बेंटिक इससे मटहलाओ को सामाजजक संरक्षक लमला |

    चूक के लसद्धािं 1848 लॉडथ डलहौजी प्राकृतिक वाररस के अभाव में र्ासकों के दत्िक ग्रहण पर प्रतिबंध लगा टदया गया र्ा

    भारिीय पररषद् अगधतनयम

    1861 लॉडथ कैतनगं उच्च स्िर पर प्रर्ासन के सार् भारिीयों की पररक्पना की संगति

    ए्बिथ ब्रबल 1883 लॉडथ ररपन समान स्िर पर भारिीय और यूरोपीय जनपदाधीर् लाने के ललए

    भारिीय पररषद 1892 लॉडथ लैंसडाउन कें द्रीय ववधान पररषद की

  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 8

    अगधतनयम सदस्यिा बढा दी गई

    मॉले-लमिंो सुधार 1909 लॉडथ लमिंो द्वविीय टहदंओंु और मुसलमानों के बीच खाई को चौडा करने के ललए परृ्क तनवाथचक मंडल

    द्वैध र्ासन 1919 लॉडथ चेम्सफोडथ सरकार की दोहरी प्रणाली

    जललयांवाला बाग नरसंहार

    1919 लॉडथ चेम्सफोडथ जनरल डायर द्वारा अमिृसर में जललयांवाला बाग नरसंहार

    रोलेि एक्टि 1919 लॉडथ चेम्सफोडथ स्विंत्रिा संघषथ को दबाने के ललए जनरल डायर को कमांडेंि के सार् असाधारण र्जक्टियां लमली र्ी|

    साइमन कमीर्न 1928 लॉडथ इरववन सुधारों के काम की ररपोिथ करना; प्रांिों में लसफाररर् का द्ववर्ासन; भारि एक संघ और सर्स्त्र बलों के भारिीयकरण के रूप में गटठि ककया जाना|

    गांधी-इरववन पैक्टि 1931 लॉडथ इरववन कांग्रेस आंदोलन को वावपस ललया और दसूरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेन े के ललए सहमति दी|

    सांप्रदातयक पुरस्कार 1932 लाडथ ववललगं्डन टहदं,ू मुजस्लम और लसख दललि वगों के अलावा उदास वगों के ललए भी सांप्रदातयक प्रतितनगधत्व पररक्पना की गई|

    परृ्क तनवाथचक मंडल 1932 लाडथ ववललगं्डन उच्या जाति, तनम्न जाति , मुजस्लम, बौद्ध, लसख , भारिीय ईसाइयों , आंग्ल -भारिीय , यूरोपीय और अछूि के ललए

    भारि सरकार अगधतनयम

    1935 लाडथ ववललगं्डन संववधान को संघीय प्रकार के ललए उपलब्लध कराया गया

    कक्रप्स लमर्न 1942 लॉडथ ललनललर्गो द्वविीय ववश्व युद्ध के बाद

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    भारि के ललए प्रस्िाववि डोलमतनयन जस्र्ति

    आईएनए रायल 1945 लॉडथ वावेल युद्ध के आईएनए कैटदयों की टद्ली के लाल ककले पर जांच की गई जजसका भूलाभाई देसाई ने बचाव ककया|

    वावेल योजना 1945 लॉडथ वावेल सभी प्रमुख समुदायों को प्रतितनगधत्व देने के ललए भारि में एक कायथकारी पररषद के गठन की पररक्पना की गई|

    कैब्रबनेि लमर्न प्लान 1946 लॉडथ वावेल संववधान िैयार करन े के ललए संववधान सभा की पररक्पना की स्र्ापना|

    माउंिबेिन योजना 1947 लॉडथ माउंिबेिन ववभाजन योजना

    भारिीय स्विंत्रिा अगधतनयम

    1947 लॉडथ माउंिबेिन भारि का ववभाजन और स्विंत्रिा प्राप्ि हुई|

    अथणव्यिस्था (Economy)

    3 भारिीय अथणव्यिस्था की प्रकृति या स्िभाि

    आजादी के बाद से भारि की अर्थव्यवस्र्ा एक 'लमगश्ि अर्थव्यवस्र्ा' रही है। भारि के बड ेसावथजतनक के्षत्र 'लमगश्ि अर्थव्यवस्र्ा' को सफल बनाने के ललए प्रमुख रूप से जजम्मेदार रहे हैं । भारिीय अर्थव्यवस्र्ा, मूल रूप से सेवा के्षत्र (विथमान में सकल घरेलू उत्पाद का 60% टहस्सा प्रदान करिा है) के योगदान और कृवष (जनसंख्या के लगभग 53% लोग) पर तनभथर है । ज्यों-ज्यों समय बीि रहा है वैसे-वैसे अर्थव्यवस्र्ा में कृवष की टहस्सेदारी कम हो रही है िर्ा सेवा के्षत्र की टहस्सेदारी बढ रही है। विथमान में भारिीय अर्थव्यवस्र्ा को ववश्व की एक ववकासर्ील अर्थव्यवस्र्ा कहा जािा है।

    भारिीय अथणव्यिस्था की विशेषिाएं

    1. स्विंत्रिा के बाद से ही भारि की अर्थव्यवस्र्ा एक 'लमगश्ि अर्थव्यवस्र्ा' रही है। भारि के बड ेसावथजतनक के्षत्र अर्थव्यवस्र्ा के ललए रोजगार और राजस्व प्रदान करने के प्रमुख कारक रहे हैं ।

    2. ववश्व व्यापार संगठन के अनुमानों के अनुसार वैजश्वक तनयाथि और आयाि में भारि की टहस्सेदारी में क्रमर्: 0.7% और 0.8% की ववृद्ध हुई है जो 2000 में 1.7% र्ी और 2012 में 2.5% हो गई र्ी।

  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 10

    3. आजादी के बाद से ही भारिीय अर्थव्यवस्र्ा का पररदृश्य सोववयि संघ की कायथप्रणाली से पे्रररि रहा र्ा। 1980 के दर्क िक ववकास दर 5 से अगधक नहीं र्ी। कई अर्थर्ाजस्त्रययों द्वारा इस जस्र्र ववकास को 'टहदं ूववकास दर' कहा गया र्ा।

    4. 1992 के दौरान देर् में उदारीकरण के दौर की रु्रुआि हुई। इसके बाद, अर्थव्यवस्र्ा में सुधार होना रु्रू हो गया र्ा। ववकास दर के इस नए चलन को 'नई टहदं ूववकास दर' कहा जािा र्ा।

    5. भारि की अर्थव्यवस्र्ा में पारंपररक ग्रामीण खेिी, आधुतनक कृवष, हस्िलर््प, आधुतनक उद्योगों की एक ववस्ििृ श्ृंखला और कई सेवाओं के ववलभन्न के्षत्र र्ालमल हैं।

    6. सेवा के्षत्र आगर्थक ववकास का प्रमुख स्रोि हैं। इसमें भारिीय अर्थव्यवस्र्ा के आधे से ज्यादा उत्पादन के सार् श्म र्जक्टि का एक तिहाई भाग र्ालमल है।

    ििणमान विश्लेषर्

    1. विथमान में सकल घरेलू उत्पाद की कारक लागि (फैक्टिर कॉस्ि), (2004-05के मू्यानुसार) 5748564 करोड रुपए है (आंकडा 2013-14)

    2. प्रति व्यजक्टि आय (विथमान मू्यानुसार) 74,920 रुपये है। (2013-14)

    3. 2011-12 की सकल घरेलू बचि दर 30.8% है। (प्रतिर्ि के रूप में सकल घरेलू उत्पाद का ा़ विथमान बाजार मू्य)

    4. ििृीयक के्षत्र सकल घरेलू उत्पादन में लगभग 60% का योगदान देिा है। (2012-13)

    5. कुल खाद्यान्न उत्पादन 265 लमललयन िन (2013-14) है।

    6. कुल वैजश्वक तनयाथि में भारिीय व्यापार का टहस्सा 1.8% है।

    7. ववश्व के कुल आयाि में भारि की टहस्सेदारी 2.5% है।

    8. भारि की आबादी का कुल आकार 1.26 ब्रबललयन (2014) है।

    9. वषथ 2015 की पहली छमाही के दौरान नई पररयोजनाओं में अमेररका और चीन को पछाडिे हुए भारि में सभी देर्ों के बीच सवाथगधक एफडीआई प्रवाह देखा गया। वपछले वषथ की छमाही के 12 ब्रबललयन डॉलर के मुकाबले 2015 में 31 ब्रबललयन डॉलर का व्यय ववदेर्ी कंपतनयों द्वारा ककया गया। जबकक इसी अवगध के दौरान चीन और अमेररका में क्रमर्: 28 और 27 ब्रबललयन डॉलर का ववदेर्ी तनवेर् हुआ।

    10. 2015 में भारि का ववदेर्ी मुद्रा भंडार 330 ब्रबललयन डॉलर का रहा जो कक इस समय (अप्रैल 2016) में अब िक के सवोच्च स्िर 355 ब्रबललयन डॉलर पर खडा है।

    11. इंजीतनयररगं, पेरोललयम, रत्न एवं आभूषण, कपडा और औषगध र्ीषथ पांच के्षत्रों में वैजश्वक मांग में कमी के कारण अगस्ि 2015 में लगभग 25 फीसदी की गगरावि आई जो घिकर 13.33 ब्रबललयन डॉलर हो गई। 2014-15 के दौरान इन पांच कारकों का कुल तनयाथि में लगभग 66 फीसदी का योगदान र्ा। वपछले वषथ अगस्ि में इन के्षत्रों से कुल तनयाथि 17.79 ब्रबललयन डॉलर का रहा र्ा।

    12. गरीबी आकलन:

    I- रंगराजन सलमति की लसफाररर्ों (ग्रामीण के्षत्रों में एक टदन में 32 रुपये/टदन खचथ करने वाले और कस्बों िर्ा र्हरों में 47 रुपये/टदन खचथ करन ेवाले लोगों को गरीब नहीं माना जाना चाटहए) के पररणामस्वरूप

  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 11

    गरीबी रेखा से नीच े की आबादी में ववृद्ध हुई है। इसमें िेंदलुकर समीति के 270 लमललयन आबादी के मुकाबले यह 2011-12 में 35 फीसदी की ववृद्ध के सार् यह बढकर 363 ब्रबललयन हो गई।

    II- रंगराजन सलमति द्वारा दी गई पररभाषा के अनुसार भारि की 29.5 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करिी है जबकक 2009-10 में िेंदलुकर समीति के अनुसार यह 21.9 फीसदी र्ी। रंगराजन के अनुसार कुल आबादी में बीपीएल समूह की टहस्सेदारी 38.2 फीसदी की र्ी जजसमें दो साल की अवगध के दौरान गरीबी में 8.7 प्रतिर्ि अंकों की गगरावि दजथ की गई।

    भारिीय अर्थव्यवस्र्ा एक लमगश्ि अर्थव्यवस्र्ा (सावथजतनक और तनजी के्षत्र का संयोजन) है। अपनी प्रकृति के कारण विथमान में भारि की अर्थव्यवस्र्ा को दतुनया की सबसे ववकलसि अर्थव्यवस्र्ा के रूप में जाना जािा है। कुल सकल घरेलू उत्पाद में कृवष के्षत्र का टहस्सा घििा जा रहा है जबकक सेवा के्षत्र का टहस्सा बढिा जा रहा है या सकल घरेलू उत्पाद में ििृीयक के्षत्र के योगदान में प्रतिवषथ ववृद्ध हो रही है (इसे भारि के ववकलसि होने के संकेि के रूप में देखा जािा है)।

    4 भारि में बैंककंग के्षत्र की संरचना

    भारिीय बैंकों को वाखणजज्यक बैंकों और सहकारी बैंकों में वगीकृि ककया गया है| वाखणजज्यक बैंक में र्ालमल हैं: 1)अनुसूगचि वाखणजज्यक बैंक (SCBs) और गैर-अनुसूगचि वाखणजज्यक बैंक । अनुसूगचि वाखणजज्यक बैंकों को आगे तनजी, सावथजतनक, ववदेर्ी बैंक और के्षत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) में वगीकृि ककया गया है ; और 2) सहकारी बैंक जजसमें र्हरी और ग्रामीण सहकारी बैंक र्ालमल हैं।

    भारिीय बैंककंग उद्योग न ेअपनी नींव 18 वीं सदी में रखी र्ी , और उसके बाद से इसमें एक ववववध ववकासवादी अनुभव ककया गया है। भारि में प्रारंलभक बैंक मुख्य रूप से व्यापारी बैंक र् ेजो कक केवल बैंकों की ववत्िीय गतिववगधयों में संलग्न र्े | पूवथ स्विंत्रिा के युग में बैंककंग उद्योग का ववकास पे्रसीडेंसी बैंकों के सार् हुआ जो बाद में इंपीररयल बैंक ऑफ इंडडया और ित्पश्चाि भारिीय स्िेि बैंक में िब्लदील हो गए | बैंककंग उद्योग न ेप्रारंलभक टदनों में बहुमि तनजी स्वालमत्व और एक अत्यगधक अजस्र्र काम के माहौल को देखा। सावथजतनक स्वालमत्व और जवाबदेही की टदर्ा में बडी प्रगति 1969 और 1980 में राष्ट्रीयकरण के सार् हुई जजसने भारि में बैंककंग का स्वरूप ही बदल टदया | हाल के टदनों में इस उद्योग ने इस प्रतिस्पधाथ वाले समय में तनजी और ववदेर्ी खखलाडडयों के महत्व को स्वीकार ककया है और इसे अगधक से अगधक उदारीकरण की टदर्ा में ले जाया गया है।

    भारिीय बैंककंग प्रर्ाली की सरंचना इस प्रकार है:

    Image Source:emartplan.wordpress.com

  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 12

    दो र्िाजब्लदयों में फैले इस रणनीतिक उद्योग के ववकास में, संचालन तनयमों के सन्दभथ, स्वालमत्व संरचना, उत्पादों िर्ा पेर् की गई सेवायें िर्ा अलभतनयोजजि की गई प्रोद्योगगकी में अपार ववकास हुआ है | संपूणथ ववकास को चार अलग चरणों में वगीकृि ककया जा सकिा है।

    • प्रर्म चरण - पूवथ राष्ट्रीयकरण चरण (1955 के पूवथ िक)

    • द्वविीय चरण- राष्ट्रीयकरण और समेकन का युग (1955-1990)

    • ििृीय चरण -भारिीय ववत्िीय और बैंककंग के्षत्र में सुधार और आंलर्क उदारीकरण की रु्रुआि (1990-2004)

    • चिुर्थ चरण- ववृद्ध उदारीकरण की अवगध (2004 के बाद से)

    सगंठनात्मक सरंचना

    1. भारिीय ररर्जिण बैंक: (RBI)

    भारिीय ररजवथ बैंक हमारे देर् का कें द्रीय बैंक है। यह 1934 के भारिीय ररजवथ बैंक अगधतनयम के िहि 1 अप्रैल 1935 को स्र्ावपि ककया गया र्ा | यह बैंककंग ववन्यास में सवोच्च स्र्ान रखिा है। भारिीय ररजवथ बैंक ववलभन्न ववकास और प्रचार कायथ करिा है।

    RBI को बैंककंग संरचना की तनगरानी िर्ा तनयंब्रत्रि करने का व्यापक अगधकार टदया गया है | यह देर् की मौटद्रक और बैंककंग संरचना में तनणाथयक स्र्ान रखिा है। कई देर्ों में कें द्रीय बैंक को अलग-अलग नामों से जाना जािा है।

    उदाहरण के ललए, अमेररका का फ़ेडरल ररज़वथ बैंक, ब्रििेन में बैंक ऑफ इंग्लैंड और भारि में भारिीय ररजवथ बैंक, कें द्रीय बैंक को ‘बैंकों के बैंक’ के रूप में जाना जािा है| इनके पास मौटद्रक और ऋण नीतियों को गटठि व लागू करने का अगधकार है। इसे देर् की सरकार के द्वारा चलाया जािा है िर्ा टिप्पखणयााँ जारी करने की एकागधकार र्जक्टि होिी है |

    वाखणजज्यक बैंक एक संस्र्ा है जो जमा की गई रालर् को स्वीकार करिे हैं, व्यापार ऋण देना िर्ा ववलभन्न सेवाओं से सम्बंगधि प्रस्िावों जैसे जमा की गई रालर् को स्वीकार करना और आम ग्राहकों िर्ा व्यापाररयों को उधार ऋण व अगग्रम रालर् देने जैसी सेवायें प्रदान करिे हैं |

    ये संस्र्ाएं लाभ कमाने के ललए चलाई जा रही हैं| ये उद्योगों िर्ा अन्य के्षत्र जैसे कृवष, ग्रामीण ववकास आटद की ववत्िीय आवश्यकिाओं को पूरा करि ेहैं | ये सरकार या तनजी दोनों के स्वालमत्व द्वारा चलाई जा रही लाभ कमान ेवाली संस्र्ा है |

    िाणर्स्ययक बैंकों में सािणर्जतनक क्षेत्र, तनर्जी क्षेत्र, विदेशी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीर् बैंक शाममल हैं:

    3. सािणर्जतनक क्षेत्र के बैंक:

    सावथजतनक के्षत्र के बैंकों में एसबीआई के सार्-सार् (21) राष्ट्रीयकृि बैंक र्ालमल हैं। कुल लमलाकर 26 सावथजतनक के्षत्र के बैंक हैं। सावथजतनक के्षत्र के बैंक कुल बैंककंग कारोबार के 75 प्रतिर्ि के ललए जवाबदेही हैं िर्ा भारिीय स्िेि बैंक सभी वाखणजज्यक बैंकों से सबसे बडा वाखणजज्यक बैंक है।

  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 13

    4. तनर्जी क्षते्र के बैंक:

    भारि में तनजी के्षत्र के बैंक भारिीय बैंककंग के्षत्र के टहस्से का प्रतितनगधत्व करिे हैं जोकक दोनों तनजी िर्ा सावथजतनक के्षत्र से बना है | "तनर्जी - क्षेत्र के बैंक" वे बैंक हैं जहां र्ेयर या इजक्टविी की अगधक से अगधक टहस्सेदारी तनजी र्ेयर धारकों के अगधकार में होिी हैं िर्ा सरकार का इन पर कोई अगधकार नही ंहोिा |

    तनर्जी क्षते्र के बैंकों की सचूी है: बैंक स्थापना

    िषण 1. एजक्टसस बैंक (पहले यूिीआई बैंक)

    1990 (UTI- 1964)

    2. बैंक ऑफ पंजाब (वास्िव में एक पुरानी पीढी का तनजी बैंक जजसे 1993 के बाद के नए बैंक लाइसेंस के प्रणाली के िहि स्र्ावपि नहीं ककया गया र्ा)

    1989

    (लाहौर)

    3. सेंचुररयन बैंक लललमिेड (2005 के आखखर में बैंक ऑफ पंजाब का सेंचुररयन बैंक ऑफ पंजाब में ववलय कर टदया गया, जजसे 2008 में एचडीएफसी बैंक लललमिेड द्वारा अगधग्रहीि ककया गया)

    1994

    4. डवेलपमेंि के्रडडि बैंक (सहकारी बैंक से पररवतिथि , अब डीसीबी बैंक लललमिेड है )

    1995

    5. आईसीआईसीआई बैंक (पहले आईसीआईसीआई और कफर दोनों का

    1996

  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 14

    ववलय कर टदया, कुल ववलय SCICI + आईसीआईसीआई + आईसीआईसीआई

    बैंक लललमिेड) 6. इंडसइंड बैंक 1994

    7. कोिक मटहदं्रा बैंक 2003 8. यस बैंक 2005

    9. बालाजी कॉरपोरेर्न बैंक लललमिेड 2010 10. एचडीएफसी बैंक 1994

    11. बंधन बैंक 2015 12. आईडीएफसी बैंक 2015

    5. विदेशी बैंक:

    ववदेर्ी बैंक, अपने घर और अपने मेजबान देर्ों के तनयमों के सार् दातयत्वों का पालन करि ेहैं | इन बैंकों के ललए ऋण सीमा मूल बैंक की पंूजी के आधार पर तनभथर होिी है, इसललए ववदेर्ी बैंकों को अन्य सहायक बैंकों की िुलना में अगधक ऋण प्रदान करने की स्वीकृति दी गई है I

    ववदेर्ी बैंक वे बैंक हैं जजनका मुख्य कायाथलय ववदेर्ों में होिा है | लसिी बैंक, एचएसबीसी, स्िैंडडथ चािथडथ आटद भारि में ववदेर्ी बैंक के उदाहरण हैं। विथमान में भारि में 36 ववदेर्ी बैंक हैं।

    6. क्षेत्रीय ग्रामीर् बैंक (RRB):

    भारि सरकार न े2 अक्टिूबर, 1975 को के्षत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) की स्र्ापना र्ी | ये बैंक ग्रामीण के्षत्रों के कमज़ोर वगों, ववर्ेष रूप से छोिे और सीमांि ककसानों, खेतिहर मजदरूों, और छोिे उद्यलमयों के ललए ऋण प्रदान करिे हैं। देर् में 82 के्षत्रीय ग्रामीण बैंक हैं। NABARD, कृवष और ग्रामीण ववकास के के्षत्र में सवोच्च स्र्ान रखिा है। कुछ के्षत्रीय ग्रामीण बैंकों की सूची नीचे दी गई है:

  • सामान्य ज्ञान: सम्परू्ण अध्ययन सामग्री Page 15

    7. सहकारी बैंक:

    सहकारी बैंक को 1904 में एक सहकारी अगधतनयम कप पाररि कर गटठि ककया गया र्ा | इन्हें सहयोग िर्ा आपसी सहायिा के लसद्धािंों पर संगटठि और प्रबंगधि ककया जािा है | सहकारी बैंक का मुख्य उदे्दश्य ग्रामीण ऋण प्रदान करना है।

    भारि में सहकारी बैंकों ग्रामीण सहकारी ववत्ि पोषण में आज भी एक महत्वपूणथ भूलमका तनभाि े हैं। हालांकक, सहकारी ऋण सलमति अगधतनयम, 1904 के लागू होन ेसे, आंदोलन को वास्िववक प्रोत्साहन लमला र्ा | सहकारी ऋण सलमति अगधतनयम, 1904 को 1912 में गैर ऋण सलमतियों के संगठन को सक्षम करन ेके ललए आधररि व्यापक दृजष्ट्िकोण के सार् संर्ोगधि ककया गया र्ा |

    भारि के कुछ सहकारी बैंकों के नाम हैं :

    1. आंध्र प्रदेर् राज्य सहकारी बैंक लललमिेड

    2. ब्रबहार राज्य सहकारी बैंक लललमिेड

    3. छत्िीसगढ राज्य सहकारी बैंक मयाथटदि

  • - 2017

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    जनरल नॉलेज इ-बुक मार्च 2017