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ननननननन

teaching prose, prose teaching in hindi, gadya shishan in hindi

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नमस्कार

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वि�षय- गद्य शि�क्षण

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गद्य सावि�त्य का म�त्�पूण� अंग �ै।

19�ी. ए�ं 20�ी. �ताब्दी में गद्य सावि�त्य प्रगवित�ील हुआ।

गद्य सावि�त्य की प्रमुख वि�धाए ँ�ैं- कथा सावि�त्य, नाटक, जी�न चरिरत, संस्मरण, विनबंध आदिद।

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गद्य शि�क्षण के सामान्य उदे्दश्यoछात्रों के �ब्द ए�ं सूक्ति= भण्डार में �ृशिB करना।

oछात्रों के �ब्दोच्चारण को �ुB करना।

o�ाचन ए�ं पठन कला में विनपुण बनाना।

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oक्तिलविप का ज्ञान देना।

oमौन �ाचन की कला में विनपुण बनाना।

oतथ्यों को समझने तथा उन्�ें जी�न में प्रयु= करने की क्षमता का वि�कास करना।

oभा�ाशिभव्यक्ति= की क्षमता का वि�कास करना।

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oअध्ययन के प्रवित प्रेरणा देना तथा उसका आनंद प्राप्त करने की क्षमता उत्पन्न करना।

oगद्य की वि�शिभन्न �ैक्तिलयों का ज्ञान प्रदान करना।

oछात्रों की रचनात्मक ए�ं सृजनात्मक �क्ति= का वि�कास करना।

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oभाषा ए�ं भा�ों का माधुय� ग्र�ण करना।

oछात्रों को भाषण कला का ज्ञान करा कर इस कला में विनपुण करना।

oछात्रों की कल्पना �क्ति= का वि�कास करना।

oव्य��ारिरक ज्ञान की �ृशिB करना।

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oमु�ा�रों तथा क�ा�तों का ज्ञान प्रदान करना।

oछात्रों में विनरीक्षण, वि��ेचना ए�ं आलोचना की �क्ति= पैदा करना।

oछात्रों को वि�वि�ध वि�षयों का ज्ञान कराना।

oउनके व्यक्ति=त्� का वि�कास करना।

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oउनमें सावि�त्य के प्रवित पे्रम उत्पन्न करना।

oमानक्तिसक, तार्किकRक ए�ं बौशिBक �क्ति=यों का वि�कास करना।

oगद्य शि�क्षण का वि�शि�ष्ट उदे्दश्य– गद्य की वि�वि�ध वि�धाओं का वि�वि�ध उदे्दश्य �ोता �ै।क�ानी शि�क्षण का, नाटक शि�क्षण का रचना शि�क्षण का, �ाचन शि�क्षण का अपना- अपना वि�शि�ष्ट उदे्दश्य �ैं।

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गद्य शि�क्षण की प्रविVया (सोपान)सामान्यतया �ार�ट� के पंचपदी का प्रयोग विकया जाता �ै। जो विनम्न �ैं-प्रस्ता�नावि�षय प्र�े� या प्रस्तुतीकरणआत्मीकरण या तुलनाक्तिसBांत- स्थापना या विनयमीकरणप्रयोग या व्य��ारिरक जी�न से संबध स्थापन।

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प्रस्तावना प्रस्तावना का मूल उदे्दश्य है, छात्रों में विवषय के प्रवित रूचि� उत्पन्न करना, पढ़ने के चिलए उत्साविहत तथा प्रेरिरत करना। प्रस्तावना में प्रश्नों का क्रमिमक श्रृंखला का उपयोग करते हैं। इसमें चि�त्रों, कथानकों आदि3 का भी सहायता ली जा सकती है। यह अनेक प्रकार से संपादि3त कीजा सकती है-•लेखक के परिर�य द्वारा

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•पूव:कथन के द्वारा•प्रश्नोत्तर प्रणाली द्वारा•चि=क्षोपकरणों द्वारा इस स्थल पर 3 से 5 मिमनट तक का समय व्यवितत करना �ाविहए। अंवितम प्रश्न पाठ के उदे्दश्य कथन से जCडा होना �ाविहए। उदे्दश्य कथन स्पष्ट, संक्षिक्षप्त और रो�क होना �ाविहए। इस स्थल पर छात्रों को पाठ का =ीष:क एवं पृष्ठा संख्या बता 3ेना �ाविहए।

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वि�षय प्र�े� पाठ को एक साथ पढाना साथ:क नहीं है। पाठ को इकाईयों या अंववितयों में विवभाजिजत करना �ाविहए और एक- एक अवंिववित को छात्रों के सम्मुख शंृ्रखलाबद्ध रूप से क्रम=: उपस्थिस्थत करना �ाविहए।वा�न- वा�न विक्रया में पया:प्त सावधानी की अपेक्षा की जाती है। वा�न

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विक्रया के तीन सोपान हैं-आ3=: वा�न- यह वा�न स्वयं चि=क्षक करता है। उचि�त हाव- भाव, आरोह- अवरोह के साथ उच्चारण का ध्यान रखते हुए आ3=: वा�न प्रस्तुत करना �ाविहए।अनुकरण वा�न- छात्रों द्वारा विकये जानेवाले वा�न को अनुकरण वा�न कहते है। इस श्धान पर उच्चारण तथा गवित पर विव=ेष ध्यान 3ेना �ाविहए।

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मौन वा�न- आ3=: वा�न के सफल संपा3न के उपरांत छात्रों को मौन वा�न का अवसर प्र3ान करना �ाविहए।व्यख्या- वा�न के उपरांत =ब्3ों, वाक्या=ों, वाक्यों आदि3 की व्यख्या की जाती है। इस स्थल पर सूक्ष्मावितसूक्ष्म अध्ययन की जाती है। इसका प्रमुख उदे्दश्य है, पाठ को बालक भली प्रकार से समझ ले।

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=ब्3ाथ_ के चिलए विनम्न विवमिधयँ प्रयुक्त की जानी �ाविहए,•दृश्य सामग्री का प्र3=:न द्वारा•अंग सं�ालन द्वारा•वाक्य प्रयोग द्वारा•पया:यवा�ी =ब्3ों द्वारा•विवलोम =ब्3ों द्वाराव्यख्या के स्पष्टीकरण के चिलए तीन विवमिधयाँ भी हैं, उद्बोधन विवमिध- इसमें अध्यापक कदिठन =ब्3ों का अथ: स्वयं नहीं बताता है। इसके चिलए विवक्षिभन्न प्रणाचिलयों का उद्बोधन

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करता है। जैसे- सहायक सामग्री, प्रत्यक्ष प्र3=:न, श्यामपट्ट, चि�त्र, अंग सं�ालन।स्पष्टीकरण विवमिध- उद्बोधन से स्पष्ट न हो तो इस विवमिध अपनाया जा सकती है। जैसे, वु्यत्पक्षित्त द्वारा, प्रत्यय द्वारा, उपसग: द्वारा, तुलना द्वारा।प्रव�न विवमिध- पया:यवा�ी =ब्3ों, परिरभाषा आदि3 की सहायता से =ब्3ों की व्यख्या की जाती है।

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विव�ार विवश्लेषण- वा�न एवं व्यख्या के बा3 विव�ार विवशे्लषण का स्थान आता है। वा�न एवं व्यख्या से छात्रों के भाषा ज्ञान में वृजिद्ध होती है, परंतु विव�ार ग्रहण करने की क्षमता विव�ार विवशे्लषण की माध्यम से विवकचिसत होती है। गद्य तथा साविहत्य के अन्य विवधाओं के चि=क्षण से छात्रों को विहन्3ी भाषा से अमिधक परिर�य पाने कीअवसर मिमलता है।

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धन्य�ाद