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प्रेम स्वरूप | March 2014 | अक्रम एक्सप्रे"बालमित्रों, प्रेम ऐसी चीज़ है कि जिससे पत्थर भी पिघल जाता है, फिर हम तो इंसान है, तो क्या हम पर इसका असर नहीं होगा, लेकिन वह प्रेम कैसा होना चाहिए? प्रेम परिभाषा सहित होना चाहिए। किसी भी चीज़ को हम प्रेम कहें वह नहीं चलेगा। यह मालूम न होने के कारण ही हम अपने मित्र और भाई-बहन को भरपूर प्रेम करने के बावजूद भी उनके साथ सच्चा प्रेम किसे कहते हैं उसकी सुंदर परिभाषा परम पूज्य दादाश्री ने दी है। साथ ही साथ प्रेमस्वरूप कैसे बन सकते हैं, उसकी भी सुंदर समझ इस अंक में दी है। तो आओ, हम भी प्रेमस्वरूप बनें और सबके साथ प्रेम से रहें। " स
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