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Premchand (15)Page 1 of 51 Ĥेमचंद Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (http://www.novapdf.com/)

$ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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Premchand (15)Page 1 of 51

मचद

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2

याच र 3

मलाप 20

मनावन 27

अधर 38

सफ एक आवाज 44

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3

या-च र

ठ लगनदास जी क जीवन क ब गया फलह न थी कोई ऐसा मानवीय आ याि मक या च क सा मक य न न था जो उ ह न न

कया हो य शाद म एक प नी त क कायल थ मगर ज रत और आ ह स ववश होकर एक-दो नह पॉच शा दयॉ क यहॉ तक क उ क चाल स साल गजए गए और अधर घर म उजाला न हआ बचार बहत रजीदा रहत यह धन-सपि त यह ठाट-बाट यह वभव और यह ऐ वय या ह ग मर बाद इनका या होगा कौन इनको भोगगा यह याल बहत अफसोसनाक था आ खर यह सलाह हई क कसी लड़क को गोद लना चा हए मगर यह मसला पा रवा रक झगड़ क कारण क साल तक थ गत रहा जब सठ जी न दखा क बी वय म अब तक बद तर कशमकश हो रह ह तो उ ह न न तक साहस स काम लया और होनहार अनाथ लड़क को गोद ल लया उसका नाम रखा गया मगनदास उसक उ पॉच-छ साल स यादा न थी बला का जह न और तमीजदार मगर औरत सब कछ कर सकती ह दसर क ब च को अपना नह समझ सकती यहॉ तो पॉच औरत का साझा था अगर एक उस यार करती तो बाक चार औरत का फ था क उसस नफरत कर हॉ सठ जी उसक साथ बलकल अपन लड़क क सी मह बत करत थ पढ़ान को मा टर र ख सवार क लए घोड़ रईसी याल क आदमी थ राग-रग का सामान भी महया था गाना सीखन का लड़क न शौक कया तो उसका भी इतजाम हो गया गरज जब मगनदास जवानी पर पहचा तो रईसाना दलचाि पय म उस कमाल हा सल था उसका गाना सनकर उ ताद लोग कान पर हाथ रखत शहसवार ऐसा क दौड़त हए घोड़ पर सवार हो जाता डील-डौल श ल सरत म उसका -सा अलबला जवान द ल म कम होगा शाद का मसला पश हआ नाग पर क करोड़प त सठ म खनलाल बहत लहराय हए थ उनक लड़क स शाद हो गई धमधाम का िज कया जाए तो क सा वयोग क रात स भी ल बा हो जाए म खनलाल का उसी शाद म द वाला नकल गया इस व त मगनदास स यादा ई या क यो य आदमी और कौन होगा उसक िज दगी क बहार

उमग पर भी और मराद क फल अपनी शबनमी ताजगी म खल - खलकर

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ह न और ताजगी का समा दखा रह थ मगर तकद र क दवी कछ और ह सामान कर रह थी वह सर-सपाट क इराद स जापान गया हआ था क द ल स खबर आई क ई वर न त ह एक भाई दया ह मझ इतनी खशी ह क यादा अस तक िज दा न रह सक तम बहत ज द लौट आओ

मगनदास क हाथ स तार का कागज छट गया और सर म ऐसा च कर आया क जस कसी ऊचाई स गर पड़ा ह

गनदास का कताबी ान बहत कम था मगर वभाव क स जनता स वह खाल हाथ न था हाथ क उदारता न जो सम का वरदान

ह दय को भी उदार बना दया था उस घटनाओ क इस कायापलट स दख तो ज र हआ आ खर इ सान ह था मगर उसन धीरज स काम लया और एक आशा और भय क मल -जल हालत म दश को रवाना हआ

रात का व त था जब अपन दरवाज पर पहचा तो नाच-गान क मह फल सजी दखी उसक कदम आग न बढ़ लौट पड़ा और एक दकान क चबतर पर बठकर सोचन लगा क अब या करना चा हऐ इतना तो उस यक न था क सठ जी उसक साथ भी भलमनसी और मह बत स पश आयग बि क शायद अब और भी कपा करन लग सठा नयॉ भी अब उसक साथ गर का-सा वताव न करगी मम कन ह मझल बह जो इस ब च क खशनसीब मॉ थी उसस दर-दर रह मगर बाक चार सठा नय क तरफ स सवा-स कार म कोई शक नह था उनक डाह स वह फायदा उठा सकता था ताहम उसक वा भमान न गवारा न कया क िजस घर म मा लक क ह सयत स रहता था उसी घर म अब एक आ त क ह सयत स िज दगी बसर कर उसन फसला कर लया क सब यहॉ रहना न मना सब ह न मसलहत मगर जाऊ कहॉ न कोई ऐसा फन सीखा न कोई ऐसा इ म हा सल कया िजसस रोजी कमान क सरत पदा होती रईसाना दलचि पयॉ उसी व त तक क क नगाह स दखी जाती ह जब तक क व रईस क आभषण रह जी वका बन कर व स मान क पद स गर जाती ह अपनी रोजी हा सल करना तो उसक लए कोई ऐसा मि कल काम न था कसी सठ-साहकार क यहॉ मनीम बन सकता था कसी कारखान क तरफ स एजट हो सकता था मगर उसक क ध पर एक भार जआ र खा हआ था

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उस या कर एक बड़ सठ क लड़क िजसन लाड़- यार म प रव रश पाई उसस यह कगाल क तकल फ य कर झल जाऍगी या म खनलाल क लाड़ल बट एक ऐस आदमी क साथ रहना पस द करगी िजस रात क रोट का भी ठकाना नह मगर इस फ म अपनी जान य खपाऊ मन अपनी मज स शाद नह क म बराबर इनकार करता रहा सठ जी न जबद ती मर पर म बड़ी डाल ह अब वह इसक िज मदार ह मझ स कोई वा ता नह ल कन जब उसन दबारा ठड दल स इस मसल पर गौर कया तो वचाव क कोई सरत नजर न आई आ खकार उसन यह फसला कया क पहल नागपर चल जरा उन महारानी क तौर-तर क को दख बाहर-ह -बाहर उनक वभाव क मजाज क जॉच क उस व त तय क गा क मझ या करक चा हय अगर रईसी क ब उनक दमाग स नकल गई ह और मर साथ खी रो टयॉ खाना उ ह मजर ह तो इसस अ छा फर और या ल कन अगर वह अमीर ठाट-बाट क हाथ बक हई ह तो मर लए रा ता साफ ह फर म ह और द नया का गम ऐसी जगह जाऊ जहॉ कसी प र चत क सरत सपन म भी न दखाई द गर बी क िज लत नह रहती अगर अजन बय म िज दगी बसरा क जाए यह जानन-पहचानन वाल क कन खया और कनब तयॉ ह जो गर बी को य णा बना दती ह इस तरह दल म िज दगी का न शा बनाकर मगनदास अपनी मदाना ह मत क भरोस पर नागपर क तरफ चला उस म लाह क तरह जो क ती और पाल क बगर नद क उमड़ती हई लहर म अपन को डाल द

३ म क व त सठ म खनलाल क सदर बगीच म सरज क पील करण मरझाय हए फल स गल मलकर वदा हो रह थी बाग क

बीच म एक प का कऑ था और एक मौल सर का पड़ कए क मह पर अधर क नील -सी नकाब थी पड़ क सर पर रोशनी क सनहर चादर इसी पड़ म एक नौजवान थका-मादा कऍ पर आया और लोट स पानी भरकर पीन क बाद जगत पर बठ गया मा लन न पछा - कहॉ जाओग मगनदास न जवाब दया क जाना तो था बहत दर मगर यह रात हो गई यहॉ कह ठहरन का ठकाना मल जाएगा

शा

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मा लक- चल जाओ सठ जी क धमशाला म बड़ आराम क जगह ह मगनदास-धमशाल म तो मझ ठहरन का कभी सयोग नह हआ कोई

हज न हो तो यह पड़ा रह यहा कोई रात को रहता ह

मा लक- भाई म यहॉ ठहरन को न कहगी यह बाई जी क बठक ह झरोख म बठकर सर कया करती ह कह दख-भाल ल तो मर सर म एक बाल भी न रह

मगनदास- बाई जी कौन

मा लक- यह सठ जी क बट इि दरा बाई मगनदास- यह गजर उ ह क लए बना रह हो या

मा लन- हॉ और सठ जी क यहॉ ह ह कौन फल क गहन बहत पस द करती ह

मानदास- शौक न औरत मालम होती ह

मा लक- भाई यह तो बड़ आद मय क बात ह वह शौक न कर तो हमारा-त हारा नबाह कस हो और धन ह कस लए अकल जान पर दस ल डयॉ ह सना करती थी क भगवान आदमी का हल भत जोतता ह वह ऑख दखा आप-ह -आप पखा चलन लग आप-ह -आप सार घर म दन का-सा उजाला हो जाए तम झठ समझत होग मगर म ऑख दखी बात कहती ह

उस गव क चतना क साथ जो कसी नादान आदमी क सामन अपनी जानकार क बयान करन म होता ह बढ़ मा लन अपनी सव ता का दशन करन लगी मगनदास न उकसाया- होगा भाई बड़ आदमी क बात नराल होती ह ल मी क बस म सब कछ ह मगर अकल जान पर दस ल डयॉ समझ म नह आता

मा लन न बढ़ाप क चड़ चड़पन स जवाब दया - त हार समझ मोट हो तो कोई या कर कोई पान लगाती ह कोई पखा झलती ह कोई कपड़ पहनाती ह दो हजार पय म तो सजगाड़ी आयी थी चाहो तो मह दख लो उस पर हवा खान जाती ह एक बगा लन गाना-बजाना सखाती ह मम पढ़ान आती ह शा ी जी स कत पढ़ात ह कागद पर ऐसी मरत बनाती ह क अब बोल और अब बोल दल क रानी ह बचार क भाग फट गए द ल क सठ लगनदास क गोद लय हए लड़क स याह हआ था मगर राम जी क ल ला स तर बरस क मद को लड़का दया कौन प तयायगा

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जब स यह सनावनी आई ह तब स बहत उदास रहती ह एक दन रोती थी मर सामन क बात ह बाप न दख लया समझान लग लड़क को बहत चाहत ह सनती ह दामाद को यह बलाकर र खग नारायन कर मर रानी दध नहाय पत फल माल मर गया था उ ह न आड़ न ल होती तो घर भर क टकड़ मॉगती

मगनदास न एक ठ डी सॉस ल बहतर ह अब यहॉ स अपनी इ जत-आब लय हए चल दो यहॉ मरा नबाह न होगा इि दरा रईसजाद ह तम इस का बल नह हो क उसक शौहर बन सको मा लन स बोला -ता धमशाल म जाता ह जान वहॉ खाट -वाट मल जाती ह क नह मगर रात ह तो काटनी ह कसी तरह कट ह जाएगी रईस क लए मखमल ग चा हए हम मजदर क लए पआल ह बहत ह

यह कहकर उसन ल टया उठाई ड डा स हाला और ददभर दल स एक तरफ चल दया

उस व त इि दरा अपन झरोख पर बठ हई इन दोन क बात सन रह थी कसा सयोग ह क ी को वग क सब स यॉ ा त ह और उसका प त आवर क तरह मारा-मारा फर रहा ह उस रात काटन का ठकाना नह

४ गनदास नराश वचार म डबा हआ शहर स बाहर नकल आया और एक सराय म ठहरा जो सफ इस लए मशहर थी क वहॉ शराब क

एक दकान थी यहॉ आस -पास स मजदर लोग आ -आकर अपन दख को भलाया करत थ जो भल -भटक मसा फर यहॉ ठहरत उ ह हो शयार और चौकसी का यावहा रक पाठ मल जाता था मगनदास थका-मॉदा ह एक पड़ क नीच चादर बछाकर सो रहा और जब सबह को नीद खल तो उस कसी पीर-औ लया क ान क सजीव द ा का चम कार दखाई पड़ा िजसक पहल मिजल वरा य ह उसक छोट -सी पोटल िजसम दो-एक कपड़ और थोड़ा-सा रा त का खाना और ल टया -डोर बधी हई थी गायब हो गई उन कपड़ को छोड़कर जो उसक बदर पर थ अब उसक पास कछ भी न था और भख जो कगाल म और भी तज हो जाती ह उस बचन कर रह थी मगर ढ़ वभाव का आदमी था उसन क मत का रोना रोया कसी

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तरह गजर करन क तदबीर सोचन लगा लखन और ग णत म उस अ छा अ यास था मगर इस ह सयत म उसस फायदा उठाना अस भव था उसन सगीत का बहत अ यास कया था कसी र सक रईस क दरबार म उसक क़ हो सकती थी मगर उसक प षो चत अ भमान न इस पश को अि यतार करन इजाजत न द हॉ वह आला दज का घड़सवार था और यह फन मज म पर शान क साथ उसक रोजी का साधन बन सकता था यह प का इरादा करक उसन ह मत स कदम आग बढ़ाय ऊपर स दखन पर यह बात यक न क का बल नह मालम हो ती मगर वह अपना बोझ हलका हो जान स इस व त बहत उदास नह था मदाना ह मत का आदमी ऐसी मसीबत को उसी नगाह स दखता ह िजसम एक हो शयार व याथ पर ा क न को दखता ह उस अपनी ह मत आजमान का एक मि कल स जझन का मौका मल जाता ह उसक ह मत अजनान ह मजबत हो जाती ह अकसर ऐस माक मदाना हौसल क लए रणा का काम दत ह मगनदास इस जो स कदम बढ़ाता चला जाता था क जस कायमाबी क मिजल सामन नजर आ रह ह मगर शायद वहा क घोड़ो न शरारत और बगड़लपन स तौबा कर ल थी या व वाभा वक प बहत मज म धीम- धीम चलन वाल थ वह िजस गाव म जाता नराशा को उकसान वाला जवाब पाता आ खरकार शाम क व त जब सरज अपनी आ खर मिजल पर जा पहचा था उसक क ठन मिजल तमाम हई नागरघाट क ठाकर अटल सह न उसक च ता मो समा त कया

यह एक बड़ा गाव था प क मकान बहत थ मगर उनम ता माऍ आबाद थी कई साल पहल लग न आबाद क बड़ ह स का इस णभगर ससार स उठाकर वग म पहच दया था इस व त लग क बच -खच व लोग गाव क नौजवान और शौक न जमीदार साहब और ह क क कारगजार ओर रोबील थानदार साहब थ उनक मल -जल को शश स गॉव म सतयग का राज था धन दौलत को लोग जान का अजाब समझत थ उस गनाह क तरह छपात थ घर -घर म पय रहत हए लोग कज ल -लकर खात और फटहाल रहत थ इसी म नबाह था काजल क कोठर थी सफद कपड़ पहनना उन पर ध बा लगाना था हकमत और जब द ती का बाजार गम था अह र को यहा आजन क लए भी दध न था थान म दध क नद बहती थी मवशीखान क मह रर दध क कि लया करत थ इसी

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अधरनगर को मगनदास न अपना घर बनाया ठाकर साहब न असाधा रण उदारता स काम लकर उस रहन क लए एक माकन भी द दया जो कवल बहत यापक अथ म मकान कहा जा सकता था इसी झ पड़ी म वह एक ह त स िज दगी क दन काट रहा ह उसका चहरा जद ह और कपड़ मल हो रह ह मगर ऐसा मालम होता ह क उस अब इन बात क अनभ त ह नह रह िज दा ह मगर िज दगी खसत हो गई ह ह मत और हौसला मि कल को आसान कर सकत ह ऑधी और तफान स बचा सकत ह मगर चहर को खला सकना उनक साम य स बाहर ह टट हई नाव पर बठकर म हार गाना ह मत काम नह हमाकत का काम ह

एक रोज जब शाम क व त वह अधर म खाट पर पड़ा हआ था एक औरत उसक दरवारज पर आकर भीख मागन लगी मगनदास का आवाज पर चत जान पडी बहार आकर दखा तो वह च पा मा लन थी कपड़ तारndash

तार मसीबत क रोती हई तसबीर बोला -मा लन त हार यह या हालत ह मझ पहचानती हो

मा लन न च करक दखा और पहचान गई रोकर बोल ndashबटा अब बताओ मरा कहा ठकाना लग तमन मरा बना बनाया घर उजाड़ दया न उस दन तमस बात करती न मझ पर यह बपत पड़ती बाई न त ह बठ दख लया बात भी सनी सबह होत ह मझ बलाया और बरस पड़ी नाक कटवा लगी मह म का लख लगवा दगी चड़ल कटनी त मर बात कसी गर आदमी स य चलाय त दसर स मर चचा कर वह या तरा दामाद था जो त उसस मरा दखड़ा रोती थी जो कछ मह म आया बकती रह मझस भी न सहा गया रानी ठगी अपना सहाग लगी बोल -बाई जी मझस कसर हआ ल िजए अब जाती ह छ कत नाक कटती ह तो मरा नबाह यहा न होगा ई वर न मह दया ह तो आहार भी दगा चार घर स मागगी तो मर पट को हो जाऐगा उस छोकर न मझ खड़ खड़ नकलवा दया बताओ मन तमस उस क कौन सी शकायत क थी उसक या चचा क थी म तो उसका बखान कर रह थी मगर बड़ आद मय का ग सा भी बड़ा होता ह अब बताओ म कसक होकर रह आठ दन इसी दन तरह टकड़ मागत हो गय ह एक भतीजी उ ह क यहा ल डय म नौकर थी उसी दन उस भी नकाल दया त हार बदौलत

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 2: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

2

याच र 3

मलाप 20

मनावन 27

अधर 38

सफ एक आवाज 44

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3

या-च र

ठ लगनदास जी क जीवन क ब गया फलह न थी कोई ऐसा मानवीय आ याि मक या च क सा मक य न न था जो उ ह न न

कया हो य शाद म एक प नी त क कायल थ मगर ज रत और आ ह स ववश होकर एक-दो नह पॉच शा दयॉ क यहॉ तक क उ क चाल स साल गजए गए और अधर घर म उजाला न हआ बचार बहत रजीदा रहत यह धन-सपि त यह ठाट-बाट यह वभव और यह ऐ वय या ह ग मर बाद इनका या होगा कौन इनको भोगगा यह याल बहत अफसोसनाक था आ खर यह सलाह हई क कसी लड़क को गोद लना चा हए मगर यह मसला पा रवा रक झगड़ क कारण क साल तक थ गत रहा जब सठ जी न दखा क बी वय म अब तक बद तर कशमकश हो रह ह तो उ ह न न तक साहस स काम लया और होनहार अनाथ लड़क को गोद ल लया उसका नाम रखा गया मगनदास उसक उ पॉच-छ साल स यादा न थी बला का जह न और तमीजदार मगर औरत सब कछ कर सकती ह दसर क ब च को अपना नह समझ सकती यहॉ तो पॉच औरत का साझा था अगर एक उस यार करती तो बाक चार औरत का फ था क उसस नफरत कर हॉ सठ जी उसक साथ बलकल अपन लड़क क सी मह बत करत थ पढ़ान को मा टर र ख सवार क लए घोड़ रईसी याल क आदमी थ राग-रग का सामान भी महया था गाना सीखन का लड़क न शौक कया तो उसका भी इतजाम हो गया गरज जब मगनदास जवानी पर पहचा तो रईसाना दलचाि पय म उस कमाल हा सल था उसका गाना सनकर उ ताद लोग कान पर हाथ रखत शहसवार ऐसा क दौड़त हए घोड़ पर सवार हो जाता डील-डौल श ल सरत म उसका -सा अलबला जवान द ल म कम होगा शाद का मसला पश हआ नाग पर क करोड़प त सठ म खनलाल बहत लहराय हए थ उनक लड़क स शाद हो गई धमधाम का िज कया जाए तो क सा वयोग क रात स भी ल बा हो जाए म खनलाल का उसी शाद म द वाला नकल गया इस व त मगनदास स यादा ई या क यो य आदमी और कौन होगा उसक िज दगी क बहार

उमग पर भी और मराद क फल अपनी शबनमी ताजगी म खल - खलकर

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ह न और ताजगी का समा दखा रह थ मगर तकद र क दवी कछ और ह सामान कर रह थी वह सर-सपाट क इराद स जापान गया हआ था क द ल स खबर आई क ई वर न त ह एक भाई दया ह मझ इतनी खशी ह क यादा अस तक िज दा न रह सक तम बहत ज द लौट आओ

मगनदास क हाथ स तार का कागज छट गया और सर म ऐसा च कर आया क जस कसी ऊचाई स गर पड़ा ह

गनदास का कताबी ान बहत कम था मगर वभाव क स जनता स वह खाल हाथ न था हाथ क उदारता न जो सम का वरदान

ह दय को भी उदार बना दया था उस घटनाओ क इस कायापलट स दख तो ज र हआ आ खर इ सान ह था मगर उसन धीरज स काम लया और एक आशा और भय क मल -जल हालत म दश को रवाना हआ

रात का व त था जब अपन दरवाज पर पहचा तो नाच-गान क मह फल सजी दखी उसक कदम आग न बढ़ लौट पड़ा और एक दकान क चबतर पर बठकर सोचन लगा क अब या करना चा हऐ इतना तो उस यक न था क सठ जी उसक साथ भी भलमनसी और मह बत स पश आयग बि क शायद अब और भी कपा करन लग सठा नयॉ भी अब उसक साथ गर का-सा वताव न करगी मम कन ह मझल बह जो इस ब च क खशनसीब मॉ थी उसस दर-दर रह मगर बाक चार सठा नय क तरफ स सवा-स कार म कोई शक नह था उनक डाह स वह फायदा उठा सकता था ताहम उसक वा भमान न गवारा न कया क िजस घर म मा लक क ह सयत स रहता था उसी घर म अब एक आ त क ह सयत स िज दगी बसर कर उसन फसला कर लया क सब यहॉ रहना न मना सब ह न मसलहत मगर जाऊ कहॉ न कोई ऐसा फन सीखा न कोई ऐसा इ म हा सल कया िजसस रोजी कमान क सरत पदा होती रईसाना दलचि पयॉ उसी व त तक क क नगाह स दखी जाती ह जब तक क व रईस क आभषण रह जी वका बन कर व स मान क पद स गर जाती ह अपनी रोजी हा सल करना तो उसक लए कोई ऐसा मि कल काम न था कसी सठ-साहकार क यहॉ मनीम बन सकता था कसी कारखान क तरफ स एजट हो सकता था मगर उसक क ध पर एक भार जआ र खा हआ था

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उस या कर एक बड़ सठ क लड़क िजसन लाड़- यार म प रव रश पाई उसस यह कगाल क तकल फ य कर झल जाऍगी या म खनलाल क लाड़ल बट एक ऐस आदमी क साथ रहना पस द करगी िजस रात क रोट का भी ठकाना नह मगर इस फ म अपनी जान य खपाऊ मन अपनी मज स शाद नह क म बराबर इनकार करता रहा सठ जी न जबद ती मर पर म बड़ी डाल ह अब वह इसक िज मदार ह मझ स कोई वा ता नह ल कन जब उसन दबारा ठड दल स इस मसल पर गौर कया तो वचाव क कोई सरत नजर न आई आ खकार उसन यह फसला कया क पहल नागपर चल जरा उन महारानी क तौर-तर क को दख बाहर-ह -बाहर उनक वभाव क मजाज क जॉच क उस व त तय क गा क मझ या करक चा हय अगर रईसी क ब उनक दमाग स नकल गई ह और मर साथ खी रो टयॉ खाना उ ह मजर ह तो इसस अ छा फर और या ल कन अगर वह अमीर ठाट-बाट क हाथ बक हई ह तो मर लए रा ता साफ ह फर म ह और द नया का गम ऐसी जगह जाऊ जहॉ कसी प र चत क सरत सपन म भी न दखाई द गर बी क िज लत नह रहती अगर अजन बय म िज दगी बसरा क जाए यह जानन-पहचानन वाल क कन खया और कनब तयॉ ह जो गर बी को य णा बना दती ह इस तरह दल म िज दगी का न शा बनाकर मगनदास अपनी मदाना ह मत क भरोस पर नागपर क तरफ चला उस म लाह क तरह जो क ती और पाल क बगर नद क उमड़ती हई लहर म अपन को डाल द

३ म क व त सठ म खनलाल क सदर बगीच म सरज क पील करण मरझाय हए फल स गल मलकर वदा हो रह थी बाग क

बीच म एक प का कऑ था और एक मौल सर का पड़ कए क मह पर अधर क नील -सी नकाब थी पड़ क सर पर रोशनी क सनहर चादर इसी पड़ म एक नौजवान थका-मादा कऍ पर आया और लोट स पानी भरकर पीन क बाद जगत पर बठ गया मा लन न पछा - कहॉ जाओग मगनदास न जवाब दया क जाना तो था बहत दर मगर यह रात हो गई यहॉ कह ठहरन का ठकाना मल जाएगा

शा

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मा लक- चल जाओ सठ जी क धमशाला म बड़ आराम क जगह ह मगनदास-धमशाल म तो मझ ठहरन का कभी सयोग नह हआ कोई

हज न हो तो यह पड़ा रह यहा कोई रात को रहता ह

मा लक- भाई म यहॉ ठहरन को न कहगी यह बाई जी क बठक ह झरोख म बठकर सर कया करती ह कह दख-भाल ल तो मर सर म एक बाल भी न रह

मगनदास- बाई जी कौन

मा लक- यह सठ जी क बट इि दरा बाई मगनदास- यह गजर उ ह क लए बना रह हो या

मा लन- हॉ और सठ जी क यहॉ ह ह कौन फल क गहन बहत पस द करती ह

मानदास- शौक न औरत मालम होती ह

मा लक- भाई यह तो बड़ आद मय क बात ह वह शौक न कर तो हमारा-त हारा नबाह कस हो और धन ह कस लए अकल जान पर दस ल डयॉ ह सना करती थी क भगवान आदमी का हल भत जोतता ह वह ऑख दखा आप-ह -आप पखा चलन लग आप-ह -आप सार घर म दन का-सा उजाला हो जाए तम झठ समझत होग मगर म ऑख दखी बात कहती ह

उस गव क चतना क साथ जो कसी नादान आदमी क सामन अपनी जानकार क बयान करन म होता ह बढ़ मा लन अपनी सव ता का दशन करन लगी मगनदास न उकसाया- होगा भाई बड़ आदमी क बात नराल होती ह ल मी क बस म सब कछ ह मगर अकल जान पर दस ल डयॉ समझ म नह आता

मा लन न बढ़ाप क चड़ चड़पन स जवाब दया - त हार समझ मोट हो तो कोई या कर कोई पान लगाती ह कोई पखा झलती ह कोई कपड़ पहनाती ह दो हजार पय म तो सजगाड़ी आयी थी चाहो तो मह दख लो उस पर हवा खान जाती ह एक बगा लन गाना-बजाना सखाती ह मम पढ़ान आती ह शा ी जी स कत पढ़ात ह कागद पर ऐसी मरत बनाती ह क अब बोल और अब बोल दल क रानी ह बचार क भाग फट गए द ल क सठ लगनदास क गोद लय हए लड़क स याह हआ था मगर राम जी क ल ला स तर बरस क मद को लड़का दया कौन प तयायगा

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जब स यह सनावनी आई ह तब स बहत उदास रहती ह एक दन रोती थी मर सामन क बात ह बाप न दख लया समझान लग लड़क को बहत चाहत ह सनती ह दामाद को यह बलाकर र खग नारायन कर मर रानी दध नहाय पत फल माल मर गया था उ ह न आड़ न ल होती तो घर भर क टकड़ मॉगती

मगनदास न एक ठ डी सॉस ल बहतर ह अब यहॉ स अपनी इ जत-आब लय हए चल दो यहॉ मरा नबाह न होगा इि दरा रईसजाद ह तम इस का बल नह हो क उसक शौहर बन सको मा लन स बोला -ता धमशाल म जाता ह जान वहॉ खाट -वाट मल जाती ह क नह मगर रात ह तो काटनी ह कसी तरह कट ह जाएगी रईस क लए मखमल ग चा हए हम मजदर क लए पआल ह बहत ह

यह कहकर उसन ल टया उठाई ड डा स हाला और ददभर दल स एक तरफ चल दया

उस व त इि दरा अपन झरोख पर बठ हई इन दोन क बात सन रह थी कसा सयोग ह क ी को वग क सब स यॉ ा त ह और उसका प त आवर क तरह मारा-मारा फर रहा ह उस रात काटन का ठकाना नह

४ गनदास नराश वचार म डबा हआ शहर स बाहर नकल आया और एक सराय म ठहरा जो सफ इस लए मशहर थी क वहॉ शराब क

एक दकान थी यहॉ आस -पास स मजदर लोग आ -आकर अपन दख को भलाया करत थ जो भल -भटक मसा फर यहॉ ठहरत उ ह हो शयार और चौकसी का यावहा रक पाठ मल जाता था मगनदास थका-मॉदा ह एक पड़ क नीच चादर बछाकर सो रहा और जब सबह को नीद खल तो उस कसी पीर-औ लया क ान क सजीव द ा का चम कार दखाई पड़ा िजसक पहल मिजल वरा य ह उसक छोट -सी पोटल िजसम दो-एक कपड़ और थोड़ा-सा रा त का खाना और ल टया -डोर बधी हई थी गायब हो गई उन कपड़ को छोड़कर जो उसक बदर पर थ अब उसक पास कछ भी न था और भख जो कगाल म और भी तज हो जाती ह उस बचन कर रह थी मगर ढ़ वभाव का आदमी था उसन क मत का रोना रोया कसी

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तरह गजर करन क तदबीर सोचन लगा लखन और ग णत म उस अ छा अ यास था मगर इस ह सयत म उसस फायदा उठाना अस भव था उसन सगीत का बहत अ यास कया था कसी र सक रईस क दरबार म उसक क़ हो सकती थी मगर उसक प षो चत अ भमान न इस पश को अि यतार करन इजाजत न द हॉ वह आला दज का घड़सवार था और यह फन मज म पर शान क साथ उसक रोजी का साधन बन सकता था यह प का इरादा करक उसन ह मत स कदम आग बढ़ाय ऊपर स दखन पर यह बात यक न क का बल नह मालम हो ती मगर वह अपना बोझ हलका हो जान स इस व त बहत उदास नह था मदाना ह मत का आदमी ऐसी मसीबत को उसी नगाह स दखता ह िजसम एक हो शयार व याथ पर ा क न को दखता ह उस अपनी ह मत आजमान का एक मि कल स जझन का मौका मल जाता ह उसक ह मत अजनान ह मजबत हो जाती ह अकसर ऐस माक मदाना हौसल क लए रणा का काम दत ह मगनदास इस जो स कदम बढ़ाता चला जाता था क जस कायमाबी क मिजल सामन नजर आ रह ह मगर शायद वहा क घोड़ो न शरारत और बगड़लपन स तौबा कर ल थी या व वाभा वक प बहत मज म धीम- धीम चलन वाल थ वह िजस गाव म जाता नराशा को उकसान वाला जवाब पाता आ खरकार शाम क व त जब सरज अपनी आ खर मिजल पर जा पहचा था उसक क ठन मिजल तमाम हई नागरघाट क ठाकर अटल सह न उसक च ता मो समा त कया

यह एक बड़ा गाव था प क मकान बहत थ मगर उनम ता माऍ आबाद थी कई साल पहल लग न आबाद क बड़ ह स का इस णभगर ससार स उठाकर वग म पहच दया था इस व त लग क बच -खच व लोग गाव क नौजवान और शौक न जमीदार साहब और ह क क कारगजार ओर रोबील थानदार साहब थ उनक मल -जल को शश स गॉव म सतयग का राज था धन दौलत को लोग जान का अजाब समझत थ उस गनाह क तरह छपात थ घर -घर म पय रहत हए लोग कज ल -लकर खात और फटहाल रहत थ इसी म नबाह था काजल क कोठर थी सफद कपड़ पहनना उन पर ध बा लगाना था हकमत और जब द ती का बाजार गम था अह र को यहा आजन क लए भी दध न था थान म दध क नद बहती थी मवशीखान क मह रर दध क कि लया करत थ इसी

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अधरनगर को मगनदास न अपना घर बनाया ठाकर साहब न असाधा रण उदारता स काम लकर उस रहन क लए एक माकन भी द दया जो कवल बहत यापक अथ म मकान कहा जा सकता था इसी झ पड़ी म वह एक ह त स िज दगी क दन काट रहा ह उसका चहरा जद ह और कपड़ मल हो रह ह मगर ऐसा मालम होता ह क उस अब इन बात क अनभ त ह नह रह िज दा ह मगर िज दगी खसत हो गई ह ह मत और हौसला मि कल को आसान कर सकत ह ऑधी और तफान स बचा सकत ह मगर चहर को खला सकना उनक साम य स बाहर ह टट हई नाव पर बठकर म हार गाना ह मत काम नह हमाकत का काम ह

एक रोज जब शाम क व त वह अधर म खाट पर पड़ा हआ था एक औरत उसक दरवारज पर आकर भीख मागन लगी मगनदास का आवाज पर चत जान पडी बहार आकर दखा तो वह च पा मा लन थी कपड़ तारndash

तार मसीबत क रोती हई तसबीर बोला -मा लन त हार यह या हालत ह मझ पहचानती हो

मा लन न च करक दखा और पहचान गई रोकर बोल ndashबटा अब बताओ मरा कहा ठकाना लग तमन मरा बना बनाया घर उजाड़ दया न उस दन तमस बात करती न मझ पर यह बपत पड़ती बाई न त ह बठ दख लया बात भी सनी सबह होत ह मझ बलाया और बरस पड़ी नाक कटवा लगी मह म का लख लगवा दगी चड़ल कटनी त मर बात कसी गर आदमी स य चलाय त दसर स मर चचा कर वह या तरा दामाद था जो त उसस मरा दखड़ा रोती थी जो कछ मह म आया बकती रह मझस भी न सहा गया रानी ठगी अपना सहाग लगी बोल -बाई जी मझस कसर हआ ल िजए अब जाती ह छ कत नाक कटती ह तो मरा नबाह यहा न होगा ई वर न मह दया ह तो आहार भी दगा चार घर स मागगी तो मर पट को हो जाऐगा उस छोकर न मझ खड़ खड़ नकलवा दया बताओ मन तमस उस क कौन सी शकायत क थी उसक या चचा क थी म तो उसका बखान कर रह थी मगर बड़ आद मय का ग सा भी बड़ा होता ह अब बताओ म कसक होकर रह आठ दन इसी दन तरह टकड़ मागत हो गय ह एक भतीजी उ ह क यहा ल डय म नौकर थी उसी दन उस भी नकाल दया त हार बदौलत

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 3: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

3

या-च र

ठ लगनदास जी क जीवन क ब गया फलह न थी कोई ऐसा मानवीय आ याि मक या च क सा मक य न न था जो उ ह न न

कया हो य शाद म एक प नी त क कायल थ मगर ज रत और आ ह स ववश होकर एक-दो नह पॉच शा दयॉ क यहॉ तक क उ क चाल स साल गजए गए और अधर घर म उजाला न हआ बचार बहत रजीदा रहत यह धन-सपि त यह ठाट-बाट यह वभव और यह ऐ वय या ह ग मर बाद इनका या होगा कौन इनको भोगगा यह याल बहत अफसोसनाक था आ खर यह सलाह हई क कसी लड़क को गोद लना चा हए मगर यह मसला पा रवा रक झगड़ क कारण क साल तक थ गत रहा जब सठ जी न दखा क बी वय म अब तक बद तर कशमकश हो रह ह तो उ ह न न तक साहस स काम लया और होनहार अनाथ लड़क को गोद ल लया उसका नाम रखा गया मगनदास उसक उ पॉच-छ साल स यादा न थी बला का जह न और तमीजदार मगर औरत सब कछ कर सकती ह दसर क ब च को अपना नह समझ सकती यहॉ तो पॉच औरत का साझा था अगर एक उस यार करती तो बाक चार औरत का फ था क उसस नफरत कर हॉ सठ जी उसक साथ बलकल अपन लड़क क सी मह बत करत थ पढ़ान को मा टर र ख सवार क लए घोड़ रईसी याल क आदमी थ राग-रग का सामान भी महया था गाना सीखन का लड़क न शौक कया तो उसका भी इतजाम हो गया गरज जब मगनदास जवानी पर पहचा तो रईसाना दलचाि पय म उस कमाल हा सल था उसका गाना सनकर उ ताद लोग कान पर हाथ रखत शहसवार ऐसा क दौड़त हए घोड़ पर सवार हो जाता डील-डौल श ल सरत म उसका -सा अलबला जवान द ल म कम होगा शाद का मसला पश हआ नाग पर क करोड़प त सठ म खनलाल बहत लहराय हए थ उनक लड़क स शाद हो गई धमधाम का िज कया जाए तो क सा वयोग क रात स भी ल बा हो जाए म खनलाल का उसी शाद म द वाला नकल गया इस व त मगनदास स यादा ई या क यो य आदमी और कौन होगा उसक िज दगी क बहार

उमग पर भी और मराद क फल अपनी शबनमी ताजगी म खल - खलकर

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ह न और ताजगी का समा दखा रह थ मगर तकद र क दवी कछ और ह सामान कर रह थी वह सर-सपाट क इराद स जापान गया हआ था क द ल स खबर आई क ई वर न त ह एक भाई दया ह मझ इतनी खशी ह क यादा अस तक िज दा न रह सक तम बहत ज द लौट आओ

मगनदास क हाथ स तार का कागज छट गया और सर म ऐसा च कर आया क जस कसी ऊचाई स गर पड़ा ह

गनदास का कताबी ान बहत कम था मगर वभाव क स जनता स वह खाल हाथ न था हाथ क उदारता न जो सम का वरदान

ह दय को भी उदार बना दया था उस घटनाओ क इस कायापलट स दख तो ज र हआ आ खर इ सान ह था मगर उसन धीरज स काम लया और एक आशा और भय क मल -जल हालत म दश को रवाना हआ

रात का व त था जब अपन दरवाज पर पहचा तो नाच-गान क मह फल सजी दखी उसक कदम आग न बढ़ लौट पड़ा और एक दकान क चबतर पर बठकर सोचन लगा क अब या करना चा हऐ इतना तो उस यक न था क सठ जी उसक साथ भी भलमनसी और मह बत स पश आयग बि क शायद अब और भी कपा करन लग सठा नयॉ भी अब उसक साथ गर का-सा वताव न करगी मम कन ह मझल बह जो इस ब च क खशनसीब मॉ थी उसस दर-दर रह मगर बाक चार सठा नय क तरफ स सवा-स कार म कोई शक नह था उनक डाह स वह फायदा उठा सकता था ताहम उसक वा भमान न गवारा न कया क िजस घर म मा लक क ह सयत स रहता था उसी घर म अब एक आ त क ह सयत स िज दगी बसर कर उसन फसला कर लया क सब यहॉ रहना न मना सब ह न मसलहत मगर जाऊ कहॉ न कोई ऐसा फन सीखा न कोई ऐसा इ म हा सल कया िजसस रोजी कमान क सरत पदा होती रईसाना दलचि पयॉ उसी व त तक क क नगाह स दखी जाती ह जब तक क व रईस क आभषण रह जी वका बन कर व स मान क पद स गर जाती ह अपनी रोजी हा सल करना तो उसक लए कोई ऐसा मि कल काम न था कसी सठ-साहकार क यहॉ मनीम बन सकता था कसी कारखान क तरफ स एजट हो सकता था मगर उसक क ध पर एक भार जआ र खा हआ था

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उस या कर एक बड़ सठ क लड़क िजसन लाड़- यार म प रव रश पाई उसस यह कगाल क तकल फ य कर झल जाऍगी या म खनलाल क लाड़ल बट एक ऐस आदमी क साथ रहना पस द करगी िजस रात क रोट का भी ठकाना नह मगर इस फ म अपनी जान य खपाऊ मन अपनी मज स शाद नह क म बराबर इनकार करता रहा सठ जी न जबद ती मर पर म बड़ी डाल ह अब वह इसक िज मदार ह मझ स कोई वा ता नह ल कन जब उसन दबारा ठड दल स इस मसल पर गौर कया तो वचाव क कोई सरत नजर न आई आ खकार उसन यह फसला कया क पहल नागपर चल जरा उन महारानी क तौर-तर क को दख बाहर-ह -बाहर उनक वभाव क मजाज क जॉच क उस व त तय क गा क मझ या करक चा हय अगर रईसी क ब उनक दमाग स नकल गई ह और मर साथ खी रो टयॉ खाना उ ह मजर ह तो इसस अ छा फर और या ल कन अगर वह अमीर ठाट-बाट क हाथ बक हई ह तो मर लए रा ता साफ ह फर म ह और द नया का गम ऐसी जगह जाऊ जहॉ कसी प र चत क सरत सपन म भी न दखाई द गर बी क िज लत नह रहती अगर अजन बय म िज दगी बसरा क जाए यह जानन-पहचानन वाल क कन खया और कनब तयॉ ह जो गर बी को य णा बना दती ह इस तरह दल म िज दगी का न शा बनाकर मगनदास अपनी मदाना ह मत क भरोस पर नागपर क तरफ चला उस म लाह क तरह जो क ती और पाल क बगर नद क उमड़ती हई लहर म अपन को डाल द

३ म क व त सठ म खनलाल क सदर बगीच म सरज क पील करण मरझाय हए फल स गल मलकर वदा हो रह थी बाग क

बीच म एक प का कऑ था और एक मौल सर का पड़ कए क मह पर अधर क नील -सी नकाब थी पड़ क सर पर रोशनी क सनहर चादर इसी पड़ म एक नौजवान थका-मादा कऍ पर आया और लोट स पानी भरकर पीन क बाद जगत पर बठ गया मा लन न पछा - कहॉ जाओग मगनदास न जवाब दया क जाना तो था बहत दर मगर यह रात हो गई यहॉ कह ठहरन का ठकाना मल जाएगा

शा

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मा लक- चल जाओ सठ जी क धमशाला म बड़ आराम क जगह ह मगनदास-धमशाल म तो मझ ठहरन का कभी सयोग नह हआ कोई

हज न हो तो यह पड़ा रह यहा कोई रात को रहता ह

मा लक- भाई म यहॉ ठहरन को न कहगी यह बाई जी क बठक ह झरोख म बठकर सर कया करती ह कह दख-भाल ल तो मर सर म एक बाल भी न रह

मगनदास- बाई जी कौन

मा लक- यह सठ जी क बट इि दरा बाई मगनदास- यह गजर उ ह क लए बना रह हो या

मा लन- हॉ और सठ जी क यहॉ ह ह कौन फल क गहन बहत पस द करती ह

मानदास- शौक न औरत मालम होती ह

मा लक- भाई यह तो बड़ आद मय क बात ह वह शौक न कर तो हमारा-त हारा नबाह कस हो और धन ह कस लए अकल जान पर दस ल डयॉ ह सना करती थी क भगवान आदमी का हल भत जोतता ह वह ऑख दखा आप-ह -आप पखा चलन लग आप-ह -आप सार घर म दन का-सा उजाला हो जाए तम झठ समझत होग मगर म ऑख दखी बात कहती ह

उस गव क चतना क साथ जो कसी नादान आदमी क सामन अपनी जानकार क बयान करन म होता ह बढ़ मा लन अपनी सव ता का दशन करन लगी मगनदास न उकसाया- होगा भाई बड़ आदमी क बात नराल होती ह ल मी क बस म सब कछ ह मगर अकल जान पर दस ल डयॉ समझ म नह आता

मा लन न बढ़ाप क चड़ चड़पन स जवाब दया - त हार समझ मोट हो तो कोई या कर कोई पान लगाती ह कोई पखा झलती ह कोई कपड़ पहनाती ह दो हजार पय म तो सजगाड़ी आयी थी चाहो तो मह दख लो उस पर हवा खान जाती ह एक बगा लन गाना-बजाना सखाती ह मम पढ़ान आती ह शा ी जी स कत पढ़ात ह कागद पर ऐसी मरत बनाती ह क अब बोल और अब बोल दल क रानी ह बचार क भाग फट गए द ल क सठ लगनदास क गोद लय हए लड़क स याह हआ था मगर राम जी क ल ला स तर बरस क मद को लड़का दया कौन प तयायगा

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जब स यह सनावनी आई ह तब स बहत उदास रहती ह एक दन रोती थी मर सामन क बात ह बाप न दख लया समझान लग लड़क को बहत चाहत ह सनती ह दामाद को यह बलाकर र खग नारायन कर मर रानी दध नहाय पत फल माल मर गया था उ ह न आड़ न ल होती तो घर भर क टकड़ मॉगती

मगनदास न एक ठ डी सॉस ल बहतर ह अब यहॉ स अपनी इ जत-आब लय हए चल दो यहॉ मरा नबाह न होगा इि दरा रईसजाद ह तम इस का बल नह हो क उसक शौहर बन सको मा लन स बोला -ता धमशाल म जाता ह जान वहॉ खाट -वाट मल जाती ह क नह मगर रात ह तो काटनी ह कसी तरह कट ह जाएगी रईस क लए मखमल ग चा हए हम मजदर क लए पआल ह बहत ह

यह कहकर उसन ल टया उठाई ड डा स हाला और ददभर दल स एक तरफ चल दया

उस व त इि दरा अपन झरोख पर बठ हई इन दोन क बात सन रह थी कसा सयोग ह क ी को वग क सब स यॉ ा त ह और उसका प त आवर क तरह मारा-मारा फर रहा ह उस रात काटन का ठकाना नह

४ गनदास नराश वचार म डबा हआ शहर स बाहर नकल आया और एक सराय म ठहरा जो सफ इस लए मशहर थी क वहॉ शराब क

एक दकान थी यहॉ आस -पास स मजदर लोग आ -आकर अपन दख को भलाया करत थ जो भल -भटक मसा फर यहॉ ठहरत उ ह हो शयार और चौकसी का यावहा रक पाठ मल जाता था मगनदास थका-मॉदा ह एक पड़ क नीच चादर बछाकर सो रहा और जब सबह को नीद खल तो उस कसी पीर-औ लया क ान क सजीव द ा का चम कार दखाई पड़ा िजसक पहल मिजल वरा य ह उसक छोट -सी पोटल िजसम दो-एक कपड़ और थोड़ा-सा रा त का खाना और ल टया -डोर बधी हई थी गायब हो गई उन कपड़ को छोड़कर जो उसक बदर पर थ अब उसक पास कछ भी न था और भख जो कगाल म और भी तज हो जाती ह उस बचन कर रह थी मगर ढ़ वभाव का आदमी था उसन क मत का रोना रोया कसी

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तरह गजर करन क तदबीर सोचन लगा लखन और ग णत म उस अ छा अ यास था मगर इस ह सयत म उसस फायदा उठाना अस भव था उसन सगीत का बहत अ यास कया था कसी र सक रईस क दरबार म उसक क़ हो सकती थी मगर उसक प षो चत अ भमान न इस पश को अि यतार करन इजाजत न द हॉ वह आला दज का घड़सवार था और यह फन मज म पर शान क साथ उसक रोजी का साधन बन सकता था यह प का इरादा करक उसन ह मत स कदम आग बढ़ाय ऊपर स दखन पर यह बात यक न क का बल नह मालम हो ती मगर वह अपना बोझ हलका हो जान स इस व त बहत उदास नह था मदाना ह मत का आदमी ऐसी मसीबत को उसी नगाह स दखता ह िजसम एक हो शयार व याथ पर ा क न को दखता ह उस अपनी ह मत आजमान का एक मि कल स जझन का मौका मल जाता ह उसक ह मत अजनान ह मजबत हो जाती ह अकसर ऐस माक मदाना हौसल क लए रणा का काम दत ह मगनदास इस जो स कदम बढ़ाता चला जाता था क जस कायमाबी क मिजल सामन नजर आ रह ह मगर शायद वहा क घोड़ो न शरारत और बगड़लपन स तौबा कर ल थी या व वाभा वक प बहत मज म धीम- धीम चलन वाल थ वह िजस गाव म जाता नराशा को उकसान वाला जवाब पाता आ खरकार शाम क व त जब सरज अपनी आ खर मिजल पर जा पहचा था उसक क ठन मिजल तमाम हई नागरघाट क ठाकर अटल सह न उसक च ता मो समा त कया

यह एक बड़ा गाव था प क मकान बहत थ मगर उनम ता माऍ आबाद थी कई साल पहल लग न आबाद क बड़ ह स का इस णभगर ससार स उठाकर वग म पहच दया था इस व त लग क बच -खच व लोग गाव क नौजवान और शौक न जमीदार साहब और ह क क कारगजार ओर रोबील थानदार साहब थ उनक मल -जल को शश स गॉव म सतयग का राज था धन दौलत को लोग जान का अजाब समझत थ उस गनाह क तरह छपात थ घर -घर म पय रहत हए लोग कज ल -लकर खात और फटहाल रहत थ इसी म नबाह था काजल क कोठर थी सफद कपड़ पहनना उन पर ध बा लगाना था हकमत और जब द ती का बाजार गम था अह र को यहा आजन क लए भी दध न था थान म दध क नद बहती थी मवशीखान क मह रर दध क कि लया करत थ इसी

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अधरनगर को मगनदास न अपना घर बनाया ठाकर साहब न असाधा रण उदारता स काम लकर उस रहन क लए एक माकन भी द दया जो कवल बहत यापक अथ म मकान कहा जा सकता था इसी झ पड़ी म वह एक ह त स िज दगी क दन काट रहा ह उसका चहरा जद ह और कपड़ मल हो रह ह मगर ऐसा मालम होता ह क उस अब इन बात क अनभ त ह नह रह िज दा ह मगर िज दगी खसत हो गई ह ह मत और हौसला मि कल को आसान कर सकत ह ऑधी और तफान स बचा सकत ह मगर चहर को खला सकना उनक साम य स बाहर ह टट हई नाव पर बठकर म हार गाना ह मत काम नह हमाकत का काम ह

एक रोज जब शाम क व त वह अधर म खाट पर पड़ा हआ था एक औरत उसक दरवारज पर आकर भीख मागन लगी मगनदास का आवाज पर चत जान पडी बहार आकर दखा तो वह च पा मा लन थी कपड़ तारndash

तार मसीबत क रोती हई तसबीर बोला -मा लन त हार यह या हालत ह मझ पहचानती हो

मा लन न च करक दखा और पहचान गई रोकर बोल ndashबटा अब बताओ मरा कहा ठकाना लग तमन मरा बना बनाया घर उजाड़ दया न उस दन तमस बात करती न मझ पर यह बपत पड़ती बाई न त ह बठ दख लया बात भी सनी सबह होत ह मझ बलाया और बरस पड़ी नाक कटवा लगी मह म का लख लगवा दगी चड़ल कटनी त मर बात कसी गर आदमी स य चलाय त दसर स मर चचा कर वह या तरा दामाद था जो त उसस मरा दखड़ा रोती थी जो कछ मह म आया बकती रह मझस भी न सहा गया रानी ठगी अपना सहाग लगी बोल -बाई जी मझस कसर हआ ल िजए अब जाती ह छ कत नाक कटती ह तो मरा नबाह यहा न होगा ई वर न मह दया ह तो आहार भी दगा चार घर स मागगी तो मर पट को हो जाऐगा उस छोकर न मझ खड़ खड़ नकलवा दया बताओ मन तमस उस क कौन सी शकायत क थी उसक या चचा क थी म तो उसका बखान कर रह थी मगर बड़ आद मय का ग सा भी बड़ा होता ह अब बताओ म कसक होकर रह आठ दन इसी दन तरह टकड़ मागत हो गय ह एक भतीजी उ ह क यहा ल डय म नौकर थी उसी दन उस भी नकाल दया त हार बदौलत

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 4: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

4

ह न और ताजगी का समा दखा रह थ मगर तकद र क दवी कछ और ह सामान कर रह थी वह सर-सपाट क इराद स जापान गया हआ था क द ल स खबर आई क ई वर न त ह एक भाई दया ह मझ इतनी खशी ह क यादा अस तक िज दा न रह सक तम बहत ज द लौट आओ

मगनदास क हाथ स तार का कागज छट गया और सर म ऐसा च कर आया क जस कसी ऊचाई स गर पड़ा ह

गनदास का कताबी ान बहत कम था मगर वभाव क स जनता स वह खाल हाथ न था हाथ क उदारता न जो सम का वरदान

ह दय को भी उदार बना दया था उस घटनाओ क इस कायापलट स दख तो ज र हआ आ खर इ सान ह था मगर उसन धीरज स काम लया और एक आशा और भय क मल -जल हालत म दश को रवाना हआ

रात का व त था जब अपन दरवाज पर पहचा तो नाच-गान क मह फल सजी दखी उसक कदम आग न बढ़ लौट पड़ा और एक दकान क चबतर पर बठकर सोचन लगा क अब या करना चा हऐ इतना तो उस यक न था क सठ जी उसक साथ भी भलमनसी और मह बत स पश आयग बि क शायद अब और भी कपा करन लग सठा नयॉ भी अब उसक साथ गर का-सा वताव न करगी मम कन ह मझल बह जो इस ब च क खशनसीब मॉ थी उसस दर-दर रह मगर बाक चार सठा नय क तरफ स सवा-स कार म कोई शक नह था उनक डाह स वह फायदा उठा सकता था ताहम उसक वा भमान न गवारा न कया क िजस घर म मा लक क ह सयत स रहता था उसी घर म अब एक आ त क ह सयत स िज दगी बसर कर उसन फसला कर लया क सब यहॉ रहना न मना सब ह न मसलहत मगर जाऊ कहॉ न कोई ऐसा फन सीखा न कोई ऐसा इ म हा सल कया िजसस रोजी कमान क सरत पदा होती रईसाना दलचि पयॉ उसी व त तक क क नगाह स दखी जाती ह जब तक क व रईस क आभषण रह जी वका बन कर व स मान क पद स गर जाती ह अपनी रोजी हा सल करना तो उसक लए कोई ऐसा मि कल काम न था कसी सठ-साहकार क यहॉ मनीम बन सकता था कसी कारखान क तरफ स एजट हो सकता था मगर उसक क ध पर एक भार जआ र खा हआ था

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उस या कर एक बड़ सठ क लड़क िजसन लाड़- यार म प रव रश पाई उसस यह कगाल क तकल फ य कर झल जाऍगी या म खनलाल क लाड़ल बट एक ऐस आदमी क साथ रहना पस द करगी िजस रात क रोट का भी ठकाना नह मगर इस फ म अपनी जान य खपाऊ मन अपनी मज स शाद नह क म बराबर इनकार करता रहा सठ जी न जबद ती मर पर म बड़ी डाल ह अब वह इसक िज मदार ह मझ स कोई वा ता नह ल कन जब उसन दबारा ठड दल स इस मसल पर गौर कया तो वचाव क कोई सरत नजर न आई आ खकार उसन यह फसला कया क पहल नागपर चल जरा उन महारानी क तौर-तर क को दख बाहर-ह -बाहर उनक वभाव क मजाज क जॉच क उस व त तय क गा क मझ या करक चा हय अगर रईसी क ब उनक दमाग स नकल गई ह और मर साथ खी रो टयॉ खाना उ ह मजर ह तो इसस अ छा फर और या ल कन अगर वह अमीर ठाट-बाट क हाथ बक हई ह तो मर लए रा ता साफ ह फर म ह और द नया का गम ऐसी जगह जाऊ जहॉ कसी प र चत क सरत सपन म भी न दखाई द गर बी क िज लत नह रहती अगर अजन बय म िज दगी बसरा क जाए यह जानन-पहचानन वाल क कन खया और कनब तयॉ ह जो गर बी को य णा बना दती ह इस तरह दल म िज दगी का न शा बनाकर मगनदास अपनी मदाना ह मत क भरोस पर नागपर क तरफ चला उस म लाह क तरह जो क ती और पाल क बगर नद क उमड़ती हई लहर म अपन को डाल द

३ म क व त सठ म खनलाल क सदर बगीच म सरज क पील करण मरझाय हए फल स गल मलकर वदा हो रह थी बाग क

बीच म एक प का कऑ था और एक मौल सर का पड़ कए क मह पर अधर क नील -सी नकाब थी पड़ क सर पर रोशनी क सनहर चादर इसी पड़ म एक नौजवान थका-मादा कऍ पर आया और लोट स पानी भरकर पीन क बाद जगत पर बठ गया मा लन न पछा - कहॉ जाओग मगनदास न जवाब दया क जाना तो था बहत दर मगर यह रात हो गई यहॉ कह ठहरन का ठकाना मल जाएगा

शा

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मा लक- चल जाओ सठ जी क धमशाला म बड़ आराम क जगह ह मगनदास-धमशाल म तो मझ ठहरन का कभी सयोग नह हआ कोई

हज न हो तो यह पड़ा रह यहा कोई रात को रहता ह

मा लक- भाई म यहॉ ठहरन को न कहगी यह बाई जी क बठक ह झरोख म बठकर सर कया करती ह कह दख-भाल ल तो मर सर म एक बाल भी न रह

मगनदास- बाई जी कौन

मा लक- यह सठ जी क बट इि दरा बाई मगनदास- यह गजर उ ह क लए बना रह हो या

मा लन- हॉ और सठ जी क यहॉ ह ह कौन फल क गहन बहत पस द करती ह

मानदास- शौक न औरत मालम होती ह

मा लक- भाई यह तो बड़ आद मय क बात ह वह शौक न कर तो हमारा-त हारा नबाह कस हो और धन ह कस लए अकल जान पर दस ल डयॉ ह सना करती थी क भगवान आदमी का हल भत जोतता ह वह ऑख दखा आप-ह -आप पखा चलन लग आप-ह -आप सार घर म दन का-सा उजाला हो जाए तम झठ समझत होग मगर म ऑख दखी बात कहती ह

उस गव क चतना क साथ जो कसी नादान आदमी क सामन अपनी जानकार क बयान करन म होता ह बढ़ मा लन अपनी सव ता का दशन करन लगी मगनदास न उकसाया- होगा भाई बड़ आदमी क बात नराल होती ह ल मी क बस म सब कछ ह मगर अकल जान पर दस ल डयॉ समझ म नह आता

मा लन न बढ़ाप क चड़ चड़पन स जवाब दया - त हार समझ मोट हो तो कोई या कर कोई पान लगाती ह कोई पखा झलती ह कोई कपड़ पहनाती ह दो हजार पय म तो सजगाड़ी आयी थी चाहो तो मह दख लो उस पर हवा खान जाती ह एक बगा लन गाना-बजाना सखाती ह मम पढ़ान आती ह शा ी जी स कत पढ़ात ह कागद पर ऐसी मरत बनाती ह क अब बोल और अब बोल दल क रानी ह बचार क भाग फट गए द ल क सठ लगनदास क गोद लय हए लड़क स याह हआ था मगर राम जी क ल ला स तर बरस क मद को लड़का दया कौन प तयायगा

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जब स यह सनावनी आई ह तब स बहत उदास रहती ह एक दन रोती थी मर सामन क बात ह बाप न दख लया समझान लग लड़क को बहत चाहत ह सनती ह दामाद को यह बलाकर र खग नारायन कर मर रानी दध नहाय पत फल माल मर गया था उ ह न आड़ न ल होती तो घर भर क टकड़ मॉगती

मगनदास न एक ठ डी सॉस ल बहतर ह अब यहॉ स अपनी इ जत-आब लय हए चल दो यहॉ मरा नबाह न होगा इि दरा रईसजाद ह तम इस का बल नह हो क उसक शौहर बन सको मा लन स बोला -ता धमशाल म जाता ह जान वहॉ खाट -वाट मल जाती ह क नह मगर रात ह तो काटनी ह कसी तरह कट ह जाएगी रईस क लए मखमल ग चा हए हम मजदर क लए पआल ह बहत ह

यह कहकर उसन ल टया उठाई ड डा स हाला और ददभर दल स एक तरफ चल दया

उस व त इि दरा अपन झरोख पर बठ हई इन दोन क बात सन रह थी कसा सयोग ह क ी को वग क सब स यॉ ा त ह और उसका प त आवर क तरह मारा-मारा फर रहा ह उस रात काटन का ठकाना नह

४ गनदास नराश वचार म डबा हआ शहर स बाहर नकल आया और एक सराय म ठहरा जो सफ इस लए मशहर थी क वहॉ शराब क

एक दकान थी यहॉ आस -पास स मजदर लोग आ -आकर अपन दख को भलाया करत थ जो भल -भटक मसा फर यहॉ ठहरत उ ह हो शयार और चौकसी का यावहा रक पाठ मल जाता था मगनदास थका-मॉदा ह एक पड़ क नीच चादर बछाकर सो रहा और जब सबह को नीद खल तो उस कसी पीर-औ लया क ान क सजीव द ा का चम कार दखाई पड़ा िजसक पहल मिजल वरा य ह उसक छोट -सी पोटल िजसम दो-एक कपड़ और थोड़ा-सा रा त का खाना और ल टया -डोर बधी हई थी गायब हो गई उन कपड़ को छोड़कर जो उसक बदर पर थ अब उसक पास कछ भी न था और भख जो कगाल म और भी तज हो जाती ह उस बचन कर रह थी मगर ढ़ वभाव का आदमी था उसन क मत का रोना रोया कसी

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तरह गजर करन क तदबीर सोचन लगा लखन और ग णत म उस अ छा अ यास था मगर इस ह सयत म उसस फायदा उठाना अस भव था उसन सगीत का बहत अ यास कया था कसी र सक रईस क दरबार म उसक क़ हो सकती थी मगर उसक प षो चत अ भमान न इस पश को अि यतार करन इजाजत न द हॉ वह आला दज का घड़सवार था और यह फन मज म पर शान क साथ उसक रोजी का साधन बन सकता था यह प का इरादा करक उसन ह मत स कदम आग बढ़ाय ऊपर स दखन पर यह बात यक न क का बल नह मालम हो ती मगर वह अपना बोझ हलका हो जान स इस व त बहत उदास नह था मदाना ह मत का आदमी ऐसी मसीबत को उसी नगाह स दखता ह िजसम एक हो शयार व याथ पर ा क न को दखता ह उस अपनी ह मत आजमान का एक मि कल स जझन का मौका मल जाता ह उसक ह मत अजनान ह मजबत हो जाती ह अकसर ऐस माक मदाना हौसल क लए रणा का काम दत ह मगनदास इस जो स कदम बढ़ाता चला जाता था क जस कायमाबी क मिजल सामन नजर आ रह ह मगर शायद वहा क घोड़ो न शरारत और बगड़लपन स तौबा कर ल थी या व वाभा वक प बहत मज म धीम- धीम चलन वाल थ वह िजस गाव म जाता नराशा को उकसान वाला जवाब पाता आ खरकार शाम क व त जब सरज अपनी आ खर मिजल पर जा पहचा था उसक क ठन मिजल तमाम हई नागरघाट क ठाकर अटल सह न उसक च ता मो समा त कया

यह एक बड़ा गाव था प क मकान बहत थ मगर उनम ता माऍ आबाद थी कई साल पहल लग न आबाद क बड़ ह स का इस णभगर ससार स उठाकर वग म पहच दया था इस व त लग क बच -खच व लोग गाव क नौजवान और शौक न जमीदार साहब और ह क क कारगजार ओर रोबील थानदार साहब थ उनक मल -जल को शश स गॉव म सतयग का राज था धन दौलत को लोग जान का अजाब समझत थ उस गनाह क तरह छपात थ घर -घर म पय रहत हए लोग कज ल -लकर खात और फटहाल रहत थ इसी म नबाह था काजल क कोठर थी सफद कपड़ पहनना उन पर ध बा लगाना था हकमत और जब द ती का बाजार गम था अह र को यहा आजन क लए भी दध न था थान म दध क नद बहती थी मवशीखान क मह रर दध क कि लया करत थ इसी

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अधरनगर को मगनदास न अपना घर बनाया ठाकर साहब न असाधा रण उदारता स काम लकर उस रहन क लए एक माकन भी द दया जो कवल बहत यापक अथ म मकान कहा जा सकता था इसी झ पड़ी म वह एक ह त स िज दगी क दन काट रहा ह उसका चहरा जद ह और कपड़ मल हो रह ह मगर ऐसा मालम होता ह क उस अब इन बात क अनभ त ह नह रह िज दा ह मगर िज दगी खसत हो गई ह ह मत और हौसला मि कल को आसान कर सकत ह ऑधी और तफान स बचा सकत ह मगर चहर को खला सकना उनक साम य स बाहर ह टट हई नाव पर बठकर म हार गाना ह मत काम नह हमाकत का काम ह

एक रोज जब शाम क व त वह अधर म खाट पर पड़ा हआ था एक औरत उसक दरवारज पर आकर भीख मागन लगी मगनदास का आवाज पर चत जान पडी बहार आकर दखा तो वह च पा मा लन थी कपड़ तारndash

तार मसीबत क रोती हई तसबीर बोला -मा लन त हार यह या हालत ह मझ पहचानती हो

मा लन न च करक दखा और पहचान गई रोकर बोल ndashबटा अब बताओ मरा कहा ठकाना लग तमन मरा बना बनाया घर उजाड़ दया न उस दन तमस बात करती न मझ पर यह बपत पड़ती बाई न त ह बठ दख लया बात भी सनी सबह होत ह मझ बलाया और बरस पड़ी नाक कटवा लगी मह म का लख लगवा दगी चड़ल कटनी त मर बात कसी गर आदमी स य चलाय त दसर स मर चचा कर वह या तरा दामाद था जो त उसस मरा दखड़ा रोती थी जो कछ मह म आया बकती रह मझस भी न सहा गया रानी ठगी अपना सहाग लगी बोल -बाई जी मझस कसर हआ ल िजए अब जाती ह छ कत नाक कटती ह तो मरा नबाह यहा न होगा ई वर न मह दया ह तो आहार भी दगा चार घर स मागगी तो मर पट को हो जाऐगा उस छोकर न मझ खड़ खड़ नकलवा दया बताओ मन तमस उस क कौन सी शकायत क थी उसक या चचा क थी म तो उसका बखान कर रह थी मगर बड़ आद मय का ग सा भी बड़ा होता ह अब बताओ म कसक होकर रह आठ दन इसी दन तरह टकड़ मागत हो गय ह एक भतीजी उ ह क यहा ल डय म नौकर थी उसी दन उस भी नकाल दया त हार बदौलत

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 5: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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उस या कर एक बड़ सठ क लड़क िजसन लाड़- यार म प रव रश पाई उसस यह कगाल क तकल फ य कर झल जाऍगी या म खनलाल क लाड़ल बट एक ऐस आदमी क साथ रहना पस द करगी िजस रात क रोट का भी ठकाना नह मगर इस फ म अपनी जान य खपाऊ मन अपनी मज स शाद नह क म बराबर इनकार करता रहा सठ जी न जबद ती मर पर म बड़ी डाल ह अब वह इसक िज मदार ह मझ स कोई वा ता नह ल कन जब उसन दबारा ठड दल स इस मसल पर गौर कया तो वचाव क कोई सरत नजर न आई आ खकार उसन यह फसला कया क पहल नागपर चल जरा उन महारानी क तौर-तर क को दख बाहर-ह -बाहर उनक वभाव क मजाज क जॉच क उस व त तय क गा क मझ या करक चा हय अगर रईसी क ब उनक दमाग स नकल गई ह और मर साथ खी रो टयॉ खाना उ ह मजर ह तो इसस अ छा फर और या ल कन अगर वह अमीर ठाट-बाट क हाथ बक हई ह तो मर लए रा ता साफ ह फर म ह और द नया का गम ऐसी जगह जाऊ जहॉ कसी प र चत क सरत सपन म भी न दखाई द गर बी क िज लत नह रहती अगर अजन बय म िज दगी बसरा क जाए यह जानन-पहचानन वाल क कन खया और कनब तयॉ ह जो गर बी को य णा बना दती ह इस तरह दल म िज दगी का न शा बनाकर मगनदास अपनी मदाना ह मत क भरोस पर नागपर क तरफ चला उस म लाह क तरह जो क ती और पाल क बगर नद क उमड़ती हई लहर म अपन को डाल द

३ म क व त सठ म खनलाल क सदर बगीच म सरज क पील करण मरझाय हए फल स गल मलकर वदा हो रह थी बाग क

बीच म एक प का कऑ था और एक मौल सर का पड़ कए क मह पर अधर क नील -सी नकाब थी पड़ क सर पर रोशनी क सनहर चादर इसी पड़ म एक नौजवान थका-मादा कऍ पर आया और लोट स पानी भरकर पीन क बाद जगत पर बठ गया मा लन न पछा - कहॉ जाओग मगनदास न जवाब दया क जाना तो था बहत दर मगर यह रात हो गई यहॉ कह ठहरन का ठकाना मल जाएगा

शा

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मा लक- चल जाओ सठ जी क धमशाला म बड़ आराम क जगह ह मगनदास-धमशाल म तो मझ ठहरन का कभी सयोग नह हआ कोई

हज न हो तो यह पड़ा रह यहा कोई रात को रहता ह

मा लक- भाई म यहॉ ठहरन को न कहगी यह बाई जी क बठक ह झरोख म बठकर सर कया करती ह कह दख-भाल ल तो मर सर म एक बाल भी न रह

मगनदास- बाई जी कौन

मा लक- यह सठ जी क बट इि दरा बाई मगनदास- यह गजर उ ह क लए बना रह हो या

मा लन- हॉ और सठ जी क यहॉ ह ह कौन फल क गहन बहत पस द करती ह

मानदास- शौक न औरत मालम होती ह

मा लक- भाई यह तो बड़ आद मय क बात ह वह शौक न कर तो हमारा-त हारा नबाह कस हो और धन ह कस लए अकल जान पर दस ल डयॉ ह सना करती थी क भगवान आदमी का हल भत जोतता ह वह ऑख दखा आप-ह -आप पखा चलन लग आप-ह -आप सार घर म दन का-सा उजाला हो जाए तम झठ समझत होग मगर म ऑख दखी बात कहती ह

उस गव क चतना क साथ जो कसी नादान आदमी क सामन अपनी जानकार क बयान करन म होता ह बढ़ मा लन अपनी सव ता का दशन करन लगी मगनदास न उकसाया- होगा भाई बड़ आदमी क बात नराल होती ह ल मी क बस म सब कछ ह मगर अकल जान पर दस ल डयॉ समझ म नह आता

मा लन न बढ़ाप क चड़ चड़पन स जवाब दया - त हार समझ मोट हो तो कोई या कर कोई पान लगाती ह कोई पखा झलती ह कोई कपड़ पहनाती ह दो हजार पय म तो सजगाड़ी आयी थी चाहो तो मह दख लो उस पर हवा खान जाती ह एक बगा लन गाना-बजाना सखाती ह मम पढ़ान आती ह शा ी जी स कत पढ़ात ह कागद पर ऐसी मरत बनाती ह क अब बोल और अब बोल दल क रानी ह बचार क भाग फट गए द ल क सठ लगनदास क गोद लय हए लड़क स याह हआ था मगर राम जी क ल ला स तर बरस क मद को लड़का दया कौन प तयायगा

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जब स यह सनावनी आई ह तब स बहत उदास रहती ह एक दन रोती थी मर सामन क बात ह बाप न दख लया समझान लग लड़क को बहत चाहत ह सनती ह दामाद को यह बलाकर र खग नारायन कर मर रानी दध नहाय पत फल माल मर गया था उ ह न आड़ न ल होती तो घर भर क टकड़ मॉगती

मगनदास न एक ठ डी सॉस ल बहतर ह अब यहॉ स अपनी इ जत-आब लय हए चल दो यहॉ मरा नबाह न होगा इि दरा रईसजाद ह तम इस का बल नह हो क उसक शौहर बन सको मा लन स बोला -ता धमशाल म जाता ह जान वहॉ खाट -वाट मल जाती ह क नह मगर रात ह तो काटनी ह कसी तरह कट ह जाएगी रईस क लए मखमल ग चा हए हम मजदर क लए पआल ह बहत ह

यह कहकर उसन ल टया उठाई ड डा स हाला और ददभर दल स एक तरफ चल दया

उस व त इि दरा अपन झरोख पर बठ हई इन दोन क बात सन रह थी कसा सयोग ह क ी को वग क सब स यॉ ा त ह और उसका प त आवर क तरह मारा-मारा फर रहा ह उस रात काटन का ठकाना नह

४ गनदास नराश वचार म डबा हआ शहर स बाहर नकल आया और एक सराय म ठहरा जो सफ इस लए मशहर थी क वहॉ शराब क

एक दकान थी यहॉ आस -पास स मजदर लोग आ -आकर अपन दख को भलाया करत थ जो भल -भटक मसा फर यहॉ ठहरत उ ह हो शयार और चौकसी का यावहा रक पाठ मल जाता था मगनदास थका-मॉदा ह एक पड़ क नीच चादर बछाकर सो रहा और जब सबह को नीद खल तो उस कसी पीर-औ लया क ान क सजीव द ा का चम कार दखाई पड़ा िजसक पहल मिजल वरा य ह उसक छोट -सी पोटल िजसम दो-एक कपड़ और थोड़ा-सा रा त का खाना और ल टया -डोर बधी हई थी गायब हो गई उन कपड़ को छोड़कर जो उसक बदर पर थ अब उसक पास कछ भी न था और भख जो कगाल म और भी तज हो जाती ह उस बचन कर रह थी मगर ढ़ वभाव का आदमी था उसन क मत का रोना रोया कसी

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तरह गजर करन क तदबीर सोचन लगा लखन और ग णत म उस अ छा अ यास था मगर इस ह सयत म उसस फायदा उठाना अस भव था उसन सगीत का बहत अ यास कया था कसी र सक रईस क दरबार म उसक क़ हो सकती थी मगर उसक प षो चत अ भमान न इस पश को अि यतार करन इजाजत न द हॉ वह आला दज का घड़सवार था और यह फन मज म पर शान क साथ उसक रोजी का साधन बन सकता था यह प का इरादा करक उसन ह मत स कदम आग बढ़ाय ऊपर स दखन पर यह बात यक न क का बल नह मालम हो ती मगर वह अपना बोझ हलका हो जान स इस व त बहत उदास नह था मदाना ह मत का आदमी ऐसी मसीबत को उसी नगाह स दखता ह िजसम एक हो शयार व याथ पर ा क न को दखता ह उस अपनी ह मत आजमान का एक मि कल स जझन का मौका मल जाता ह उसक ह मत अजनान ह मजबत हो जाती ह अकसर ऐस माक मदाना हौसल क लए रणा का काम दत ह मगनदास इस जो स कदम बढ़ाता चला जाता था क जस कायमाबी क मिजल सामन नजर आ रह ह मगर शायद वहा क घोड़ो न शरारत और बगड़लपन स तौबा कर ल थी या व वाभा वक प बहत मज म धीम- धीम चलन वाल थ वह िजस गाव म जाता नराशा को उकसान वाला जवाब पाता आ खरकार शाम क व त जब सरज अपनी आ खर मिजल पर जा पहचा था उसक क ठन मिजल तमाम हई नागरघाट क ठाकर अटल सह न उसक च ता मो समा त कया

यह एक बड़ा गाव था प क मकान बहत थ मगर उनम ता माऍ आबाद थी कई साल पहल लग न आबाद क बड़ ह स का इस णभगर ससार स उठाकर वग म पहच दया था इस व त लग क बच -खच व लोग गाव क नौजवान और शौक न जमीदार साहब और ह क क कारगजार ओर रोबील थानदार साहब थ उनक मल -जल को शश स गॉव म सतयग का राज था धन दौलत को लोग जान का अजाब समझत थ उस गनाह क तरह छपात थ घर -घर म पय रहत हए लोग कज ल -लकर खात और फटहाल रहत थ इसी म नबाह था काजल क कोठर थी सफद कपड़ पहनना उन पर ध बा लगाना था हकमत और जब द ती का बाजार गम था अह र को यहा आजन क लए भी दध न था थान म दध क नद बहती थी मवशीखान क मह रर दध क कि लया करत थ इसी

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अधरनगर को मगनदास न अपना घर बनाया ठाकर साहब न असाधा रण उदारता स काम लकर उस रहन क लए एक माकन भी द दया जो कवल बहत यापक अथ म मकान कहा जा सकता था इसी झ पड़ी म वह एक ह त स िज दगी क दन काट रहा ह उसका चहरा जद ह और कपड़ मल हो रह ह मगर ऐसा मालम होता ह क उस अब इन बात क अनभ त ह नह रह िज दा ह मगर िज दगी खसत हो गई ह ह मत और हौसला मि कल को आसान कर सकत ह ऑधी और तफान स बचा सकत ह मगर चहर को खला सकना उनक साम य स बाहर ह टट हई नाव पर बठकर म हार गाना ह मत काम नह हमाकत का काम ह

एक रोज जब शाम क व त वह अधर म खाट पर पड़ा हआ था एक औरत उसक दरवारज पर आकर भीख मागन लगी मगनदास का आवाज पर चत जान पडी बहार आकर दखा तो वह च पा मा लन थी कपड़ तारndash

तार मसीबत क रोती हई तसबीर बोला -मा लन त हार यह या हालत ह मझ पहचानती हो

मा लन न च करक दखा और पहचान गई रोकर बोल ndashबटा अब बताओ मरा कहा ठकाना लग तमन मरा बना बनाया घर उजाड़ दया न उस दन तमस बात करती न मझ पर यह बपत पड़ती बाई न त ह बठ दख लया बात भी सनी सबह होत ह मझ बलाया और बरस पड़ी नाक कटवा लगी मह म का लख लगवा दगी चड़ल कटनी त मर बात कसी गर आदमी स य चलाय त दसर स मर चचा कर वह या तरा दामाद था जो त उसस मरा दखड़ा रोती थी जो कछ मह म आया बकती रह मझस भी न सहा गया रानी ठगी अपना सहाग लगी बोल -बाई जी मझस कसर हआ ल िजए अब जाती ह छ कत नाक कटती ह तो मरा नबाह यहा न होगा ई वर न मह दया ह तो आहार भी दगा चार घर स मागगी तो मर पट को हो जाऐगा उस छोकर न मझ खड़ खड़ नकलवा दया बताओ मन तमस उस क कौन सी शकायत क थी उसक या चचा क थी म तो उसका बखान कर रह थी मगर बड़ आद मय का ग सा भी बड़ा होता ह अब बताओ म कसक होकर रह आठ दन इसी दन तरह टकड़ मागत हो गय ह एक भतीजी उ ह क यहा ल डय म नौकर थी उसी दन उस भी नकाल दया त हार बदौलत

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 6: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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मा लक- चल जाओ सठ जी क धमशाला म बड़ आराम क जगह ह मगनदास-धमशाल म तो मझ ठहरन का कभी सयोग नह हआ कोई

हज न हो तो यह पड़ा रह यहा कोई रात को रहता ह

मा लक- भाई म यहॉ ठहरन को न कहगी यह बाई जी क बठक ह झरोख म बठकर सर कया करती ह कह दख-भाल ल तो मर सर म एक बाल भी न रह

मगनदास- बाई जी कौन

मा लक- यह सठ जी क बट इि दरा बाई मगनदास- यह गजर उ ह क लए बना रह हो या

मा लन- हॉ और सठ जी क यहॉ ह ह कौन फल क गहन बहत पस द करती ह

मानदास- शौक न औरत मालम होती ह

मा लक- भाई यह तो बड़ आद मय क बात ह वह शौक न कर तो हमारा-त हारा नबाह कस हो और धन ह कस लए अकल जान पर दस ल डयॉ ह सना करती थी क भगवान आदमी का हल भत जोतता ह वह ऑख दखा आप-ह -आप पखा चलन लग आप-ह -आप सार घर म दन का-सा उजाला हो जाए तम झठ समझत होग मगर म ऑख दखी बात कहती ह

उस गव क चतना क साथ जो कसी नादान आदमी क सामन अपनी जानकार क बयान करन म होता ह बढ़ मा लन अपनी सव ता का दशन करन लगी मगनदास न उकसाया- होगा भाई बड़ आदमी क बात नराल होती ह ल मी क बस म सब कछ ह मगर अकल जान पर दस ल डयॉ समझ म नह आता

मा लन न बढ़ाप क चड़ चड़पन स जवाब दया - त हार समझ मोट हो तो कोई या कर कोई पान लगाती ह कोई पखा झलती ह कोई कपड़ पहनाती ह दो हजार पय म तो सजगाड़ी आयी थी चाहो तो मह दख लो उस पर हवा खान जाती ह एक बगा लन गाना-बजाना सखाती ह मम पढ़ान आती ह शा ी जी स कत पढ़ात ह कागद पर ऐसी मरत बनाती ह क अब बोल और अब बोल दल क रानी ह बचार क भाग फट गए द ल क सठ लगनदास क गोद लय हए लड़क स याह हआ था मगर राम जी क ल ला स तर बरस क मद को लड़का दया कौन प तयायगा

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जब स यह सनावनी आई ह तब स बहत उदास रहती ह एक दन रोती थी मर सामन क बात ह बाप न दख लया समझान लग लड़क को बहत चाहत ह सनती ह दामाद को यह बलाकर र खग नारायन कर मर रानी दध नहाय पत फल माल मर गया था उ ह न आड़ न ल होती तो घर भर क टकड़ मॉगती

मगनदास न एक ठ डी सॉस ल बहतर ह अब यहॉ स अपनी इ जत-आब लय हए चल दो यहॉ मरा नबाह न होगा इि दरा रईसजाद ह तम इस का बल नह हो क उसक शौहर बन सको मा लन स बोला -ता धमशाल म जाता ह जान वहॉ खाट -वाट मल जाती ह क नह मगर रात ह तो काटनी ह कसी तरह कट ह जाएगी रईस क लए मखमल ग चा हए हम मजदर क लए पआल ह बहत ह

यह कहकर उसन ल टया उठाई ड डा स हाला और ददभर दल स एक तरफ चल दया

उस व त इि दरा अपन झरोख पर बठ हई इन दोन क बात सन रह थी कसा सयोग ह क ी को वग क सब स यॉ ा त ह और उसका प त आवर क तरह मारा-मारा फर रहा ह उस रात काटन का ठकाना नह

४ गनदास नराश वचार म डबा हआ शहर स बाहर नकल आया और एक सराय म ठहरा जो सफ इस लए मशहर थी क वहॉ शराब क

एक दकान थी यहॉ आस -पास स मजदर लोग आ -आकर अपन दख को भलाया करत थ जो भल -भटक मसा फर यहॉ ठहरत उ ह हो शयार और चौकसी का यावहा रक पाठ मल जाता था मगनदास थका-मॉदा ह एक पड़ क नीच चादर बछाकर सो रहा और जब सबह को नीद खल तो उस कसी पीर-औ लया क ान क सजीव द ा का चम कार दखाई पड़ा िजसक पहल मिजल वरा य ह उसक छोट -सी पोटल िजसम दो-एक कपड़ और थोड़ा-सा रा त का खाना और ल टया -डोर बधी हई थी गायब हो गई उन कपड़ को छोड़कर जो उसक बदर पर थ अब उसक पास कछ भी न था और भख जो कगाल म और भी तज हो जाती ह उस बचन कर रह थी मगर ढ़ वभाव का आदमी था उसन क मत का रोना रोया कसी

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तरह गजर करन क तदबीर सोचन लगा लखन और ग णत म उस अ छा अ यास था मगर इस ह सयत म उसस फायदा उठाना अस भव था उसन सगीत का बहत अ यास कया था कसी र सक रईस क दरबार म उसक क़ हो सकती थी मगर उसक प षो चत अ भमान न इस पश को अि यतार करन इजाजत न द हॉ वह आला दज का घड़सवार था और यह फन मज म पर शान क साथ उसक रोजी का साधन बन सकता था यह प का इरादा करक उसन ह मत स कदम आग बढ़ाय ऊपर स दखन पर यह बात यक न क का बल नह मालम हो ती मगर वह अपना बोझ हलका हो जान स इस व त बहत उदास नह था मदाना ह मत का आदमी ऐसी मसीबत को उसी नगाह स दखता ह िजसम एक हो शयार व याथ पर ा क न को दखता ह उस अपनी ह मत आजमान का एक मि कल स जझन का मौका मल जाता ह उसक ह मत अजनान ह मजबत हो जाती ह अकसर ऐस माक मदाना हौसल क लए रणा का काम दत ह मगनदास इस जो स कदम बढ़ाता चला जाता था क जस कायमाबी क मिजल सामन नजर आ रह ह मगर शायद वहा क घोड़ो न शरारत और बगड़लपन स तौबा कर ल थी या व वाभा वक प बहत मज म धीम- धीम चलन वाल थ वह िजस गाव म जाता नराशा को उकसान वाला जवाब पाता आ खरकार शाम क व त जब सरज अपनी आ खर मिजल पर जा पहचा था उसक क ठन मिजल तमाम हई नागरघाट क ठाकर अटल सह न उसक च ता मो समा त कया

यह एक बड़ा गाव था प क मकान बहत थ मगर उनम ता माऍ आबाद थी कई साल पहल लग न आबाद क बड़ ह स का इस णभगर ससार स उठाकर वग म पहच दया था इस व त लग क बच -खच व लोग गाव क नौजवान और शौक न जमीदार साहब और ह क क कारगजार ओर रोबील थानदार साहब थ उनक मल -जल को शश स गॉव म सतयग का राज था धन दौलत को लोग जान का अजाब समझत थ उस गनाह क तरह छपात थ घर -घर म पय रहत हए लोग कज ल -लकर खात और फटहाल रहत थ इसी म नबाह था काजल क कोठर थी सफद कपड़ पहनना उन पर ध बा लगाना था हकमत और जब द ती का बाजार गम था अह र को यहा आजन क लए भी दध न था थान म दध क नद बहती थी मवशीखान क मह रर दध क कि लया करत थ इसी

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अधरनगर को मगनदास न अपना घर बनाया ठाकर साहब न असाधा रण उदारता स काम लकर उस रहन क लए एक माकन भी द दया जो कवल बहत यापक अथ म मकान कहा जा सकता था इसी झ पड़ी म वह एक ह त स िज दगी क दन काट रहा ह उसका चहरा जद ह और कपड़ मल हो रह ह मगर ऐसा मालम होता ह क उस अब इन बात क अनभ त ह नह रह िज दा ह मगर िज दगी खसत हो गई ह ह मत और हौसला मि कल को आसान कर सकत ह ऑधी और तफान स बचा सकत ह मगर चहर को खला सकना उनक साम य स बाहर ह टट हई नाव पर बठकर म हार गाना ह मत काम नह हमाकत का काम ह

एक रोज जब शाम क व त वह अधर म खाट पर पड़ा हआ था एक औरत उसक दरवारज पर आकर भीख मागन लगी मगनदास का आवाज पर चत जान पडी बहार आकर दखा तो वह च पा मा लन थी कपड़ तारndash

तार मसीबत क रोती हई तसबीर बोला -मा लन त हार यह या हालत ह मझ पहचानती हो

मा लन न च करक दखा और पहचान गई रोकर बोल ndashबटा अब बताओ मरा कहा ठकाना लग तमन मरा बना बनाया घर उजाड़ दया न उस दन तमस बात करती न मझ पर यह बपत पड़ती बाई न त ह बठ दख लया बात भी सनी सबह होत ह मझ बलाया और बरस पड़ी नाक कटवा लगी मह म का लख लगवा दगी चड़ल कटनी त मर बात कसी गर आदमी स य चलाय त दसर स मर चचा कर वह या तरा दामाद था जो त उसस मरा दखड़ा रोती थी जो कछ मह म आया बकती रह मझस भी न सहा गया रानी ठगी अपना सहाग लगी बोल -बाई जी मझस कसर हआ ल िजए अब जाती ह छ कत नाक कटती ह तो मरा नबाह यहा न होगा ई वर न मह दया ह तो आहार भी दगा चार घर स मागगी तो मर पट को हो जाऐगा उस छोकर न मझ खड़ खड़ नकलवा दया बताओ मन तमस उस क कौन सी शकायत क थी उसक या चचा क थी म तो उसका बखान कर रह थी मगर बड़ आद मय का ग सा भी बड़ा होता ह अब बताओ म कसक होकर रह आठ दन इसी दन तरह टकड़ मागत हो गय ह एक भतीजी उ ह क यहा ल डय म नौकर थी उसी दन उस भी नकाल दया त हार बदौलत

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 7: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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जब स यह सनावनी आई ह तब स बहत उदास रहती ह एक दन रोती थी मर सामन क बात ह बाप न दख लया समझान लग लड़क को बहत चाहत ह सनती ह दामाद को यह बलाकर र खग नारायन कर मर रानी दध नहाय पत फल माल मर गया था उ ह न आड़ न ल होती तो घर भर क टकड़ मॉगती

मगनदास न एक ठ डी सॉस ल बहतर ह अब यहॉ स अपनी इ जत-आब लय हए चल दो यहॉ मरा नबाह न होगा इि दरा रईसजाद ह तम इस का बल नह हो क उसक शौहर बन सको मा लन स बोला -ता धमशाल म जाता ह जान वहॉ खाट -वाट मल जाती ह क नह मगर रात ह तो काटनी ह कसी तरह कट ह जाएगी रईस क लए मखमल ग चा हए हम मजदर क लए पआल ह बहत ह

यह कहकर उसन ल टया उठाई ड डा स हाला और ददभर दल स एक तरफ चल दया

उस व त इि दरा अपन झरोख पर बठ हई इन दोन क बात सन रह थी कसा सयोग ह क ी को वग क सब स यॉ ा त ह और उसका प त आवर क तरह मारा-मारा फर रहा ह उस रात काटन का ठकाना नह

४ गनदास नराश वचार म डबा हआ शहर स बाहर नकल आया और एक सराय म ठहरा जो सफ इस लए मशहर थी क वहॉ शराब क

एक दकान थी यहॉ आस -पास स मजदर लोग आ -आकर अपन दख को भलाया करत थ जो भल -भटक मसा फर यहॉ ठहरत उ ह हो शयार और चौकसी का यावहा रक पाठ मल जाता था मगनदास थका-मॉदा ह एक पड़ क नीच चादर बछाकर सो रहा और जब सबह को नीद खल तो उस कसी पीर-औ लया क ान क सजीव द ा का चम कार दखाई पड़ा िजसक पहल मिजल वरा य ह उसक छोट -सी पोटल िजसम दो-एक कपड़ और थोड़ा-सा रा त का खाना और ल टया -डोर बधी हई थी गायब हो गई उन कपड़ को छोड़कर जो उसक बदर पर थ अब उसक पास कछ भी न था और भख जो कगाल म और भी तज हो जाती ह उस बचन कर रह थी मगर ढ़ वभाव का आदमी था उसन क मत का रोना रोया कसी

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तरह गजर करन क तदबीर सोचन लगा लखन और ग णत म उस अ छा अ यास था मगर इस ह सयत म उसस फायदा उठाना अस भव था उसन सगीत का बहत अ यास कया था कसी र सक रईस क दरबार म उसक क़ हो सकती थी मगर उसक प षो चत अ भमान न इस पश को अि यतार करन इजाजत न द हॉ वह आला दज का घड़सवार था और यह फन मज म पर शान क साथ उसक रोजी का साधन बन सकता था यह प का इरादा करक उसन ह मत स कदम आग बढ़ाय ऊपर स दखन पर यह बात यक न क का बल नह मालम हो ती मगर वह अपना बोझ हलका हो जान स इस व त बहत उदास नह था मदाना ह मत का आदमी ऐसी मसीबत को उसी नगाह स दखता ह िजसम एक हो शयार व याथ पर ा क न को दखता ह उस अपनी ह मत आजमान का एक मि कल स जझन का मौका मल जाता ह उसक ह मत अजनान ह मजबत हो जाती ह अकसर ऐस माक मदाना हौसल क लए रणा का काम दत ह मगनदास इस जो स कदम बढ़ाता चला जाता था क जस कायमाबी क मिजल सामन नजर आ रह ह मगर शायद वहा क घोड़ो न शरारत और बगड़लपन स तौबा कर ल थी या व वाभा वक प बहत मज म धीम- धीम चलन वाल थ वह िजस गाव म जाता नराशा को उकसान वाला जवाब पाता आ खरकार शाम क व त जब सरज अपनी आ खर मिजल पर जा पहचा था उसक क ठन मिजल तमाम हई नागरघाट क ठाकर अटल सह न उसक च ता मो समा त कया

यह एक बड़ा गाव था प क मकान बहत थ मगर उनम ता माऍ आबाद थी कई साल पहल लग न आबाद क बड़ ह स का इस णभगर ससार स उठाकर वग म पहच दया था इस व त लग क बच -खच व लोग गाव क नौजवान और शौक न जमीदार साहब और ह क क कारगजार ओर रोबील थानदार साहब थ उनक मल -जल को शश स गॉव म सतयग का राज था धन दौलत को लोग जान का अजाब समझत थ उस गनाह क तरह छपात थ घर -घर म पय रहत हए लोग कज ल -लकर खात और फटहाल रहत थ इसी म नबाह था काजल क कोठर थी सफद कपड़ पहनना उन पर ध बा लगाना था हकमत और जब द ती का बाजार गम था अह र को यहा आजन क लए भी दध न था थान म दध क नद बहती थी मवशीखान क मह रर दध क कि लया करत थ इसी

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अधरनगर को मगनदास न अपना घर बनाया ठाकर साहब न असाधा रण उदारता स काम लकर उस रहन क लए एक माकन भी द दया जो कवल बहत यापक अथ म मकान कहा जा सकता था इसी झ पड़ी म वह एक ह त स िज दगी क दन काट रहा ह उसका चहरा जद ह और कपड़ मल हो रह ह मगर ऐसा मालम होता ह क उस अब इन बात क अनभ त ह नह रह िज दा ह मगर िज दगी खसत हो गई ह ह मत और हौसला मि कल को आसान कर सकत ह ऑधी और तफान स बचा सकत ह मगर चहर को खला सकना उनक साम य स बाहर ह टट हई नाव पर बठकर म हार गाना ह मत काम नह हमाकत का काम ह

एक रोज जब शाम क व त वह अधर म खाट पर पड़ा हआ था एक औरत उसक दरवारज पर आकर भीख मागन लगी मगनदास का आवाज पर चत जान पडी बहार आकर दखा तो वह च पा मा लन थी कपड़ तारndash

तार मसीबत क रोती हई तसबीर बोला -मा लन त हार यह या हालत ह मझ पहचानती हो

मा लन न च करक दखा और पहचान गई रोकर बोल ndashबटा अब बताओ मरा कहा ठकाना लग तमन मरा बना बनाया घर उजाड़ दया न उस दन तमस बात करती न मझ पर यह बपत पड़ती बाई न त ह बठ दख लया बात भी सनी सबह होत ह मझ बलाया और बरस पड़ी नाक कटवा लगी मह म का लख लगवा दगी चड़ल कटनी त मर बात कसी गर आदमी स य चलाय त दसर स मर चचा कर वह या तरा दामाद था जो त उसस मरा दखड़ा रोती थी जो कछ मह म आया बकती रह मझस भी न सहा गया रानी ठगी अपना सहाग लगी बोल -बाई जी मझस कसर हआ ल िजए अब जाती ह छ कत नाक कटती ह तो मरा नबाह यहा न होगा ई वर न मह दया ह तो आहार भी दगा चार घर स मागगी तो मर पट को हो जाऐगा उस छोकर न मझ खड़ खड़ नकलवा दया बताओ मन तमस उस क कौन सी शकायत क थी उसक या चचा क थी म तो उसका बखान कर रह थी मगर बड़ आद मय का ग सा भी बड़ा होता ह अब बताओ म कसक होकर रह आठ दन इसी दन तरह टकड़ मागत हो गय ह एक भतीजी उ ह क यहा ल डय म नौकर थी उसी दन उस भी नकाल दया त हार बदौलत

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 8: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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तरह गजर करन क तदबीर सोचन लगा लखन और ग णत म उस अ छा अ यास था मगर इस ह सयत म उसस फायदा उठाना अस भव था उसन सगीत का बहत अ यास कया था कसी र सक रईस क दरबार म उसक क़ हो सकती थी मगर उसक प षो चत अ भमान न इस पश को अि यतार करन इजाजत न द हॉ वह आला दज का घड़सवार था और यह फन मज म पर शान क साथ उसक रोजी का साधन बन सकता था यह प का इरादा करक उसन ह मत स कदम आग बढ़ाय ऊपर स दखन पर यह बात यक न क का बल नह मालम हो ती मगर वह अपना बोझ हलका हो जान स इस व त बहत उदास नह था मदाना ह मत का आदमी ऐसी मसीबत को उसी नगाह स दखता ह िजसम एक हो शयार व याथ पर ा क न को दखता ह उस अपनी ह मत आजमान का एक मि कल स जझन का मौका मल जाता ह उसक ह मत अजनान ह मजबत हो जाती ह अकसर ऐस माक मदाना हौसल क लए रणा का काम दत ह मगनदास इस जो स कदम बढ़ाता चला जाता था क जस कायमाबी क मिजल सामन नजर आ रह ह मगर शायद वहा क घोड़ो न शरारत और बगड़लपन स तौबा कर ल थी या व वाभा वक प बहत मज म धीम- धीम चलन वाल थ वह िजस गाव म जाता नराशा को उकसान वाला जवाब पाता आ खरकार शाम क व त जब सरज अपनी आ खर मिजल पर जा पहचा था उसक क ठन मिजल तमाम हई नागरघाट क ठाकर अटल सह न उसक च ता मो समा त कया

यह एक बड़ा गाव था प क मकान बहत थ मगर उनम ता माऍ आबाद थी कई साल पहल लग न आबाद क बड़ ह स का इस णभगर ससार स उठाकर वग म पहच दया था इस व त लग क बच -खच व लोग गाव क नौजवान और शौक न जमीदार साहब और ह क क कारगजार ओर रोबील थानदार साहब थ उनक मल -जल को शश स गॉव म सतयग का राज था धन दौलत को लोग जान का अजाब समझत थ उस गनाह क तरह छपात थ घर -घर म पय रहत हए लोग कज ल -लकर खात और फटहाल रहत थ इसी म नबाह था काजल क कोठर थी सफद कपड़ पहनना उन पर ध बा लगाना था हकमत और जब द ती का बाजार गम था अह र को यहा आजन क लए भी दध न था थान म दध क नद बहती थी मवशीखान क मह रर दध क कि लया करत थ इसी

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अधरनगर को मगनदास न अपना घर बनाया ठाकर साहब न असाधा रण उदारता स काम लकर उस रहन क लए एक माकन भी द दया जो कवल बहत यापक अथ म मकान कहा जा सकता था इसी झ पड़ी म वह एक ह त स िज दगी क दन काट रहा ह उसका चहरा जद ह और कपड़ मल हो रह ह मगर ऐसा मालम होता ह क उस अब इन बात क अनभ त ह नह रह िज दा ह मगर िज दगी खसत हो गई ह ह मत और हौसला मि कल को आसान कर सकत ह ऑधी और तफान स बचा सकत ह मगर चहर को खला सकना उनक साम य स बाहर ह टट हई नाव पर बठकर म हार गाना ह मत काम नह हमाकत का काम ह

एक रोज जब शाम क व त वह अधर म खाट पर पड़ा हआ था एक औरत उसक दरवारज पर आकर भीख मागन लगी मगनदास का आवाज पर चत जान पडी बहार आकर दखा तो वह च पा मा लन थी कपड़ तारndash

तार मसीबत क रोती हई तसबीर बोला -मा लन त हार यह या हालत ह मझ पहचानती हो

मा लन न च करक दखा और पहचान गई रोकर बोल ndashबटा अब बताओ मरा कहा ठकाना लग तमन मरा बना बनाया घर उजाड़ दया न उस दन तमस बात करती न मझ पर यह बपत पड़ती बाई न त ह बठ दख लया बात भी सनी सबह होत ह मझ बलाया और बरस पड़ी नाक कटवा लगी मह म का लख लगवा दगी चड़ल कटनी त मर बात कसी गर आदमी स य चलाय त दसर स मर चचा कर वह या तरा दामाद था जो त उसस मरा दखड़ा रोती थी जो कछ मह म आया बकती रह मझस भी न सहा गया रानी ठगी अपना सहाग लगी बोल -बाई जी मझस कसर हआ ल िजए अब जाती ह छ कत नाक कटती ह तो मरा नबाह यहा न होगा ई वर न मह दया ह तो आहार भी दगा चार घर स मागगी तो मर पट को हो जाऐगा उस छोकर न मझ खड़ खड़ नकलवा दया बताओ मन तमस उस क कौन सी शकायत क थी उसक या चचा क थी म तो उसका बखान कर रह थी मगर बड़ आद मय का ग सा भी बड़ा होता ह अब बताओ म कसक होकर रह आठ दन इसी दन तरह टकड़ मागत हो गय ह एक भतीजी उ ह क यहा ल डय म नौकर थी उसी दन उस भी नकाल दया त हार बदौलत

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 9: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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अधरनगर को मगनदास न अपना घर बनाया ठाकर साहब न असाधा रण उदारता स काम लकर उस रहन क लए एक माकन भी द दया जो कवल बहत यापक अथ म मकान कहा जा सकता था इसी झ पड़ी म वह एक ह त स िज दगी क दन काट रहा ह उसका चहरा जद ह और कपड़ मल हो रह ह मगर ऐसा मालम होता ह क उस अब इन बात क अनभ त ह नह रह िज दा ह मगर िज दगी खसत हो गई ह ह मत और हौसला मि कल को आसान कर सकत ह ऑधी और तफान स बचा सकत ह मगर चहर को खला सकना उनक साम य स बाहर ह टट हई नाव पर बठकर म हार गाना ह मत काम नह हमाकत का काम ह

एक रोज जब शाम क व त वह अधर म खाट पर पड़ा हआ था एक औरत उसक दरवारज पर आकर भीख मागन लगी मगनदास का आवाज पर चत जान पडी बहार आकर दखा तो वह च पा मा लन थी कपड़ तारndash

तार मसीबत क रोती हई तसबीर बोला -मा लन त हार यह या हालत ह मझ पहचानती हो

मा लन न च करक दखा और पहचान गई रोकर बोल ndashबटा अब बताओ मरा कहा ठकाना लग तमन मरा बना बनाया घर उजाड़ दया न उस दन तमस बात करती न मझ पर यह बपत पड़ती बाई न त ह बठ दख लया बात भी सनी सबह होत ह मझ बलाया और बरस पड़ी नाक कटवा लगी मह म का लख लगवा दगी चड़ल कटनी त मर बात कसी गर आदमी स य चलाय त दसर स मर चचा कर वह या तरा दामाद था जो त उसस मरा दखड़ा रोती थी जो कछ मह म आया बकती रह मझस भी न सहा गया रानी ठगी अपना सहाग लगी बोल -बाई जी मझस कसर हआ ल िजए अब जाती ह छ कत नाक कटती ह तो मरा नबाह यहा न होगा ई वर न मह दया ह तो आहार भी दगा चार घर स मागगी तो मर पट को हो जाऐगा उस छोकर न मझ खड़ खड़ नकलवा दया बताओ मन तमस उस क कौन सी शकायत क थी उसक या चचा क थी म तो उसका बखान कर रह थी मगर बड़ आद मय का ग सा भी बड़ा होता ह अब बताओ म कसक होकर रह आठ दन इसी दन तरह टकड़ मागत हो गय ह एक भतीजी उ ह क यहा ल डय म नौकर थी उसी दन उस भी नकाल दया त हार बदौलत

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 10: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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जो कभी न कया था वह करना पड़ा त ह कहो का दोष लगाऊ क मत म जो कछ लखा था दखना पड़ा मगनदास स नाट म जो कछ लखा था आह मजाज का यह हाल ह यह घम ड यह शान मा लन का इ मीनन दलाया उसक पास अगर दौलत होती तो उस मालामाल कर दता सठ म खनलाल क बट को भी मालम हो जाता क रोजी क कजी उसी क हाथ म नह ह बोला -तम फ न करो मर घर म आराम स रहो अकल मरा जी भी नह लगता सच कहो तो मझ त हार तरह एक औरत क तलाशा थी अ छा हआ तम आ गयी

मा लन न आचल फलाकर असीम दयाndash बटा तम जग -जग िजय बड़ी उ हो यहॉ कोई घर मल तो मझ दलवा दो म यह रहगी तो मर भतीजी कहा जाएगी वह बचार शहर म कसक आसर रहगी

मगनलाल क खन म जोश आया उसक वा भमान को चोट लगी उन पर यह आफत मर लायी हई ह उनक इस आवारागद को िज मदार म ह बोला ndashकोई हज न हो तो उस भी यह ल आओ म दन को यहा बहत कम रहता ह रात को बाहर चारपाई डालकर पड़ रहा क गा मर वहज स तम लोग को कोई तकल फ न होगी यहा दसरा मकान मलना मि कल ह यह झोपड़ा बड़ी म ि कलो स मला ह यह अधरनगर ह जब त हर सभीता कह लग जाय तो चल जाना

मगनदास को या मालम था क हजरत इ क उसक जबान पर बठ हए उसस यह बात कहला रह ह या यह ठ क ह क इ क पहल माशक क दल म पदा होता ह

गपर इस गॉव स बीस मील क दर पर था च मा उसी दन चल गई और तीसर दन र भा क साथ लौट आई यह उसक

भतीजी का नाम था उसक आन स झ पड म जान सी पड़ गई मगनदास क दमाग म मा लन क लड़क क जो त वीर थी उसका र भा स कोई मल न था वह स दय नाम क चीज का अनभवी जौहर था मगर ऐसी सरत िजसपर जवानी क ऐसी म ती और दल का चन छ न लनवाला ऐसा आकषण हो उसन पहल कभी नह दखा था उसक जवानी का चॉद अपनी सनहर और ग भीर शान क साथ चमक रहा था सबह का व त था

ना

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 11: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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मगनदास दरवाज पर पड़ा ठ डीndashठ डी हवा का मजा उठा रहा था र भा सर पर घड़ा र ख पानी भरन को नकल मगनदास न उस दखा और एक ल बी सास खीचकर उठ बठा चहरा-मोहरा बहत ह मोहम ताज फल क तरह खला हआ चहरा आख म ग भीर सरलता मगनदास को उसन भी दखा चहर पर लाज क लाल दौड़ गई म न पहला वार कया

मगनदास सोचन लगा- या तकद र यहा कोई और गल खलान वाल ह या दल मझ यहा भी चन न लन दगा र भा त यहा नाहक आयी नाहक एक गर ब का खन तर सर पर होगा म तो अब तर हाथ बक चका मगर या त भी मर हो सकती ह ल कन नह इतनी ज दबाजी ठ क नह दल का सौदा सोच-समझकर करना चा हए तमको अभी ज त करना होगा र भा स दर ह मगर झठ मोती क आब और ताब उस स चा नह बना सकती त ह या खबर क उस भोल लड़क क कान म क श द स प र चत नह हो चक ह कौन कह सकता ह क उसक सौ दय क वा टका पर कसी फल चननवाल क हाथ नह पड़ चक ह अगर कछ दन क दलब तगी क लए कछ चा हए तो तम आजाद हो मगर यह नाजक मामला ह जरा स हल क कदम रखना पशवर जात म दखाई पड़नवाला सौ दय अकसर न तक ब धन स म त होता ह

तीन मह न गजर गय मगनदास र भा को य य बार क स बार क नगाह स दखता य ndash य उस पर म का रग गाढा होता जाता था वह रोज उस कए स पानी नकालत दखता वह रोज घर म झाड दती रोज खाना पकाती आह मगनदास को उन वार क रो टया म मजा आता था वह अ छ स अ छ यजनो म भी न आया था उस अपनी कोठर हमशा साफ सधर मलती न जान कौन उसक ब तर बछा दता या यह र भा क कपा थी उसक नगाह शम ल थी उसन उस कभी

अपनी तरफ चचल आखो स ताकत नह दखा आवाज कसी मीठ उसक हसी क आवाज कभी उसक कान म नह आई अगर मगनदास उसक म म मतवाला हो रहा था तो कोई ता जब क बात नह थी उसक भखी नगाह बचनी और लालसा म डबी हई हमशा र भा को ढढा करती वह जब कसी गाव को जाता तो मील तक उसक िज ी और बताब ऑख मड़ ndash

मड़कर झ पड़ क दरवाज क तरफ आती उसक या त आस पास फल गई थी मगर उसक वभाव क मसीवत और उदार यता स अकसर लोग

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 12: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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अन चत लाभ उठात थ इ साफपस द लोग तो वागत स कार स काम नकाल लत और जो लोग यादा समझदार थ व लगातार तकाज का इ तजार करत च क मगनदास इस फन को बलकल नह जानता था बावजद दन रात क दौड़ धप क गर बी स उसका गला न छटता जब वह र भा को च क पीसत हए दखता तो गह क साथ उसका दल भी पस जाता था वह कऍ स पानी नकालती तो उसका कलजा नकल आता जब वह पड़ोस क औरत क कपड़ सीती तो कपड़ो क साथ मगनदास का दल छद जाता मगर कछ बस था न काब मगनदास क दयभद ि ट को इसम तो कोई सदह नह था क उसक म का आकषण बलकल बअसर नह ह वना र भा क उन वफा स भर

हई खा तरद रय क तक कसा बठाता वफा ह वह जाद ह प क गव का सर नीचा कर सकता ह मगर मका क दल म बठन का मा ा उसम बहत कम था कोई दसरा मनचला मी अब तक अपन वशीकरण म कामायाब हो चका होता ल कन मगनदास न दल आश क का पाया था और जबान माशक क

एक रोज शाम क व त च पा कसी काम स बाजार गई हई थी और मगनदास हमशा क तरह चारपाई पर पड़ा सपन दख रहा था र भा अदभत छटा क साथ आकर उसक समन खडी हो गई उसका भोला चहरा कमल क तरह खला हआ था और आख स सहानभ त का भाव झलक रहा था मगनदास न उसक तरफ पहल आ चय और फर म क नगाह स दखा और दल पर जोर डालकर बोला-आओ र भा त ह दखन को बहत दन स आख तरस रह थी

र भा न भोलपन स कहा-म यहा न आती तो तम मझस कभी न बोलत

मगनदास का हौसला बढा बोला- बना मज पाय तो क ता भी नह आता र भा म कराई कल खल गईndashम तो आप ह चल आई

मगनदास का कलजा उछल पड़ा उसन ह मत करक र भा का हाथ पकड़ लया और भावावश स कॉपती हई आवाज म बोला ndashनह र भा ऐसा नह ह यह मर मह न क तप या का फल ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 13: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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मगनदास न बताब होकर उस गल स लगा लया जब वह चलन लगी तो अपन मी क ओर म भर ि ट स दखकर बोल ndashअब यह ीत हमको नभानी होगी

पौ फटन क व त जब सय दवता क आगमन क तया रयॉ हो रह थी मगनदास क आख खल र भा आटा पीस रह थी उस शाि तपण स नाट म च क क घमर ndashघमर बहत सहानी मालम होती थी और उसस सर मलाकर आपन यार ढग स गाती थी

झल नया मोर पानी म गर

म जान पया मौको मनह

उलट मनावन मोको पड़ी झल नया मोर पानी म गर

साल भर गजर गया मगनदास क मह बत और र भा क सल क न मलकर उस वीरान झ पड़ को कज बाग बना दया अब वहा गाय थी फल क या रया थी और कई दहाती ढग क मोढ़ थ सख ndashस वधा क अनक चीज दखाई पड़ती थी

एक रोज सबह क व त मगनदास कह जान क लए तयार हो रहा था क एक स ात यि त अ जी पोशाक पहन उस ढढता हआ आ पहचा और उस दखत ह दौड़कर गल स लपट गया मगनदास और वह दोनो एक साथ पढ़ा करत थ वह अब वक ल हो गया था मगनदास न भी अब पहचाना और कछ झपता और कछ झझकता उसस गल लपट गया बड़ी दर तक दोन दो त बात करत रह बात या थी घटनाओ और सयोगो क एक ल बी कहानी थी कई मह न हए सठ लगन का छोटा ब चा चचक क नजर हो गया सठ जी न दख क मार आ मह या कर ल और अब मगनदास सार जायदाद कोठ इलाक और मकान का एकछ वामी था सठा नय म आपसी झगड़ हो रह थ कमचा रय न गबन को अपना ढग बना र खा था बडी सठानी उस बलान क लए खद आन को तयार थी मगर वक ल साहब न उ ह रोका था जब मदनदास न म काराकर पछा ndash

त ह य कर मालम हआ क म यहा ह तो वक ल साहब न फरमाया -मह न भर स त हार टोह म ह सठ म नलाल न अता -पता बतलाया तम द ल पहच और मन अपना मह न भर का बल पश कया

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 14: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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र भा अधीर हो रह थी क यह कौन ह और इनम या बात हो रह ह दस बजत-बजत वक ल साहब मगनदास स एक ह त क अ दर आन का वादा लकर वदा हए उसी व त र भा आ पहची और पछन लगी -यह कौन थ इनका तमस या काम था

मगनदास न जवाब दया- यमराज का दत

र भाndash या असगन बकत हो मगन-नह नह र भा यह असगन नह ह यह सचमच मर मौत का

दत था मर ख शय क बाग को र दन वाला मर हर -भर खती को उजाड़न वाला र भा मन त हार साथ दगा क ह मन त ह अपन फरब क जाल म फासया ह मझ माफ करो मह बत न मझस यह सब करवाया म मगन सह ठाकर नह ह म सठ लगनदास का बटा और सठ म खनलाल का दामाद ह

मगनदास को डर था क र भा यह सनत ह चौक पड़गी ओर शायद उस जा लम दगाबाज कहन लग मगर उसका याल गलत नकला र भा न आखो म ऑस भरकर सफ इतना कहा -तो या तम मझ छोड़ कर चल जाओग

मगनदास न उस गल लगाकर कहा-हॉ र भाndash य

मगनndashइस लए क इि दरा बहत हो शयार स दर और धनी ह

र भाndashम त ह न छोडगी कभी इि दरा क ल डी थी अब उनक सौत बनगी तम िजतनी मर मह बत करोग उतनी इि दरा क तो न करोग य

मगनदास इस भोलपन पर मतवाला हो गया म कराकर बोला -अब इि दरा त हार ल डी बनगी मगर सनता ह वह बहत स दर ह कह म उसक सरत पर लभा न जाऊ मद का हाल तम नह जानती मझ अपन ह स डर लगता ह

र भा न व वासभर आखो स दखकर कहा- या तम भी ऐसा करोग उह जो जी म आय करना म त ह न छोडगी इि दरा रानी बन म ल डी हगी या इतन पर भी मझ छोड़ दोग

मगनदास क ऑख डबडबा गयी बोलाndash यार मन फसला कर लया ह क द ल न जाऊगा यह तो म कहन ह न पाया क सठ जी का

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 15: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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वगवास हो गया ब चा उनस पहल ह चल बसा था अफसोस सठ जी क आ खर दशन भी न कर सका अपना बाप भी इतनी मह त नह कर सकता उ होन मझ अपना वा रस बनाया ह वक ल साहब कहत थ क सठा रय म अनबन ह नौकर चाकर लट मार -मचा रह ह वहॉ का यह हाल ह और मरा दल वहॉ जान पर राजी नह होता दल तो यहा ह वहॉ कौन जाए

र भा जरा दर तक सोचती रह फर बोल -तो म त ह छोड़ दगी इतन दन त हार साथ रह िज दगी का सख लटा अब जब तक िजऊगी इस सख का यान करती रहगी मगर तम मझ भल तो न जाओग साल म एक बार दख लया करना और इसी झोपड़ म

मगनदास न बहत रोका मगर ऑस न क सक बोल ndashर भा यह बात न करो कलजा बठा जाता ह म त ह छोड़ नह सकता इस लए नह क त हार उपर कोई एहसान ह त हार खा तर नह अपनी खा तर वह शाि त वह म वह आन द जो मझ यहा मलता ह और कह नह मल सकता खशी क साथ िज दगी बसर हो यह मन य क जीवन का ल य ह मझ ई वर न यह खशी यहा द र खी ह तो म उस यो छोड़ धनndashदौलत को मरा सलाम ह मझ उसक हवस नह ह

र भा फर ग भीर वर म बोल -म त हार पॉव क बड़ी न बनगी चाह तम अभी मझ न छोड़ो ल कन थोड़ दन म त हार यह मह बत न रहगी

मगनदास को कोड़ा लगा जोश स बोला-त हार सवा इस दल म अब कोई और जगह नह पा सकता

रात यादा आ गई थी अ टमी का चॉद सोन जा चका था दोपहर क कमल क तरह साफ आसमन म सतार खल हए थ कसी खत क रखवाल क बासर क आवाज िजस दर न तासीर स नाट न सर लापन और अधर न आि मकता का आकषण द दया था कानो म आ जा रह थी क जस कोई प व आ मा नद क कनार बठ हई पानी क लहर स या दसर कनार क खामोश और अपनी तरफ खीचनवाल पड़ो स अपनी िज दगी क गम क कहानी सना रह ह

मगनदास सो गया मगर र भा क आख म नीद न आई

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 16: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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बह हई तो मगनदास उठा और र भा पकारन लगा मगर र भा रात ह को अपनी चाची क साथ वहा स कह चल गयी

मगनदास को उस मकान क दरो द वार पर एक हसरत-सी छायी हई मालम हई क जस घर क जान नकल गई हो वह घबराकर उस कोठर म गया जहा र भा रोज च क पीसती थी मगर अफसोस आज च क एकदम न चल थी फर वह कए क तरह दौड़ा गया ल कन ऐसा मालम हआ क कए न उस नगल जान क लए अपना मह खोल दया ह तब वह ब चो क तरह चीख उठा रोता हआ फर उसी झोपड़ी म आया जहॉ कल रात तक म का वास था मगर आह उस व त वह शोक का घर बना हआ था जब जरा ऑस थम तो उसन घर म चार तरफ नगाह दौड़ाई र भा क साड़ी अरगनी पर पड़ी हई थी एक पटार म वह कगन र खा हआ था जो मगनदास न उस दया था बतन सब र ख हए थ साफ और सधर मगनदास सोचन लगा-र भा तन रात को कहा था -म त ह छोड़ दगी या तन वह बात दल स कह थी मन तो समझा था त द लगी कर रह ह नह तो मझ कलज म छपा लता म तो तर लए सब कछ छोड़ बठा था तरा म मर लए सक कछ था आह म य बचन ह या त बचन नह ह हाय त रो रह ह मझ यक न ह क त अब भी लौट आएगी फर सजीव क पनाओ का एक जमघट उसक सामन आया- वह नाजक अदाए व ह मतवाल ऑख वह भोल भाल बात वह अपन को भल हई -सी महरबा नयॉ वह जीवन दायी म कान वह आ शक जसी दलजोइया वह म का नाश वह हमशा खला रहन वाला चहरा वह लचक-लचककर कए स पानी लाना वह इ ताजार क सरत वह म ती स भर हई बचनी -यह सब त वीर उसक नगाह क सामन हमरतनाक बताबी क साथ फरन लगी मगनदास न एक ठ डी सॉस ल और आसओ और दद क उमड़ती हई नद को मदाना ज त स रोककर उठ खड़ा हआ नागपर जान का प का फसला हो गया त कय क नीच स स दक क कजी उठायी तो कागज का एक ट कड़ा नकल आया यह र भा क वदा क च ी थी-

यार

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 17: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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म बहत रो रह ह मर पर नह उठत मगर मरा जाना ज र ह त ह जागाऊगी तो तम जान न दोग आह कस जाऊ अपन यार प त को कस छोड क मत मझस यह आन द का घर छड़वा रह ह मझ बवफा न कहना म तमस फर कभी मलगी म जानती ह क तमन मर लए यह सब कछ याग दया ह मगर त हार लए िज दगी म बहत कछ उ मीद ह म अपनी मह बत क धन म त ह उन उ मीदो स य दर र ख अब तमस जदा होती ह मर सध मत भलना म त ह हमशा याद रखगी यह आन द क लए कभी न भलग या तम मझ भल सकोग

त हार यार

र भा ७

गनदास को द ल आए हए तीन मह न गजर चक ह इस बीच उस सबस बड़ा जो नजी अनभव हआ वह यह था क रोजी क फ

और ध ध क बहतायत स उमड़ती हई भावनाओ का जोर कम कया जा सकता ह ड़ढ साल पहल का ब फ नौजवान अब एक समझदार और सझ -बझ रखन वाला आदमी बन गया था सागर घाट क उस कछ दन क रहन स उस रआया क इन तकल फो का नजी ान हो गया था जो का र द और म तारो क स ि तय क बदौलत उ ह उठानी पड़ती ह उसन उस रयासत क इ तजाम म बहत मदद द और गो कमचार दबी जबान स उसक शकायत करत थ और अपनी क मतो और जमान क उलट फर को कोसन थ मगर रआया खशा थी हॉ जब वह सब धध स फरसत पाता तो एक भोल भाल सरतवाल लड़क उसक खयाल क पहल म आ बठती और थोड़ी दर क लए सागर घाट का वह हरा भरा झोपड़ा और उसक मि तया ऑख क सामन आ जाती सार बात एक सहान सपन क तरह याद आ आकर उसक दल को मसोसन लगती ल कन कभी कभी खद बखद -उसका याल इि दरा क तरफ भी जा पहचता गो उसक दल म र भा क वह जगह थी मगर कसी तरह उसम इि दरा क लए भी एक कोना नकल आया था िजन हालातो और आफतो न उस इि दरा स बजार कर दया था वह अब खसत हो गयी थी अब उस इि दरा स कछ हमदद हो गयी अगर उसक मजाज म घम ड ह हकमत ह तक लफ ह शान ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 18: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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तो यह उसका कसर नह यह रईसजादो क आम कमजो रया ह यह उनक श ा ह व बलकल बबस और मजबर ह इन बदत हए और सत लत भावो क साथ जहा वह बचनी क साथ र भा क याद को ताजा कया करता था वहा इि दरा का वागत करन और उस अपन दल म जगह दन क लए तयार था वह दन दर नह था जब उस उस आजमाइश का सामना करना पड़गा उसक कई आ मीय अमीराना शान-शौकत क साथ इि दरा को वदा करान क लए नागपर गए हए थ मगनदास क ब तयत आज तरह तरह क भावो क कारण िजनम ती ा और मलन क उ कठा वशष थी उचाट सी हो रह थी जब कोई नौकर आता तो वह स हल बठता क शायद इि दरा आ पहची आ खर शाम क व त जब दन और रात गल मल रह थ जनानखान म जोर शार क गान क आवाज न बह क पहचन क सचना द सहाग क सहानी रात थी दस बज गय थ खल हए हवादार सहन म चॉदनी छटक हई थी वह चॉदनी िजसम नशा ह आरज ह और खचाव ह गमल म खल हए गलाब और च मा क फल चॉद क सनहर रोशनी म यादा ग भीर ओर खामोश नजर आत थ मगनदास इि दरा स मलन क लए चला उसक दल स लालसाऍ ज र थी मगर एक पीड़ा भी थी दशन क उ क ठा थी मगर यास स खोल मह बत नह ाण को खचाव था जो उस खीच लए जाताथा उसक दल म बठ हई र भा शायद बार-बार बाहर नकलन क को शश कर रह थी इसी लए दल म धड़कन हो रह थी वह सोन क कमर क दरवाज पर पहचा रशमी पदा पड़ा ह आ था उसन पदा उठा दया अ दर एक औरत सफद साड़ी पहन खड़ी थी हाथ म च द खबसरत च ड़य क सवा उसक बदन पर एक जवर भी न था योह पदा उठा और मगनदास न अ दर हम र खा वह म काराती हई

उसक तरफ बढ मगनदास न उस दखा और च कत होकर बोला ldquoर भाldquo और दोनो मावश स लपट गय दल म बठ हई र भा बाहर नकल आई थी साल भर गजरन क वाद एक दन इि दरा न अपन प त स कहा या र भा को बलकल भल गय कस बवफा हो कछ याद ह उसन चलत व त तमस या बनती क थी

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मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 19: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

19

मगनदास न कहा- खब याद ह वह आवा ज भी कान म गज रह ह म र भा को भोल ndashभाल लड़क समझता था यह नह जानता था क यह या च र का जाद ह म अपनी र भा का अब भी इि दरा स यादा यार

करता ह त ह डाह तो नह होती

इि दरा न हसकर जवाब दया डाह य हो त हार र भा ह तो या मरा गन सह नह ह म अब भी उस पर मरती ह

दसर दन दोन द ल स एक रा य समारोह म शर क होन का बहाना करक रवाना हो गए और सागर घाट जा पहच वह झोपड़ा वह मह बत का मि दर वह म भवन फल और हरयाल स लहरा रहा था च पा मा लन उ ह वहा मल गाव क जमीदार उनस मलन क लए आय कई दन तक फर मगन सह को घोड़ नकालना पड र भा कए स पानी लाती खाना पकाती फर च क पीसती और गाती गाव क औरत फर उसस अपन कत और ब चो क लसदार टो पया सलाती ह हा इतना ज र कहती क उसका रग कसा नखर आया ह हाथ पाव कस मलायम यह पड़ गय ह कसी बड़ घर क रानी मालम होती ह मगर वभाव वह ह वह मीठ बोल ह वह मरौवत वह हसमख चहरा

इस तरह एक हफत इस सरल और प व जीवन का आन द उठान क बाद दोनो द ल वापस आय और अब दस साल गजरन पर भी साल म एक बार उस झोपड़ क नसीब जागत ह वह मह बत क द वार अभी तक उन दोनो मय को अपनी छाया म आराम दन क लए खड़ी ह

-- जमाना जनवर 1913

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

6

वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 20: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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मलाप

ला ानच द बठ हए हसाब ndash कताब जाच रह थ क उनक सप बाब नानकच द आय और बोल- दादा अब यहा पड़ ndashपड़ जी उसता

गया आपक आ ा हो तो मौ सर को नकल जाऊ दो एक मह न म लौट आऊगा

नानकच द बहत सशील और नवयवक था रग पीला आखो क गद हलक याह ध ब कध झक हए ानच द न उसक तरफ तीखी नगाह स दखा और यगपण वर म बोल ndash यो या यहा त हार लए कछ कम दलचि पयॉ ह

ानच द न बट को सीध रा त पर लोन क बहत को शश क थी मगर सफल न हए उनक डॉट -फटकार और समझाना-बझाना बकार हआ उसक सग त अ छ न थी पीन पलान और राग-रग म डबा र हता था उ ह यह नया ताव य पस द आन लगा ल कन नानकच द उसक वभाव स प र चत था बधड़क बोला- अब यहॉ जी नह लगता क मीर क

बहत तार फ सनी ह अब वह जान क सोचना ह

ानच द- बहरत ह तशर फ ल जाइए नानकच द- (हसकर) पय को दलवाइए इस व त पॉच सौ पय क स त ज रत ह ानच द- ऐसी फजल बात का मझस िज न कया करो म तमको बार-बार समझा चका

नानकच द न हठ करना श कया और बढ़ लाला इनकार करत रह यहॉ तक क नानकच द झझलाकर बोला - अ छा कछ मत द िजए म य ह चला जाऊगा

ानच द न कलजा मजबत करक कहा - बशक तम ऐस ह ह मतवर हो वहॉ भी त हार भाई -ब द बठ हए ह न

नानकच द- मझ कसी क परवाह नह आपका पया आपको मबारक रह

ला

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

5

ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 21: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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नानकच द क यह चाल कभी पट नह पड़ती थी अकला लड़का था बढ़ लाला साहब ढ ल पड़ गए पया दया खशामद क और उसी दन नानकच द क मीर क सर क लए रवाना हआ

गर नानकच द यहॉ स अकला न चला उसक म क बात आज सफल हो गयी थी पड़ोस म बाब रामदास रहत थ बचार सीध -साद

आदमी थ सबह द तर जात और शाम को आत और इस बीच नानकच द अपन कोठ पर बठा हआ उनक बवा लड़क स मह बत क इशार कया करता यहॉ तक क अभागी ल लता उसक जाल म आ फसी भाग जान क मसब हए

आधी रात का व त था ल लता एक साड़ी पहन अपनी चारपाई पर करवट बदल रह थी जवर को उतारकर उसन एक स दकच म रख दया था उसक दल म इस व त तरह-तरह क खयाल दौड़ रह थ और कलजा जोर-जोर स धड़क रहा था मगर चाह और कछ न हो नानकच द क तरफ स उस बवफाई का जरा भी गमान न था जवानी क सबस बड़ी नमत मह बत ह और इस नमत को पाकर ल लता अपन को खशनसीब स मझ रह थी रामदास बसध सो रह थ क इतन म क डी खटक ल लता च ककर उठ खड़ी हई उसन जवर का स दकचा उठा लया एक बार इधर -उधर हसरत-भर नगाह स दखा और दब पॉव च क-चौककर कदम उठाती दहल ज म आयी और क डी खोल द नानकच द न उस गल स लगा लया ब घी तयार थी दोन उस पर जा बठ

सबह को बाब रामदास उठ ल लत न दखायी द घबराय सारा घर छान मारा कछ पता न चला बाहर क क डी खल दखी ब घी क नशान नजर आय सर पीटकर बठ गय मगर अपन दल का द2द कसस कहत हसी और बदनामी का डर जबान पर मो हर हो गया मशहर कया क वह अपन न नहाल और गयी मगर लाला ानच द सनत ह भॉप गय क क मीर क सर क कछ और ह मान थ धीर -धीर यह बात सार मह ल म फल गई यहॉ तक क बाब रामदास न शम क मार आ मह या कर ल

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 22: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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ह बत क सरग मया नतीज क तरफ स बलकल बखबर होती ह नानकच द िजस व त ब घी म ल लत क साथ बठा तो उस इसक

सवाय और कोई खयाल न था क एक यवती मर बगल म बठ ह िजसक दल का म मा लक ह उसी धन म वह म त था बदनामी का ड़र कानन का खटका जी वका क साधन उन सम याओ पर वचार करन क उस उस व त फरसत न थी हॉ उसन क मीर का इरादा छोड़ दया कलक त जा पहचा कफायतशार का सबक न पढ़ा था जो कछ जमा -जथा थी दो मह न म खच हो गयी ल लता क गहन पर नौबत आयी ल कन नानकच द म इतनी शराफत बाक थी दल मजबत करक बाप को खत लखा मह बत को गा लयॉ द और व वास दलाया क अब आपक पर चमन क लए जी बकरार ह कछ खच भिजए लाला साहब न खत पढ़ा तसक न हो गयी क चलो िज दा ह ख रयत स ह धम -धाम स स यनारायण क कथा सनी पया रवाना कर दया ल कन जवाब म लखा-खर जो कछ त हार क मत म था वह हआ अभी इधर आन का इरादा मत करो बहत बदनाम हो रह हो त हार वजह स मझ भी बरादर स नाता तोड़ना पड़गा इस तफान को उतर जान दो तमह खच क तकल फ न होगी मगर इस औरत क बाह पकड़ी ह तो उसका नबाह करना उस अपनी याहता ी समझो नानकच द दल पर स च ता का बोझ उतर गया बनारस स माहवार वजीफा मलन लगा इधर ल लता क को शश न भी कछ दल को खीचा और गो शराब क लत न टट और ह त म दो दन ज र थयटर दखन जाता तो भी त बयत म ि थरता और कछ सयम आ चला था इस तरह कलक त म उसन तीन साल काट इसी बीच एक यार लड़क क बाप बनन का सौभा य हआ िजसका नाम उसन कमला र खा ४

सरा साल गजरा था क नानकच द क उस शाि तमय जीवन म हलचल पदा हई लाला ानच द का पचासवॉ साल था जो

ह दो तानी रईस क ाक तक आय ह उनका वगवास हो गया और

ती

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 23: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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य ह यह खबर नानकच द को मल वह ल लता क पास जाकर चीख मार-मारकर रोन लगा िज दगी क नय-नय मसल अब उसक सामन आए इस तीन साल क सभल हई िज दगी न उसक दल शो हदपन और नशबाजी क खयाल बहत कछ दर कर दय थ उस अब यह फ सवार हई क चलकर बनारस म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार म अपनी जायदाद का कछ इ तजाम करना चा हए वना सारा कारोबार धल म मल जाएगा ल कन ल लता को या क अगर इस वहॉ लय चलता ह तो तीन साल क परानी घटनाए ताजी हो जायगी और फर एक हलचल पदा होगी जो मझ ह काम और हमजोहलयॉ म जल ल कर दगी इसक अलावा उस अब काननी औलाद क ज रत भी नजर आन लगी यह हो सकता था क वह ल लता को अपनी याहता ी मशहर कर दता ल कन इस आम खयाल को दर करना अस भव था क उसन उस भगाया ह ल लता स नानकच द को अब वह मह बत न थी िजसम दद होता ह और बचनी होती ह वह अब एक साधारण प त था जो गल म पड़ हए ढोल को पीटना ह अपना धम समझता ह िजस बीबी क मह बत उसी व त याद आती ह जब वह बीमार होती ह और इसम अचरज क कोई बात नह ह अगर िजदगी क नयी नयी उमग न उस उकसाना श कया मसब पदा होन लग िजनका दौलत और बड़ लोग क मल जोल स सबध ह मानव भावनाओ क यह साधारण दशा ह नानकच द अब मजबत इराई क साथ सोचन लगा क यहा स य कर भाग अगर लजाजत लकर जाता ह तो दो चार दन म सारा पदा फाश हो जाएगा अगर ह ला कय जाता ह तो आज क तीसर दन ल लता बनरस म मर सर पर सवार होगी कोई ऐसी तरक ब नकाल क इन स भावनओ स मि त मल सोचत-सोचत उस आ खर एक तदबीर सझी वह एक दन शाम को द रया क सर का बाहाना करक चला और रात को घर पर न अया दसर दन सबह को एक चौक दार ल लता क पास आया और उस थान म ल गया ल लता हरान थी क या माजरा ह दल म तरह-तरह क द शच ताय पदा हो रह थी वहॉ जाकर जो क फयत दखी तो द नया आख म अधर हो गई नानकच द क कपड़ खन म तर -ब-तर पड़ थ उसक वह सनहर घड़ी वह खबसरत छतर वह रशमी साफा सब वहा मौजद था जब म उसक नाम क छप हए काड थ कोई सदश न रहा क नानकच द को

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 24: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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कसी न क ल कर डाला दो तीन ह त तक थान म तकक कात होती रह और आ खर कार खनी का पता चल गया प लस क अफसरा को बड़ बड़ इनाम मलइसको जाससी का एक बड़ा आ चय समझा गया खनी न म क त वि वता क जोश म यह काम कया मगर इधर तो गर ब बगनाह खनी सल पर चढ़ा हआ था और वहा बनारस म नानक च द क शाद रचायी जा रह थी

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ला नानकच द क शाद एक रईस घरान म हई और तब धीर धीर फर वह परान उठन बठनवाल आन श हए फर वह मज लस

जमी और फर वह सागर-ओ-मीना क दौर चलन लग सयम का कमजोर अहाता इन वषय ndashवासना क बटमारो को न रोक सका हॉ अब इस पीन पलान म कछ परदा रखा जाता ह और ऊपर स थोडी सी ग भीरता बनाय रखी जाती ह साल भर इसी बहार म गजरा नवल बहघर म कढ़ कढ़कर मर गई तप दक न उसका काम तमाम कर दया तब दसर शाद हई म गर इस ी म नानकच द क सौ दय मी आखो क लए लए कोई आकषण न था इसका भी वह हाल हआ कभी बना रोय कौर मह म नह दया तीन साल म चल बसी तब तीसर शाद हई यह औरत बहत स दर थी अचछ आभषण स ससि जत उसन नानकच द क दल म जगह कर ल एक ब चा भी पदा हआ था और नानकच द गाहि क आनद स प र चत होन लगा द नया क नात रशत अपनी तरफ खीचन लग मगर लग क लए ह सार मसब धल म मला दय प त ाणा ी मर तीन बरस का यारा लड़का हाथ स गया और दल पर ऐसा दाग छोड़ गया िजसका कोई मरहम न था उ छ खलता भी चल गई ऐयाशी का भी खा मा हआ दल पर रजोगम छागया और त बयत ससार स वर त हो गयी

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वन क दघटनाओ म अकसर बड़ मह व क न तक पहल छप हआ करत ह इन सइम न नानकच द क दल म मर हए इ सान को

भी जगा दया जब वह नराशा क यातनापण अकलपन म पड़ा हआ इन घटनाओ को याद करता तो उसका दल रोन लगता और ऐसा मालम होता

ला

जी

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 25: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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क ई वर न मझ मर पाप क सजा द ह धीर धीर यह याल उसक दल म मजबत हो गया ऊफ मन उस मासम औरत पर कसा ज म कया कसी बरहमी क यह उसी का द ड ह यह सोचत-सोचत ल लता क मायस त वीर उसक आख क सामन खड़ी हो जाती और यार मखड़वाल कमला अपन मर हए सौतल भाई क साथ उसक तरफ यार स दौड़ती हई दखाई दती इस ल बी अव ध म नानकच द को ल लता क याद तो कई बार आयी थी मगर भोग वलास पीन पलान क उन क फयातो न कभी उस खयाल को जमन नह दया एक धधला -सा सपना दखाई दया और बखर गया मालम नह दोनो मर गयी या िज दा ह अफसोस ऐसी बकसी क हालत म छोउकर मन उनक सध तक न ल उस नकनामी पर ध कार ह िजसक लए ऐसी नदयता क क मत दनी पड़ यह खयाल उसक दल पर इस बर तरह बठा क एक रोज वह कलक ता क लए रवाना हो गया

सबह का व त था वह कलक त पहचा और अपन उसी परान घर को चला सारा शहर कछ हो गया था बहत तलाश क बाद उस अपना पराना घर नजर आया उसक दल म जोर स धड़कन होन लगी और भावनाओ म हलचल पदा हो गयी उसन एक पड़ोसी स पछा -इस मकान म कौन रहता ह

बढ़ा बगाल था बोला-हाम यह नह कह सकता कौन ह कौन नह ह इतना बड़ा मलक म कौन कसको जानता ह हॉ एक लड़क और उसका बढ़ा मॉ दो औरत रहता ह वधवा ह कपड़ क सलाई करता ह जब स उसका आदमी मर गया तब स यह काम करक अपना पट पालता ह

इतन म दरवाजा खला और एक तरह -चौदह साल क स दर लड़क कताव लय हए बाहर नकल नानकच द पहचान गया क यह कमला ह उसक ऑख म ऑस उमड़ आए बआि तयार जी चाहा क उस लड़क को छाती स लगा ल कबर क दौलत मल गयी आवाज को स हालकर बोला -बट जाकर अपनी अ मॉ स कह दो क बनारस स एक आदमी आया ह लड़क अ दर चल गयी और थोड़ी दर म ल लता दरवाज पर आयी उसक चहर पर घघट था और गो सौ दय क ताजगी न थी मगर आकष ण अब भी था नानकच द न उस दखा और एक ठडी सॉस ल प त त और धय और नराशा क सजीव म त सामन खड़ी थी उसन बहत जोर लगाया मगर ज त न हो सका बरबस रोन लगा ल लता न घघट क आउ स उस दखा

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 26: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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और आ चय क सागर म डब गयी वह च जो दय -पट पर अ कत था और जो जीवन क अ पका लक आन द क याद दलाता रहता था जो सपन म सामन आ-आकर कभी खशी क गीत सनाता था और कभी रज क तीर चभाता था इस व त सजीव सचल सामन खड़ा था ल लता पर ऐ बहोशी छा गयी कछ वह हालत जो आदमी को सपन म होती ह वह य होकर नानकच द क तरफ बढ़ और रोती हई बोल -मझ भी अपन साथ ल चलो मझ अकल कस पर छोड़ दया ह मझस अब यहॉ नह रहा जाता

ल लता को इस बात क जरा भी चतना न थी क वह उस यि त क सामन खड़ी ह जो एक जमाना हआ मर चका वना शायद वह चीखकर भागती उस पर एक सपन क -सी हालत छायी हई थी मगर जब नानकचनद न उस सीन स लगाकर कहा lsquoल लता अब तमको अकल न रहना पड़गा त ह इन ऑख क पतल बनाकर रखगा म इसी लए त हार पास आया ह म अब तक नरक म था अब त हार साथ वग को सख भोगगा rsquo तो ल लता च क और छटककर अलग हटती हई बोल -ऑख को तो यक न आ गया मगर दल को नह आता ई वर कर यह सपना न हो

-जमाना जन १९१३

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 27: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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मनावन

ब दयाशकर उन लोग म थ िज ह उस व त तक सोहबत का मजा नह मलता जब तक क वह मका क जबान क तजी का मजा

न उठाय ठ हए को मनान म उ ह बड़ा आन द मलता फर हई नगाह कभी-कभी मह बत क नश क मतवाल ऑख स भी यादा मोहक जान पड़ती आकषक लगती झगड़ म मलाप स यादा मजा आता पानी म हलक-हलक झकोल कसा समॉ दखा जात ह जब तक द रया म धीमी-धीमी हलचल न हो सर का ल फ नह

अगर बाब दयाशकर को इन दलचि पय क कम मौक मलत थ तो यह उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उनका कसर न था ग रजा वभाव स बहत नक और ग भीर थी तो भी च क उस अपन प त क च का अनभव हो चका था इस लए वह कभी-कभी अपनी त बयत क खलाफ सफ उनक खा तर स उनस ठ जाती थी मगर यह ब-नीव क द वार हवा का एक झ का भी न स हाल सकती उसक ऑख उसक ह ठ उसका दल यह बह पय का खल यादा दर तक न चला सकत आसमान पर घटाय आती मगर सावन क नह कआर क वह ड़रती कह ऐसा न हो क हसी -हसी स रोना आ जाय आपस क बदमजगी क याल स उसक जान नकल जाती थी मगर इन मौक पर बाब साहब को जसी -जसी रझान वाल बात सझती वह काश व याथ जीवन म सझी होती तो वह कई साल तक कानन स सर मारन क बाद भी मामल लक न रहत

याशकर को कौमी जलस स बहत दलच पी थी इस दलच पी क ब नयाद उसी जमान म पड़ी जब वह कानन क दरगाह क मजा वर थ

और वह अक तक कायम थी पय क थल गायब हो गई थी मगर कध म दद मौजद था इस साल का स का जलसा सतारा म होन वाला था नयत तार ख स एक रोज पहल बाब साहब सतारा को रवाना हए सफर क तया रय म इतन य त थ क ग रजा स बातचीत करन क भी फसत न

बा

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 28: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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मल थी आनवाल ख शय क उ मीद उस णक वयोग क खयाल क ऊपर भार थी कसा शहर होगा बड़ी तार फ सनत ह दकन सौ दय और सपदा क खान ह खब सर रहगी हजरत तो इन दल को खश करनवाल याल म म त थ और ग रजा ऑख म आस भर अपन दरवाज पर खड़ी यह क फयल दख रह थी और ई वर स ाथना कर रह थी क इ ह ख रतय स लाना वह खद एक ह ता कस काटगी यह याल बहत ह क ट दनवाला था ग रजा इन वचार म य त थी दयाशकर सफर क तया रय म यहॉ तक क सब तया रयॉ पर हो गई इ का दरवाज पर आ गया बसतर और क उस पर रख दय और तब वदाई भट क बात होन लगी दयाशकर ग रजा क सामन आए और म कराकर बोल -अब जाता ह

ग रजा क कलज म एक बछ -सी लगी बरबस जी चाहा क उनक सीन स लपटकर रोऊ ऑसओ क एक बाढ़ -सी ऑख म आती हई मालम हई मगर ज त करक बोल -जान को कस कह या व त आ गया

इयाशकर-हॉ बि क दर हो रह ह ग रजा-मगल क शाम को गाड़ी स आओग न

दयाशकर-ज र कसी तरह नह क सकता तम सफ उसी दन मरा इतजार करना ग रजा-ऐसा न हो भल जाओ सतारा बहत अ छा शहर ह

दयाशकर-(हसकर ) वह वग ह य न हो मगल को यहॉ ज र आ जाऊगा दल बराबर यह रहगा तम जरा भी न घबराना

यह कहकर ग रजा को गल लगा लया और म करात हए बाहर नकल आए इ का रवाना हो गया ग रजा पलग पर बठ गई और खब रोयी मगर इस वयोग क दख ऑसओ क बाढ़ अकलपन क दद और तरह-तरह क भाव क भीड़ क साथ एक और याल दल म बठा हआ था िजस वह बार-बार हटान क को शश करती थी- या इनक पहल म दल नह ह या ह तो उस पर उ ह परा -परा अ धकार ह वह म कराहट जो वदा होत व त दयाशकर क चहर र लग रह थी ग रजा क समझ म नह आती थी

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 29: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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तारा म बड़ी धधम थी दयाशकर गाड़ी स उतर तो वद पोश वाल टयर न उनका वागात कया एक फटन उनक लए तयार

खड़ी थी उस पर बठकर वह का स पड़ाल क तरफ चल दोन तरफ झ डयॉ लहरा रह थी दरवाज पर ब दवार लटक रह थी औरत अपन झरोख स और मद बरामद म खड़ हो-होकर खशी स ता लयॉ बाजत थ इस शान-शौकत क साथ वह पड़ाल म पहच और एक खबसरत खम म उतर यहॉ सब तरह क स वधाऍ एक थी दस बज का स श हई व ता अपनी-अपनी भाषा क जलव दखान लग कसी क हसी - द लगी स भर हए चटकल पर वाह-वाह क धम मच गई कसी क आग बरसानवाल तकर र न दल म जोश क एक तहर-सी पछा कर द व व तापण भाषण क मकाबल म हसी - द लगी और बात कहन क खबी को लोग न यादा पस द कया ोताओ को उन भाषण म थयटर क गीत का-सा आन द आता था कई दन तक यह हालत रह और भाषण क ि ट स का स को शानदार कामयाबी हा सल हई आ खरकार मगल का दन आया बाब साहब वापसी क तया रयॉ करन लग मगर कछ ऐसा सयोग हआ क आज उ ह मजबरन ठहरना पड़ा ब बई और य पी क ड़ल गट म एक हाक मच ठहर गई बाब दयाशकर हाक क बहत अ छ खलाड़ी थ वह भी ट म म दा खल कर लय गय थ उ ह न बहत को शश क क अपना गला छड़ा ल मगर दो त न इनक आनाकानी पर बलकल यान न दया साहब जो यादा बतक लफ थ बोल-आ खर त ह इतनी ज द य ह त हा रा

द तर अभी ह ता भर बद ह बीवी साहबा क जाराजगी क सवा मझ इस ज दबाजी का कोई कारण नह दखायी पड़ता दयाशकर न जब दखा क ज द ह मझपर बीवी का गलाम होन क फब तयॉ कसी जान वाल ह िजसस यादा अपमानजनक बात मद क शान म कोई दसर नह कह जा सकती तो उ ह न बचाव क कोई सरत न दखकर वापसी म तवी कर द और हाक म शर क हो गए मगर दल म यह प का इरादा कर लया क शाम क गाड़ी स ज र चल जायग फर चाह कोई बीवी का गलाम नह बीवी क गलाम का बाप कह एक न मानग

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 30: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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खर पाच बज खल शन हआ दोन तरफ क खलाड़ी बहत तज थ िज होन हाक खलन क सवा िज दगी म और कोई काम ह नह कया खल बड़ जोश और सरगम स होन लगा कई हजार तमाशाई जमा थ उनक ता लयॉ और बढ़ाव खला ड़य पर मा बाज का काम कर रह थ और गद कसी अभाग क क मत क तरह इधर-उधर ठोकर खाती फरती थी दयाशकर क हाथ क तजी और सफाई उनक पकड़ और बऐब नशानबाजी पर लोग हरान थ यहॉ तक क जब व त ख म होन म सफ एक़ मनट बाक रह गया था और दोन तरफ क लोग ह मत हार चक थ तो दयाशकर न गद लया और बजल क तरह वरोधी प क गोल पर पहच गय एक पटाख क आवाज हई चार तरफ स गोल का नारा बल द हआ इलाहाबाद क जीत हई और इस जीत का सहरा दयाशकर क सर था -िजसका नतीजा यह हआ क बचार दयाशकर को उस व त भी कना पड़ा और सफ इतना ह नह सतारा अमचर लब क तरफ स इस जीत क बधाई म एक नाटक खलन का कोई ताव हआ िजस बध क रोज भी रवाना होन क कोई उ मीद बाक न रह दयाशकर न दल म बहत पचोताब खाया मगर जबान स या कहत बीवी का गलाम कहलान का ड़र जबान ब द कय हए था हालॉ क उनका दल कह र हा था क अब क दवी ठगी तो सफ खशामद स न मानगी

ब दयाशकर वाद क रोज क तीन दन बाद मकान पर पहच सतारा स ग रजा क लए कई अनठ तोहफ लाय थ मगर उसन इन चीज

को कछ इस तरह दखा क जस उनस उसका जी भर गया ह उसका चहरा उतरा हआ था और ह ठ सख थ दो दन स उसन कछ नह खाया था अगर चलत व त दयाशकर क आख स आस क च द बद टपक पड़ी होती या कम स कम चहरा कछ उदास और आवाज कछ भार हो गयी होती तो शायद ग रजा उनस न ठती आसओ क च द बद उसक दल म इस खयाल को तरो-ताजा रखती क उनक न आन का कारण चाह ओर कछ हो न ठरता हर गज नह ह शायद हाल पछन क लए उसन तार दया होता और अपन प त को अपन सामन ख रयत स दखकर वह बरबस उनक सीन म जा चमटती और दवताओ क कत होती मगर आख क वह बमौका

बा

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 31: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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कजसी और चहर क वह न ठर मसकान इस व त उसक पहल म खटक रह थी दल म खयाल जम गया था क म चाह इनक लए मर ह मट मगर इ ह मर परवाह नह ह दो त का आ ह और िजद कवल बहाना ह कोई जबरद ती कसी को रोक नह सकता खब म तो रात क रात बठकर काट और वहॉ मज उड़ाय जाऍ बाब दयाशकर को ठ क मनान म वषश द ता थी और इस मौक पर उ ह न कोई बात कोई को शश उठा नह रखी तोहफ तो लाए थ मगर उनका जाद न चला तब हाथ जोड़कर एक पर स खड़ हए गदगदाया तलव सहलाय कछ शोखी और शरारत क दस बज तक इ ह सब बात म लग रह इसक बाद खान का व त आया आज उ ह न खी रो टयॉ बड़ शौक स और मामल स कछ यादा खायी - ग रजा क हाथ स आज ह त भर बाद रो टयॉ नसीब हई ह सतार म रो टय को तरस गय प डयॉ खात -खात आत म बायगोल पड़ गय यक न मानो ग रजन वहॉ कोई आराम न था न कोई सर न कोई ल फ सर और ल फ तो महज अपन दल क क फयत पर मनहसर ह ब फ हो तो च टयल मदान म बाग का मजा आता ह और त बयत को कोई फ हो तो बाग वीरान स भी यादा उजाड़ मालम होता ह क ब त दल तो हरदम यह धरा रहता था वहॉ मजा या खाक आता तम चाह इन बात को कवल बनावट समझ लो य क म त हार सामन दोषी ह और त ह अ धकार ह क मझ झठा म कार दगाबाज ववफा बात बनानवाला जो चाह समझ लो मगर स चाई यह ह जो म कह रहा ह म जो अपना वादा परा नह कर सका उसका कारण दो त क िजद थी दयाशकर न रो टय क खब तार फ क य क पहल कई बार यह तरक ब फायदम द सा बत हई थी मगर आज यह म भी कारगर न हआ ग रजा क तवर बदल ह रह

तीसर पहर दयाशकर ग रजा क कमर म गय और पखा झलन लग यहॉ तक क ग रजा झझलाकर बोल उठ -अपनी नाजबरदा रयॉ अपन ह पास र खय मन हजर स भर पाया म त ह पहचान गयी अब धोखा नह खान क मझ न मालम था क मझस आप य दगा करग गरज िजन श द म बवफाइय और न ठरताओ क शकायत हआ करती ह व ह सब इस व त ग रजा न खच कर डाल

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 32: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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म हई शहर क ग लय म मो तय और बल क लपट आन लगी सड़क पर छड़काव होन लगा और म ी क स धी खशब उड़न

लगी ग रजा खाना पकान जा रह थी क इतन म उसक दरवाज पर इ का आकर का और उसम स एक औरत उतर पड़ी उसक साथ एक महर थी उसन ऊपर आकर ग रजा स कहाmdashबह जी आपक सखी आ रह ह यह सखी पड़ोस म रहनवाल अहलमद साहब क बीवी थी अहलमद साहब बढ़ आदमी थ उनक पहल शाद उस व त हई थी जब दध क दॉत न टट थ दसर शाद सयोग स उस जमान म हई ज ब मह म एक दॉत भी बाक न था लोग न बहत समझाया क अब आप बढ़ हए शाद न क िजए ई वर न लड़क दय ह बहए ह आपको कसी बात क तकल फ नह हो सकती मगर अहलमद साहब खद ब ड और द नया दख हए आदमी थ इन शभ चतक क सलाह का जवाब यावहा र क उदाहरण स दया करत थmdash य या मौत को बढ़ स कोई द मनी ह बढ़ गर ब उसका या बगाड़त ह हम बाग म जात ह तो मरझाय हए फल नह तोड़त हमार आख तरो-ताजा हर-भर खबसरत फल पर पड़ती ह कभी -कभी गजर वगरह बनान क लए क लयॉ भी तोड़ ल जाती ह यह हालत मौत क ह या यमराज को इतनी समझ भी नह ह म दाव क साथ कह सकता ह क जवान और ब च बढ़ स यादा मरत ह म अभी य का यो ह मर तीन जवान भाई पॉच बहन बहन क प त तीन भावज चार बट पॉच ब टयॉ कई भतीज सब मर आख क सामन इस द नया स चल बस मौत सबको नगल गई मगर मरा बाल बॉका न कर सक यह गलत बलकल गलत ह क बढ़ आदमी ज द मर जात ह और असल बात तो यह ह क जबान बीवी क ज रत बढ़ाप म ह होती ह बहए मर सामन नकलना चाह और न नकल सकती ह भावज खद बढ़ ह छोट भाई क बीवी मर परछा भी नह दख सकती ह बहन अपन-अपन घर ह लड़क सीध मह बात नह करत म ठहरा बढ़ा बीमार पड तो पास कौन फटक एक लोटा पानी कौन द दख कसक आख स जी कस बहलाऊ या आ मह या कर ल या कह डब म इन दल ल क मका बल म कसी क जबान न खलती थी

शा

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 33: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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गरज इस नयी अहलम दन और ग रजा म कछ बहनापा सा हो गया था कभी-कभी उसस मलन आ जाया करती थी अपन भा य पर स तोष करन वाल ी थी कभी शकायत या रज क एक बात जबान स न नकालती एक बार ग रजा न मजाक म कहा था क बढ़ और जवान का मल अ छा नह होता इस पर वह नाराज हो गयी और कई दन तक न आयी ग रजा महर को दखत ह फौरन ऑगन म नकल आयी और गो उस इस व त महमान का आना नागवारा गजरा मगर महर स बोल -बहन अ छ आयी दो घड़ी दल बहलगा जरा दर म अहलम दन साहब गहन स लद हई घघट नकाल छमछम करती हई आगन म आकर खड़ी हो ग ग रजा न कर ब आकर कहा-वाह सखी आज तो तम दल हन बनी हो मझस पदा करन लगी हो या यह कहकर उसन घघट हटा दया और सखी का मह दखत ह

च ककर एक कदम पीछ हट गई दयाशकर न जोर स कहकहा लगाया और ग रजा को सीन स लपटा लया और वनती क वर म बोल- ग रजन अब मान जाओ ऐसी खता फर कभी न होगी मगर ग रजन अलग हट गई और खाई स बोल -त हारा बह प बहत दख चक अब त हारा असल प दखना चाहती ह

याशकर म-नद क हलक -हलक लहर का आन द तो ज र उठाना चाहत थ मगर तफान स उनक त बयत भी उतना ह घबराती थी

िजतना ग रजा क बि क शायद उसस भी यादा दय-प वतन क िजतन म उ ह याद थ वह सब उ ह न पढ़ और उ ह कारगर न होत दखकर आ खर उनक त बयत को भी उलझन होन लगी यह व मानत थ क बशक मझस खता हई ह मगर खता उनक खयाल म ऐसी दल जलानवाल सजाओ क का बल न थी मनान क कला म वह ज र स ह त थ मगर इस मौक पर उनक अ ल न कछ काम न दया उ ह ऐसा कोई जाद नजर नह आता था जो उठती हई काल घटाओ और जोर पकड़त हए झ क को रोक द कछ दर तक वह उ ह याल म खामोश खड़ रह और फर बोल-आ खर ग रजन अब तम या चाहती हो

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 34: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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ग रजा न अ य त सहानभ त श य बपरवाह स मह फरकर कहा -कछ नह

दयाशकर-नह कछ तो ज र चाहती हो वना चार दन तक बना दाना-पानी क रहन का या मतलब या मझ पर जान दन क ठानी ह अगर यह फसला ह तो बहतर ह तम य जान दो और म क ल क जम म फॉसी पाऊ क सा तमाम हो जाय अ छा होगा बहत अ छा होगा द नया क परशा नय स छटकारा हो जाएगा यह म तर बलकल बअसर न रहा ग रजा आख म आस भरकर बोल -तम खामखाह मझस झगड़ना चाहत हो और मझ झगड़ स नफरत ह म तमस न बोलती ह और न चाहती ह क तम म झस बोलन क तकल फ गवारा करो या आज शहर म कह नाच नह होता कह हाक मच नह ह कह शतरज नह बछ हई ह वह त हार त बयत जमती ह आप वह जाइए मझ अपन हाल पर रहन द िजए म बहत अ छ तरह ह

दयाशकर क ण वर म बोल- या तमन मझ ऐसा बवफा समझ लया ह

ग रजा-जी हॉ मरा तो यह तजबा ह

दयाशकर-तो तम स त गलती पर हो अगर त हारा यह याल ह तो म कह सकता ह क औरत क अ त ि ट क बार म िजतनी बात सनी ह वह सब गलत ह गरजन मर भी दल ह

ग रजा न बात काटकर कहा-सच आपक भी दल ह यह आज नयी बात मालम ह

दयाशकर कछ झपकर बोल -खर जसा तम समझ मर दल न सह मर िजगर न सह दमाग तो साफ जा हर ह क ई वर न मझ नह दया वना वकालत म फल य होता गोया मर शर र म सफ पट ह म सफ खाना जानता ह और सचमच ह भी ऐसा ह तमन मझ कभी फाका करत नह दखा तमन कई बार दन- दन भर कछ नह खाया ह म पट भरन स कभी बाज नह आया ल कन कई बार ऐसा भी हआ ह क दल और िजगर िजस को शश म असफल रह वह इसी पट न पर कर दखाई या य कह क कई बार इसी पट न दल और दमाग और िजगर का काम कर दखाया ह और मझ अपन इस अजी ब पट पर कछ गव होन लगा था मगर अब मालम हआ क मर पट क अजीब पट पर कछ गव होन लगा था मगर

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 35: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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अब मालम हआ क मर पट क बहयाइयॉ लोग को बर मालम होती हइस व त मरा खाना न बन म कछ न खाऊगा

ग रजा न प त क तरफ दखा चहर पर हलक -सी म कराहट थी वह यह कर रह थी क यह आ खर बात त ह यादा स हलकर कहनी चा हए थी ग रजा और औरत क तरह यह भल जाती थी क मद क आ मा को भी क ट हो सकता ह उसक खयाल म क ट का मतलब शार रक क ट था उसन दयाशकर क साथ और चाह जो रयायत क हो खलान- पलान म उसन कभी भी रयायत नह क और जब तक खान क द नक मा ा उनक पट म पहचती जाय उस उनक तरफ स यादा अ दशा नह होता था हजम करना दयाशकर का काम था सच प छय तो ग रजा ह क सि यत न उ ह हाक का शौक दलाया वना अपन और सकड़ भाइय क तरह उ ह द तर स आकर ह क और शतरज स यादा मनोरजन होता था ग रजा न यह धमक सनी तो यो रया चढ़ाकर बोल -अ छ बात ह न बनगा दयाशकर दल म कछ झप -स गय उ ह इस बरहम जवाब क उ मीद न थी अपन कमर म जाकर अखबार पढ़न लग इधर ग रजा हमशा क तरह खाना पकान म लग गई दयाशकर का दल इतना टट गया था क उ ह खयाल भी न था क ग रजा खाना पका रह होगी इस लए जब नौ बज क कर ब उसन आकर कहा क चलो खाना खा लो तो वह ता जब स च क पड़ मगर यह यक न आ गया क मन बाजी मार ल जी हरा हआ फर भी ऊपर स खाई स कहा-मन तो तमस कह दया था क आज कछ न खाऊगा

ग रजा-चलो थोड़ा-सा खा लो दयाशकर-मझ जरा भी भख नह ह

ग रजा- य आज भख नह लगी

दयाशकर-त ह तीन दन स भख य नह लगी

ग रजा-मझ तो इस वजह स नह लगी क तमन मर दल को चोट पहचाई थी

दयाशकर-मझ भी इस वजह स नह लगी क तमन मझ तकल फ द ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 36: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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दयाशकर न खाई क साथ यह बात कह और अब ग रजा उ ह मनान लगी फौरन पॉसा पलट गया अभी एक ह ण पहल वह उसक खशामद कर रह थ मज रम क तरह उसक साम न हाथ बॉध खड़ गड़ गड़ा रह थ म नत करत थ और अब बाजी पलट हई थी मज रम इ साफ क मसनद पर बठा हआ था मह बत क राह मकड़ी क जाल स भी पचीदा ह

दयाशकर न दन म त ा क थी क म भी इस इतना ह हरान क गा िजतना इसन मझ कया ह और थोड़ी दर तक वह यो गय क तरह ि थरता क साथ बठ रह ग रजा न उ ह गदगदाया तलव खजलाय उनक बालो म कघी क कतनी ह लभान वाल अदाए खच क मगर असर न हआ तब उसन अपनी दोन बॉह उनक गदन म ड़ाल द और याचना और म स भर हई आख उठाकर बोल -चलो मर कसम खा लो

फस क बॉध बह गई दयाशकर न ग रजा को गल स लगा लया उसक भोलपन और भाव क सरलता न उनक दल पर एक अजीब ददनाक असर पदा कया उनक आख भी गील हो गयी आह म कसा जा लम ह मर बवफाइय न इस कतना लाया ह तीन दन तक उसक आस नह थम आख नह झपक तीन दन तक इसन दान क सरत नह दखी मगर मर एक जरा-स इनकार न झठ नकल इनकार न चम कार कर दखाया कसा कोमल दय ह गलाब क पखड़ी क तरह जो मरझा जाती ह मगर मल नह होती कहॉ मरा ओछापन खदगज और कहॉ यह बखद यह यागा यह साहस दयाशकर क सीन स लपट हई ग रजा उस व त अपन बल आकषण स अनक दल को खीच लती थी उसन जीती हई बाजी हारकर आज अपन प त क दल पर क जा पा लया इतनी जबद त जीत उस कभी न हई थी आज दयाशकर को मह बत और भोलपन क इस मरत पर िजतना गव था उसका अनमान लगाना क ठन ह जरा दर म वह उठ खड़ हए और बोल -एक शत पर चलगा

ग रजा- या

दयाशकर-अब कभी मत ठना ग रजा-यह तो टढ़ शत ह मगरमजर ह

दो-तीन कदम चलन क बाद ग रजा न उनका हाथ पकड़ लया और बोल -त ह भी मर एक शत माननी पड़गी

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 37: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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दयाशकर-म समझ गया तमस सच कहता ह अब ऐसा न होगा दयाशकर न आज ग रजा को भी अपन साथ खलाया वह बहत लजायी बहत ह ल कय कोई सनगा तो या कहगा यह त ह या हो गया ह मगर दयाशकर न एक न मानी और कई कौर ग रजा को अपन हाथ स खलाय और हर बार अपनी मह बत का बदद क साथ मआवजा लया खात-खात उ ह न हसकर ग रजा स कहा -मझ न मालम था क त ह मनाना इतना आसान ह ग रजा न नीची नगाह स दखा और म करायी मगर मह स कछ न बोल

--उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 38: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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अधर

गपचमी आई साठ क िज दा दल नौजवान न रग- बरग जॉ घय बनवाय अखाड़ म ढोल क मदाना सदाय गजन लगी आसपास क

पहलवान इक हए और अखाड़ पर त बो लय न अपनी दकान सजायी य क आज क ती और दो ता ना मकाबल का दन ह औरत न गोबर स

अपन आगन ल प और गाती-बजाती कटोर म दध-चावल लए नाग पजन चल साठ और पाठ दो लग हए मौज थ दोन गगा क कनार खती म यादा मश कत नह करनी पड़ती थी इसी लए आपस म फौजदा रयॉ खब

होती थी आ दकाल स उनक बीच होड़ चल आती थी साठवाल को यह घम ड था क उ ह न पाठवाल को कभी सर न उठान दया उसी तरह पाठवाल अपन त वि वय को नीचा दखलाना ह िज दगी का सबस बड़ा काम समझत थ उनका इ तहास वजय क कहा नय स भरा हआ था पाठ क चरवाह यह गीत गात हए चलत थ

साठवाल कायर सगर पाठवाल ह सरदार और साठ क धोबी गात

साठवाल साठ हाथ क िजनक हाथ सदा तरवार उन लोगन क जनम नसाय िजन पाठ मान ल न अवतार

गरज आपसी होड़ का यह जोश ब च म मॉ दध क साथ दा खल होता था और उसक दशन का सबस अ छा और ऐ तहा सक मौका यह नागपचमी का दन था इस दन क लए साल भर तया रयॉ होती रहती थी आज उनम माक क क ती होन वाल थी साठ को गोपाल पर नाज था पाठ को बलदव का गरा दोन सरमा अपन -अपन फर क क दआए और आरजए लए हए अखा ड़ म उतर तमाशाइय पर च बक का -सा असर हआ मौज क चौक दार न ल और ड ड का यह जमघट दखा और मद क अगार क तरह लाल आख तो पछल अनभव क आधार पर बपता हो गय इधर अखाड़ म दॉव-पच होत रह बलदव उलझता था गोपाल पतर बदलता था

ना

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 39: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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उस अपनी ताकत का जोम था इस अपन करतब का भरोसा कछ दर तक अखाड़ स ताल ठ कन क आवाज आती रह तब यकायक बहत -स आदमी खशी क नार मार -मार उछलन लग कपड़ और बतन और पस और बताश लटाय जान लग कसी न अपना पराना साफा फका कसी न अपनी बोसीदा टोपी हवा म उड़ा द साठ क मनचल जवान अखाड़ म पल पड़ और गोपाल को गोद म उठा लाय बलदव और उसक सा थय न गोपाल को लह क आख स दखा और दॉत पीसकर रह गय

स बज रात का व त और सावन का मह ना आसमान पर काल घटाए छाई थी अधर का यह हाल था क जस रोशनी का अि त व ह

नह रहा कभी-कभी बजल चमकती थी मगर अधर को और यादा अधरा करन क लए मढक क आवाज िज दगी का पता दती थी वना और चार तरफ मौत थी खामोश डरावन और ग भीर साठ क झ पड़ और मकान इस अधर म बहत गौर स दखन पर काल -काल भड़ क तरह नजर आत थ न ब च रोत थ न औरत गाती थी पा व ा मा ब ढ राम नाम न जपत थ

मगर आबाद स बहत दर कई परशोर नाल और ढाक क जगल स गजरकर वार और बाजर क खत थ और उनक मड़ पर साठ क कसान जगह-जगह मड़या ड़ाल खत क रखवाल कर रह थ तल जमीन ऊपर अधरा मील तक स नाटा छाया हआ कह जगल सअर क गोल कह नीलगाय क रवड़ चलम क सवा कोई साथी नह आग क सवा कोई मददगार नह जरा खटका हआ और च क पड़ अधरा भय का दसरा नाम ह जब म ी का एक ढर एक ठठा पड़ और घास का ढर भी जानदार चीज बन जाती ह अधरा उनम जान ड़ाल दता ह ल कन यह मजबत हाथ वाल मजबत िजगरवाल मजबत इराद वाल कसान ह क यह सब सि तयॉ झलत ह ता क अपन यादा भा यशाल भाइय क लए भोग- वलास क सामान तयार कर इ ह रखवाल म आज का ह रो साठ का गौरव गोपाल भी ह जो अपनी मड़या म बठा हआ ह और नीद को भगान क लए धीम सर म यह गीत गा रहा ह

म तो तोस नना लगाय पछतायी र

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 40: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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अचाकन उस कसी क पॉव क आहट मालम हई जस हरन क त क आवाज को कान लगाकर सनता ह उसी तरह गोपल न भी कान लगाकर सना नीद क औघाई दर हो गई ल कध पर र खा और मड़या स बाहर नकल आया चार तरफ का लमा छाई हई थी और हलक -हलक बद पड़ रह थी वह बाहर नकला ह था क उसक सर पर लाठ का भरपर हाथ पड़ा वह योराकर गरा और रात भर वह बसध पड़ा रहा मालम नह उस पर कतनी चोट पड़ी हमला करनवाल न तो अपनी समझ म उसका काम तमाम कर ड़ाला ल कन िज दगी बाक थी यह पाठ क गरतम द लोग थ िज ह न अधर क आड़ म अपनी हार का बदला लया था

पाल जा त का अह र था न पढ़ा न लखा बलकल अ खड़ दमागा रौशन ह नह हआ तो शर र का द पक य घलता पर छ

फट का कद गठा हआ बदन ललकान कर गाता तो सननवाल मील भर पर बठ हए उसक तान का मजा लत गान -बजान का आ शक होल क दन म मह न भर तक गाता सावन म म हार और भजन तो रोज का शगल था नड़र ऐसा क भत और पशाच क अि त व पर उस व वान जस सदह थ ल कन िजस तरह शर और चीत भी लाल लपट स डरत ह उसी तरह लाल पगड़ी स उसक ह असाधारण बात थी ल कन उसका कछ बस न था सपाह क वह डरावनी त वीर जो बचपन म उसक दल पर खीची गई थी प थर क लक र बन गई थी शरारत गयी बचपन गया मठाई क भख गई ल कन सपाह क त वीर अभी तक कायम थी आज उसक दरवाज पर लाल पगड़ीवाल क एक फौज जमा थी ल कन गोपाल ज म स चर दद स बचन होन पर भी अपन मकान क अधर कोन म छपा हआ बठा था न बरदार और म खया पटवार और चौक दार रोब खाय हए ढग स खड़ दारोगा क खशामद कर रह थ कह अह र क फ रयाद सनाई दती थी कह मोद रोना-धोना कह तल क चीख-पकार कह कमाई क आख स लह जार कलवार खड़ा अपनी क मत को रो रहा था फोहश और ग द बात क गमबाजार थी दारोगा जी नहायत कारगजार अफसर थ गा लय म बात करत थ सबह को चारपाई स उठत ह गा लय का वजीफा पढ़त थ महतर न आकर फ रयाद क -हजर अ ड नह ह दारोगाजी ह टर

गो

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 41: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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लकर दौड़ औ उस गर ब का भरक स नकाल दया सार गॉव म हलचल पड़ी हई थी का सटबल और चौक दार रा त पर य अकड़त चलत थ गोया अपनी ससराल म आय ह जब गॉव क सार आदमी आ गय तो वारदात हई और इस क ब त गोलाल न रपट तक न क म खया साहब बत क तरह कॉपत हए बोल -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी न गाजबनाक नगाह स उसक तरफ दखकर कहा-यह इसक शरारत ह द नया जानती ह क जम को छपाना जम करन क बराबर ह म इस बदकाश को इसका मजा चखा दगा वह अपनी ताकत क जोम म भला हआ ह और कोई बात नह लात क भत बात स नह मानत म खया साहब न सर झकाकर कहा -हजर अब माफ द जाय दारोगाजी क यो रयॉ चढ़ गयी और झझलाकर बोल -अर हजर क ब च कछ स ठया तो नह गया ह अगर इसी तरह माफ दनी होती तो मझ या क त न काटा था क यहॉ तक दौड़ा आता न कोई मामला न ममाल क बात बस माफ क रट लगा र खी ह मझ यादा फरसत नह ह नमाज पढ़ता ह तब तक तम अपना सलाह मश वरा कर लो और मझ हसी -खशी खसत करो वना गौसखॉ को जानत हो उसका मारा पानी भी नह मॉगता दारोगा तकव व तहारत क बड़ पाब द थ पॉच व त क नमाज पढ़त और तीस रोज रखत ईद म धमधाम स कबा नयॉ होती इसस अ छा आचरण कसी आदमी म और या हो सकता ह

खया साहब दब पॉव गपचप ढग स गौरा क पास और बोल -यह दारोगा बड़ा का फर ह पचास स नीच तो बात ह नह करता अ बल दज का

थानदार ह मन बहत कहा हजर गर ब आदमी ह घर म कछ सभीता नह मगर वह एक नह सनता

गौरा न घघट म मह छपाकर कहा -दादा उनक जान बच जाए कोई तरह क आच न आन पाए पय-पस क कौन बात ह इसी दन क लए तो कमाया जाता ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 42: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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गोपाल खाट पर पड़ा सब बात सन रहा था अब उसस न रहा गया लकड़ी गॉठ ह पर टटती ह जो गनाह कया नह गया वह दबता ह मगर कचला नह जा सकता वह जोश स उठ बठा और बोला -पचास पय क कौन कह म पचास कौ ड़यॉ भी न दगा कोई गदर ह मन कसर या कया ह

म खया का चहरा फक हो गया बड़ पन क वर म बोल-धीर बोलो कह सन ल तो गजब हो जाए

ल कन गोपाल बफरा हआ था अकड़कर बोला-म एक कौड़ी भी न दगा दख कौन मर फॉसी लगा दता ह

गौरा न बहलान क वर म कहा-अ छा जब म तमस पय मागतो मत दना यह कहकर गौरा न जो इस व त लौड़ी क बजाय रानी बनी हई थी छ पर क एक कोन म स पय क एक पोटल नकाल और म खया क हाथ म रख द गोपाल दॉत पीसकर उठा ल कन म खया साहब फौरन स पहल सरक गय दारोगा जी न गोपाल क बात सन ल थी और दआ कर रह थ क ऐ खदा इस मरदद क दल को पलट इतन म म खया न बाहर आकर पचीस पय क पोटल दखाई पचीस रा त ह म गायब हो गय थ दारोगा जी न खदा का श कया दआ सनी गयी पया जब म र खा और रसद पहचान वाल क भीड़ को रोत और बल बलात छोड़कर हवा हो गय मोद का गला घट गया कसाई क गल पर छर फर गयी तल पस गया म खया साहब न गोपाल क गदन पर एहसान र खा गोया रसद क दाम गरह स दए गॉव म सख हो गया त ठा बढ़ गई इधर गोपाल न गौरा क खब खबर ल गाव म रात भर यह चचा रह गोपाल बहत बचा और इसका सहरा म खया क सर था बड़ी वपि त आई थी वह टल गयी पतर न द वान हरदौल न नीम तलवाल दवी न तालाब क कनार वाल सती न गोपाल क र ा क यह उ ह का ताप था दवी क पजा होनी ज र थी स यनारायण क कथा भी लािजमी हो गयी

र सबह हई ल कन गोपाल क दरवाज पर आज लाल पग ड़य क बजाय लाल सा ड़य का जमघट था गौरा आज दवी क पजा करन फ

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 43: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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जाती थी और गॉव क औरत उसका साथ दन आई थी उसका घर स धी-स धी म ी क खशब स महक रहा था जो खस और गलाब स कम मोहक न थी औरत सहान गी त गा रह थी ब च खश हो -होकर दौड़त थ दवी क चबतर पर उसन मटट का हाथी चढ़ाया सती क मॉग म सदर डाला द वान साहब को बताश और हलआ खलाया हनमान जी को ल ड स यादा म ह उ ह ल ड चढ़ाय तब गाती बजाती घर को आयी और

स यनारायण क कथा क तया रयॉ होन लगी मा लन फल क हार कल क शाख और ब दनवार लायी क हार नय -नय दय और हॉ डया द गया बार हर ढाक क प तल और दोन रख गया कहार न आकर मटक म पानी भरा बढ़ई न आकर गोपाल और गौरा क लए दो नयी-नयी पी ढ़यॉ बनायी नाइन न ऑगन ल पा और चौक बनायी दरवाज पर ब दनवार बध गयी ऑगन म कल क शाख गड़ गयी पि डत जी क लए सहासन सज गया आपस क काम क यव था खद-ब-खद अपन नि चत दायर पर चलन लगी यह यव था स क त ह िजसन दहात क िज दगी को आड बर क ओर स उदासीन बना र खा ह ल कन अफसोस ह क अब ऊच-नीच क बमतलब और बहदा कद न इन आपसी कत य को सौहा सहयोग क पद स हटा कर उन पर अपमान और नीचता का दागालगा दया ह शाम हई पि डत मोटरामजी न क ध पर झोल डाल हाथ म शख लया और खड़ाऊ पर खटपट करत गोपाल क घर आ पहच ऑगन म टाट बछा हआ था गॉव क ति ठत लोग कथा सनन क लए आ बठ घ ट बजी शख फका गया और कथा श ह गोपाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म फका गया और कथा श हई गोजाल भी गाढ़ क चादर ओढ़ एक कोन म द वार क सहार बठा हआ था म खया न बरदार और पटवार न मार हमदद क उसस कहाmdashस यनारायण क म हमा थी क तम पर कोई ऑच न आई गोपाल न अगड़ाई लकर कहाmdashस यनारायण क म हमा नह यह अधर ह --जमाना जलाई १९१३

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

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हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

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जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 44: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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सफ एक आवाज

बह का व त था ठाकर दशन सह क घर म एक हगामा बरपा था आज रात को च हण होन वाला था ठाकर साहब अपनी बढ़

ठकराइन क साथ गगाजी जात थ इस लए सारा घर उनक परशोर तयार म लगा हआ था एक बह उनका फटा हआ कता टॉक रह थी दसर बह उनक पगड़ी लए सोचती थी क कस इसक मर मत क दोनो लड़ कयॉ ना ता तयार करन म त ल न थी जो यादा दलच प काम था और ब च न अपनी आदत क अनसार एक कहराम मचा र खा था य क हर एक आन-जान क मौक पर उनका रोन का जोश उमग पर होत था जान क व त साथा जान क लए रोत आन क व त इस लए रोत कशर नी का बॉट-बखरा मनोनकल नह हआ बढ़ ठकराइन ब च को फसलाती थी और बीच-बीच म अपनी बहओ को समझाती थी -दख खबरदार जब तक उ ह न हो जाय घर स बाहर न नकलना ह सया छर क हाड़ी इ ह हाथ स मत छना समझाय दती ह मानना चाह न मानना त ह मर बात क परवाह ह मह म पानी क बद न पड़ नारायण क घर वपत पड़ी ह जो साधmdash भखार दरवाज पर आ जाय उस फरना मत बहओ न सना और नह सना व मना रह थी क कसी तरह यह यहॉ स टल फागन का मह ना ह गान को तरस गय आज खब गाना -बजाना होगा ठाकर साहब थ तो बढ़ ल कन बढ़ाप का असर दल तक नह पहचा

था उ ह इस बात का गव था क कोई हण गगा- नान क बगर नह छटा उनका ान आ चय जनक था सफ प को दखकर म ह न पहल सय - हण और दसर पव क दन बता दत थ इस लए गाववाल क नगाह म उनक इ जत अगर पि डत स यादा न थी तो कम भी न थी जवानी म कछ दन फौज म नौकर भी क थी उसक गम अब तक बाक थी मजाल न थी क कोई उनक तरफ सीधी आख स दख सक स मन लानवाल एक चपरासी को ऐसी यावहा रक चतावनी द थी िजसका उदाहरण आस-पास क दस-पॉच गॉव म भी नह मल सकता ह मत और हौसल क काम म अब भी आग-आग रहत थ कसी काम को मि कल बता दना उनक ह मत को रत कर दना था जहॉ सबक जबान ब द हो जाए

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 45: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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वहॉ व शर क तरह गरजत थ जब कभी गॉव म दरोगा जी तशर फ लात तो ठाकर साहब ह का दल -गदा था क उनस आख मलाकर आमन -सामन बात कर सक ान क बात को लकर छड़नवाल बहस क मदान म भी उनक कारनाम कछ कम शानदार न थ झगड़ा पि डत हमशा उनस मह छपाया करत गरज ठाकर साहब का वभावगत गव और आ म - व वास उ ह हर बरात म द हा बनन पर मजबर कर दता था हॉ कमजोर इतनी थी क अपना आ हा भी आप ह गा लत और मज ल-लकर य क रचना को रचनाकार ह खब बयान करता ह

ब दोपहर होत-होत ठाकराइन गॉव स चल तो सकड़ आदमी उनक साथ थ और प क सड़क पर पहच तो या य का ऐसा तॉता लगा

हआ था क जस कोई बाजार ह ऐस -ऐस बढ़ ला ठयॉ टकत या डो लय पर सवार चल जात थ िज ह तकल फ दन क यमराज न भी कोई ज रत न समझी थी अ ध दसर क लकड़ी क सहार कदम बढ़ाय आत थ कछ आद मय न अपनी बढ़ माताओ को पीठ पर लाद लया था कसी क सर पर कपड़ क पोटल कसी क क ध पर लोटा-डोर कसी क क ध पर कावर कतन ह आद मय न पर पर चीथड़ लपट लय थ जत कहॉ स लाय मगर धा मक उ साह का यह वरदान था क मन कसी का मला न था सबक चहर खल हए हसत -हसत बात करत चल जा रह थ कछ औरत गा रह थी

चॉद सरज दनो लोक क मा लक

एक दना उनह पर बनती हम जानी हमह पर बनती

ऐसा मालम होता था यह आद मय क एक नद थी जो सकड़

छोट-छोट नाल और धार को लती हई सम स मलन क लए जा रह थी

जब यह लोग गगा क कनार पहच तो तीसर पहर का व त था ल कन मील तक कह तल रखन क जगह न थी इस शानदार य स दल पर ऐसा रोब और भि त का ऐसा भाव छा जाता था क बरबस lsquoगगा

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

मर यार दो तो यह हमारा और आपका कत य ह इसस यादा व Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (httpwwwnovapdfcom)

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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माता क जयrsquo क सदाय बल द हो जाती थी लोग क व वास उसी नद क तरह उमड़ हए थ और वह नद वह लहराता हआ नीला मदान वह यास क यास बझानवाल वह नराश क आशा वह वरदान क दवी वह प व ता का ोत वह म ी भर खाक को आ य दनवील गगा हसती -म कराती थी और उछलती थी या इस लए क आज वह अपनी चौतरफा इ जत पर फल न समाती थी या इस लए क वह उछल -उछलकर अपन मय क गल मलना चाहती थी जो उसक दशन क लए मिजल तय

करक आय थ और उसक प रधान क शसा कस जबान स हो िजस सरज स चमकत हए तार टॉक थ और िजसक कनार को उसक करण न रग- बरग स दर और ग तशील फल स सजाया था

अभी हण लगन म ध ट क दर थी लोग इधर-उधर टहल रह थ कह मदा रय क खल थ कह चरनवाल क ल छदार बात क चम कार कछ लोग मढ़ क क ती दखन क लए जमा थ ठाकर साहब भी अपन कछ भ त क साथ सर को नकल उनक ह मत न गवारा न कया क इन बाजा दलचि पय म शर क ह यकायक उ ह एक बड़ा-सा शा मयाना तना हआ नजर आया जहॉ यादातर पढ़- लख लोग क भीड़ थी ठाकर साहब न अपन सा थय को एक कनार खड़ा कर दया और खद गव स ताकत हए फश पर जा बठ य क उ ह व वास था क यहॉ उन पर दहा तय क ई या-- ि ट पड़गी और स भव ह कछ ऐसी बार क बात भी मालम हो जाय तो उनक भ त को उनक सव ता का व वास दलान म काम द सक

यह एक न तक अन ठान था दो -ढाई हजार आदमी बठ हए एक मधरभाषी व ता का भाषणसन रह थ फशनबल लोग यादातर अगल पि त म बठ हए थ िज ह कनब तय का इसस अ छा मौका नह मल सकता था कतन ह अ छ कपड़ पहन हए लोग इस लए दखी नजर आत थ क उनक बगल म न न णी क लोग बठ हए थ भाषण दलच त मालम पड़ता था वजन यादा था और चटखार कम इस लए ता लयॉ नह बजती थी

ता न अपन भाषण म कहाmdash

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

ठा

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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मह वपण यादा प रणामदायक और कौम क लए यादा शभ और कोई कत य नह ह हम मानत ह क उनक आचार- यवहार क दशा अ यत क ण ह मगर व वास मा नय यह सब हमार करनी ह उनक इस ल जाजनक सा क तक ि थ त का िज मदार हमार सवा और कौन हो सकता ह अब इसक सवा और कोई इलाज नह ह क हम उस घणा और उप ा को जो उनक तरफ स हमार दल म बठ हई ह घोय और खब मलकर धोय यह आसान काम नह ह जो का लख कई हजार वष स जमी हई ह वह आसानी स नह मट सकती िजन लोग क छाया स हम बचत आय ह िज ह हमन जानवर स भी जल ल समझ र खा ह उनस गल मलन म हमको याग और साहस और परमाथ स काम लना पड़गा उस याग स जो क ण म था उस ह मत स जो राम म थी उस परमाथ स जो चत य और गो व द म था म यह नह कहता क आप आज ह उनस शाद क र त जोड या उनक साथ बठकर खाय- पय मगर या यह भी मम कन नह ह क आप उनक साथ सामा य सहानभ त सामा य मन यता सामा य सदाचार स पश आय या यह सचमच अस भव बात ह आपन कभी ईसाई मशन रय को दखा ह आह जब म एक उ चको ट का स दर सकमार गौरवण लडी को अपनी गोद म एक कालाndashकलटा ब च लय हए दखता ह िजसक बदन पर फोड़ ह खन ह और ग दगी ह mdashवह स दर उस ब च को चमती ह यार करती ह छाती स लगाती हmdashतो मरा जी चाहता ह उस दवी क कदम पर सर रख द अपनी नीचता अपना कमीनापन अपनी झठ बड़ाई अपन दय क सक णता मझ कभी इतनी सफाई स नजर नह आती इन द वय क लए िज दगी म या- या सपदाए नह थी ख शयॉ बॉह पसार हए उनक इ तजार म खड़ी थी उनक लए दौलत क सब सख -स वधाए थी म क आकषण थ अपन आ मीय और वजन क सहानभ तयॉ थी और अपनी यार मातभ म का आकषण था ल कन इन द वय न उन तमाम नमत उन सब सासा रक सपदाओ को सवा स ची न वाथ सवा पर ब लदान कर दया ह व ऐसी बड़ी कबा नयॉ कर सकती ह तो हम या इतना भी नह कर सकत क अपन अछत भाइय स हमदद का सलक कर सक या हम सचमच ऐस प त - ह मत ऐस बोद ऐस बरहम ह इस खब समझ ल िजए क आप उनक साथ कोई रयायत कोई महरबानी नह कर रह ह यह उन पर कोई एहसान नह ह

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

हो या न ह ल कन सा क तक मामल म व कभी अगवाई करन क दोषी नह हए थ इस पचीदा औ र डरावन रा त म उ ह अपनी ब और ववक पर भरोसा नह होता था यहॉ तक और यि त को भी उनस हार माननी पड़ती थी इस मदान म वह अपन घर क ि य क इ छा पर करन ह अपना क त य समझत थ और चाह उ ह खद कसी मामल म कछ एतराज भी हो ल कन यह औरत का मामला था और इसम व ह त प नह कर सकत थ य क इसस प रवार क यव था म हलचल और गड़बड़ी पदा हो जान क जबरद त आशका रहती थी अगर कसी व त उनक कछ जोशील नौजवान दो त इस कमजोर पर उ ह आड़ हाथ लत तो व बड़ी ब म ता स कहा करत थmdashभाई यह औरत क मामल ह उनका जसा दल चाहता ह करती ह म बोलनवाला कौन ह गरज यहॉ उनक फौजी गम - मजाजी उनका साथ छोड़ दती थी यह उनक लए त ल म क घाट थी जहॉ होश-हवास बगड़ जात थ और अ ध अनकरण का पर बधी हई गदन पर स वार हो जाता था ल कन यह ललकार सनकर व अपन को काब म न रख सक यह वह मौका था जब उनक ह मत आसमान पर जा पहचती थी िजस बीड़ को कोई न उठाय उस उठाना उनका काम था वजनाओ स उनको आि मक म था ऐस मौक पर व नतीज और मसलहत स बगावत कर जात थ और

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

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तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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यह आप ह क लए िज दगी और मौत का सवाल ह इस लए मर भाइय और दो तो आइय इस मौक पर शाम क व त प व गगा नद क कनार काशी क प व थान म हम मजबत दल स त ा कर क आज स हम अछत क साथ भाई -चार का सलक करग उनक तीज- योहार म शर क ह ग और अपन योहार म उ ह बलायग उनक गल मलग और उ ह अपन गल लगायग उनक ख शय म खश और उनक दद म ददम द ह ग और चाह कछ ह य न हो जाय चाह ताना- त न और िज लत का सामना ह य न करना पड़ हम इस त ा पर कायम रहग आप म सकड़ जोशील नौजवान ह जो बात क धनी और इराद क मजबत ह कौन यह त ा करता ह कौन अपन न तक साहस का प रचय दता ह वह अपनी जगह पर खड़ा हो जाय और ललकारकर कह क म यह त ा करता ह और मरत दम तक इस पर ढ़ता स कायम रहगा

रज गगा क गोद म जा बठा था और मॉ म और गव स मतवाल जोश म उमड़ी हई रग कसर को शमाती और चमक म सोन क लजाती

थी चार तरफ एक रोबील खामोशी छायी थी उस स नाट म स यासी क गम और जोश स भर हई बात गगा क लहर और गगनच बी म दर म समा गयी गगा एक ग भीर मॉ क नराशा क साथ हसी और दवताओ न अफसोस स सर झका लया मगर मह स कछ न बोल

स यासी क जोशील पकार फजा म जाकर गायब हो गई मगर उस मजम म कसी आदमी क दल तक न पहची वहॉ कौम पर जान दन वाल क कमी न थी टज पर कौमी तमाश खलनवाल कालज क होनहार नौजवान कौम क नाम पर मटनवाल प कार कौमी स थाओ क म बर स टर और सडट राम और क ण क सामन सर झकानवाल सठ और साहकार कौमी का लज क ऊच ह सल वाल ोफसर और अखबार म कौमी तरि कय क खबर पढ़कर खश होन वाल द तर क कमचार हजार क तादाद म मौजद थ आख पर सनहर ऐनक लगाय मोट-मोट वक ल क एक पर फौज जमा थी मगर स यासी क उस गम भाषण स एक दल भी न पघला य क वह प थर क दल थ िजसम दद और घलावट न थी

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

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य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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िजसम स द छा थी मगर काय-शि त न थी िजसम ब च क सी इ छा थी मद काndashसा इरादा न था सार मज लस पर स नाटा छाया हआ था हर आदमी सर झकाय फ म डबा हआ नजर आता था श मदगी कसी को सर उठान न दती थी और आख झप म मार जमीन म गड़ी हई थी यह वह सर ह जो कौमी चच पर उछल पड़त थ यह वह आख ह जो कसी व त रा य गौरव क लाल स भर जाती थी मगर कथनी और करनी म आ द और अ त का अ तर ह एक यि त को भी खड़ होन का साहस न हआ कची क तरह चलनवाल जबान भी ऐस महान उ त रदा य व क भय स ब द हो गयी

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कर दशन सह अपनी जगी पर बठ हए इस य को बहत गौर और दलच पी स दख रह थ वह अपन मा मक व वासो म चाह क र

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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Page 50: $ेमचंद - jdgsmahilacollege.files.wordpress.com · बला का जह #न और तमीजदार। मगर औरत सब कछ कर सकती ह

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उनक इस हौसल म यश क लोभ को उतना दखल नह था िजतना उनक नस गक वाभाव का वना यह अस भव था क एक ऐस जलस म जहॉ ान और स यता क धम -धाम थी जहॉ सोन क ऐनक स रोशनी और

तरह-तरह क प रधान स द त च तन क करण नकल रह थी जहॉ कपड़-ल त क नफासत स रोब और मोटाप स त ठा क झलक आती थी वहॉ एक दहाती कसान को जबान खोलन का हौसला होता ठाकर न इस

य को गौर और दलच पी स दखा उसक पहल म गदगद -सी हई िज दा दल का जोश रग म दौड़ा वह अपनी जगह स उठा और मदाना लहज म ललकारकर बोला-म यह त ा करता ह और मरत दम तक उस पर कायम रहगा

तना सनना था क दो हजार आख अच भ स उसक तरफ ताकन लगी सभानअ लाह या ह लया थी mdashगाढ क ढ ल मजई घटन तक चढ़

हई धोती सर पर एक भार -सा उलझा हआ साफा क ध पर चनौट और त बाक का वजनी बटआ मगर चहर स ग भीरता और ढ़ता प ट थी गव आख क तग घर स बाहर नकला पड़ता था उसक दल म अब इस शानदार मजम क इ जत बाक न रह थी वह परान व त का आदमी था जो अगर प थर को पजता था तो उसी प थर स डरता भी था िजसक लए एकादशी का त कवल वा य-र ा क एक यि त और गगा कवल वा य द पानी क एक धारा न थी उसक व वास म जाग त न हो

ल कन द वधा नह थी यानी क उसक कथनी और करनी म अ तर न था और न उसक ब नयाद कछ अनकरण और दखादखी पर थी मगर अ धकाशत भय पर जो ान क आलोक क बाद व तय क स कार क सबस बड़ी शि त ह ग ए बान का आदर और भि त करना इसक धम और व वास का एक अग था स यास म उसक आ मा को अपना अनचर बनान क एक सजीव शि त छपी हई थी और उस ताकत न अपना असर दखाया ल कन मजम क इस हरत न बहत ज द मजाक क सरत अि तयार क मतलबभर नगाह आपस म कहन लगीmdashआ खर गवार ह तो ठहरा दहाती ह ऐस भाषण कभी काह को सन ह ग बस उबल पड़ा उथल ग ढ म इतना पानी भी न समा सका कौन नह जानता क ऐस

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

झकाय इस सार मजम म सफ एक आदमी ह िजसक पहल म मद का दल ह और गो उस बहत सजग होन का दावा नह ल कन म उसक अ ान पर ऐसी हजार जाग तय को कबान कर सकता ह तब वह लटफाम स नीच उतर और दशन सह को गल स लगाकर कहाmdashई वर त ह त ा पर कायम रख

--जमाना अग त- सत बर १९१३

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भाषण का उ य मनोरजन होता ह दस आदमी आय इक बठ कछ सना कछ गप -शप मार और अपन-अपन घर लौट न यह क कौल-करार करन बठ अमल करन क लए कसम खाय

मगर नराश स यासी सो रहा थाmdashअफसोस िजस म क क रोशनी म इतना अधरा ह वहॉ कभी रोशनी का उदय होना मि क ल नजर आता ह इस रोशनी पर इस अधर मदा और बजान रोशनी पर म जहालत को अ ान को यादा ऊची जगह दता ह अ ान म सफाई ह और ह मत ह उसक दल और जबान म पदा नह होता न कथनी और करनी म वरोध या यह अफसोस क बात नह ह क ान और अ ान क आग सर

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--जमाना अग त- सत बर १९१३

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