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असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 1 रचनाकार
पा�
�सकंदर �मज़ा उ� 55 साल
हमीदा बेगम प� नी, उ� 45 साल
तनवीर बेगम (त� नो) छोट लड़क" उ� 11-12 साल
जावेद �सकंदर �मज़ा का जवान लड़का
उ� 24-25 साल
रतन क" मां उ� 65-70 साल
पहलवान मोह$ ले का मिु' लम ल गी नेता
मोहािजर खलनायक, उ� 23-25 साल
अनवर पहलवान का पजंाबी दो' त,
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 2 रचनाकार
उ� 20-22 साल
रज़ा पहलवान का दो' त, उ� 20-22 साल
+हदायत हुसनै �सकंदर �मज़ा का पड़ोसी
परुाना ज़मींदार, मोहािजर, उ� 50 साल
ना�सर काज़मी �सकंदर �मज़ा का पड़ोसी, उ� 35-36 साल
(शायर) मोहािजर
मौलवी इकरामन0ुीन मि' जद का मौलवी, उ� 65-70 साल (पजंाबी)
अल मन0ुीन चायवाला-उ� 40 साल (पजंाबी)
महु2 मद शाह पहलवान का दो' त
(�सकंदर �मज़ा�, जावेद, हमीदा बेगम और त� नो सामान उठाऐ मचं पर आत ेह�। इधर-उधर देखत ेह�। वे
क# टो%डयन (ारा एलाट हवले+ म, आ गए ह�। सबके चेहरे पर सतंोष और .स� नता के /च0न 1दखाई
पड़त ेह�। �सकंदर �मज़ा�, जावेद तथा दोन5 म1हलाएं हाथ5 म, उठाए सामान को रख देती ह�)
हमीदा बेगम : (हवेल+ को देखकर) या खदुा श;ु है तरेा। लाख-लाख श;ु है।
�सकंदर �मज़ा� : क# टो%डयन आफ़>सर ने ग़लत नह+ं कहा था। परू+ हवेल+ है, हलेवी।
त� नो : अB बाजान Cकतने कमरे ह� इसम,?
�सकंदर �मज़ा� : बाईस।
बेगम : सहेन क> हालत देखो... ऐसी वीरानी छाई है Cक 1दल डरता है।
�सकंदर �मज़ा� : जहां मह+न5 से कोई रह न रहा हो, वहां वीरानी न होगी तो F या होगी।
बेगम : म� तो सबसे पहले श;ुाने क> दो वFत नमाज़ पढंूगी... म�ने म� नत मानी थी... उस नासपीटे
कैH स से तो छुIी �मल+...
(हमीदा बेगम दर+ Jबछाती है और नमाज़ पढ़ने खड़ी हो जाती है।)
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 3 रचनाकार
जावेद : अB बाजान ये घर Cकसका है।
�मज़ा� : अब तो हमारा ह+ है बेटा जावेद।
जावेद : मतलब पहले Cकसका था?
�मज़ा� : बेटा इन बात5 से हम, F या मतलब... हम अपनी जो जायदाद लखनऊ म, छोड़ आये ह� उसके
एवज़ समझो ये हवेल+ �मल+ है।
तनवीर : हमारे घर से तो बहुत बड़ी है हवेल+।
�मज़ा� : नह+ं बेटे... हमारे घर क> तो बात ह+ कुछ और थी। सहन म, रात क> रानी क> बेल यहां कहां
है? बरामदे कुशादा नह+ं ह�। अगर बाOरश म, यहां पलगं Jबछा 1दय ेजाएं तो पायतायाने तो भीग ह+
जाएं।
त� नो : लेCकन बना शानदार है।
जावेद : Cकसी 1हदं ूरईस का लगता है।
�सकंदर �मज़ा� : कोई कह रहा था Cक Cकसी मशहूर जौहर+ क> हवेल+ है।
जावेद : कमरे खोलकर देख, अB बा। हो सकता है कुछ सामान वग़रा �मल जाए।
�सकंदर �मज़ा� : ठRक है बेटा तमु देखो... म� तो अब बठैता हंू... ये हवेल+ एलाट होने के बाद ऐसा
लगा जैसे �सर स ेबोझ उतर गया हो।
जावेद : परू+ हवेल+ देख लू ंअB बाजान!
त� नो : भइया म� भी चलू ंतHु हारे साथ।
�सकंदर �मज़ा� : नह+ं तमु ज़रा बावरचीख़ाना देखो... भई अब होटल से गोT त रोट+ कहां तक आएगा...
अगर सब कुछ हो तो माशाअU लाह से हU के-हU के पराठे और अV ड ेका खागीना तो तयैार हो ह+
सकता है... और बेटे जावदे ज़रा Jबजल+ जला कर देखो... पानी का नल भी खोलकर देखो... भई जो-
जो क�मयां ह5गी उ� ह, दज� करके क# टो%डयन वाल5 को बताना पड़गेा...
(हमीदा बेगम नमाज़ पढ़कर आ जाती ह�।)
बेगम : मेरा तो 1दल... डरता है...
�सकंदर �मज़ा� : डरता है?
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 4 रचनाकार
बेगम : पता नह+ं Cकसक> चीज़ है... Cकन अरमान5 स ेबनवायी होगी हवेल+।
�सकंदर �मज़ा� : फुज़ूल बात, न क>िजए बगेम... हमारे प#ु तनैी घर म, आज कोई शरणाथZ दनदनाता
Cफर रहा होगा... ये ज़माना ह+ कुछ ऐसा है... [ यादा शम� हया और Cफ़; हम, कह+ं का न छोड़गेी...
अपना और आपका \ ़याल न भी कर, तो जावेद �मयां और तनवीर बेगम के �लए तो यहां परै जमाने
ह+ पड़,गे... शहरे लखनऊ छूटा तो शहरे लाहौर- दोन5 म, “लाम” तो मTु तOरक है... 1दल से सारे वहम
^नकाल फ, Cकए और इस घर को अपना घर समझकर जा जाइए... Jबि# मU लाह... आज रात म ंइशां
क> नमाज़ के बाद ^तलावत ेकुऱान पाक क_ंगा...
(त� नो दौड़ती हुई आती है। वह डर+ हुई है। सांस फूल रह+ है।)
बेगम : F या हुआ बेट+ F या हुआ।
त� नो : इस हवेल+ म, कोई है अH मां!
�सकंदर �मज़ा� : कोई है? F या मतलब।
त� नो : म� सी1ढ़यां चढ़कर ऊपर गई तो म�ने देखा...
�सकंदर �मज़ा� : F या फूज़ूल बात ेकरती हो।
त� नो : नह+ं अB बा सच।
बेगम : डर गयी है... म� जाकर देखती हंू...
(हमीदा बेगम मचं के दा1हनी तरफ़ जाती ह�। वहां से उसक> आवाज़ आती है।)
बेगम : यहां तो कोई नह+ं है... तमु ऊपर Cकधर गयी थीं।
त� नो : उधर जो सी1ढ़यां ह� उनसे...
(बेगम सी1ढ़य5 क> तरफ़ जाती ह�।
त� नो और �मज़ा� मचं के दा1हनी तरफ़ जात ह�। वहां लोहे क> सलाख5 का फाटक बदं है। तभी हमीदा
बेगम के चीखने क> आवाज़ आती है।)
हमीदा बेगम : अरे ये तो कोई... देखो कोई सी1ढ़यां उतर रहा है।
(�मज़ा� तज़ेी से दा1हनी तरफ़ जात ेह�। तब तक सफ़ेद कपड़ ेपहले ब1ुढ़या उतरकर दरवाज़े के पास
आकर खड़ी हो जाती है।)
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 5 रचनाकार
�सकंदर �मज़ा� : आप कौन ह�?
रतन क> मां : वाह जी वाह ये खूब रह+, म, काण हंू... तसुी द# सो कौण हो जो Jबना पु̀ छे मेरे घर
घसु आए...
�सकंदर �मज़ा� : घसु आए... घसु आना कैसा। मोहतरमा ये घर हम, क# टो%डयन वाल5 ने एलाट Cकया
है।
तरन क> मां : एलाट- एलाट म� नई जाणद+... ये मेरा घर है...
�सकंदर �मज़ा� : ये कैसे हो सकता है।
रतन क> मां : अरे Cकसी से भी पछू ले... ये रतनलाल जौहर+ क> हवेल+ है... म� उस द+ मां वां।
�मज़ा� : रतनलाल जौहर+ कहां है?
रतन क> मां : फ़साद श_ु होण तो पहले Cकसी 1हदं ूaाइवर द+ तलाश bवच घरc ^नकU या सी... साडी
गd डी दा aाइवर मसुलमान सी ना, ओ लाहौर तो बाहर जाण नू ंतयैार ह+ नई सी हो� दा... (eआंसी
आवाज़ म,) तद दा गया रतन अज तक... (रोने लगती है)
�सकंदर �मज़ा� : (घबरा जाता है) देfखए जो कुछ हुआ हम, स\ ़त अफ़सोस है... लेCकन आपको तो
मालमू ह+ होगा Cक अब पाCक# तान बन चुका है... लाहौर पाCक# तान म, आया है... आप लोग5 के �लए
अब यहां कोई जगह नह+ं है... आपको हम कैH प पहंुचा आत ेह�.. कैH प वाले आपकेा 1हदं#ु तान ले
जाएंगे...
रतन क> मां : म� Cकदर+ नई जाणां।
�सकंदर �मज़ा� : ये आप F या कह रह+ ह�... मतलब ये के... ये मकान।
रतन क> मां : ऐ मकान मरेा है।
�सकंदर �मज़ा� : देfखए... हमारे पास काग़ज़ात ह�।
रतन क> मां : साd ड ेकोल वी काग़ज़ात ने।
�सकंदर �मज़ा� : भई आप बात तो समfझए Cक अब यहां पाCक# तान म, कोई 1हदं ूनह+ं रह सकता...
रतन क> मां : म� तो इg थे ह+ रवांगी... जैद त रतन नह+ं आ जांदा...
�सकंदर �मज़ा� : रतन...
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 6 रचनाकार
रतन क> मां : हां, मेरा बेटा तनलाल जौहर+...
�सकंदर �मज़ा� : देfखए हम आपके ज[ बात क> क़i करत ेह� लेCकन हक़>क़त ये है Cक अब आपका
लड़का रतनलाल कभी लौटकर वापस...
रतन क> मां : F य5 त ूF या खुदा है... तो त� न ूसार+ गU लां पिF कयां पता होण?
हमीदा बेगम : बहन... सकैड़5 हज़ार5 लोग मार डले गए... तबाह-बबा�द हो गए...
रतन क> मां : सकैड़ां हज़ारां बच भी तो गए।
�सकंदर �मज़ा� : देfखए मोहरतमा... सौ क> सीधी बात ये Cक आपको मकान ख़ाल+ करने पड़गेा... ये
हम, �मल चुका है... सरकार+ तौर पर।
रतन क> मां : म� इg थ5 नह+ं ^नकलनांगी।
�सकंदर �मज़ा� : (ग#ु से म,) माफ़ क>िजएगा मोहरतमा... आप मेर+ बजुुग़� ह� लेCकन अगर आप िज़द पर
क़ायम रह+ं तो शायद...
रतन क> मां : हां हां... मनू ंमार के रावी bवच रोड़ आओ... तद हवेल+ त ेक़B ज़ा कर लेणां... मेरे
िज� दा रय� दे ऐजा हो नह+ं सकदा।
�मज़ा� : या खदुा ये F या मसुीबत आ गयी।
बेगम : आजकल शराफ़त का ज़माना नह+ं है... आप क# टो%डयन वाल5 को बलुा लाइए तो... अभी...
रतन क> मां : बेटा, तमु जाके िजसनू ंमरजी बलुा ले आ... जान तो k यादा से कुछ ले नई सकेगा...
जान म� g वानू ंदेण नू ंतयैार ह5।
�सकंदर �मज़ा� : या खुदा म� F या क_ं।
बेगम : अजी अभी आइए क# टो%डयन के आCफ़स.. हम, ऐसा मकान एलाट ह+ F य5 कर 1दया जो
खाल+ नह+ं है।
�मज़ा� : (जावेद स)े लाओ बटेा मेर+ शरेवानी लाओ... त� नो एक /गलास पानी bपला दो...
रतन क> मां : टूट+ च पाणी आ रया है... एक हl त ेह+ तो सm लाई ठRक कोई है.. बेट+, पानी टूट+ चो
ल ैल।ै
�मज़ा� : (शरेवानी पहनत ेहुए) देfखए हम आपको समझाए देत ेह�... प�ुलस ने आप पर [ यादती क> तो
हम, भी तकल+फ़ होगी।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 7 रचनाकार
रतन क> मां : बेटा, मेरे उgत◌्ो जो कहेर प ैचुकेया है... उस तो बd डा कहेर होण कोइ प ैनह+ं सकदा...
जवानमुडंा नई Oरया... लF खां दे जवाहरात लटु गए... सगे.सबंधंी मारे गए...
बेगम : तो बआु अब तो होश सभंालो... 1ह� द# तान चला जाओ... अपने लोग5 म, रहना।
रतन क> मां : ईT वर द+ दात मेरा पgुतर ह+ नई Oरया, तो होण म� Cकg थे हाणां है?
(�मज़ा� पानी पीत ेह� और खड़ ेहो जात ेह�।)
�मज़ा� : ठRक है बेगम तो म� चलता हंू।
जावेद : म� भी चलू ंआपके साथ।
�मज़ा� : नह+ं, तमु यह+ं घर पर रहो... हो सकता है इस ब1ुढ़या ने कुछ और लोग5 को भी घर म,
^छपाया हो।
रतन क> मां : रब द+ सc... मनू ंछोड़ के इg थे कोई नह+ं है।
�मज़ा� : नह+ं बेटे... तमु यह+ं eको...
(�मज़ा� चले जात ेह�।)
हमीदा बेगम : खदुा हाCफ़ज़।
(हमीदा बेगम, जावेद और त� नो मचं के दा1हनी तरफ़ से हट जात ेह�।)
�मज़ा� : खदुा हाCफ़ज़।
बेगम : त� नो... तमुने वाबरचीख़ाना देखा?
त� नो : जी अH मी जान।
बेगम : बत�न तो अपने पास ह� ह+... तमु जU द+-जU द+ खाना पका लो... तHु हारे अB बा के लौटने तक
तयैार हो जाए तो अ` छा है।
त� नो : अH मी जान बावरचीख़ाने म,... लक%ड़यां और कोयले नह+ं ह�... खाना काहे पर पकेगा?
हमीदा बेगम : लक%ड़यां और कोयले नह+ं ह�?
त� नो : एक लकड़ी नह+ं ह�।
हमीदा : तो Cफर खाना F या खाक पF केगा?
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 8 रचनाकार
रतन क> मां : बेट+, बरामदे दे खB बे हाथ द+ तरफ वाल+ छोट+ कोठड़ी च लकड़ां पर+ पइयां ने... काड
ले...
(दोन5 मां (हमीदा) बेट+ (त� नो) एक दसूरे को हैरत और ख़ुशी से देखत ेह�।)
---
(क# टो%डयन आफ़>सर का काया�लय। दो-चार मेज़5 पर F लक� बठेै ह�। सामन ेदरवाज़े पर “क# टो%डयन
आफ़>सर” का बोड� लगा है। दरवाज़े पर खान चौक>दारनमुा चपरासी बठैा है। आCफस म, बड़ी भीड़ है।
�सकंदर �मज़ा� Cकसी Fलक� से बात, कर रहे ह�। अचानक F लक� ज़ेारदार ठहाका लगाता है। दसूरे F लक�
चcकर उसक> तरफ़ देखने लगत ेह�।)
F लक� -1 : हा-हा-हा... ये भी खूब रह+... (दसूरे F लकp स)े अरे यारो काम तो होता ह+ रहेगा होता ह+
आया है, ज़रा तफ़र+ह भी कर लो... ये भाई जान एक बड़ी मसुीबत म, पड़ गए ह�। इनक> मदद करो।
F लक� -2 : इाइस कमर5 क> हलेवी एलाट कराने के बाद भी मिुT कल म, फंस गए ह�।
F लक� -3 : अरे ये तो बाईस कमर5 क> हवेल+ का कबाड़ ह+ नीलाम कर द, तो परेशा^नयां भाग खड़ी ह5।
(F लक� हंसत ेह�।)
F लक� -1 : �मयां, इनक> जान के लाले पड़ ेह� और आप लोग हंसत ेह�।
F लक� -2 : अमां साफ़-साफ़ बताओ... पहे�लयां F य5 बझुा रहे हो।
�सकंदर �मज़ा� : जनाब बात ये है Cक जो हवेल+ मझु ेएलाट हुई है उसम, एक ब1ुढ़या रह रह+ है।
F लक� -2 : F या मतलब?
�सकंदर �मज़ा� : म� उसम,... मतलब हवेल+ खा◌़ानी ह+ नह+ं है... वो मझुे एलाट कैसे हो सकती ह�।
F लक� -3 : हम समझे नह+ं आपको परेशानी F या है।
�सकंदर �मज़ा� : अरे साहब, हवेल+ म, ब1ुढ़या रौनक अफ़रोज़ है... कहती है उनके रहत ेवहां कोई और
रहनह+ं सकता... मझुे प�ुलस द+िजए... ताCक म� उस कमब\ ़त से हवेल+ ख़ाल+ करा सकंू।
F लक� -1 : �मज़ा� साहब एक ब1ुढ़या को हवेल+ से ^नकालने के �लए आपको प�ुलस क> दरकार है।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 9 रचनाकार
�सकंदर �मज़ा� : Cफर म� F या क_ं?
F लक� -2 : कर, F या... “हटवा” द+िजए उसे।
�सकंदर �मज़ा� : जी मतलब...
F लक� -2 : अब “हटवा” देने का तो म� आपको मतलब बता नह+ं सकता?
F लक� -3 : जनाब �मज़ा� साहब आप चाहत ेF या ह�।
�सकंदर �मज़ा� : ब1ुढ़या हवले+ से चल+ जाय... उसे कैH प म, दाfख़ल करा 1दया जाए और वो
1ह� दो# तान...
F लक� -3 : 1ह� दो# तान नह+ं भारत क1हए... भारत...
�सकंदर �मज़ा� : जी भारत भेज द+ जाए।
F लक� -3 : तो आपक> इसक> दरख़ा# त क# टम आफ़>सर से कर,गे...
�सकंदर �मज़ा� : जी जनाब... म� दरख़ा# त लाया हंू।
(जेब से दरख़ा# त ^नकालता है।)
F लक� -1 : �मज़ा� साहब आप जानत ेह� हमारे क# टो%डयन आफ़>सर जनाब अल+ महुH मद साहब F या
तहर+र फ़रमाय,गे?
�सकंदर �मज़ा� : F या?
F लक� -1 : वो �लख,गे... आपके नाम दसूरा मकान एलाट कर 1दया।
�सकंदर �मज़ा� : ज... ज... जी... जी... दसूरा।
F लक� -1 : और बाइस कमरेां क> हवेल+ को अपने Cकसी �सधंी अज़ीज़ क> जेब म, डाल देगा...
�सकंदर �मज़ा� : कुछ समझ म, नह+ं आता...
F लक� -2 : जनाब आप Cक़# मत वाले ह� जो धmु पल म, आपको इतनी बड़ी हवेल+ शहरे लाहौर के 1दल
कूचा जौहOरयां म, �मल गयी।
F लक� -2 : आपके दरख़ा# त देत ेह+ आप और ब1ुढ़या दोन5 पहंुच जाय,गे कैH प म, और कोई �सधंी बाइस
कमर5 क> हवेल+ म, दनदनाता Cफरेगा।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 10 रचनाकार
�सकंदर �मज़ा� : कुछ समझ म, नह+ं आ रहा। F य क_ं।
F लक� -1 : अरे चुप ब1ैठए।
�सकंदर �मज़ा� : और ब1ुढ़या?
F लक� -3 : अरे साहब ब1ुढ़या न हुई शरे हो गया... F या आपको खाए जा रह+ है? F या आपको मारे डाल
रह+ है? F या आपको हवेल+ से ^नकाल दे रह+ है? नह+ं, तो ब1ैठए... आराम से।
F लक� -1 : F या उq बतात ेह� आप?
�सकंदर �मज़ा� : प�सठ से ऊपर है।
F लक� -1 : अरे जनाब तो ब1ुढ़या आब-ेहयात bपए हुए तो होगी नह+ं... दो-चार साल म, तह� नमु वा�सल
हो जाएगी... परू+ हवेल+ पर आपका क़B ज़ा हो जाएगा... आराम स ेर1हएगा आप क़सम खुद़ा क> Jबला
वजह परेशान हो रहे ह�।
�सकंदर �मज़ा� : बजा फ़रमात ेह� आप... कैH प म, गज़ुारे दो मह+ने याद आ जात ेह� तो चार5 तरब
रौशन हो जात ेह�। अल अमानो अल हफ़>ज़... अब म� Cकसी क़>मत पर हवेल+ नह+ं छोड़ूगंा...
F लक� -2 : अजी �मज़ा� साहब एक ब1ुढ़या को न राहे रा# त पर ला सके तो Cफर हद है।
�सकंदर �मज़ा� : आ जाएगी... आ जाएगी... वr त लेगेगा।
F लक� -1 : अरे साहब और कुछ नह+ं तो याकूब साहब स ेबात कर ल+िजए... जी हां याकूब खां... परूा
काम बना द,गे एक झटके म,...
(उंगल+ गद�न पर रखकर गद�न कटने क> आवाज़ ^नकालता है।)
---
(�सक� दर �मज़ा�, हमीदा बेगम, त� नो और जावेद ख़ामोश बठेै ह� सब सोच रहे ह�।)
हमीदा बेगम : तो क# टो%डय वाले मएु बोले F या?
�सक� दर �मज़ा� : भई वह+ तो बताया तHु ह,... उ� ह5ने कहा इस मामले को आप अपने तौर पर ह+ सझुा
ल, तो आपका फ़ायदा है। F य5Cक अगर आपने इसक> �शकायत क> तो �सधंी क# टो%डयन अ◌ॉCफ़सर
आपसे ये मकान छRनकर Cकसी �सधंी को दे देगा।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 11 रचनाकार
हमीदा बेगम : वाह भाई वाह ये खूब रह+... मारे भी और रोने भी न दे।
�सक� दर �मज़ा� : ये सब छोड़ो, अब ये बताओ Cक इन मोहतरमा से कैसे ^नपटा जाए।
हमीदा बेगम : ए म� इस हरामज़ाद+ को चोट+ पकड़कर बाहर ^नकाले देती हंू... हो गया Cक़# सा।
जावेद : और F या हमारे पास सारे काग़ज़ात ह�।
�सक� दर �मज़ा� : काग़ज़ात तो उसके पास भी ह�।
त� नो : उसके काग़ज़ात [ यादा अहम ह�।
जावेद : F य5?
त� नो : भइया, अगर कोई श\ ़स इधर-से-उधर आया गया नह+ं तो उसक> जायदाद क# टो%डयन म, कैसे
चल+ जाएगी।
�सक� दर �मज़ा� : हां, फ़ज़� करो ब1ुढ़या को हम ^नकाल देत ेह� और वो प�ुलस म, जाकर रपट �लखवाती
है Cक वो भारत नह+ं गयी है और उसक> हवेल+ पर क# टो%डयन को कोई इ\ ़तयार नह+ं, F या होगा।
हमीदा बेगम : Cफर F या Cकया जाए।
�सक� दर �मज़ा� : ब1ुढ़या चल+ भी जाए और हायतोबा भी न मचाये... जावेद �मयां उसे चुपचाप ल े
जाय, और 1हदंओंु के कैH प म, छोड़ आय,।
हमीदा बेगम : तो बलुाऊं उस?े
�सक� दर �मज़ा� : eक जाओ... बात परू+ तरह समझ लो... देखो उससे ये भी कहा जा सकता है Cक
पाCक# तान म, अब �सफ़ मसुलमान ह+ रह सक, गे... और उसे यहां रहने के �लए मज़हब बदलना
पड़गेा... ये कहने पर हो सकता है वो भारत जाने के �लए तयैार हो जाए।
हमीदा बेगम : समझ गई... त� नो बेट+ जाओ जाकर उसे आवाज़ दो।
त� नो : F या कह कर आवाज़ दूं... बड़ी बी कहकर पकुा_ं।
हमीदा बेगम : ऐ अपना काम ^नकालना है, दाद+ कहकर आवाज़ दे देना, ब1ुढ़या खशु हो जाएगी।
(त� नो लोहे क> सलाख5 वाले दरवाज़े के पास जाकर आवाज़ देती है)
त� नो : दाद+... दाद+.. सु̂ नए दाद+...
(ऊपर से ब1ुढ़या क> कांपती हुई आवाज़ आती है।)
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 12 रचनाकार
रतन क> मां : कौण है... कौण आवाज दे रेआ है।
त� नो : म� हंू दाद+ त� नो... नीचे आइए...
रतन क> मां : आ� द+यां बटे+ आि� दयां।
(रतन क> मां दरवाज़े पर आ जाती है)
रतन क> मां : अज Cक� ने 1दनां बाद हवेल+ च दाद+ दाद+ द+ आवाज़ सणुी ऐ। (कांपती आवाज़ म,)
अपनी पौtी राधा द+ याद आ गयी...
त� नो : (घबरा कर) दाद+, अB बा और अH मां आपसे कुछ बात करना चाहत ेह�।
(रतन क> मां दरवाज़ा खोलकर आ जाती है और त� नो के साथ चलती वहां तक आती है जहां �सकंदर
�मज़ा� और हमीदा बेगम बठेै ह�)
�सक� दर �मज़ा� : आदाब अज़� है... तशर+फ़ रfखए।
हमीदा बेगम : आइए ब1ैठए।
रतन क> मां : जी� दे रहो... बेटा जी� दे रहो... g वाड़ी कुड़ी ने अज म�नू ं‘दाद+' कह के पकुारेया (आंख से
आंस ूप5छती हुई)
�सक� दर �मज़ा� : माफ़ क>िजए आपके ज[ बात को मज_ह करना हम, मज़ंूर न था। हम आपका 1दल
नह+ं दखुाना चाहत ेथे...
रतन क> मां : नई... नई। 1दल Cकg थे द\ु या है। उसस ेमनू ंख़ुश कर देता... बहुत ख़ुश।
�सक� दर �मजा� : देfखए... आप हमार+ मजबरू+ को समfझए... हम वहां से लटेु bपटे आए ह�... मालो-
दौलत लटु गया... बेसहारा और बेमददगार यहां के कैH प म, मह+न5 पड़ ेरहे... खाने का ठRक न सोने
का 1ठकाना... अब खुदा खदुा करके हम, ये मकान एलाट हुआ है... अपने �लए न सह+ ब` च5 क>
खा ़̂तर ह+ सह+ अब लाहौर ज़मना है। लखनऊ म, मेरा /चकन का मारखाना था यहां देfखए अU लाह
Cकस तरह जोर+-रोट+ देता है...
हमीदा बेगम : अH मां, हमने बड़ी तकल+फ़, उठाई ह�। इतना द ु:ख उठाया है Cक अब रोने के �लए आंख
म, आंस ूभी नह+ं ह�।
रतन क> मां : बेट+, तसुी Cफ; न करो... मेरे कल5 जो हो सकेगा, करांगी।
हमीदा बेगम : देfखए हमार+ आपसे यह+ गज़ुाOरश है Cक ये हवेल+ हम, एलाट हो चुक> है... और
पाCक# तान बन चुका है... आप 1हदं ूह�... आपका यहां रहना ठRक भी नह+ं है... आप मतलब...
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 13 रचनाकार
�सक� दर �मज़ा� : बग़रै जड़ के दर\ ़त कब तक हरा-भरा रह सकता है? आपके अज़ीज़ OरT तदेार,
मोहU लेदार सब 1हदं#ुतान जा चुके ह�... अब वह+ आपका मUु क है...आप यहां कब तक र1हएगा?
हमीदा बेगम : अभी तक तो Cफर भी ग़नीमत है... लेCकन सनुत ेह� पाCक# तान म, िजतने भी ग़रै
मिु# लम रह जाय,गे उ� ह, ज़बद�# ती मसुलमान बनाया जाएगा... इस�लए...
रतन क> मां : बेट+, कोई बार-बार नह+ं मरता... म� मर चुक> हां मनू ंपता है पता है और उसदे बीवी
ब` चे ह5ण इस दु̂ नयां bवच नई है... मौत और िज� दगी bवच मेरे वा# त ेकोई फक� नई बचाया।
�स� कदर �मज़ा� : लCेकन...
रतन क> मां : हवेल+ g वोड नाम एलाट हो गयी है। तसुी रहो। g वान ुरहने तो कौन रोक रया है...
िजg थे तक मरे+ हवेल+ तो ^नकल जाणं दा # वाल है... म� पहले ह+ मना कर चुक> आं...
�सक� दर �मज़ा� : (ग#ु से म,) देfखए आप हम, गरै मनुा�सब हरकत करने के �लए मजबरू...
रतन क> मां : अगर तसुी इस तरह ह+ समझत ेहो त ेजो मरजी आए करो...
(रतन क> मां उठकर सी1ढ़य5 क> तरफ़ चल+ जाती है।)
हमीदा बेगम : ^नहायत स\ ़त 1दल औरत है, डायन।
त� नो : Cकसी बात पर तयैार ह+ नह+ं होती।
जावेद : अB बा जान अब मझुे इजाज़त द+िजए।
�सक� दर �मज़ा� : ठRक है बटेा... तमु जो चाहो करो...
हमीदा बेगम : लेCकन ख़तरा न उठाना बेटा।
जावेद : (हंसकर) ख़तरा...
---
(चाय क> दकुान। अल+मउuीन चायवाला, जावेद �मजा�, पहलवान अनवर, �सराज, रज़ा, ना�सर काज़मी
बठेै ह�। अल+मउुuीन चाय बना रहा है। पहलवान अनवर, �सराज और रज़ा चाय पी रहे ह�।)
पहलवान : ओव अल+म, इधर Cकतने मकान एलाट हो गए।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
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अल+म : इधर तोर समझो गल+ क> गल+ ह+ पलाट हो गई।
पहलवान : मो1ह� दर ख� ना वाला मकान Cकसे एलाट हा◌ुआ है।
अल+म : अब म� F या जादूं पहलवान... ये जो उधर से आए ह� अपनी तो समझ म, आए नह+ं...
छटांक-छटांक भर के आदमी...ल# सी का एक /गलास नह+ं bपया जाता उनसे...
पहलवान : अबे ये सब छोड़... म� पछू रहा था मो1ह� दर ख� ना वाले मकान म, कौन आया है।
अल+म : कोई सायर है... ना�सर काज़मी।
पहलवान : तो गया मो1ह� दर ख� ना का भी मकान... और रजन जौहर+ क> हवेल+।
अल+म : उसम, तो परस5 ह+ कोई आया है... तांगे पर सामान-वामान लाद कर... उसका लड़का कल ह+
इधर से दधू ले गया है... उधर कुछ मसुीबत हो गयी है पहलवान। कुछ समझ म, नह+ं आ Oरया।
पहलवान : F या बात है।
अल+म : अरे रतन जौर+ क> मां... तो हवेल+ म, रह रह+ है।
पहलवान : (उछलकर) नह+ं।
अल+म : हां हां पहलवान... वह+ लड़का बता रहा था... बेचारा बड़ा परेशान था। कह रहा था... छ :
मह+ने बाद मकान भी एलाट हुआ तो ऐसा जहां कोई रह रहा है।
पहलवान : तझुे कैसे मालमू Cक वो रतन जौहर+ क> मां है।
अल+म : लड़का बता रहा था उ# ताद...
पहलवान : (धीरे से) वह बच कैसे गयी... इसका मतलब है अभी और बहुत कुछ दाब रखा है उसने...
अनवर : बाइस कमर5 क> तो हवेल+ है उ# ताद कह+ं छुपक गयी होगी।
�सराज : एक-एक कमरा छान मारा था हमने तो।
पहलवान : रज़ा, त ूचला जा और उसे लड़के को बलुा ला...
अल+म : Cकस?े
पहलवान : अरे उसी को िजसे रतन जौहर+ क> 1हवेल+ एलाट हुई है।
अल+म : पहलवान... उसके बाप को एलाट हुई है।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 15 रचनाकार
पहलवान : अरे त ूलड़के को ह+ बलुा ला...
रज़ा : ठRक है पहलवान।
(रज़ा ^नकल जाता है।)
पहलवान : अभी दह+ और मथा जाएगा... अभी घी और ^नकलेगा।
अनवार : लगता तो यह+ है उ# ताद।
पहलवान : अबे लगता F या पF क> बात है।
(ना�सर काज़मी आत ेह� पहलवान उनक> तरफ़ शF क> नज़र5 से देखता है)
अल+म : सलाम अलकुैम काज़मी साहब।
ना�सर : वालकुम सलाम... कहो भाई चाय-बाय �मलेगी?
अल+म : हां-हां ब1ैठए काज़मी साहब... बस भIी सलुग ह+ रह+ है।
(ना�सर ब,च पर बठै जात ेह�)
पहलवान : आपक> तार+फ़।
ना�सर : वF त के साथ हम भी ऐ ना�सर
ख़ार-ओ-ख़स क> तरह बहाये गए।
अल+म : वाह-वाह F या शरे है... ताज़ा ग़ज़ल लगती है ना�सर साहब... परू+ इशा�द हो जाए।
ना�सर : चलो चाय के इं^तज़ार म, ग़ज़ल ह+ सह+... (ग़ज़ल सनुात ेह�।)
शहर दर शहर घर जलाए गए
यू ंभी जT ने तरब मनाए गए
एक तरफ़ झूम कर बाहर आई
एक तरफ़ आशयां जलाए गए
F या कहंू Cकस तरह सरे बाज़ार
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 16 रचनाकार
अ# मत5 के 1दए बझुाए गए
आह तो fखलवत5 के सरमाए
मजम-ए-आम म, लटुाए गए
वr त के साथ हम भी ऐ ना�सर
खाऱ-ओ-ख़स क> तरह बहाए गए।
(ना�सर चपु हो जात ेह�)
अल+म : आजकल के हालात क> त# वीर उतार द+ आपने।
पहलवान : ला चाय ला।
(अल+म चाय का कप पहलवान और ना�सर के सामन ेरख देता है)
ना�सर : (चाय क> च#ु क> लेकर पहलवान से) आपक> तार+फ़?
पहलवान : (फ़v स)े क़ौम का ख़ा1दम हंू।
ना�सर : तब तो आपसे डरना चा1हए।
पहलवान : F य5?
ना�सर : ख़ा1दम5 से मझुे डर लगता है।
पहलवान : कया मतलब।
ना�सर : भई दरअलस बात ये है Cक 1दल ह+ नह+ं बदले ह� लl ज़5 के मतलब भी बदल गए ह�...
ख़ा1दम का मतलब हो गया है हाCकम... और हाCकम से कौन नह+ं डरता?
अल+म : (ज़ोर स ेहंसता है) चुभती हुई बात कहना तो कोई आपस ेसीखे ना�सर साहब!
ना�सर : भई बक़ौल ‘मीर'-
हमको शायर न कहो ‘मीर' के हमने साहब
रंजोग़म Cकतने जमा Cकए Cक द+वान Cकया।
तो भई जब तार पर चोट पड़ती है तो नx मा आप फूटता है।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 17 रचनाकार
(रज़ा और अल+म जावेद के साथ आत ेह�)
पहलवान : सलाम अलकुैम...
जावेद : वालेकुम# # लाम।
पहलवान : आप लोग5 को रतन जौहर+ क> हवेल+ एलाट हुई है।
जावेद : जी हां।
पहलवान : सनुा उसम, बड़ा झगड़ा है।
जावेद : आपक> तार+फ़?
(पहलवान ठहाका लगाता है)
अल+म : पहलवान को इधर ब` चा-ब` चा जानता है... परेू महुU ले के हमदद� ह�... जो काम Cकसी से
नह+ं होता पहलवान बना देत ेह�।
�सराज : पOरशाह के अखाड़ ेके उ# ताद ह� पहलवान।
अनवर : हम सब पहलवान के चेल+ चापड़ ह�।
पहलवान : हां तो F या झगड़ा है?
जावेद‘ रतन जौहर+ क> मां हवेल+ म, रह रह+ है।
पहलवान : ये कैसे हो सकता है।
जावेद : है... हमने उसे देखा है, उससे बात क> है...
पहलवान : तब... F या सोचा है?
जावेद : अजीब ब1ुढ़या है... कहती है म� कह+ं नह+ं जाऊंगी हवेल+ म, ह+ रहंूगी।
पहलवान : ज़_र तगड़ा मालपानी गाड़ रखा होगा। तो तमुने F या Cकया।
जावेद : अB बा क# टो%डयन के दl तर गए थे। दl तर वाले कहत ेह�, हवेल+ खानी कर दो। तHु ह, दसूर+ दे
द,गे।
पहलवान : वाह ये अ` छR रह+... ब1ुढऋया से नह+ं खाल+ कराय,गे... तमुस ेकराय,गे... Cफर?
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 18 रचनाकार
जावेद : Cफर F या, हम लोग तो बड़ ेपरेशन ह�।
पहलवान : अरे इसम, परेशानी क> तो कोई बात नह+ं है।
जावेद : तो F या कर,?
पहलवान : तमु कुछ न कर सकोगे... करेगा वह+ जो कर सकता है।
(ना�सर उठकर चले जात ेह�)
जावेद : F या मतलब?
पहलवान : साफ़-साफ़ सनुो... जब तक ब1ुढ़या िज़� दा है हवेल+ पर तHु हारा क़B ज़ा नह+ं हो सकता...
और ब1ुढ़या से तमु ^नपट नह+ं सकत.े.. हम ह+ लोग उसे 1ठकाने लगा सकत ेह�... लेCकन वो भी
आसान नह+ं है... पहले जो काम मlु त हो जाया करता था अब उसके पसैे पड़ने लगे ह�... समझे।
जावेद : हां, समझ गया।
पहलवान : अपने अB बा से कहो... दो-चार हज़ार eपए क> लालच म, कह+ं लाख5 क> हवेल+ हाथ स न
^नकल जाए।
---
(हमीदा बेगम बठैR सB ज़ी काट रह+ ह�। त� नो आती है।)
त� नो : अH मां, बेगम 1हदायत हुसनै कह रह+ ह� Cक उनका नौकर टाल पर कोयल ेलेने गया था, वहां
कोयले ह+ नह+ं ह�। कह रह+ ह� हम, एक टोकर+ कोयले उधार दे दो... कल वापस कर द,गे।
हमीदा बेगम : ऐ बीवी होश5 मे◌े◌ं रहो... हम, F या हक़ है दसूर5 क> चीज़ उधार देने का... कोयले तो
रतन क> अH मां के ह�।
त� नो : अH मां, 1हदायत साहब ने कुछ लोग5 का खाने पर बलुाया है। भाभी जान बेचार+ बेहद परेशान
ह�। घर म, न लकड़ी है ना कोयले... खाना पF के तो काहे पर पF के।
हमीदा : ए तो म� F या बताऊं... रतन क> अH मां से पछू लो... कहे तो एक टोकर+ F या चार टोकर+ दे
दो।
(त� नो सी1ढ़य5 क> तरफ़ जाती है और आवाज़ देती है।)
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 19 रचनाकार
त� नो : दाद+... दाद+ मां... सु̂ नए... दाद+ मां...
(ऊपर से आवाज़)
रतन क> मां : आई बेट+ आई... त ूजुग जुग िजये (आत ेहुए) म� जादवी तरे+ आवाज सनद+ आं... मनू ं
लगदा हय Cक म� िज� दा हां...
(रतन क> मां सी1ढ़य5 पर से उतर कर दरवाज़े म, आती है और ताला खोलने लगती है।)
रतन क> मां : तरे+ मां द+ तबीअत कैजी है।
त� नो : अ` छR है।
रतन क> मां : कल रत Cकस दे कन bवच दद� हो Oरआ सी।
त� नो : हां, अH मां के ह+ कान म, था।
रतन क> मां : अरे त ेतरेे मां दवा ल ैलदै+... ए छोटे-मोटे इलाज त ेम� खुद कर ल,द+ हंू।
(रतन क> मां चलती हुई हमीदा बेगम के पास आ जाती है।)
हमीदा बेगम : आदाब बआु।
रतन क> मां : बेट+... त ूमरे+ बेटे दे बराबर है... मां जी बलुाया कर म�नू।ं
हमीदा बेगम : ब1ैठए मांजी।
(रतन क> मां बठै जाती है।)
रतन क> मां : म� कय रह+ सी Cक छोट+-मोट+ बीमाOरयां द+ दवाइयां म� अपने कोल रखद+ हां। रात-
Jबरात कद+ ज़_रत प ैजाय ेत ेसकंोच नई करना।
त� नो : दाद+, पड़ोस के मकान म, 1हदायत हुसनै साहब ह� न।
रतन क> मां : कौन से मकान bवच, गजाधर वाले मकान bवच?
त� नो : जी हां... उनक> बगेम को एक टोकर+ कोयल5 क> ज़_रत है। कल पावस कर द,गी... आप कह,
तो...
रतन क> मां : (बात काट कर) लो भला ये भी कोई पछून द+ गल है। एक टोकर+ नह+ं दो टोकर+ दे
दो।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
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हमीदा बेगम : ये बताइए मां जी यहां लाहौर चचीड़ ेनह+ं �मलत?े हमारे यहां लखनऊ म, तो यह+
मौसम है चचीड़5 का... कड़वे तले और अचार के मसाले म, बड़ ेलज़ीज़ पकत ेह�।
रतन क> मां : चचीड़.े.. कैसे होत ेह� बेट+, मझुे समझाओ... हमारे पजंाबी म, F या कहत ेह� उ� ह,।
हमीदा बेगम : मांजी ककड़ी से थोड़ा [ यादा लH ब-ेलH ब।े हरे और सफ़ेद होत ेह�... /चकने होत ेह�।
रतन क> मां : अरे लो... हमारे यहां होत ेF य5 नह+ं... खूब होत ेह�... उ� ह, यहां fखराटा कहत ेह�... अपने
बेटे से कहना सB ज़ी बाज़ार म, रह+म क> दकुान पछू ले... वहां �मल जाय,गे।
हमीदा बेगम : ऐ ये शहर तो हमार+ समझ म, आया नह+ं... यहां ^नगोडमार+ समनक नह+ं �मलती।
रतन क> मां : बेट+ लाहौर तो बd डा दरूा शहर तो साd ड े1हदं#ु तान च है ह+ नह+ं... मसल मशहूर है Cक
िजस लाहौर नई दे\ या ओ ज� मया ह+ नई।
हमीदा बेगम : ऐ लेCकन लखनऊ का F या मक़ुाबला।
रतन क> मां : म� तां कद+ लखनऊ गयी नह+ं... हां चाल+स साल पहले 1दU ल+ ज़_र गई सी... बड़ा
उजड़या-उजड़या जा शहर सी।
हमीदा बेगम : मां जी यहां eई कहां �मलती है।
रतन क> मां : eई... अरे eई तो बहुत बड़ा बाज़ार है... देखो जावेद से कहो यहां से ^नकले रेज़ीड,सी
रोड से गल+ हार+ओम वाल+ म, मड़ु जाय,े वहां से छgता अकबर खां पहंुचेगा... वहां दो ग�लयां दा1हने
बाय, जाती 1दखाई द,गी... एक है गल+ eई वाल+... स�कड़5 eई क> दकुान, ह�।
(�सकंदर �मज़ा� अ� दर आत ेह�। रतन क> मां को देख कर बरुा-सा मुहं बनात ेह�।)
रतन क> मां : जीत ेरहो पgुतर... कैसे हो।
�सकंदर �मज़ा� : दआु है आपक>... श;ु है अU लाह का।
रतन क> मां : (उठत ेहुए) बेट+ लाहौर bवच सब कुछ �मलदा है... जद कोई 1दF कत होय तां मनु ंपछू
लेणा... चm प-ेचm पे तो वाCकफ हां लाहौर द+... अ` छ द+जी रह... म� चलां।
(चल+ जाती है।)
�सकंदर �मज़ा� : (Jबगड़कर) ये F या मज़ाक़ है... हम इनसे पीछा छुड़ाने के चF कर म, ह� और आप
इ� ह, गले का हार बनाये हुए ह�।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 21 रचनाकार
हमीदा बेगम : ए नौज, म� F य5 उ� ह, बनाने लगी गले का हार। 1हदायत हुसनै साहब क> ज़_रत न
होती तो म� ब1ुढ़या से दो बात, भी करती।
�सकंदर �मज़ा� : 1हदायत हुसनै क> ज़_रत?
हमीदा बेगम : जी हां... घर म, कोयले ह� न लकड़ी... दो# त5 को दावत दे बठेै ह�... बेगम बेचार+
परेशान थी। लकड़ी क> टाल पर भी कोयले नह+ं थे। हमसे मांग रह+ थ जब ह+ ब1ुढ़या को बलुाया था।
कोयले तो उसी के ह� न।
�सकंदर �मज़ा� : देfखए उसका इस घर म, कुछ नह+ं है... एक सईु भी उसक> नह+ं है। सब कुछ हमारा
है।
हमीदा बेगम : ये कैसी बात, कर रहे ह� आप।
�सकंदर �मज़ा� : बेगम हम इसी तरह दबत ेरहे तो ये हवेल+ हाथ से ^नकल जायगेी...
(त� नो क> तरफ़ देखकर, जो सB ज़ी काट रह+ है।)
त� नो तमु यहां से ज़रा हट जाओ बेट+... तHु हार+ अH मां से मझुे कुछ ज़_र+ बात करना है।
(त� नो हट जाती है।)
�सकंदर �मज़ा� : (राज़दार+ से) जावेद ने बात कर ल+ है... इस ब1ुढ़या से पीछा छुड़ा लेना ह+ बेहतर
है... कल को इसका कोई OरT तदेार आ पहंुचेा तो लेने के देन ेपड़ जाय,गे।
हमीदा बेगम : लेCकन कैस ेपीछा छुड़ाओगे।
�सकंदर �मज़ा� : जावदे ने बात कर ल+ है।
हमीदा बेगम : अरे Cकससे बात कर ल+ है... F या बात कर ल+ है।
�सकंदर �मज़ा� : वो लोग ऐ हज़ार eपए मांग रहे ह�।
हमीदा बेगम : F य5... एक हज़ार तो बड़ी रक़म है।
�सकंदर �मज़ा� : ब1ुढ़या जह� नमु वा�सल हो जायेगी।
हमीदा बेगम : (चcकरकर, घबरा, डर कर) नह+ं।
�सकंदर �मज़ा� : और कोई रा# ता नह+ं है।
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 22 रचनाकार
हमीदा बेगम : नह+ं... नह+ं खुदा के �लए नह+ं... मेरे जवान जहान ब` चे ह�, म� इतना बड़ा अज़ाब अपने
�सर नह+ं ले सकती।
�सकंदर �मज़ा� : F या बकवास करती हो।
हमीदा बेगम : नह+ं... कह+ं हमारे ब` च5 को कुछ हो गया तो...
�सकंदर �मज़ा� : ये वहेम है तHु हारे 1दल म,।
हमीदा बेगम : नह+ं... नह+ं बापको मेर+ क़सम... ये न क>िजए। उसन ेहमारा Jबगाड़ा ह+ F या है।
�सकंदर �मज़ा� : बेगम एक कांटा है जो ^नकल गया तो िज़ंदगी भर के �लए आराम ह+ आराम है।
हमीदा बेगम : हाय मेरे अU लाह, इतना बड़ा गनुाह... जब हम Cकसी को िज़ंदगी दे नह+ं सकत ेतो हम,
छRनने का F या हक़ है?
�सकंदर �मज़ा� : वो काCफ़रा है बेगम।
हमीदा बेगम : इसका ये तो मतलब नह+ं Cक उसे क़U त कर 1दया जाये। म� तो हर/गज़-हर/गज़ इसके
�लए तयैार नह+ं हंू।
�सकंदर �मज़ा� : अब तमु समझ लो।
हमीदा बेगम : नह+ं... नह+ं... तHु ह, ब` च5 क> क़सम ये मत करवाना।
---
(�सकंदर �मज़ा� बठेै अख़बार पढ़ रहे ह�। दरवाज़े पर कोई द# तक देता है।)
�सकंदर �मज़ा� : आइए... तशर+फ़ लाइए।
(पहलवान याकूब़ के साथ अनवर, �सराज? रज़ा और महुH मद शाह अ� दर आत ेह�।)
सब एक साथ : सलाम अलैकुम...
�सकंदर �मज़ा� : वालेकुम सलाम... तशर+फ रfखए।
(सब बठै जात ेह�।)
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 23 रचनाकार
पहलवान : आपका इ# म, शर+फ़ �सकंदर �मज़ा� है न?
�सकंदर �मज़ा� : जी हां।
पहलवान : ये कूचा जौहOरयां म, रतनलाल जौहर+ क> हवेल+ है ना?
�सकंदर �मज़ा� : जी हां बेशक।
पहलवान : ये मेरे दोसत ह� महुH मद शाह। इनको हवले+ क> दसूर+ मिंज़ल एलाट हो चुक> है।
महुH मद शाह : लेCक पहल+ मिंज़ल तो आपके क़B ज़े म� नह+ं है न?
�सकंदर �मजz�या : ये आपको Cकसने बताया?
पहलवान : आपके बटेे जावदे कह रहे थे Cक ऊपर+ मिंज़ल म, रतनलाल जौहर+ क> मां रह रह+ है।
मतलब पाCक# तान को भी शहरे-लाहौर म, एक काCफ़रा...
�सकंदर �मज़ा� : अ` छा तो आप वह+ ह� िजनसे जावदे क> बात हुई थी।
पहलवान : जी हां, जी हां...
�सकंदर �मज़ा� : तो जनाब पहलवान साहब, आपके नाम ऊपर+ मिंज़ल एलाट नह+ं हुई है... आप बस
उस पर क़B ज़ा...
पहलवान : आप ठRक समझे... काCफ़रा के रहने से तो अ` छा है Cक अपना अपना कोई मसुलमान
भाई रहे।
�सकंदर �मज़ा� : लेCकन ये परू+ हवेल+ मझुे एलाट हुई है।
पहलावन : ठRक है... ठRक है लेCकन क़B ज़ा तो नह+ं है आपका ऊपर+ मिंज़ल पर।
�सकंदर �मज़ा� : आपको इससे F या मतलब।
पहलवान : इसका तो ये मतलब ^नकलता है Cक आपने एक 1ह� द ूकाCफ़रा को अपने घर म, छुपा रखा
है।
�सकंदर �मज़ा� : तो तमु मझुे धमका रहे हो जवान।
रज़ा : जी नह+ं, बात दरअसल ये है...
�सकंदर �मज़ा� : (बात काट कर) Cक ऊपर के { यारह कमरे F य5 न आप लोग5 के क़B ज़े म, आ जाय,...
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 24 रचनाकार
पहलवान : हम तो इ# लामी Jबरादर+ के नात ेआपक> मदद करने आये थे। लेCकन आपको मसुलमान
से [ यादा काCफ़र m यारा है।
�सकंदर �मज़ा� : महुH मद शाह साहब। आप क# टो%डयन वाल5 को बलुाकर ले आय,... वो आपको क़B ज़ा
1दला सकत ेह�... इस बात म, इ# लाम और कु|ऱ कहां से आ गया।
पहलवान : �मज़ा� साहब आप बता सकत ेह� Cक F या पाCक# तान इसी �लए बना था Cक यहां काCफ़र
रह,?
�सकंदर �मज़ा� : ये आप पाCक# तान बनवाने वाल5 से पू̂ छए।
पहलवान : �मज़ा� साहब हम ये गवारा नह+ं कर सकत ेCक शहरे लाहौर के कूचा जौहOरयां म, कोई
काCफ़र दनदनाता Cफरे।
�सकंदर �मज़ा� : जनाब वाला आप कहना F या चाहत ेह� म� ये समझने से क़ा�सर हंू।
पहलवान : हमार+ मदद क>िजए... हम एक �मनट म, ऊपर+ मिंज़ल का फै़सला Cकए देत ेह�। वहां उस
काCफ़रा क> जगह महुH मद शाह...
�सकंदर �मज़ा� : देfखए हवले+ परू+ क> परू+ मेरे नाम एलाट हुई है।
पहलवान : चाहे उसम, काCफ़रा ह+ F य5 न रहे... आप...
�सकंदर �मज़ा� : मिT वरे के �लए शCु;या।
पहलवान : �मज़ा�, तो Cफर ऐसा न हो सकेगा जैसा आप चाहत ेह�... Cकसी काCफ़रा के वजूद को यहां
नह+ं बदा�T त Cकया जायेगा...
(उठत ेहुए सबसे)
चलो।
(�सकंदर �मज़ा� हैरत और डर से सबको देखत ेह�। वे चले जात ेह�। कुछ ~ण बाद हमीदा बेगम अ� दर
आती ह�।)
हमीदा बेगम : F य5 साहब ये कौन लोग थे... ऊंची आवाज़ म, F या बात, कर रहे थे।
�सकंदर �मज़ा� : ये वह+ बदमाश था िजससे जावदे ने बातक> थी।
हमीदा बेगम : लेCकन।
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�सकंदर �मज़ा� : हां, Cफर जावेद ने उसे मना कर 1दया था। साफ़ कह 1दया था Cक ऐसा हम नह+ं
चाहत.े.. लेCकन कH ब\ ़त को { यारह कमर5 का लालच यहां खींच लाया।
हमीदा बेगम : F या मतलब?
�सकंदर �मज़ा� : पहले कहन ेलगा Cक उसे ऊपर+ मिंज़ल के { यारह कमरे क# टो%डयन वाल5 ने एलाट
कर 1दए ह�।
हमीदा बेगम : हाय अU ला... ये कैसे... एक मकान दो आद�मय5 को कैसे एलाट हो सकता है?
�सकंदर �मज़ा� : वो सब झठू है...
हमीदा बेगम : Cफर।
�सकंदर �मज़ा� : Cफर इ# लाम का ख़ा1दम बन गया। कहने लगा पाCक# तान के शहरे लाहौर म, कोई
काCफ़रा कैसे रह सकती है... जात-ेजात ेधमक> दे गया है Cक रतन जौहर+ क> मां का काम तमाम कर
देगा।
हमीदा बेगम : हाय अU ला... अब F या होगा।
�सकंदर �मज़ा� : आदमी बदमाशा है... मेरे \ ़याल से उसे शक है Cक रतन क> मां ने ‘कुछ' ^छपा रखा
है... दरअसल उसक> नज़र ‘उसी' पर है।
हमीदा बेगम : हाय तो F या मार डालेगा बेचार+ को?
�सकंदर �मज़ा� : कुछ भी कर सकता है।
हमीदा बेगम : ये तो बड़ा बरुा होगा।
�सकंदर �मज़ा� : अजी फंस,गे तो हम... वो तो मार-मरू और लटू खा कर चल देगा... फेस जाय,गे हम
लोग।
हमीदा बेगम : हाय अU ला Cफर F या क_ं।
�सकंदर �मज़ा� : रात म, दरवाज़े अ` छR तरह बदं करके सोना।
हमीदा बेगम : सु̂ नए, उनको बताऊं या न बताऊं।
(�सकंदर �मज़ा� सोच म, पड़ जात ेह�।)
हमीदा बेगम : बताना तो हमारा फ़ज़� है।
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�सकंदर �मज़ा� : कह+ं वो ये न समझे Cक ये सब हमार+ चाल है?
हमीदा बेगम : तो, ये तमुने और उलझन म, डाल 1दया।
�सकंदर �मज़ा� : ऐसा करो Cक उनक> 1हफ़ाज़त का परूा इंतज़ेाम इस तरह करो Cक उ� ह, पता न लगने
पाए।
हमीदा बेगम : ये कैसे हो सकता है।
�सकंदर �मज़ा� : यह+ं तो सोचना है।
हमीदा बेगम : हाय अU ला ये सब F या हो रहा है... F या म� फOरयाद+ मातम पढ़ंू...
�सकंदर �मज़ा� : इमामबाड़ा कहां है घर म,... खै़र... देखो... वो अकेल+ रहती है... उनके साथ Cकसी मद�
का रहना...
हमीदा बेगम : मतलब तमु...
�सकंदर �मज़ा� : (घबरा कर) नह+ं... नह+ं... जावेद...
हमीदा बेगम : वो जावदे को ऊपर F य5 सलुाय,गी... और जावेद को म� वसैे भी नह+ं जाने दूंगी।
�सकंदर �मज़ा� : िज़द मत करो।
हमीदा बेगम : F या चाहत ेहो... मेरा एकलौता लड़का भी...
�सकंदर �मज़ा� : बकवास मत करो।
हमीदा बेगम : Cफर F या क_ं।
�सकंदर �मज़ा� : (डरत-ेडरत)े तमु वहां... उसके साथ सो जाओ...
हमीदा बेगम : (जलकर) लो मद� होकर मझुे आग के महं म, झ5क रहे हो।
�सकंदर �मज़ा� : (झुझंला कर) अरे तो म�... वहां सो भी नह+ं सकता।
हमीदा बेगम : ठRक है तो म� ह+ ऊपर जाती हंू।
�सकंदर �मज़ा� : नह+ं।
हमीदा बेगम : ये लो... अब Cफर नह+ं।
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�सकंदर �मज़ा� : ठRक है, दोखो उनसे कहना...
हमीदा बेगम : अरे मझुे अ` छR तरह मालमू है उनसे F या कहना है F या नह+ं कहना।
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(मौलवी इकरामउuीन मि# जद म, नमाज़ पढ़ रहे ह�। पहलवान और अनवार आत ेह�। दोन5 अलग बठै
जात ेह�। मौलवी नमाज़ पढ़ने के बाद पीछे मड़ुत ेह�।)
पहलवान : सलाम अलकुैम मौलवी साहब।
मौलवी : वालकुम# सलाम... कहो भाई कैसे हो।
पहलवान : जी श;ु है खदुा का, ठRक हंू।
मौलवी : मोहU ले पड़ोस म, ख़ैOरयत है?
पहलवान : जी हां... श;ु है... सब ठRक है।
(पहलवान ख़ामोश हो जाता है।
मौलवी को लगता है Cक वह कुछ पछूना चाहता है लेCकन ख़ामोश है।)
मौलवी : F या कुछ बात करना चाहत ेहो।
पहलवान : (सटपटाकर) जी हां... बात है जी और बहुत बड़ी बात है...
मौलवी : F या बात है?
पहलवान : अपने मोहU ले म, एक 1ह� द ूऔरत रह गयी है।
मौलवी : रह गयी है, मतलब?
पहलवान : भारत नह+ं गयी है।
मौलवी : तो?
पहलवान : (घबराकर) त... तो... यह+ं छुप गयी है। भारत नह+ं गयी है।
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मौलवी : तो Cफर?
पहलवान : F या 1ह� द ूऔरत यहां रह सकती है?
मौलवी : (हंसकर) हां... हां... F य5 नह+ं।
अनवार : कुछ समझे नह+ं मUु ला जी।
मौलवी : वा� ने अहज़ मनउल मशुर+कन अ# त जादक फािज�दा... हुF मे खुदाब� द+ है Cक अगर
मशुर+कन5 म, से कोई तमुस ेपनाह मांगे तो उसको पनाह दो।
पहलवान : मUु ला जी वो काCफ़रा भारत चल+ जायेगी तो उस मकान म, हमारा कोई मसुलमान भाई
रहेगा।
मौलवी : F या मसुलमान भाई के �लए अU लाह का हुF म क़ाJबल-ेकुबलू नह+ं है।
(दोन5 के मुहं लटक जतो ह�।)
पहलवान : हमने अपने मसुलमान भाइय5 का क़g ल-ेआम देखा है। हमारे 1दल5 म, बदल ेक> आग भड़क
रह+ है। हम Cकसी काCफ़र को इस मUु क म, नह+ं रहने द,गे।
मौलवी : इरशाद है Cक तमु ज़मीन वाल5 पर रहम करो, आसमान वाला तमु पर रहम करेगा... और...
जो दसूर5 पर रहम नह+ं करता, खुदा उसपर रहम नह+ं करता।
(पहलवान और अनवार ख़ामोश हो जात ेह� और अपन े�सर झकुा लेत ेह�।)
मौलवी : म� तमु दोन5 को नमाज़ के वr त नह+ं देखता। पाब� द+ से नमाज़ पढ़ा करो... मजुा1हद वो ह�
जो अपने नl स से िजहाद करे... समझे?
पहलवान : जी...
अनवार : अ` छा तो हम... चल, साहब...
मौलाना : जाओ... सलाम आलकुैम।
दोन5 : वालेकुम सलाम।
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असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 29 रचनाकार
(सबुह का वr त है। अल+म अपने चायख़ाने म, है। भIी सलुगा रहा है। उसी वr त ना�सर काज़मी और
उनके पीछे-पीछे एक तांगेवाला हमीद अपने हाथ म, चाबकु �लए अ� दर आत ेह�।)
ना�सर : हमीद �मयां बठैो... रोज़ क> तरह आज भी अल+म परू+ रात सोता रहा है और भIी ठV डी पड़ी
रह+।
अल+म : आप बड़ी सबुह-सबुह आ गए ना�सर साहब।
ना�सर : सबुह कहां हुई?
अल+म : F य5 ये सबुह नह+ं है?
ना�सर : भाई, जो रात म, सोया हो, उसी के �लए तो सबुह होती हे।
(ठहाका लगाकर हंसता है।)
अल+म : F या परू+ रात सोए नह+ं?
ना�सर : बस �मयां परू+ रात आवारागद और पांच शरे क> ग़ज़ल क> नज़र हो गई।
हमीद : वसैे भी आप कहां सोत ेह�?
ना�सर : रात,, Cकसी छत के नीचे सोकर बबा�द कर देन ेके �लए नह+ं होतीं।
अल+म : F य5 ना�सर साहब?
ना�सर : इस�लए Cक रात म, ह+ दु̂ नया के अहम काम होत ेह�। �मसाल के तौर पर फूल5 म, रस पड़ता
है रात को, सम� दर5 म, k वार-भाटा आता है रात को, ख़शुबएुं रात को ह+ जनम लेती ह�, फOरT त ेराम
को ह+ उतरत ेह�, सबसे बड़ी ‘वह+' रात को नािज़ल हुई है।
अल+म : आपक> बात, मेर+ समझ म, तो आती नह+ं।
ना�सर : इसका ये मतलब तो नह+ं Cक चाय न bपलाओगे।
अल+म : ज़_र ज़_र, बस दो �मनट म, तयैार होती है।
(भIी सलुगाने लगता है।)
अल+म : ना�सर साहब कुछ नौकर+ वग़रैा का �सल�सला लगा?
ना�सर : नौकर+? अरे भाई शायर+ से बड़ी भी कोई नौकर+ है?
असग़र वजाहत का नाटक : िजस लाहौर नइ वे�या ओ जमया �ह नइ
– http://rachanakar.org क� ��तु�त प�ृठ 30 रचनाकार
अल+म : (हंसकर) शायर+ नौकर+ कहां होती है ना�सर साहब।
ना�सर : भई देखो, दसूरे लोग आठ घटें क> नौकर+ करत ेह�, कुछ