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LIVING LEGEND PREM CHOPDA Áचणद शुक शनिवार À25 जुलाई, 2015 2 खर-उल-इमान उन शायर म से थे जो इंड म गकार बनने आए थे, पर चंद ग लखने के बाद उनने संवाद लेखन म ाथ आज़माया ो बौर डायलॉग राइटर उन कामयाब लमल। उर देश के लजला लबजनौर के पास नजबाबाद के एक गांव लकला म 1915 म पैदा ुए अखर के वालद इमाम थे, लजसके चले वे मुलक क कई मसजद म रे। कई मदरस म पने के बाद अखर ने लदयूलनवलसट से बए और अलग मुसलम यूलनवलसट से उदू अदब म एमए लकया। लजस साल उनने अलग यूलनवलसट म दालखला लया, ब जां लनसार अखर और शकल बदायूंन अपने आलखर साल क पढाई कर रे थे। गलमय क छुलट्टय म नलनाल जाे अखर क लबजनौर के मशूर शायर खुशद-उल- इलाम से करब ब ो वे शायर म लच लेने लगे। बाद म पले लदल के सपलाई लवभाग और लिर ‘लदल रेलडयो टशन’ म बौर ोालमंग अलसटट कुछ असा नौकर करने के बाद गकार बनने क गरज से मुंबई आ गए जां ‘शालमार लपकचस’ के टोर-लडपाटमट से जुड़ गए। Did you NOW ब.आर. के चमकअखर-उल-इमान {यूनुस ख़ान सर पंचमी Birthday जुलाई जुलाई जुलाई जुलाई संजय द इंपीरियल हाइट, ीमती निगि द िड, पाली गहल, बांा (प.), मुंबई- 50 27 30 30 31 राहुल बोस 103, िुंबाला स, 42, पेडि िड, मुंबई- 26 सोिू निगम नम:, जुहू ववा गलंक िोड, ात बंिला, अंधेिी (प.), मुंबई- 58 सोिू सूद 605/606, Casablanca, यमुना निि, ओगिविा, अंधेिी (प.), मुंबई- 53 मुमताज गबलडि नं. 15, 18व मंगजल, डालामल अपामट, कफ पिेड िोड, मुंबई- 05 लशमला का रने वाला ूं। एकटर बनना चाा था। ेजुएशन कर चुका था। इसकबाद पापा ने मना कर लदया लक एकटर बनने क खवालश ै ो खुद जॉब लाशो और गल करो। म सपोट न कर पाऊंगा। ां, आईएएस बनना ै ो लजन कोगे, मदद लमलेग। मन न माना और लकम आजमाने के ललए म मुंबई (ब बंबई) चला आया। कुछ अरसे बाद एक अंेज़ अखबार म नौकर भ लमल गई। काम के लसलसले म 20 लदन बार रना पड़ा। मुंबई म ोा ो लंच टाइम में टलडयोज के चकर काटा। टलडयो म दालखल ोना बड़ा चैलज था। वॉचमैन से लगड़लगड़ाे रो लक अंदर जाने दो, लेलकन उसक ेकड़ खतम न ो थ। लोकल न म मला एकटग का ऑफर Áपल लिलम पंजाब थ- "चौधर करनैलसं', उसका ऑिर भ लोकल न म लमला। एक बंदे ने पूछा- आप लपकचर म काम करना चागे। मने ां का। व मुझे रंज टलडयो म ले गया। डायरेकटर ने देखे क लदया- ठक ै। ुम सेलेकट ुए। मुझसे का लक न लदन बाद पूना म शूलटंग शु करन ोग। मने दफर म बमार का बाना बनाया और झूठ बोलकर 10 लदन क लसक लव ले ल। इसके बाद "डॉकटर लवा' जैस बड़ लिलम ररलज ु ो दफर म कानािूस ोने लग लक ये बंदा एकटर बन चुका ै। एकटर कय, म रो ो गया था। न- चार पंजाब लिलम क, लिर खयाल आया लक पंजाब मूवज़ का बजट कम ोा ै। यां एनज वेट करने से कया िायदा इसललए लंद लसनेमा क ओर ख कर ललया। नह हुई नौकरी छोने की महमत Áलंद लिलम म बौर रो चांस लमला। लिलम थ- "कंवार', 1966 म आई। वालडया मूवज ने 1963 म "म शाद करने चला' बनाई थ। इसम भ लड रोल लकया। उनने 500 पए मने क नखवा पर नौकर दे द। उनके साथ न-चार लिलम क। ालांलक कई लिलम ररलज ोने के बाद भ नौकर इसललए न छोड़, कयलक ये देखकर डर गया था लक धम जैसे बड़ आलटट भ िुटपाथ पर सोने को मजबूर ो चुके । नौकर म 1000 पए मने लमले थे और साथ म जां आओ-जाओ, उसका टए-डए भ। न से सिर करे समय िट कलास का लटकट और शर म जां लवलजट करन ो, उसके ललए टैकस क सुलवधा। म सकलेशन इंपेकटर था और मेरे पास पसचम बंगाल (कोलकाा समे), उड़सा, मधय देश, लदल और पंजाब के सारे शर क लज़ममेदार थ। नौकर करे ुए नायक बनने क कोलशश क, लेलकन वे लपकचस कामयाब न ु। अब बौर रो लिलम न चले ो लड रोल करने का चांस खतम ो जाा ै, इसललए चुनौ खड़ ो गई। मफर महबूब से नाता टूटा Áइेिाक ऐसा बना लक उस ज़माने क चलच लिलम "सन ऑि इंलडया' के ़डायरेकटर मबूब साब से मुलाका ो गई। उनने का- "यार! ेरे म ै "रो' जैस चज। शूलटंग के वक यां आके बैठ जाया कर।' मबूब साब ऐसे डायरेकटर थे, जो सुनल द, राजकुमार, राज कुमार का करअर बना चुके थे, वे मेरे ललए भ जादू कर सके थे। र लदन बांबे वट से न पकड़कर बांा उर जाा और लिर मबूब टलडयो पुंचा। उस बच दो-न लिलम के ऑिर आए, लेलकन मने मना कर लदया। लिर एक लदन सोचने लगा लक मबूब साब क लबय बेद नाजुक र ै। वे लपकचर बना भ पाएंगे या न! ऐसा न ो लक म लबग ेक का इंज़ार करा र जाऊं। इस पशोपेश म एक बार राज खोसला क लिलम "वो कौन थ' साइन कर ल। उसम मनोज कुमार और साधना क मुख भूलमकाएं थ। कैरेकटर लसि न सन का था, लेलकन राज ने भरोसा लदलाया लक ये भूलमका ुमारे ललए अम सालब ोग और वैसा ुआ भ। लिलम का सपस िैकटर मेरा लकरदार था। मैिेयर म "वो कौन थ' का लमयर ुआ। वां मबूब साब बौर चि गेट बुलाए गए। उनने मुझे देखा ो पर कुछ बोले न। अगले लदन मबूब टलडयो म मेर एक पंजाब लिलम क शूलटंग चल र थ। वे छड़ थामे ुए पुंचे। मुझे देखे बोले- "ुम का था न लक कोई और रोल न करना। ूने लवलेन का रोल लकया और अब लवलेन बन गया।' कुछ इस र मेरे-उनके ाललुक का "द एंड' ो गया। मसनेमा था जुनून की तरह Áराज कपूर, शसक सामं, राज खोसला, मनोज कुमार जैसे लनदशक लसनेमा को जुनून के साथ जे थे। "दे लंक, ईट एंड लप लवद लपकचर'! राज कपूर इन शराब पा था, लेलकन उसके लसकथ सस म लपकचर र थ। लकना भ मदोश म ो, बला लेकर गाना सुनाने लग जाा था। मनोज कुमार का भ य ाल रा। य वज ै लक इन लोग ने मेशा के ललए अपना नाम अमर कर लदया ै। और तब डर गई बॉबी Áजैसा लक मने पले भ बाया- पुराने दौर म इमेज का खासा ेशर था। ां, िायदे भ खूब थे। मलब बंदा क परदे पर नज़र भर आ जाए, उसक इमेज के लसाब से इंेशन कायम ो जाा था। उन लदन म नंबर-1 लवलेन था। "बॉब' म रोल छोटा था, लेलकन राज साब ने का- मुझे ुमार ज़र ै। ुम बस एसकटंग करो। बाक मेरे ऊपर छोड़ दो। म उन कैसे इनकार करा। लिर पाया लक राइटस ने कमाल कर लदया ै। राज साब ने थोड़-स कान बाई और शूट के ऐन पलसन समझाया- एक लड़का और लड़क घर से भागे ुए । ुम उनका ाथ पकड़कर बस एक लाइन बोलन ै-"ेम नाम ै मेरा... ेम चोपड़ा'। परदे पर बॉब डर गई और लसनेमाघर म ये डायलॉग खूब लट ुआ। कल और आज... Áबे कल म लिलम बु देर म बन थ। दो-न साल क लग जाे थे। नए दौर म कनक लवकलस ुई ै। कलाकार जयादा ोिेशनल ुए । सार ैयार पले कर ल जा ै। ॉलवुड म भ ऐसा लसटम ै। वां क कुछ लिलम क । "द ेड' से जुड़ एक बा याद आ ै। लशमला म सुब 5.30 क लशफट थ और क लदया गया था लक जो टाइम पर न आए, व अपन छु समझे...। बदला ज़माना अचछा ै, लेलकन एक बा खराब लग ै लक लोग पंकचुअल न । कई कलाकार इसे टटस लसंबल समझे । पले के ज़मानम कलासलिकेशन ोा था। ये बंदा लवलेन ै, ये रो और ये कॉमेलडयन! इन लदन चज बदल गई , बेर ुई । 29 जुलाई "मनामहैमरा...मचोपडा' अपने माने के मशहूर विलेन ेम चोपडा पहली बार विलम "उडनछू' म गु जी बने ह। िे मानते ह "बाबागीरी' आजकल चलन म है, वजसके अपने नुकसान ह। 45 साल की वसनेमाई पारी म तकरीबन 400 वहंदी और पंजाबी विलम कर चुके चवचत अविनेता ेम चोपडा ने अपने सिर की याद हमसे साझा क... फि लम-संसार रफ़ को आवाज़ क दुलनया का एक िररा माना ै। इस साल उनक बरस यान 31 जुलाई के मौक़े पर उनके गाए कुछ शाय ग क चचा। रफ़ इने पकके सुर वाले गायक थे लक शाय ग ो या पसचम, उन कभ कोई लदक न आई। लिलम-संगकार क कई पलय ने रफ़ साब के सामने कई चुनौपूर धुन रख और रफ़ ने उन कुशला के साथ लनभाया। रफ़ और नौशाद क जोड़ ने लिलम-संग के इलास के बेलमसाल और कालजय गाने लदए। लिलम ‘बैजू बावरा’ के दो गाने- ‘मन ड़प रर दशन को आज...’, जो राग मालकस पर आधार ै और ‘ओ दुलनया के रखवाले...’ जो राग दरबार कानड़ा पर आधारर ै। ‘बैजू बावरा’ के ग शकल बदायूंन ने लखे थे। शकल-नौशाद और रफ़ लमलकर इस देश क धम-लनरपे संकल क एक नायाब लमसाल रचे । इस लिलम का ग ‘ू गंगा क मौज म जमना का धारा...’ राग बार पर आधार था। 1960 म आई ‘कोलनूर’म नौशाद ने रफ़ से राग मर पर आधार ग गवाया- ‘मधुबन म रालधका नाचे रे...’। रफ़ के गाए सबसे अ गान म से एक ै य गाना। 1954 म लिलम ‘शबाब’ के लए नौशाद ने राग बार पर आधार ग ैयार लकया- ‘मन क बन मवार बाजे...’। इसे ला और रफ़ ने गाया। लिलम ‘अमर’ म आया था गाना- ‘इंसाफ़ का मंलदर ै ये...’ जो राग भैरव पर आधार था। ‘साज़ और आवाज़’ का गाना- ‘साज़ ो ुम आवाज़ ूं म...’ राग पटदप पर आधार था। नौशाद के लनदशन म रफ़ क गायक शाया क अनूठ ऊंचाइय क पुंच। लेलकन कुछ और संगकार थे, लजने रफ़ कशाय-प को उभारा। शंकर-जयलकशन के लनदशन म रफ़ के कुछ बु अ शाय ग आए । जैसे- ‘रालधके ूने बंसर चुराई...’। रफ़ के अालाप से शु ोने वाला ये गाना राग अडारा पर आधाै। 1956 म आई लिलम ‘बसं बार’ म रफ़ ने राग ोड़ पर आधार ग गाया- ‘दुलनया ना भाए मोे अब ो बुला ले...’। लिलम ‘सांझ और सवेरा’ म रफ़ और सुमन कलयारपुर का गाया राग पलू पर आधारर गाना था- ‘अजूं ना आए बालम सावन बा जाए...’। बाररश के लदन म इस गाने क कलशश कुछ और ब जा ै। (लेखक लवलवध भार म कायर ।) न थका, न का हूं... अब वैस लिलम करा ूं, लजनक टोरलाइन एकसाइट कर ै और सेटअप पर भरोसा ो पाा ै। एक पंजाब लिलम क ै- धर। पंजाब लिलम का लबज़नेस लजना पंजाब म ोा ै, करबन उना यूके, यूएई, कनाडा, ऑललया म ोा ै। लोग पंजाब लिलम के लए भूखे । मेर से एकदम स ै, काम करना कभ बंद न कंगा। मिता ने कहा- ये कैसा काम कर रहे हो? पापा ररबर लाल चोपड़ा सरकार अलधकार थे। एक बार चंडग गया। वां पापा के साथ पंचकुइयां गाडन म टल रा था। अचानक सामने से चार-पांच जोड़ टले ुए आए। उनने मुझे देखा और आपस म एक-दूसरे से कने लगे- "अरे, टो, ये ो ेम चोपड़ा ै! अपन बलवय को संभालो।' पापा ने का- "ये कैसा काम कर रे ो लक लोग डर जाे ।' डरते थे कई मफलम वाले भी! खरनाक लवलेन क दश लसि दशक म न, बसलक लिलम इंड के नए कलाकार और छोट ब के बच भ थ। ऋलि (कपूर) से "बॉब' के बाद ाललुक गराया। ऋलि मेशा के- "म लोग मेशा य बा करे थे, न जाने कैसा बंदा ोगा।' राज कपूर क बेट लरु नंदा का बेटा और अलमाभ बन का दामाद ै- लनलखल नंदा। वो बचपन म बु डरा था। मोहमद रफ़ क याद का कारवां ऐसा है, फिसका न कोई आग़ा है और न अंजाम ि ब मुझे पा चला लक ‘लशमला लमच’ म मेर मां क भूलमका ेमा माललन ज लनभाने वाल , मेर खुश का लठकाना न रा। उनके काम को बचपन से देख आई ूं। कभ सोचा न था लक ेमा ज के साथ पदा शेयर कंग। पदा शेयर करने क बा ो दूर, उनका ऑटोाि लेना और साथ म वर लखंचवाना भ मेरे ललए गव क बा थ। ेमा ज के साथ दो मने क शूलटंग के दौरान मने काि कुछ सखा भ। उनके साथ करना काि इंटरेसटंग रा। मने लजना देखा, पाया य लक उनके काम का रका बेद लनराला था। वे खूब ररसल कर थ। इसललए लक उनका लमल बोलने का लजा जो ै, व अभ भ आा ै। लेलकन वे बार-बार इसललए ररसल कर , ालक अपना लंद डायलॉग कलयर और अचछ से बोल सक। वे जब क ररसल करके अपन लाइन और सन के ललए ॉपर ैयार न ो जा, ब क कैमरे के सामने न जा। ेमा ज बु वट और मजालकया भ। मजाक म ो कभ भ कुछ भ बोल । कोई अचछा काम करा ै ो उसे ोतसाल कर । उनके ोतसान का एक वाकया बा ूं- लिलम क शूलटंग खतम ोने के बाद, जब उनने पला एलडट देखा, ब रमेश (लसपप) सर को कॉल करके बोला लक ब ने बु अचछा काम लकया ै। उस समय म रमेश ज के साथ थ, ब उनने का लक लो, राकुल से बा कर लो। ेमा ज ने मेर जमकर ारि करे ुए का लक ुमने बु नेचुरल एसकटंग क ै, लजसे देखकर बु अचछा लगा। उनके मुं से अपन सराना सुनकर मुझे बु अचछा लगा। इंसान के ौर पर ो ेमा ज बेद जमन से जुड़ । मेरा एक इंसान को जज करने का रका य ै लक व अपने आसपास के लोग को कैसट करा ै। अपने समक लोग को सभ बड़ अचछ से ट करे , लेलकन लोअर टाि को आप कैसे ट करे ! मेरे लसाब से जो बंदा उनको अचछ से ट करा ै, व अचछा इंसान ोा ै। इस पैमाने पर ेमाज एकदम खर उर । वे छोट-से-छोट को भ बु अचछ से ट कर । उनके लदल म जो बा ो ै, व बा जुबां पर भ ो ै। र मामले म वे बु कलयर । परवार से नाा जोड़ना ो ो ेमा ज से सख। व अपन बेलटय- एशा और आना से बु अटैचड । दोन से िोन पर रोजाना बा कर थ। र मामले म ेमा ज सुंदर और अल सुंदर । राकु त फसंह क निर म हेमा माफन नजर म... राकुल ीत वसंह ने ‘वशमला वमच’ की शूविंग के समय दो महीनहेमा मावलनी के साथ वबताए। रमेश वसपपी वनदवशत इस विलम म हेमा ने उनकी मां का वकरदार वनिाया है। हेमा के साथ शूविंग पर वबताए वदन की याद ताजा राकुल ने उमेश उपाधयाय के साथ शेयर क... आज िी खूब वरहसल करती ह हेमाजी शनिवार À25 जुलाई, 2015 3 TELE STAR POOJA GOR Áउमेश उपाधयाय क बार फिर टाइटल रोल फिभा रही ह? फिा से रोशिी िक का बदला ह? Áजब मने ‘ला’ शु लकया था, ब नयू कमर थ, इसललए मेरे लए बड़ा चैलज था। चूंलक कभ सकैरेकटर पले न लकया था, इसललए मेरे कंधे पर बु बड़ लजमेदार आ गई थ। ां, एक बार लिर टाइटल रोल करने जा र ूं, मगर य एक अलग पड़ाव ै। य अलग रके का शो ै, इसम अलग रके का चैलज ै और अलग रके का ै डॉ. रोशन का लकरदार। य और भ लडलिकलट ै, कयलक इसका ऐसा सबजेकट न ै, जो रोजमरा क लजंदग म देखने को लमला ै। इसका नॉलेज र लकस को न ोा ै। य रेगुलर सास-बू वाले शो से अलग ै। ‘तिा’केतिएकुितकिनअवॉरहातििकरचुकीह? Áमुझे खुद को याद न ै। इसके ललए ो मुझे साइट का सारा लेना पड़गा। घर पर ढर सार ॉलियां पड़ । ां, ‘ला’ और ‘सावधान इंलडया’ के ललए 20-25 के आसपास जर लमले गे। बचपनमकाबननाचाहिीथ?काकभीरॉकरबनन कीभीबाििोचीथी? Áबचपन म कभ लडसाइड न लकया था लक कया बनूंग। समय-समय पर मेरे िैसले चज ोे रे थे। म कभ डॉकटर, कभ लॉयर, कभ एकटर ो कभ कुछ और बनना चा थ। ां, कुछ बे बचपन म य कर लेे लक उन कया बनना ै। जैसे मेर कलजन लसटर , व बचपन से डॉकटर बनना चा थ और प-ललखकर आज डॉकटर बन गई । ीवी इंरी म आप ििझी और हारवतकग मानी जािी ह। ह िीख आपकोकहांितमिी? Áमेरा मानना ै लक लजंदग म जब आपको एक बु बड़ा मौका लमला ै, ब उसे ाथ से न जाने देना चालए। ाडवक ो र े म ै, चाे व कोई भ ोिेशन कय न ो। ाडवक के लबना कुछ न लकया जा सका ै। आप लक ो आपको एक बार सिला लमल जाएग, लेलकन उसके बाद कया? उसे मेनटन करने के ललए ाडवक ो करना पड़गा। म य बा शु म समझ गई और अवसर लमलने पर इसे ाथ से न जाने लदया। िगकोजागककरनवािएकाइमबरशोकोभी होतका।कैिाअनुभवरहा? Áबाक शो म म लकरदार लनभा ूं, लेलकन उस शो म म बौर पूजा ोट कर र थ। इस शो से बु कुछ सखने को लमला। लॉ लसटम से लेकर सोसायट म रने वाले बादुर लोग के बारे म जानने को लमला। जो कुछ जानने को लमला था, व एकदम सच था। सबसे बड़ बा य लक ऐसे लोग के बारे म भ जानने को लमला, जो म इपायर करे । आप काफी तफ ह। अपनी तफनि के तिए ोगा, तजतमंगवगैरहभीकरिीह? Áम लनयलम योगा ो न कर पा ूं, पर जब भ मौका लमला ै थोड़ा-बु जर करने क कोलशश कर ं। मेरे पापा मेरे ललए ेरराो । वे वि से योगा क ैसकटस करे आए । मने भ योगा के बारे म उनसे जाना और कुछ आसन सखे । एकि की िुंदरिा ही उनकी पूंजी होिी है। इििुंदरिा पीपूंजीकोकैिमननरखिीह? Áकोलशश कर ूं लक ढंग का खाना खाऊं। जयादा से जयादा पान लपऊं। जयादा से जयादा घर पर बने भोजन करने क कोलशश कर ूं। ल-भुन चज को कम खा ूं। इसके अलावा पॉलजलटव सोच रख ूं, जो न-मन सबको सुंदर बनाा ै। एकरराज केिाथआपकाफीिमिररिशनमह। शादीकरनकीोजनाकबकीहै? शाद के ललए बु वक ै। इसके बारे म सोच भ न र ूं। अभ मेरा लसि और लसि काम पर धयान ै। शादीकेतिएअभीबहुिवकिहै ‘मन की आिाज- वता’ म वता की शीरक िूवमका वनिाकर िीिी जगत म लोकवय हु पूजा गौर ने एक ििसीररयल म डॉकिर के प म छोिे परदे पर िापसी की है। काम से इतर उनकी वनजी वंदगी के बारे म जानने के वलए हम उनसे वमले। इस बातचीत म उनहाेंने वशा, पयार-शादी, इंडी को लेकर बात बता: मने ब.कॉम िर ईयर तक पढ़ाई क है। चंफक इस दौरान अफभनय े म आ गई और आगे क पढ़ाई ॉप करन पड़। समय फमते ह फ हाफस करना चाहत हं। म ब.कॉम तो नह करग, कयफक इसे करके अब कोई िायदा नह। म सोच रह हं फक यके िकर अपन िल से िुड़ा कोई कोस करके आऊ, ताफक मुझे आगे चकर भ काम आए। अभ िाइन नह हुआ है। फिहा फ तो िरर हाफस करग। Á लशा के सवाल पर मे रा जनम भोपाल म ुआ और इंदौर म र ं। पापा पुललस लवभाग म एसप पद पर थे, अब सेवालनवृ ोने के बाद वकाल करे । मेर मां जान-मान गोलड मेडलट जयोलि । सबसे पले उनने मेरे एकटर बनने क भलवषयवार क और आज रोइन बन गई ूं। म सलमान खान क िैन ूं। उन पद पर देखकर मुझे एसकटंग का बुखार चा। मॉल टाउन से आने पर यां ॉपर पलेटिॉम न लमला, इसलए मने अंरराषय केलबन ू बनने क बा सोच और 2010 से 2012 क एयर ोटस र। जॉब के साथ-साथ मॉडललंग क शुआ क और य पर मुझे लमल मूव का ऑिर लमला। मेर पल लमलिलम 2012 म दलश ुई ो उसम मेरे अलभनय क सराना ऐस ुई लक एक के बाद एक चलच लिलम कर चगई। मने साउथ क चार लिलम क । मेर पलंद लिलम ‘कैलडर गलस’ ै, जो अग म ररलज ोग। इसे मधुर भंडारकर ने बनाया ै। य लिलम लमलने क कान रोचक ै। म ममूट के साथ मलयालम लिलम कर र थ। भ साउथ इंलडयन लड़क के कैरेकटर ऑलडशन के लए को-ऑलडनेटर का िोन आया, मने सरयसल न ललया। कुछ लदन बाद मधुर सर के ऑलिस सिन आया, ब सोचा लक इन बड़ा मौका लमरा ै, ब कय न लमल लूं! खैर, जब मधुर सर से लमल, ब योर ो गई लक नंलदा मेनन का रोल म लनभाऊंग। इसके ललए मुझे ऑलडशन न देने पड़। मधुर सर और मेर सोच काि लमल ै। म दोन क बथ डट एक ै। म उैन सथ माकाल के भक । मार बाच क शुआ माकाल से ुई। जब वे मेरे लकरदार नंलदा मेनन के बारे म बाने लगे लक साउथ इंलडयन नंलदा बड़ आतमलववास और आतमलनभर लड़क ै। उसका िलमल बैकाउंड बु ांग ै। ब ऐसा लगा लक म अपने कैरेकटर के बु कलोज ूं। म 90 िसद नंलदा ूं। बस, अंर लसि इना ै लक व साउथ इंलडयन ै और म पंजाब ूं। मधुर सर रयल लसनेमा बनाने के ललए जाने जाे । इसम संदेश ो जर ै, लेलकन इसे जानने के ललए लथएटर जाना पड़गा। म अपन लिलम ररलज ोने से पले लपल के दशन करने जर जा ूं। ाल म वां से लौट ं। मेरे पास ऑिर ो कई आ रे , लेलकन अभ दोन जग क लिलम के मोशन म वय ूं। यां नई लिलम साइन करने से पले म ‘कैलडर गल’ का रपांस देख लेना चा ूं। मेरे जैस छोट शर से आने वाल उन लड़लकय के सपने पूरे , इसकलए जलद इंदौर म एक ऐसा इंटूट खोलना चा ूं, जां पर वे मॉडललंग से लेकर एसकटंग वगैर सखकर अपना सपना पूरा कर सक। Áउमेशउपाधा Â फनकनेम : आश Â िनम रान : भोपाल Â िनमफतफ : 26 अग Â कद : 5 िट, 7 इंच Â फशा : ेजुएट Â माता-फपता : लचा-आर.के. पुर Â शौक : डांलसंग और ाइलवंग करना PERSONAL PROFILE New Entry AKANKSHA DIRECTOR CUT ANEES BAZMEE CHIT-CHAT SUDHIR PANDEY म 90 िीसदी मधुर सर की नंवदता हूं... ििशो म योग की रत मधुर िंडारकर वनवमत-वनदवशत विलम ‘कैलडर गलस’ से आकांा पुरी बॉलीिुड म एंी ले रही ह। साउथ विलम म अचछी-खासी पहचान बनाने िाली आकांा वहंदी वसनेमा म िी धाक जमाना चाहती ह। अपने बारे म बताती ह: ि कवि ‘विकम बैक’ म मूि तफलम ‘विकम’ वािी मुख जोडी ानी अ कुमार-करीना कैफनहह।इिकीकोईखािवजह? Á‘वेलकम बैक’ क कान म अय और कटरना वाले लकरदार न । लपछलिलम म दोन शाद कर सेटल ो गए थे, इसलए कान म इनका कोई काम न था। ‘वेलकम बैक’ म सबसे बड़ा माशा य ै लक लपछलिलम के मागुंड नाना पाटकर और अलनकपूर पूर र शरि ो चुके । शराि अपनाउन कदम-कदम पर कलठनाई आ ै। साथ उअपन प-ललख, सुंदर-सुशल बन ुल ासन क शाद शरि लड़के से करन ै, पर व एक बु बड़ गुंड जॉन अाम से पयार कर बैठ ै। बस लिरोज खान वाले लकरदार के ललए नसन शा को लेना पड़ा। हीरोइनकेतिए िोनाीतिनहा,अतिनऔरअंिि:ुति हािनकोतिागा।इिनाफेरबदिककरनापडा? Áइन बड़ टार काट ो ो िेरबदल करने पड़े । वैसे मने ुल के अलावा लकस को साइन न लकया था। सोना से बाच ुई थ, व भ ोूसर ने क थ। बिातकारकाआरोपिगनकेबादशाइनीआहूजाकोपूरी इंरीनबतहषकिकररखाथा।आपनउनहकचुना? Áशाइन अचछ एकटर । जब व मुझसे लमले और सब ाला बयान लकए ो मुझे लगा लक इनको काम लमलना चालए। उन भ प, एक न ब और वृ माा- लपा का भरर-पोिर करना ै। खैर, इस लिलम म उनक सररयस इमेज से टकर कॉलमक लकरदार लदया ै। आजकिनएमूतजकरारकरऔरनएतिंगरचिरह ह।काअनुमतिकआजकीजरिकोपूरीकरपाएंग? Áअनु मललक से मने एक गाना ैयार करवाया ै और व बेलमसाल ै। इसम दो गाने म दस के और दो गाननए मयूलजक डायरेकटर लसां के । आप बड ाि को िकर बड बज की तफलम बनाि ह। रचनातमकिंिुषषकेतिएिोबजतफलमबनानाचाहग? Áमुझे रचनातमक संुसषट भ बड़ कैनवास क लिलम से लमल ै। म चाा ूं लक मेर लिलम लुलधयाना से लंदन क देख जाएं और ोूसर उनसे दो पैसे भ कमाए। वैसे लो बजट लिलम से मुझे परेज न ै। कई लो बजट लिलम के कॉनसेपट भ मेरे लदमाग म । राइरिरारकरबननकाकाफादाहोिाहै? Áअगर डायरेकटर राइटर भ ै ो व जाना ै लक कां, कया, लकना और कैसे शूट करना ै। वयथ क िुटज शूट करने म टाइम और पैसा नषट न ोा। यान ोूसर काे िायदा। व समय और परसथल के लसाब से सपट म स समायोजन भ कर सका ै। म चाहता हूवक मेरी विलम लुवधयाना से लंदन तक देखी जाएं... राइिर-डायरेकिर अनीस बज़मी इन वदन विलम ‘िेलकम बैक’ के पोि ोडकशन म वबजी ह, जो संिित: आगामी दीिाली पर रलीज होगी। उनसे अवनल राही की बातचीत: प70केदशकििीतवजनपरकारिह।िब ि िकरअब िकाबदिावदखनकोतमि? Áटव म कवांलटट और कनक लवार बु ुआ ै। आज टव ऑलमोट लिलम के बराबर या कई-कई जग पर ो उससे भ बड़ा ो गया ै। लेलकन कायम का जो र ै, उसम लजना सुधार आना चालए था, व न आया। कुछ लगने-चुने धारावालक को छोड़ द ो जयादार एक जैसे धारावालक बन रे । सभ म एक जैस भेड़चाल ै और सभ एक जैसा िॉमूला अपनाए । ां, टव का अचछा पलू य ै लक आज बु से लोग को रोजगार लमला ै। यां क लक म कैरेकटर आलटट को भ अचछ-अचछ भूलमकाएं लनभाने को लमल र । मुझे लगा ै लक इसम एकसपेरमट करना चालए। आपिीतवजनकेकई िंगठनिजुडह।इिदौरानतकनखािमु कातनपारातकाहै? Áम ‘लसने एंड टव आलटट एसोलसएशन’ से जुड़ा ूं, लजसक मदर बॉड ‘िेडरेशन ऑि वेटन इंलडया लसने एंपलाय’ ै। मार एसोलसएशन ने कलाकार के काम करने क टाइलमंग कंोल, पेमट क गड़बड़ को रेगुलाइज करने के साथ-साथ सुलवधायुक मेकअप म, साि-सुथरे बाथम और कई आपस लववाद को भ लकया। सालाना 150 से 200 पेमट गड़बड़ क केसेस आ । ोूिर,रारकरऔरचैनिकेिामनकिाकारअपनीआवाजको तकिनाबुिंदकरपािह? Áवे कलाकार आवाज न उठाे, जो खुद को असुरल मसूस करे । मार इंड काि इनलसकयोड ै। एकटस ो या टलशयन, सभ इनलसकयोड माौल म काम कर रे । मार लवलजलस क टम शूलटंग थल पर जाकर उनक समया के बारे म पूछ ै। भई, म गल चज के लए ोटट ो कर न रे और न लवो करने क बा कर रे । इन बा को काि द क लोग समझे । मनोरंजनजगिमअबिकतमिमुकामितकिनािंिुषह? Áएक उममद र ै। लेलकन दूसर रि भगवान का शुगुजार ूं, जो इस मकाम क पुंचाया। ऐसे बु से मेन लोग , जो यां क भ न पुंच पाए। मेरा लगलास आधा भरा ै, ऐसे सकारातमक सोच का ूं। असल संुसषट के ललए म लथएटर से जुड़ा रा ूं। ोरकशन-रारकशनमकुछकरनकाइरादाहै? Áां, लबलकुल इचछा ै। ोडकशन-डायरेकशन करना चाूंगा, लेलकन लटलपकल िॉमूला पर काम न कंगा। म व कंगा, लजसम लएलटव संुसषट लमले। म एक र का योग दशक को देना चाूंगा। एक-दो सबजेकट पर काम कर रा ूं, अगर कोई लदलचप लदखाएगा, ब जर कंगा। मौका कब और कां लमलेगा, मालूम न। तफलममिबिजादािंिोषजनकतकरदारतकिपािह? Áदेलखए, एज एकटर लकना भ अचछा काम कय न लकया ो, लिर भ एक भूख जर र जा ै। बाद म ऐसा लगा ै लक इससे भ बेर ो सका था। कुछ अचछा करने क पयास मेशा बन र ै। ां, टललवजन के कुछ रोलस , जो लदल के बेद करब । इनम ‘बुलनयाद’ सलरयल का लाला गडामल का लकरदार आज भ अचछा लगा ै। ऐसे ‘अमान’ सररयल का लाला लाौरराम ै, लजनको 7 बेलटयां थ। ‘ससुराल गदािूल’ म द का पा भ अचछा रा। बुवनयाद, जमीर, मायका, अमानत, ससुराल गदािूल, बावलका िधू आवद धारािावहक म अपने वकरदार म जान िूंकने िाले सुधीर पांडे ने अपने सिर पर उमेश उपाधयाय से बात की... हावक के फबना कुछ नह फकया िा सकता है। आप क ह तो आपको एक बार सिता फम िाएग, ेफकन उसके बाद कया? आदम आता तो है हरो बनने, ेफकन हरदम ऐसा मुमफकन नह होता। वैसे, फवेन बनकर म संतुष हं, कयफक हरो का करअर बहुत छोा होता है। बहुत कम ोग अफमताभ बन क तरह होते ह, िो बरस राि करते ह। वे एकसेपशन ह।

एवमले। इस बातचीत में उनहाेंने ......अख तर और शकर ल बद य नर अपन आलखरर स ल कर

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