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1 AIPTS 2019 (GS - 9) (H) Answer Key Byju’s Classes: 9205881869 ALL INDIA PRELIMS TEST SERIES – 2019 GS9 उतर:1)(b) याया: चंपानेर - पावाग पुरातावक उयान यह पाक क गुजरात के पंचमहल जले म थित है। इसे 2004 म वक हेररटेज साइट के ऱप म अंकत कया गया ि चंपानेर शहर की थिापना 8 वं शतादी म चावडा वंश के राजपूत राजा वनराज चावडा के समय ह ई ि। पुराताववक पाक क म हहंदू और जैन मंहदर और कई मथजद , साि ही दुगक , एक महल, सैय संरचनाएं और शानदार इमारत ह। अधिकांश मंहदर 14-15 वं शतादी के ह , जो 10 वं शतादी के सबसे पुराने शैव लकु लस मंहदर के ह। इस पाक का नाम पडा होगा: 1. पावाग पहाड जो लाल-पले रंग के पविर से बन है , जो देश म पाए जाने वाले सबसे पुराने रॉक संरचनाओं म से एक है , से 2. पावाग पहाड की आनेय चान की रंजकता की तुलना असर चंपक के फू ल से की जात है या यह आग की लपट से लमलत है , जससे इस शहर ने चंपानेर नाम ात ककया होगा। शहर की सबसे हदलचथप ववशेषता इसकी जल थिापना णाली है यही कारण है क इसे 'हजार कुओं का शहर' कहा जाता है। उतर:2)(d) याया: खगजोम युध हदवस मणणपुर तत वषक 23 अैल को 1891 के एंलो-मणणपुर युध के थमरण म 'खगजोम हदवस' मनाता है। 1891 का सशथर संघष, मणणपुर रयासत और िहटश सााय के बच लड गई अंततम लडाई ि। मणणपुर युध हार गया और इसने तवकालीन रयासत म िहटश शासन की शुरआत की। मणणपुर सरकार हर साल 23 अैल को 'खगजोम हदवस' के ऱप मनात है। िबल जले म खगजोम के खेबा हहल म लडाई लड गई ि। उतर:3)(d) याया: कांगडा कला कांगडा कला हहमाचल देश म िमकशाला से लगभग 20 कम दूर एक खड पहाड पर थित है। यह बाणगंगा और मझ नदी के बच भूलम की एक संकीणप पर थित है। कोट (कले) को पहले नगरकोट या शहर का कला अिवा कोट कांगडा कहा जाता िा। इसे कांगडा राय के शाही राजपूत परवार (कटोच वंश) वारा बनाया गया िा। कले के सबसे ऊं चे थिान पर महल का ांगण है। महल के आंगन के नचे एक बडा ांगण है जसम लम नारायण, अंबका देव और जैन मंहदर के पविर पर नकाशदार मंहदर ह। उतर:4)(a) याया: आनंदीबाई गोपालराव जोश भारत पर जब िहटश शासन िा आनंदीबाई गोपालराव जोश भारत की पहली महहला ॉटर बनं। जोश का जम कयाण (वतकमान महारार म) म 31 माचक , 1865 को ह आ िा। नौ वषक की आयु म , उनका वववाह गोपालराव जोश से ह , जहने उनका नाम आनंदी रखा। उनके पतत ने महहला लशा का समिकन कया और उहने जोश को लशा जारी रखने के ललए ोवसाहहत ककया। भारत की आनंदीबाई जोश, जापान की के ई ओकाम और ओटोमन / सररया की तबाट एम इथलांबोली वुमेस मेडकल कॉलेज ऑफ पेनलसलवेतनया म छार िं। पचचम धचककवसा म ड हालसल करने बाली तन अपने- अपने देश की पहली महहला िं। उतर:5)(a) याया: चनापटना णखलौने चनपटना णखलौने लकड के णखलौन और गुडय का एक वशेष ऱप है। णखलौने कनाकटक के रामनगर जले के छोटे से शहर चनपटना म तनलमक त ह। कनड म , थिान को गोबेगला नगर के ऱप म जाना जाता है जसका अिक है "णखलौन का शहर" इस कायक म राइहटया हटं कटोररया के पेड की लकड या आले मारा (हाि दांत की लकड) को शालमल ककया जाता है। इसे भौगोललक संके त टैग हदया गया । उतर:6)(d) याया: िलु बोमलता यह आं देश का छाया धिएटर है जसकी एक सम ध और परंपरा है। कठपुतललया आकार म बड होत ह और इनम संधियुत (Jointed) कमर, कं िे , कोहन और घुटने होते ह। वे दोन तरफ से रंगे होते ह और थरीन पर रंग छाया ाली जात है। संगत ेरय शाथरय संगत से भाववत होता है।

GS9 - Amazon Web Services · फसलों की सुरक्षा के ललए प्रािकना करतेहैं। ... जॉनब ल मेला का

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  • 1 AIPTS 2019 (GS - 9) (H) Answer Key Byju’s Classes: 9205881869

    ALL INDIA PRELIMS TEST SERIES – 2019

    GS9

    उत्तर:1)(b) व्याख्या: चंपानेर - पावागढ़ पुरातात्ववक उद्यान

    यह पाकक गुजरात के पंचमहल त्जले में त्थित है। इसे 2004 में वर्ल्क हेररटेज साइट के रूप में अंककत ककया गया

    िा। चंपानेर शहर की थिापना 8 व ं शताब्दी में चावडा वंश के

    राजपूत राजा वनराज चावडा के समय हुई ि । पुरातात्ववक पाकक में हहदं ू और जैन मंहदर और कई मत्थजदें,

    साि ही दगुक, एक महल, सैन्य सरंचनाएं और शानदार इमारतें हैं।

    अधिकांश मंहदर 14-15 व ं शताब्दी के हैं, जो 10 व ं शताब्दी के सबस ेपुरान ेशैव लकुललस मंहदर के हैं।

    इस पाकक का नाम पडा होगा: 1. पावागढ़ पहाड जो लाल-प ले रंग के पविरों से बन है, जो देश

    में पाए जाने वाले सबसे पुराने रॉक संरचनाओं में से एक है, से

    2. पावागढ़ पहाड की आग्नेय चट्टानों की रंजकता की तलुना अक्सर चंपक ’के फूल से की जात है या यह आग की लपटों से लमलत है, त्जससे इस शहर ने चंपानेर नाम प्राप्त ककया होगा।

    • शहर की सबस े हदलचथप ववशेषता इसकी जल थिापना प्रणाली है यही कारण है कक इसे 'हजार कुओं का शहर' भ कहा जाता है।

    उत्तर:2)(d) व्याख्या: खोंगजोम युद्ध हदवस

    मणणपुर प्रतत वषक 23 अप्रैल को 1891 के एंग्लो-मणणपुर युद्ध के थमरण में 'खोंगजोम हदवस' मनाता है।

    1891 का सशथर संघषक, मणणपुर ररयासत और ब्रिहटश साम्राज्य के ब च लड गई अंततम लडाई ि ।

    मणणपुर युद्ध हार गया और इसने तवकालीन ररयासत में ब्रिहटश शासन की शुरुआत की।

    मणणपुर सरकार हर साल 23 अप्रैल को 'खोंगजोम हदवस' के रूप मनात है।

    िौबल त्जले में खोंगजोम के खेबा हहल में लडाई लड गई ि ।

    उत्तर:3)(d) व्याख्या: कांगडा ककला

    कांगडा ककला हहमाचल प्रदेश में िमकशाला से लगभग 20 ककम दरू एक खड पहाड पर त्थित है।

    यह बाणगंगा और मझ नदी के ब च भूलम की एक संकीणक पट्ट पर त्थित है।

    कोट (ककले) को पहले नगरकोट या शहर का ककला अिवा कोट कांगडा कहा जाता िा।

    इसे कांगडा राज्य के शाही राजपतू पररवार (कटोच वंश) द्वारा बनाया गया िा।

    ककले के सबसे ऊंचे थिान पर महल का प्रांगण है। महल के आंगन के न च े एक बडा प्रांगण है त्जसमें लक्ष्म

    नारायण, अंब्रबका देव और जैन मंहदर के पविर पर नक्काश दार मंहदर हैं।

    उत्तर:4)(a) व्याख्या: आनंदीबाई गोपालराव जोश

    भारत पर जब ब्रिहटश शासन िा आनंदीबाई गोपालराव जोश भारत की पहली महहला ्ॉक्टर बन ं।

    जोश का जन्म कर्लयाण (वतकमान महाराष्ट्र में) में 31 माचक, 1865 को हुआ िा।

    नौ वषक की आयु में, उनका वववाह गोपालराव जोश से हुआ, त्जन्होंने उनका नाम आनंदी रखा।

    उनके पतत ने महहला लशक्षा का समिकन ककया और उन्होंन ेजोश को लशक्षा जारी रखने के ललए प्रोवसाहहत ककया।

    भारत की आनंदीबाई जोश , जापान की केई ओकाम और ओटोमन / स ररया की तबाट एम इथलांबोली वमुेन्स मेड्कल कॉलेज ऑफ पेनलसलवेतनया में छार ि ं।

    पत्चचम धचककवसा में ड्ग्र हालसल करन े बाली त नों अपने-अपने देशों की पहली महहला ि ं।

    उत्तर:5)(a) व्याख्या: चन्नापटना णखलौन े

    चन्नपटना णखलौने लकड के णखलौनों और गुडडयों का एक ववशेष रूप है।

    णखलौने कनाकटक के रामनगर त्जले के छोटे से शहर चन्नपटना में तनलमकत हैं।

    कन्नड में, थिान को गोम्बेगला नगर के रूप में जाना जाता है त्जसका अिक है "णखलौनों का शहर"।

    इस कायक में राइहटया हटकंटोररया के पेड की लकड या आले मारा (हाि दातं की लकड ) को शालमल ककया जाता है।

    इसे भौगोललक सकेंत टैग हदया गया ।

    उत्तर:6)(d) व्याख्या: िोलु बोम्मलता

    यह आंध्र प्रदेश का छाया धिएटर है त्जसकी एक समदृ्ध और दृढ़ परंपरा है।

    कठपुतललयााँ आकार में बड होत हैं और इनमें संधियुक्त (Jointed) कमर, कंि,े कोहन और घुटने होते हैं।

    वे दोनों तरफ से रंगे होते हैं और थरीन पर रंग छाया ्ाली जात है।

    संग त के्षर य शाथर य संग त से प्रभाववत होता है।

  • 2 AIPTS 2019 (GS - 9) (H) Answer Key Byju’s Classes: 9205881869

    कठपुतली नाटकों का ववषय रामायण, महाभारत और पुराणों स ेललया गया है।

    कठपुतली बनाने के ललए मगृ और धचवत दार हहरण सहहत जंगली जानवरों की ववचा का उपयोग ककया जाता है।

    अब बकररयों की ववचा का उपयोग कठपुतललयों को बनान ेके ललए ककया जाता है, क्योंकक हहरणों के लशकार पर प्रततबंि है।

    उत्तर:7)(b) व्याख्या: यांगली उवसव

    ततवा जनजातत के लोग यांगली उवसव मनाते हैं। यह असम के काबी आंगलोंग में मनाया जाता है। यांग्ली ततवा के ललए एक महववपूणक वयौहार है, क्योंकक इसका

    संबंि कृवष से है, जो उनकी अिकव्यवथिा का मुख्य स्रोत है। यांगली के दौरान ततवा एक भरपरू फसल के साि-साि कीटों

    और अन्य हातनकारक प्राकृततक आपदाओ ं के णखलाफ अपन फसलों की सुरक्षा के ललए प्रािकना करते हैं।

    वे हर त न साल में यांगली मनात ेहैं। इस वयोहार के तुरंत बाद िान की बुवाई शुरू हो जात है।

    उत्तर:8)(d) व्याख्या: गेतोन्गवा

    पत्चचम बंगाल के दात्जकललगं त्जले के अलुबरी में 100 साल पुराने मठ में सोन े के अक्षरों में ललख बुद्ध की लशक्षाओं के साि 600 से अधिक दलुकभ ततब्बत पां्ुललवपयों के एक भाग का पुनरूद्धार ककया गया है।

    हाल ही में शुरू हुए मक ढ़ोग मठ में दो खं्ों में सोन ेसे जड ेपां्ुललवपयों का पुनरूद्धार ककया गया है।

    पां्ुललवपयों में गेतोन्गवा नामक प्राच न ततब्बत पाठ शालमल है, त्जसमें बौद्ध िमक की लशक्षाए ंहैं।

    पां्ुललवपयााँ ततब्बत ललवप सम्भोटा में हैं, त्जसका नाम इसके आववष्ट्कारक के नाम पर रखा गया है।

    पुनरूद्धार का काम इंड्यन नशेनल रथट फॉर आटक एं् कर्लचरल हेररटेज (INTACH) द्वारा ककया जा रहा है।

    पां्ुललवप के एक खं् में 322 पषृ्ट्ठ हैं, दसूरे में 296 पषृ्ट्ठ हैं और प्रवयेक खं् में 8,000 चलोक हैं।

    पां्ुललवप को 18 व ं शताब्दी की शुरुआत में नेपाल के हेलम्ब ूसे दात्जकललगं लाया गया िा।

    मठ का तनमाकण 1914 में शांतत को बढ़ावा देने के ललए ककया गया िा और बाद में यहां पां्ुललवपयां रख गईं।

    उत्तर:9)(d) व्याख्या: जॉनब्रबल मेला

    18 से 20 जनवरी 2018 तक आयोत्जत जोनब ल मलेा, आमतौर पर माघ ब्रबहु के कुछ हदनों बाद, फसल कटाई वयोहार, असम में मोरीगांव त्जले के दयांग बेलगुरी में होता है।

    जनजाततयों का एक समूह इस सहदयों पुरान 'मेला' को मनाता है जो अभ भ वथत ुववतनमय प्रणाली पर काम करत है।

    जॉनब ल (जौन = चााँद, ब्रबल = झ ल) झ ल के नाम पर पडन ेवाले इस मेले के दौरान सामुदातयक-मछली पकडने का कायक भ होता है।

    जॉनब ल मेला का आयोजन ततवा समुदाय द्वारा ककया जाता है, त्जसमें राज्य के मोरीगांव और काबी आंग्लोंग त्जलों के अंदरून हहथसों के साि-साि मेघालय के कुछ स मावती गांवों के ततवा, काबी, खास और जयतंतया समुदायों के प्रततभाग शालमल हैं।

    कोई नही ं जानता कक वाथतव में मेला कब शुरू हुआ िा, लेककन मध्ययुग न बजुों में से कुछ (अहोम द्वारा बनाए गए) इसे कूटन तत के ललए एक थिल के रूप में संदलभकत करते हैं।

    उत्तर:10)(a) व्याख्या: ब्ुली कुरंूग

    बादलुी कुरंुग मध्य असम में नागांव शहर स े17 ककम दक्षक्षण में बामनु पहाड में एक चमगादड गुफा है।

    यह फल और कीट खान े वाले दोनों प्रकार के चमगादड की कई प्रजाततयों का घर है।

    लोगों का मानना है कक चमगादड उन पहाडडयों पर नज़र रखते हैं जो उन्हें जलाऊ लकड और ज वन रक्षक जलस्रोत (सोता) प्रदान करत हैं (के्षर में भूजल का बहुत अधिक हहथसा फ्लोराइ् से दवूषत है), जो गुफा से बाहर की तरफ प्रवाहहत होत है।

    2001 से, थिान य लोगों द्वारा लशवराब्रर के 24 घंटे बाद शुरू होने वाले त न हदवस य बदलुीिाण मेले की मेजबान शुरू ककया गया।

    उत्तर:11)(d) व्याख्या: अष्ट्टपहदयतम

    उपराष्ट्रपतत ने केरल में एक समारोह में 12 व ं शताब्दी के कवव जयदेव द्वारा ललणखत 'ग त गोववदंम' पर आिाररत प्राच न नवृय नाटक 'अष्ट्टापद्यावतम' को कफर से लॉन्च ककया।

    इसे अष्ट्टपदी (अष्ट्ट- 8) कहा जाता है क्योंकक ग त गोववदं न ेदोहों को आठ के समूह में बांटा है।

    इसललए अष्ट्टपदी + अट्टम (नवृय), अष्ट्टपदी पर आिाररत एक नवृय-नाहटका है।

    जयदेव की ग त गोववदंम शाथर य साहहवय, शाथर य संग त और शाथर य नवृय का एक अनूठा लमश्रण है।

    ग त गोववदंम की असामान्य रूप से ववथततृ आकषकण श्र कृष्ट्ण की कहान और रािा के प्रतत उनके प्रेम से है।

    महात जों द्वारा जगन्नाि पुरी में ग त गोववदं का प्रदशकन और बाद में गौततपाओ ंद्वारा ओड्स के ववकास में महववपूणक मन जाता है।

    1985 में पौराणणक रािा-कृष्ट्ण प्रमे पर आिाररत नवृय नाहटका उवसव के दौरान चेन्दा उथताद कलामं्लम कृष्ट्णकुट्ट पो्ुवाल द्वारा अष्ट्टापद्यावतम पर कुछ प्रथतुततयााँ दी गई तो इसकी वापस हुई। अब कला संगठनों को कोई संदेह नहीं है कक यह केरल में रािा-कृष्ट्ण प्रेम का मचं य चररर को दशाकत है।

  • 3 AIPTS 2019 (GS - 9) (H) Answer Key Byju’s Classes: 9205881869

    उत्तर:12)(d) व्याख्या: राजा राम मोहन राय

    भारत के सबसे प्रलसद्ध समाज सिुारक राजा राम मोहन रॉय, त्जन्हें "भारत य पुनजाकगरण के वपता" के रूप में याद ककया जाता है, का जन्म 22 मई 1772 को हुआ िा।

    उनका जन्म पत्चचम बंगाल के मुलशकदाबाद त्जले के रािानगर गााँव में हुआ िा।

    वे एकेचवरवाद के कट्टर समिकक िे। उन्होंने बचपन स ेही रूहढ़वादी हहदं ूररवाजों और मूतत क पजूा को

    भ छोड हदया। अपन पहली पुथतक "तुहफात अल-मुवाहहदीन" में उन्होंने िमक

    में तकक की वकालत की और कमककां् का ववरोि ककया। उन्होंने "सत ", जैसे प्रततगाम प्रिा का ववरोि ककया, जो एक

    वविवा को पतत की धचता पर खदु को ववसत्जकत करने के ललए मजबूर करता िा ।

    1828 में, राजा राम मोहन राय ने "िह्म समाज" की थिापना की, त्जसे पहले भारत य सामात्जक-िालमकक सुिार आंदोलनों में से एक कहा जाता है।

    उत्तर:13)(a) व्याख्या: भारत य भाषाओं का कें द्रीय संथिान

    मैसूर त्थित कें द्रीय भारत य भाषा संथिान (CIIL) मानव संसािन ववकास मंरालय का एक अि नथि कायाकलय है।

    इसकी थिापना 1969 में भारत सरकार की भाषा न तत को ववकलसत करने और लागू करन े में मदद करन े के ललए की गई ि ।

    यह समाज में भाषा ववचलेषण, भाषा लशक्षा, भाषा प्रौद्योधगकी और भाषा के उपयोग के के्षरों में अनसुंिान करके भारत य भाषाओ ंके ववकास को समत्न्वत करता है।

    कें द्रीय भारत य भाषा संथिान (CIIL) संवविान की आठव ंअनुसूच में ककस भ भारत य भाषा में ललखे गए कायों या पुथतकों के लेखकों के ललए हर साल भारत भारत सम्मान प्रदान करता है।

    अपने उद्देचयों को बढ़ावा देन े के ललए, CIIL कई कायकरम आयोत्जत करता है, त्जनमें से कुछ हैं:

    1. भारत य भाषाओ ंका ववकास 2. के्षर य भाषा कें द्र (आरएलस ) 3. सहायता योजना में अनुदान 4. राष्ट्रीय परीक्षण सेवा

    उत्तर:14)(a) व्याख्या: पेललकन महोवसव

    कोलेरु ने इस साल के शुरू में अटापका पक्ष अभयारण्य में पेललकन महोवसव की मेजबान की ि ।

    यह झ ल देश की सबस ेबड ताजे पान की झ लों में स ेएक है।

    5,000 से अधिक थपॉट-ब्रबल पेललकन, त्जन्हें गे्र-हे् पेललकन के रूप में भ जाना जाता है, जो झ ल आए।

    पक्ष इस के्षर में सहदकयों के मौसम के दौरान अपन े मादा साि के साि और घूमत ेउडते प्रजनन करत ेहैं।

    कोर्ललेरू कई प्रवास पक्षक्षयों के ललए घोंसला बनाने का थिान है।

    यह गोदावरी और कृष्ट्णा नदी के ्रे्लटा के ब च त्थित है। इस तरह आंध्र प्रदेश में पुललकट झ ल और नेलपटू्ट पक्ष

    अभयारण्य में त न हदवस य वावषकक फ्लेलमगंो महोवसव आयोत्जत ककया गया िा।

    उत्तर:15)(b) व्याख्या: बोधिसेना

    जापान में सबसे पुराना भारत य तनवास , और तनत्चचत रूप स ेसबसे प्रभावशाली, बोधिसेना िा।

    वे मदरैु, तलमलना्ु के एक लभकु्षक िे। जापान संथकृतत पर उनका प्रभाव लगभग 1,300 साल बाद

    भ बरकरार है जब व ेद्व पसमूह के ककनारों पर उतरे ि े। बोधिसेना का मानना िा कक मजंशु्र (ज्ञान का बोधिसवव) च न

    के बूटाई पवकत पर रहता िा, और इसललए वहााँ की यारा करन ेके ललए आज्ञा का पालन ककया।

    उन्हें बोधिसेना भ कहा जाता िा। भारत य लभकु्षक न ेसंथकृत पढ़ाई और च न हुयान थकूल के

    एक प्रकार के बौद्ध िमक के केगन थकूल की थिापना में सहायता की।

    चंपा के एक लशष्ट्य बुटश ू ने नवृय की एक शैली लसखाई, त्जसमें भारत य पौराणणक किाओ ंसे ली गई ि ।

    इन नवृयों को ररनुगाकु के रूप में जाना जाता िा और थिान य कलावमक कृतत में प्रयोग ककया जाता िा।

    उत्तर:16)(d) व्याख्या: शेख धचर्लली

    शेख धचर्लली एक सफूी संत िें त्जनकी कि िानेसर, हररयाणा में है।

    वह मुगल राजकुमार दारा लशकोह के आध्यात्वमक सलाहकार िे।

    िानेसर सूफी धचचत लसललसला का एक प्रलसद्ध कें द्र िा। यह मकबरा ओर्ल् रंक रो् पर त्थित है। पररसर के ब च में एक उिला तालाब है। तालाब के चारों ओर गैलरी पाई जात हैं और उनका उपयोग

    मदरसा के रूप में ककया जाता िा जो कक अध्ययन के ललए एक जगह है।

    उत्तर:17)(d) व्याख्या: छऊ नवृय

    हाल ही में पुरुललया, पत्चचम बगंाल के ववलशष्ट्ट छऊ मखुौटे को भौगोललक संकेत टैग प्रदान ककया गया है।

    मुखौटा बनाने का पारंपररक ग्राम ण लशर्लप छऊ के अिक-माशकल आटक नवृय का एक अलभन्न अंग है।

  • 4 AIPTS 2019 (GS - 9) (H) Answer Key Byju’s Classes: 9205881869

    छऊ नवृय पूवी भारत की एक परंपरा है जो महाभारत और रामायण, थिान य लोककिाओ ं और अमतूक ववषयों सहहत महाकाव्यों के प्रसंगों को शालमल करता है।

    इसकी त न अलग-अलग शैललयााँ सरायकेला (झारखं्), पुरुललया (पत्चचम बंगाल) और मयूरभंज (ओड्शा) के के्षरों स ेतनकलत हैं, त्जनमें पहले दो मुखौटे का प्रयोग करते।

    छऊ नवृय के्षर य वयोहारों स ेजुडा हुआ है, ववशेष रूप स ेवसतं उवसव चैर पवक से।

    नवृय रात में पारंपररक और लोक िुनों के ललए एक खुली जगह में ककया जाता है, त्जसे सरकं् े के पाइप ''मोहुरी'' और ''शहनाई'' पर बजाया जाता है।

    2010 में छऊ नवृय को यूनेथको की मानवता की अमूतक सांथकृततक ववरासत की प्रतततनधि सूच में अंककत ककया गया िा।

    उत्तर:18)(d) व्याख्या:

    बालमयान घाटी हहदंकुूश पवकत स े तघरा है, जो अफगातनथतान में त्थित है।

    यह घाटी प्राच न लसर्लक रूट पर त्थित है और इसललए, कई ववकास देख ेगए।

    यह व्यापार के ललए एक महववपणूक कें द्र िा और यह शुरुआत हहदं-ूबौद्ध बत्थतयों के ललए थिल के रूप में कायक करता िा जहां स ेइसका नाम ललया गया है।

    घाटी में कई बौद्ध मठों, गुफाओं और बुद्ध की मूतत कयों को देखा जा सकता है।

    बालमयान घाटी के सांथकृततक पररदृचय और पुरातवव अवशेष घाटी और इसकी सहायक नहदयों में फैले आठ अलग-अलग थिलों को समाहहत करते हैं।

    इनमें स,े बालमयान चट्टानें जहां कभ दो ववशाल बुद्ध खड ेि,े सबसे प्रलसद्ध हैं।

    घाटी यूनेथको का एक ववचव िरोहर थिल है।

    उत्तर:19)(c) व्याख्या: वारली कला

    वारली एक आहदवास कला रूप है जो ज्यादातर पत्चचम घाट के आहदवालसयों द्वारा बनाया गया िा।

    वारली जनजातत, जो इन धचरों को बनात हैं, मुंबई के बाहरी इलाके में त्थित भारत की सबस ेबड जनजाततयों में से एक है।

    ये कलाकार अपन झोपडडयों की लमट्ट की दीवारों का उपयोग अपने धचरों के ललए कैनवास के रूप में करते हैं।

    ये पेंहटगं ज्यालमत य आकृततयों वतृ, ब्ररकोण और वगक के एक सेट का उपयोग करत हैं।

    यह जनजातत के प्रकृतत के अवलोकन से आता है क्योंकक ववृत सूयक और चंद्रमा का प्रतततनधिवव करता है, जबकक ब्ररकोण पहाडों और नुकीले पेडों का प्रतततनधिवव करता है।

    दसूरी ओर वगक एक मानव य आववष्ट्कार है, जो भूलम या बाड ेके एक टुकड ेको दशाकता है।

    वारली कलाकार केवल सफेद पथेट जो चावल और पान स ेबने होत ेहैं का उपयोग करत ेहैं।

    कलाकार एक बासं की छड का उपयोग करत े हैं त्जसके अंततम लसरे को चबाया जाता है ताकक इसे पेंटिश का रूप हदया जा सके।

    दीवारों को केवल ववशेष अवसरों जैसे फसल या शाहदयों को मनाने के ललए धचब्ररत ककया जाता है

    उत्तर:20)(d) व्याख्या:

    यह एक तजे़ गचत पोत है, जो थवदेश रूप स े हहदंथुतान लशपया्क द्वारा बनाया गया है।

    रान रशमोन दक्षक्षणेचवर काली मंहदर, कोलकाता की संथिापक ि ंऔर मंहदर के पुजारी के रूप में तनयुक्त करन ेके बाद व ेश्र रामकृष्ट्ण परमहंस के साि घतनष्ट्ठ रूप स ेजुड रहीं।

    भारत में अंगे्रजों के साि रान और उनके संघषक उनके समय में घरेल ू ककथस े बन गए। गंगा के एक हहथसे पर लशवपगं व्यापार को अवरुद्ध करके उसन े नदी में मछली पकडन े पर लगाए गए कर को समाप्त करन ेके ललए अंगे्रजों को मजबूर ककया, त्जससे गरीब मछुआरों की आज ववका को खतरा पैदा हो गया िा।

    एक अम र जम ंदार पररवार का सदथय, अपने पतत की मवृय ुके बाद उन्होंन ेजम ंदारी और वववत का कायकभार संभाला।

    रान रचमोन बचपन स ेही बहुत ही दयाल ुहोने के कारण, एक अवयंत िालमकक और पववर ज वन ज त रही।

    वह अपन ेिालमकक और कई िमाकिक कायों और समाज में अन्य योगदानों के ललए जान जात हैं।

    उत्तर:21)(b) व्याख्या:

    अम्बुबाच मेला असम के गुवाहाटी में न लांचल पहाडडयों में कामाख्या मंहदर में देव की वावषकक रजोिमक को मनान े के ललए चार हदवस य मलेा है।

    कामाख्या मंहदर 51 शत्क्तप ठों में से एक है अिवा शत्क्त अनुयातययों की थिली है।

    शत्क्त प ठ की उवपत्वत देव सत की मवृय ु की कहान पर आिाररत है।

    भगवान लशव त्जन्होंन ेउनके मतृ शरीर को िारण ककया, कफर ववनाश का नवृय शरुू कर हदया, त्जससे सत का शरीर टुकड-ेटुकड ेहो।

    त्जन थिानों पर सत देव के ये भाग धगरे, वे शत्क्त प ठ हैं। कामाख्या मंहदर के गभकगहृ में योन - मादा जननांग का

    प्रत क एक चट्टान है। अम्बुबाच मेले को रजोिमक थवच्छता पर जागरूकता को

    बढ़ावा देन ेके ललए एक अवसर के रूप में भ माना जाता है।

  • 5 AIPTS 2019 (GS - 9) (H) Answer Key Byju’s Classes: 9205881869

    यह अनुष्ट्ठातनक मेला एक कारण है कक भारत के अन्य हहथसों की तुलना में असम में मालसक िमक स े जुड वजकना क्यों कम है।

    भारत में चार प्रमुख शत्क्त प ठ - जगन्नाि मंहदर, पुरी; गुवाहाटी के पास कामाख्या मंहदर; कोलकाता में दक्षक्षण काललका; िह्मपुर के पास तारा ताररण , ओड्शा।

    उत्तर:22)(c) व्याख्या: आंध्र प्रदेश के कलमकारी या व्रतपाणण कला इथतेमाल की जान ेवाली प्राकृततक सामधग्रयों की वववविता को प्रदलशकत करते हैं। कलमकारी का अिक फारस में "कलम का काम" होता है और यह मुहद्रत और धचब्ररत कपड ेदोनों को संदलभकत करता है। सरहव ंशताब्दी में फारस के प्रभाव में कलाकारों न ेपेडों, फलों, फूलों और सजावटी पक्षक्षयों के धचरण के साि प्रयोग ककया। पेंहटगं एक कलम के साि ववशेष रूप स ेबनाई गई है, कलम को ऊन के साि एक खं् में एक बांस के काढे़ कंु्लों से बनाया गया है और कफर प्राकृततक रंगों से रंगा गया है। काली थयाही का उपयोग रूपरेखा बनान ेके ललए ककया जाता है और गुड, जंग लगे लोहे के बुरादे और पान का उपयोग वववरण भरने के ललए रंग बनाने के ललए ककया जाता है।

    उत्तर:23)(c) व्याख्या: धचरकाठी: 'धचर' धचरकला है और 'किा' कहान है। पौराणणक और ऐततहालसक कहातनयों को कहने की परंपरा महाराष्ट्र / कनाकटक स मा और आंध्र प्रदेश के कुछ हहथसों में ज ववत ि । पट्टधचर: उड सा में पाई जान े वाली कलाकृतत के सबस े पुरान ेरूपों में स ेएक है, पटधचर (त्जस ेपट्टाधचर के रूप में भ ललखा जाता है) कला आकषकक है, हहदं ू पौराणणक किाओ ं और चमवकारों को दशाकत है। राजथिान का कावड: एक पारंपररक दृचय कहान कहन े वाला उपकरण है। यह एक लकड का चल मंहदर है त्जसमें इसके कई पैनलों पर दृचय किाए ंहैं जो एक साि हटका है। ये पैनल एक मंहदर के कई थ्रेसहोर्ल् का अनुकरण करते हुए दरवाज ेकी तरह खलुते और बंद होत े हैं, दृचय देवता, देव , संत, थिान य नायक और संरक्षक हैं।

    उत्तर:24)(a) व्याख्या: यह भावनाओं को व्यक्त करने के ललए मुद्रा और मुद्राओ ं के उपयोग में भरतनाट्यम के समान है। ब्ररभंगा आसन, अिाकत ् शरीर का त न-झुका हुआ रूप ओड्स नवृय सहज क्षमता है। गररमा, कामुकता और सुंदरता का प्रतततनधिवव करने के ललए ओड्स नवृय शैली अद्ववत य है। नतकक यहा ंशरीर के साि जहटल ज्यालमत य आकार और पैटनक बनात े हैं। इसललए, इस े ‘चलन्त कलाकृतत’ के रूप में जाना जाता है। ‘अतावकुल या अटावस चौदह मलू नवृय भंधगमा का संग्रह है, जो कक मोहहन अट्टम नवृय की ववशेषता है न कक ओड्स नवृय की ।

    उत्तर:25)(d) व्याख्या: जर्ललीकटू्ट: जर्ललीकटू्ट एक ग्राम ण सांढ़-वश में करन ेवाला खेल है जो तलमलना्ु में मटू्ट पोंगल हदवस (मध्य जनवरी) पर खेला जाता है कंबाला: कंबाला एक वावषकक भैंस दौड है जो नवंबर और माचक के ब च कनाकटक के दक्षक्षण कन्नड और उ्ुप त्जलों में कृषक समुदाय द्वारा आयोत्जत की जात है। मरमा् : दक्षक्षण भारत के केरल के गााँवों में फसल कटाई के मौसम के दौरान होन े वाले वावषकक मरमा् उवसव में एक ववशेष प्रकार की बैल दौड होत है बैलगाडा शयकत: महाराष्ट्र के कुछ हहथसों में बैल-काटक रेलसगं एक लोकवप्रय परंपरा रही है, त्जसे राज्य के ववलभन्न हहथसों में ‘बैलगाडा शयकत’ या 'शंकरपाट' के नाम से जाना जाता है।

    उत्तर:26)(b) व्याख्या: मोहनजोदडो में खोज गई एक सेलखड (steatite) मुहर में एक मानव आकृतत या एक देवता को पैर मोडकर बैठा हदखाया गया है। पशुपतत के रूप में संदलभकत यह आकृतत एक त न स ंग वाला मकुुट िारण ककये हुए हैं तिा वह जानवरों से तघरा हुआ है। एक हाि और एक बाघ आकृतत के दाईं ओर हैं जबकक एक गैं्ा और एक भैंसा बाईं ओर हदखाई देता है। धचर के आसन के न च ेदो मगृ हदखाए गए हैं।

    उत्तर:27)(c) व्याख्या: हडप्पा वालसयों ने आभषूण बनाने के ललए कीमत िातुओं और रवनों से लेकर हड्ड्यों और यहां तक कक पकी हुई लमट्ट जैस कई प्रकार की सामधग्रयों का उपयोग ककया। कॉनेललयन, न लम, क्वाट्कज, थटीटाइट और तााँबा आहद स ेबन ेमोत काफी लोकवप्रय ि े और बड े पैमान े पर उवपाहदत ककए गए िे, जैसा कक चान्हुदरो और लोिल में खोज ेगए कारखानों से थपष्ट्ट है।

    उत्तर:28)(c) व्याख्या: सुमेललत युग्म हैं: सेट A सेट B 1. वपपरहवा थतूप (a) उवतर प्रदेश 2. सारनाि थतभं (b) उवतर प्रदेश 3. सांच थतूप (c) मध्य प्रदेश 4. नागाजुकन गुफाए ं (d) ब्रबहार

    उत्तर:29)(b) व्याख्या: मदृभां्ों का तनमाकण हडप्पा युग से ही चलन में है। मौयक काल की लमट्ट के मदृभां्ों को आमतौर पर नॉदकनक ब्लैक पॉललच् वेयर (NBPW) या धचब्ररत घूसर मदृभां् के रूप में जाना जाता है। उनमें काले रंग के साि अवयधिक चमकदार सतह की ववशेषता ि और आमतौर पर ववलालसता वथतुओं के रूप में उपयोग ककया जाता िा। उन्हें अक्सर मदृभां्ों के तनमाकण में उच्चतम थतर की कृतत के रूप में जाना जाता है।

  • 6 AIPTS 2019 (GS - 9) (H) Answer Key Byju’s Classes: 9205881869

    उत्तर:30)(d) व्याख्या: नागर शैली की कुछ ववशषेताएं हैं:

    मंहदरों में आम तौर पर मंहदर बनाने की पंचायतन शैली का पालन ककया गया।

    प्रमुख गभकगहृ के सामन ेसभा मं्लों या मं्पों की उपत्थितत। मंहदर पररसर में पान का तालाब या जलाशय मौजूद नही ंिे। मंहदर आम तौर पर उवकीणक प्लेटफामों पर बनाए गए िे। बारामदों में थतंभ का प्रयोग ककया जाता िा। लशखर आमतौर पर त न प्रकार के होते िे: 1. लत ना या रेखा-प्रसाद 2. फंसाना 3. वर्ललभ लशखर का ऊध्वाकिर अंत एक कै्षततज ड्थक में समाप्त होता

    िा, त्जसे अमलक के रूप में जाना जाता है। उसके ऊपर, एक गोलाकार आकृतत को कलश के रूप में जाना जाता िा।

    उत्तर:31)(d) व्याख्या: इं्ो-इथलालमक आककक टेक्चर की कुछ ववशेषताए ं इस प्रकार हैं:

    इस अवधि के दौरान मेहराब और गंुबदों के उपयोग को प्रमुखता लमली। इस ेवाथतुकला की 'आकुक एट' शैली (िनुषाकार शैली) के रूप में जाना जाता िा त्जसने वाथतुकला की पारंपररक रैब्रबट शैली को बदल हदया गया िा।

    इथलालमक शासकों ने मत्थजदों और मकबरों के आसपास म नारों के उपयोग की शुरुआत की

    अलंकार ववधि का उपयोग सजावट के ललए भ ककया जाता िा। अराबेथक का अिक िा ज्यालमत य वनथपतत अलकंरण का उपयोग और एक अखण्् तने की ववशेषता ि जो तनयलमत रूप से ववभात्जत हो जात है, त्जससे प्रततरूवपत, पवतेदार, माध्यलमक उपज की एक श्रृंखला का उवपादन होता है।

    इमारतों में जालीदार काम ककया जाता िा, जो इथलाम िमक में प्रकाश के महवव को दशाकता है।

    इथलालमक शासकों ने चारबाग शैली को बागवान के रूप में पेश ककया, त्जसमें एक चौकोर खं् को आसन्न समान उद्यानों में ववभात्जत ककया गया िा।

    इन समय के थिापवय ने पविर की दीवारों में कीमत पविरों और रवनों की जड के ललए वपरा-दरूा तकन क का भ इथतेमाल ककया।

    उत्तर:32)(a) व्याख्या: वेसर शैली को वाथतुकला के कनाकटक शैली के रूप में भ जाना जाता है, यह सातव ं शताब्दी मध्य के उवतरवती चालुक्य शासकों के शासन काल में फला-फूला। इसमें नागर शैली और द्रववड शैली दोनों की संयुक्त ववशेषताएं ि और इसके पररणामथवरूप एक लमधश्रत शैली का तनमाकण हुआ िा। इसकी कुछ ववशेषताए ंहैं:

    ववमान और मं्प पर जोर ओपन एंबुलेटरी मागक

    खंभ,े दरवाजे और छत को जहटल नक्काश स े सजाया गया िा। उदाहरण: दमबल में ्ोड््ा बसप्पा मंहदर, ऐहोल में लादखान मंहदर, बादाम के मंहदर आहद। मदरैु में म नाक्ष मंहदर वाथतकुला के नायक शैली के अतंगकत आता है। तंजौर में बहृदेचवर मंहदर द्रववडडयन शैली का है। भुवनेचवर में ललगंराज मंहदर नागर शैली (ओड्शा शैली) स ेसंबंधित है

    उत्तर:33)(d) व्याख्या: एक ठोस संरचना की दीवारों पर काम को लभत्वत कहा जाता है। ये भारत में प्राच न काल स े मौजूद हैं और दसूरी शताब्दी ईसा पूवक से 10व ं शताब्दी ईथव के ब च के समय के हो सकते हैं। इस तरह के धचरों के प्रमाण भारत के कई थिानों पर पाए जाते हैं। लभत्वत धचरों की सुंदरता और ववत्चष्ट्टता अजंता, अरमामलाई गुफा, रावण छाया गुफा आश्रय, बाघ, स तानवासल और एलोरा के कैलासनाि मंहदर जैस ेथिलों में देखा जा सकता है। धचरों में त्जस ववषय का अनकुरण ककया गया है उनमें सवाकधिक आम है हहदं,ू बौद्ध और जैन। इस तरह के धचरों को ककस भ सांसाररक ज वन को सजान ेके ललए भ बनाया गया िा। ऐसे काम का एक उदाहरण जोग मारा गुफा में प्राच न धिएटर के कमरे में देखा जा सकता है।

    उत्तर:34)(b) व्याख्या: मिुबन पेंहटगं पारंपररक रूप स े मिुबन शहर के आसपास के गांवों की महहलाओ ं द्वारा बनाई जात हैं, इसे लमधिला पेंहटगं भ कहा जाता है। धचरों की एक सामान्य ववषय वथतु है और इसे आमतौर स ेहहदंओुं के िालमकक रूपाकंनों से ललया जाता है त्जसमें शालमल है कृष्ट्ण, राम, दगुाक, लक्ष्म और लशव। पेंहटगं में आकृततयां प्रत कावमक होते हैं, उदाहरण के ललए मछली, सौभाग्य और प्रजनन क्षमता को दशाकत है। धचरों को जन्म, वववाह और वयोहारों जसैे शुभ अवसरों को धचब्ररत करते हुए बनाया जाता है। पेंहटगं में ककस भ अतंराल को भरन े के ललए फूल, पेड, जानवर आहद का उपयोग ककया जाता है। चूंकक कला एक ववलशष्ट्ट भौगोललक के्षर तक ही स लमत है, इसललए इसे ज आई (भौगोललक संकेत) का दजाक हदया गया है।

    उत्तर:35)(d) व्याख्या: भारत य शाथर य संग त के दो अलग-अलग शैली ववकलसत हुए:

    • हहदंथुतान संग त: भारत के उवतरी हहथसों में प्रचललत है। • कनाकटक संग त: भारत के दक्षक्षण भागों में प्रचललत ककया

    जाता है।

  • 7 AIPTS 2019 (GS - 9) (H) Answer Key Byju’s Classes: 9205881869

    संग त की हहदंथुतान शाखा संग त संरचना और उसमें आशुरचना की संभावनाओं पर अधिक ध्यान कें हद्रत करत है। हहदंथुतान शाखा ने शुद्ध थवर सप्तक या 'प्राकृततक नोटों के अष्ट्टक' के पैमाने को अपनाया। हहदंथुतान संग त में 'ध्रुपद', 'िमार', 'होरी', 'ख्याल', 'टप्पा', 'चतुरंग', 'रागसागर', 'तराना', 'सरगम' और 'ठुमरी' में गायन की दस मुख्य शैललयााँ हैं।

    उत्तर:36)(a) व्याख्या: मोहहन अट्टम की कुछ ववशेषताएं हैं:

    • मोहहन अट्टम भरतनाट्यम की शोभा और लाललवय को किकली की ओज के साि जोडता है।

    • मोहहन अट्टम आमतौर पर ववष्ट्णु के थर नवृय की कहान प्रथतुत करता है।

    • मोहहन अट्टम गायन प्रथतुतत में नवृय का लाथय पक्ष प्रमुख है। इसललए, यह मुख्य रूप से महहला नतकककयों द्वारा ककया जाता है। ब्ररभंगा मुद्रा, अिाकत ् शरीर का त न-झकुा हुआ रूप, ओड्स नवृय के ललए प्रलसद्ध है।

    उत्तर:37)(c) व्याख्या: भारत की अमूतक सांथकृततक ववरासत की यूनेथको की सूच

    सांथकृततक ववरासत समावेश का वषक

    कंुभ मेला 2017

    नौरोज 2016

    योग

    ठठेरा (जोड्याल गुरू, पंजाब, भारत) के पारंपररक प तल और तांब ेके बतकन बनान ेवाले लशर्लप

    2014

    संकीतकन (गायन, ढोलक वाहन और नवृय) मणणपुर का िालमकक ररवाज

    2013

    लद्दाख का बौद्ध गायन: रांस हहमालयन लद्दाख के्षर, जम्म ूऔर कचम र (भारत) में पववर बौद्ध गं्रिों का पाठ।

    2012

    छऊ नवृय 2010

    कालबेललया लोक ग त और राजथिान के नवृय

    मुहदयेटू्ट, केरल का अनुष्ट्ठातनक नाटक और नवृय नाटक

    राममन, गढ़वाल हहमालय भारत के िालमकक उवसव और िालमकक रंगमंच

    2009

    कुहटयाट्टम, संथकृत नाटक 2008

    रामलीला, रामायण का पारंपररक प्रदशकन

    वैहदक जप की परंपरा

    उत्तर:38)(a) व्याख्या: त्जस तरह न ल ने लमस्र को बसाया और अपन ेलोगों को सहायता प्रदान ककया, उस तरह लसिंु न े भ लसिं को बसाया और अपने लोगों को णखलाया। लसिं ु के लोगों द्वारा नवंबर में बाढ़ के मैदान में ब ज बोया जाता िा, जब बाढ़ का पान उतर जाता िा, अगली बाढ़ आने स ेपहले अप्रैल में गेहंू और जौ की फसल काट ली जात ि । लसिंु घाटी सभ्यता (IVC) दक्षक्षण एलशया के उवतर-पत्चचम के्षरों में एक कांथय युग की सभ्यता ि , जो आज के उवतर पूवक अफगातनथतान स े पाककथतान और उवतर-पत्चचम भारत तक फैली हुई ि , जो 3300 ईसा पूवक से 1300 ईसा पूवक तक िा और 2600 ईसा पूवक से 1900 ईसा पूवक के ब च समदृ्ध िा।

    उत्तर:39)(b) व्याख्या: सजावट के के्षर में, तकुक न े इमारतों में मानव और जानवरों के आकृततयों के प्रथतुत करण स े परहेज ककया (टाला)। इसके बजाय, उन्होंने ज्यालमत य और पुष्ट्प ड्जाइनों का उपयोग ककया, उन्हें कुरान के छंद वाले लशलालेखों के पहट्टकाओं के साि संयोजन ककया। इस प्रकार, अरब ललवप थवयं कला का एक कायक बन गई। इन सजावटी उपकरणों के संयोजन को अरबथक कहा जाता िा। उन्होंन ेघंटी, थवात्थतक, कमल आहद जसैे हहदं ूरूपांकनों को भ थवतंर रूप से अपना ललया िा, इस प्रकार, भारत यों की तरह, तुकक भ सजावट के शौकीन िे।

    उत्तर:40)(a) व्याख्या: रहथयवाहदयों, त्जन्हें सूफी कहा जाता है, इनका इथलाम में बहुत प्रारंलभक अवथिा में उदय हुआ। प्रारंलभक सूकफयों में से कुछ, जैसे कक महहला रहथयवादी राब्रबया (आठव ं शताब्दी) और मंसूर ब्रबन हर्ललाज (दसव ंशताब्दी), ने ईचवर और व्यत्क्तगत आवमा के ब च बिंन के रूप में प्रेम पर बहुत जोर हदया। लेककन उनके सवेचवरवाद संबंि दृत्ष्ट्टकोण ने उनके रूहढ़वादी तववों के साि संघषक को बढ़ावा हदया, त्जन्होंने मंसूर को मतववरूद्धता के ललए मार ्ाला िा। इस झटके के बावजूद, मुत्थलम जनता के ब च रहथयवादी ववचार फैलत ेरहे। सूफी 12 आदेशों या लसललसलों में संघहटत िे। लसललसले आम तौर पर एक प्रमखु रहथयवादी के नेतवृव में ि े जो अपन ेलशष्ट्यों के साि खानकाह या िमकशाला में रहत ेिे। लशक्षक या प र और उनके लशष्ट्यों या मुरीदों के ब च की कड सफूी

  • 8 AIPTS 2019 (GS - 9) (H) Answer Key Byju’s Classes: 9205881869

    व्यवथिा का एक महववपूणक हहथसा ि । हर प र ने अपने काम को आगे बढ़ाने के ललए एक उवतराधिकारी या वली को नालमत ककया। सूकफयों के मठवास संगठन, और उनकी कुछ प्रिाओं जैस ेतपथया, उपवास और सांस को रोकना पर कभ -कभ बौद्ध और हहदं ूयोधगक प्रभाव का पता चलता है।

    उत्तर:41)(d) व्याख्या: मुगलों न ेशानदार ककलों, महलों, दरवाजों, सावकजतनक भवनों, मत्थजदों, बाओललस (पान की टंकी या कुएं) आहद का तनमाकण ककया, उन्होंने बहते पान के साि कई औपचाररक उद्यान भ बनाए। बाबर को बग चों का बहुत शौक िा और उसन े आगरा के नजदीक और लाहौर में कुछ काम ककया। अकबर पहले मुगल शासक ि े त्जनके पास बड े पैमाने पर तनमाकण कायक करने का समय और सािन िा। उन्होंने ककलों की एक श्रृखंला बनाई, त्जसमें से सबसे प्रलसद्ध आगरा का ककला है। लाल बलआु पविर से तनलमकत इस ववशाल ककले में कई शानदार द्वार िे। ककले की इमारत का चरमोवकषक हदर्लली पहुाँचा जहााँ शाहजहााँ ने अपना प्रलसद्ध लाल ककला बनवाया। 1572 में, अकबर न े आगरा स े 36 ककलोम टर दरू फतेहपुर स करी में एक महल-सह-ककला पररसर बनवाना शुरू ककया, त्जसे उन्होंन े आठ साल में पूरा ककया। एक पहाड के ऊपर, एक बड कृब्ररम झ ल के साि, इसमें गुजरात और बंगाल की शैली में कई इमारतें शालमल ि ं। इनमें गहरे बाज, बालकतनयााँ, और कार्लपतनक ककयोथक शालमल िे। हवा लेने के ललए बनाए गए पंच महल में, ववलभन्न मंहदरों में इथतेमाल ककए जान ेवाले सभ प्रकार के खंभों को सपाट छतों को सहारा देन े के ललए लगाया गया िा।

    उत्तर:42)(d) व्याख्या: बाद के वैहदक काल का इततहास मुख्य रूप से वैहदक गं्रिों पर आिाररत है, त्जन्हें ऋग्वेद के कालखं् के बाद संकललत ककया गया िा। वैहदक भजनों या मंरों के संग्रह को संहहता के रूप में जाना जाता िा। ऋग्वेद संहहता सबस ेपुराना वैहदक ग्रन्ि है, त्जसके आिार पर हमने प्रारंलभक वैहदक युग का वणकन ककया है। अिवकवेद में बुराइयों और ब माररयों को दरू करने के ललए मंर शालमल हैं। इसकी सामग्र गैर-आयों की मान्यताओ ं और प्रिाओ ंपर प्रकाश ्ालत है। वैहदक संहहताओ ंको िाह्मणों के रूप में जान े वाले गं्रिों की एक श्रृखंला की रचना के बाद ककया गया िा। ये कमककां् के सूरों से भरे हुए हैं और अनुष्ट्ठानों के सामात्जक और िालमकक पहलुओ ं की व्याख्या करते हैं। इन सभ बाद के वैहदक गं्रिों को लगभग 1000-600 ई.पू. में ऊपरी गंगा मैदान इलाक़े में संकललत ककया गया िा।

    उत्तर:43)(c) व्याख्या: जैन िमक ने पााँच लसद्धांत लसखाए (1) हहसंा नही ं

    करते, (2) झठू नही ं बोलत,े (3) चोरी नही ं करत,े (4) संपत्वत अत्जकत नहीं करते और (5) तनरंतर (िह्मचयक) का पालन करत ेहैं। ऐसा कहा जाता है कक महाव र द्वारा केवल पााँचवााँ लसद्धांत जोडा गया िा, अन्य चार उनके द्वारा वपछले गुरुओं से ललए गए िे।

    उत्तर:44)(c) व्याख्या: अशोक के अलभलेख: हम अपन ेलशलालेखों के आिार पर अशोक के इततहास को कफर से बना सकते हैं। वह अपन ेलशलालेखों के माध्यम से लोगों से स िे बात करने वाले पहले भारत य राजा ि े । राजिातनयों में और गुफाओं में लगे पॉललश पविर के खंभों पर, चट्टानों पर उवकीणक ककया गया िा। वे न केवल भारत य उपमहाद्व प में बत्र्लक अफगातनथतान के कंिार में भ पाए जात ेहैं। ये लशलालेख 44 शाही आदेशों के रूप में हैं, और प्रवयेक शाही आदेश की कई प्रततया ं हैं। लशलालेख प्राकृत भाषा में रचे गए िे, और िाह्म ललवप में साम्राज्य के बड ेहहथसे में ललख ेगए िे। लेककन उवतर-पत्चचम भाग में व े खरोष्ट्ठी ललवप में हदखाई देत े हैं, और अफगातनथतान के कंिार में वे यनूान ललवप और यनूान भाषा में आरमेइक भाषा में भ ललखे गए िे। ये लशलालेख आमतौर पर प्राच न राजमागों पर रखे गए िे। वे अशोक के कायक संथकृतत ,उसकी बाहरी और घरेल ून ततयों और उसके साम्राज्य की स मा पर प्रकाश ्ालते हैं।

    उत्तर:45)(c) व्याख्या: सातवाहन के तहत दक्कन की भौततक संथकृतत थिान य तववों और उवतरी अवयवों का एक संलयन ि । दक्कव के महापाषाण तनमाकता लोहे और कृवष के उपयोग स ेकाफी पररधचत िे। यद्यवप लगभग 200 ई.पू. से पहले, हम लोहे स ेबन ेकुछ कंु्ों को खोजत ेहैं, इस तरह के औजारों की संख्या में ईसाई युग की पहली दो या त न शतात्ब्दयों में काफी ववृद्ध हुई है। महापाषाण स ेलेकर सातवाहन चरण तक की चोहटयों के रूप में बहुत बदलाव नही ं हुआ है। दक्कन के लोग िान की खते की कला जानत े िे, उन्होंन ेकपास का उवपादन भ ककया िा ।

    उत्तर:46)(a) व्याख्या: गुप्त शासकों द्वारा जारी चांदी के लसक्कों को "रूपका" के नाम स े जाना जाता िा। ये लसक्के देश के अधिकांश उवतरी भागों और राजथिान के भरतपुर में अधिकतम सखं्या में पाए गए हैं।

    उत्तर:47)(c) व्याख्या: ववजयनगर राज्य की थिापना हररहर और बुक्का न ेकी ि जो पााँच भाइयों के पररवार से िे। एक ककंवदंत के अनुसार, वे वारंगल के काकत य लोगों के सामंत ि ेऔर बाद में आिुतनक कनाकटक के कत्म्पली राज्य में मंर बन गए।

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    उत्तर:48)(d) व्याख्या: ्ांलसगं गलक दतुनया की सबसे पुरान कांथय मूतत ककला है जो मोहनजोदा्ो में पाया गया। इस चार इंच के धचर में एक नग्न लडकी को केवल गहने पहने हुए हदखाया गया है, त्जसमें बाएं हाि में चूडडयााँ, और दाहहन भुजा पर ताब ज और कंगन शालमल हैं। वह अपने कूर्लहे पर दाहहने हाि के साि एक 'ब्ररभंगा' नवृय मुद्रा में खड है।

    उत्तर:49)(c) व्याख्या: नागाजुकनकों्ा: यह शहर आंध्र प्रदेश के गंुटूर त्जले में त्थित है और पहले इस े 'ववजयपुरा' के नाम स े जाना जाता िा। यह प्राच न काल में बहुत प्रलसद्ध और महववपूणक बौद्ध त िकथिल िा। यह भौगोललक रूप से कृष्ट्णा नदी के पास की प्रमुख भूलम पर भ थिावपत है। नागाजुकनकों्ा का वतकमान नाम 'नागाजुकन' से ललया गया है, जो एक बहुत प्रलसद्ध बौद्ध लभकु्ष िे।

    उत्तर:50)(a) व्याख्या: कलारीपयटू्ट: भारत की सबसे पुरान माशकल आटक में से एक, कलारीपयटू्ट, हालांकक दक्षक्षण भारत के अधिकाशं हहथसों में प्रचललत है, त्जसकी उवपत्वत केरल राज्य में चौिा शताब्दी में हुई ि । इस कला रूप में नकली युगल (सशथर और तनहविे यदु्ध) और शारीररक व्यायाम शालमल हैं। लसलंबम: लसलंबम, एक तरह का थटाफ फें लसगं है, जो तलमलना्ु की एक आिुतनक और वैज्ञातनक माशकल आटक है। पांड्य, चोल और चेर सहहत तलमलना्ु में शासन करने वाले राजाओ ंन ेअपन ेशासनकाल के दौरान इस ेबढ़ावा हदया िा। िांग-ता: मणणपुर के मेइत लोगों द्वारा तनलमकत, िांगा-टा एक सशथर माशकल आटक है त्जसका उर्ललेख सबस ेघातक युद्ध रूपों में लमलता है। िो्ा: हहमाचल प्रदेश राज्य में उवपन्न, िो्ा माशकल आटक, खेल और संथकृतत का लमश्रण है। यह हर साल बैसाख (13 और 14 अप्रैल) के दौरान होता है। कई देव -देवताओं की पजूा और देव दगुाक का आश वाकद लेने के ललए कई सामुदातयक प्रािकनाएाँ की जात हैं।

    उत्तर:51)(a) व्याख्या:

    महायान हहनायान

    वे एक शाचवत बुद्ध पर ववचवास करते िे जो हमशेा ज ववत रहेगा और एक भगवान की तरह है जो अनंत है।

    वे बुद्ध को नचवर मानते ि ेऔर उनकी लशक्षाए ं नैततक मूर्लय िे जो मनुष्ट्य के ज न ेके तरीके को पररभावषत करत ेिे।

    उन्होंने सभ जागरूक िेरवाद लसद्धांत का अनुसरण

    व्यत्क्त के उद्धार के बोधिसवव की अविारणा का पालन ककया।

    ककया, त्जसमें व्यत्क्त के उद्धार पर जोर हदया गया।

    उत्तर:52)(d) व्याख्या: पहली शताब्दी के बाद, गांिार (अब पाककथतान में), उवतर भारत में मिुरा और आंध्र प्रदेस में वेंग कला उवपादन के महववपूणक कें द्रों के रूप में प्रततत्ष्ट्ठत है। प्रत कावमक रूप में बुद्ध को मिुरा और गांिार में मानव रूप लमला। गांिार में मूतत ककला परंपरा में बैत्क्रया, पाधिकया और थिान य गािंार परंपरा का संगम िा। मिुरा में थिान य मूतत ककला की परंपरा इतन मजबूत हो गई कक यह परंपरा उवतरी भारत के अन्य हहथसों में फैल गई। इस संबंि में सबस े अच्छा उदाहरण पंजाब में संघोल में पाए जाने वाले थतूप की मूतत कयां हैं। मिुरा में बुद्ध की छवव को पहले के यक्ष धचरों की तजक पर बनाया गया है, जबकक गांिार में इसमें हेलेतनत्थटक ववशेषताएं हैं।

    उत्तर:53)(c) व्याख्या: अजंता की गुफाएाँ 30 (लगभग) चट्टान-कटे हुए बौद्ध गुफा थमारक हैं, जो दसूरी शताब्दी ईसा पूवक से लेकर लगभग 480 ईथव भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद त्जले में त्थित है। अजंता की गुफाओ ं में 250 फीट की चट्टान पर उकेरी गई ववलभन्न बौद्ध परंपराओं के प्राच न मठ और पजूा-हॉल हैं। गुफाओ ं में बदु्ध के वपछले ज वन और पुनजकन्म, आयकसुर के जातकमाला स ेधचरावमक ककथसे, और बौद्ध देवताओं की रॉक-कट मूतत कयों को धचब्ररत करत ेहुए धचर भ मौजूद हैं। अजंता में उनत स गुफाएाँ हैं। इसमें चार चैवय गुफाएाँ हैं जो पहले चरण के ललए, यान दसूरी और पहली शताब्दी ईसा पूवक और बाद की अवथिा यान पााँचव ं शताब्दी की हैं। इसमें बड ेचैवय-ववहार हैं और इसे मूतत कयों और धचरों से सजाया गया है। अजंता पहली शताब्दी ईसा पूवक और पांचव ं शताब्दी CE के धचरों का एकमार ज ववत उदाहरण है।

    उत्तर:54)(d) व्याख्या: आष्ट्टांधगक मागक, हालांकक एक पि पर चरणों के रूप में संदलभकत ककया जाता है, इसका मतलब अनुरलमक स खन ेकी प्रकरया के रूप में नही ंहै, लेककन ज वन के आठ पहलुओ ंके रूप में, जो सभ को रोजमराक की त्जंदग में एकीकृत करना है। इस प्रकार बौद्ध पि के करीब जाने के ललए माहौल बनाया गया है। आष्ट्टांधगक मागक मध्यम मागक के कें द्र में है, जो कक चरम स मा से मुडता है, और हमें सरल दृत्ष्ट्टकोण की तलाश करन ेके ललए प्रोवसाहहत करता है। आष्ट्टांधगक मागक सम्यक दृत्ष्ट्ट, सम्यक सकंर्लप,सम्यक वाक्, सम्यक कमाांत,सम्यक आज व,सम्यक व्यायाम, सम्यक थमतृत और सम्यक समाधि है।

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    उत्तर:55)(d) व्याख्या: िमकचर मुद्रा:

    भूलमथपशक मुद्रा:

    वरद मुद्रा:

    उत्तर:56)(a) व्याख्या : संयुक्त राज्य अमेररका और इजरायल ने हाल ही में यूनेथको की सदथयता को औपचाररक रूप से छोड हदया है। इसने कधित आरोपों का पालन ककया कक यूनेथको न ेइजरायल की पूवी यरुशलम पर कब्ज े की न ततयों और अमेररकी और इजरायल के दबाव की अवहेलना में कफललथत न को पूणककाललक सदथयता देने की आलोचना की ि ।

    उत्तर:57)(c) व्याख्या: लखोन खोल िाईलै्ं के खोन माथक धिएटर स ेलमलता-जुलता नाटक मखुौटा धिएटर है। इस े हाल ही में यूनेथको द्वारा िाईलै्ं की खोन के साि एक अमूतक सांथकृततक ववरासत के रूप में सूच बद्ध ककया गया िा। यह

    शुरुआत अंगकोर युग में शुरू हुआ िा। जावा, कई मखुौटा धिएटर और नवृय परंपराओं का घर है, त्जन्हें आमतौर पर वेसांग टॉपेंग कहा जाता है।

    उत्तर:58)(d) व्याख्या: भारत में पााँच पहाड रेलगाडडयां हैं:

    1. दात्जकललगं हहमालयन रेलव े(् एचआर) 2. न लधगरी माउंटेन रेलव े(NMR) 3. कालका लशमला रेलवे (KSR) 4. मिेरान लाइट रेलव े(MLR) 5. कांगडा घाटी रेलवे (KVR)

    इन पााँचों में स,े प्रिम त न यूनेथको की ववचव िरोहर सचू का हहथसा हैं।

    उत्तर:59)(d) व्याख्या: दो महीने तक चलने वाले वावषकक वयोहार के मौसम में, मकरववलक्कू वयोहार सबस े महववपूणक घटना है। मकर ज्योतत एक तारा है जो मकर सरंांतत पर मलयालम महीने के पहले हदन आसमान में हदखाई देता है। मकर ववर्ललक्कु पोन्नम्बलमे्ु में एक रोशन है, जो सबरीमाला मंहदर के एक पठार पर त्थित है। यह रथम आसमान में साइरस थटार के हदखाई देने के बाद की जात है। यह अनुष्ट्ठान पूवक में मलाया अरया आहदवालसयों द्वारा ककया जाता िा। जब 1950 के दशक की शुरुआत में, रावणकोर देवाथवोम बो�