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Literature IN HINDI STUDY MATERIAL BA/B.S C III SEMESTER COMMON COURSE CU CBCSS (2014 ADMISSION ONWARDS) UNIVERSITY OF CALICUT SCHOOL OF DISTANCE EDUCATION THENJIPALAM, CALICUT UNIVERSITY P.O. MALAPPURAM, KERALA - 693 635 517

Literature IN HINDI - University of Calicut...Literature IN HINDI STUDY MATERIAL BA/B.SC III SEMESTER COMMON COURSE CU CBCSS (2014 ADMISSION ONWARDS) UNIVERSITY OF CALICUT SCHOOL OF

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  • Literature IN HINDISTUDY MATERIAL

    BA/B.SC

    III SEMESTER

    COMMON COURSE

    CU CBCSS(2014 ADMISSION ONWARDS)

    UNIVERSITY OF CALICUTSCHOOL OF DISTANCE EDUCATION

    THENJIPALAM, CALICUT UNIVERSITY P.O. MALAPPURAM, KERALA - 693 635

    517

  • School of Distance Education

    Literature in Hindi Page 2

    UNIVERSTY OF CALICUT

    SCHOOL OF DISTANCE EDUCATION

    Study Material

    III Sem BA/B.Sc

    Common Course

    Literature in Hindi2014 Admission Onwards

    Prepared by: Smt.Vanaja K.G.(Head of Department),Associate Professor,Department of Hindi,ZG College, Calicut-14

    Type settings and Lay outComputer Section, SDE

    ©Reserved

  • School of Distance Education

    Literature in Hindi Page 3

    3rd semester BA/BSc common course.(Hindi.)Study meterials.For SDE Students.Text books- 1.kavya suman.(poetry collection) 2.sahithya sopan.(prose collection)3.A. B. C. D.-(Novel)-Ravindra kaliya

    1. सुमन-संपादक-पी.जयरामन. , नई .।Module-1.

    1.कबीरदास के दोहे- 16 से 20 तक। 2.सूरदास के पद- पद(1 से दो तक)3. वधु- पतं। 4. -5. बोध-

    Module -2.

    6.मुझे कदम कदम पर- 7.यमराज - देवताले।8.धूल तरह सच- अशोक वाजपेयी। 9. - उदय 10. समय- जगूडी।2. सोपान- .संपादक- . -अमन काशन,कानपरू।Module- 3.

    1.नमक का दारोगा- 2. युग- मोहन राकेश। 3. वह चीनी भाई-महादेवीModule -4.

    4.जहाँ आकाश देता- 5.भगत गत- परसाई।Module-5.

    3.ए.बी.सी.डी.- - वाणी

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    Literature in Hindi Page 4

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    Literature in Hindi Page 5

    Module.1.1.कबीर के दोहे।(16-20)

    Introduction .के परंपरा के कबीर का

    वे शाखा या संत के माने जाते ऐसा माना जाता है जाता हैकबीर से और से जलुाहा है। न पर भी और से

    भी अपने के को माना है।कबीर का एक ऐसेसमय हुआ जब भारत सामािजक, और बहुत थी। समाज

    थी.। कबीर का िजतना है, केवह उतना मुखर है। कबीर उनके , , , बडे

    हुई है। कबीर के एक ओर समाज सुधार का तथा केहुआ है तो ओर के का

    दोहा-1. दोहे कबीर और के के बारे बताते है। वे कहतेहै और भी हुआ। याने को हुआ। के नाम पर

    लालच का दाँव खेलते रहे,एक दसूरे को धोखे डालने का करते रहे और इस मँझधार डूब गये,तट-तक पहँूच पाये; जैसे कोई नाव का लेकर सागर तरने का करके बीच डूब जाय।यहाँ कबीर यह कहना चाहते एक अपने को ओर ले जाता। वैसेको भी कभी लालच के पीछे चलता।

    2. कबीर इस दोहे के के बारे बतते . वे कहते – कोई अपने चौसठकलाओं कर ले और चौदह कलाओं के समान चौदह का

    कर ले । हो जाय, वह के अभाव है तोवह का हो सकता। भाव यह है जीवन है।

    चौसठ कलाएँ के को करती है। चौदह कलाएँ जगत ् के कोदेती है। जब तक का आलोक न हो, तब तक मानव मन का होता है- न उसका

    होता है और न वह कर पाता है।3. दोहे कबीर के बारे बताते वे कहते - शूरवीर है जो कोअपने से उसी बना देता है िजस लुहार लोहे को पीट-पीट कर सुघड और सुडौल आकारदेता है। कबीर कहते को तपा- तपा कर उसे इस यो बनादेते वह कंचन पर खरा उतर कर ( ) को कर ले। कबीर का कहना है साधना

    होकर जीवन होता है।4. कबीर इस दोहे जीवन के के बारे बताते वे कहते - संसार सुखी है जोखाकर और सोकर अपनी देते है। याने भोग- का जीवन कर सोता है।केवल कबीर दखुी है जो - के जाग भी रहा है और रो भी रहा है।

    चेतन णी संसार को देखकर दखुी रहता है।5. यहाँ कबीर दास एवं जीवन के बारे कहते वे कहते - यह संसार

    है। एक कड़ुवा लगता है तो दसूरे मीठा लगने लगता है। एक जो कल ह मंडप बैठाहुआ था, आजकाल होकर पर देता है।

    यहाँ खारा-मीठा का मतलब के दोष- गुण है। वैसे मंडप और से सुफलऔर है।

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    Literature in Hindi Page 6

    2.सूरदास के पद-1 &2.Introduction –

    सूरदास के शाखा के सब से है। के अनसुार सूरदास कानामक गाँव एक गौड स.ं1540 हुआ। कहा जाता है वे थे। बचपन

    घर से होकर चले गये और गउघाट-मथुरा- जाकर रहने लगे। सूर के थे।सूर को दे था। पहले सूर दास गाया करते थे। सेहोने के बाद , के कहे अनसुार अपने देव के सखा भाव रखने लगे। आवाज़ वे गाते

    थे। वे के बन गये। सूर रचनाएँ - सूरसागर, और सबसेरचना है- सूरसागर। महा भागवत के आधार पर हुआ है यह। सूरसागर के तीन भाग है- , बालऔर , भाव,और भाषा का संगम रचनाओं हम देख सकते शायद

    जगत ्का कहा गया होगा।

    1. पद सूरदास के पद का है। सूरदास कहते - हे, , आप के चरण करता हँू।कृपा से पंगु (लंगडा आदमी) पहाड चढ़ सकता है, सब कुछ देख सकता है, बहरा सुन सकता

    है, गूँगा बोलने लगता है, राजा बन सकता है, ऐसे , आपकेबार बार करता हँू। यहाँ सूरदास भगवान अपार करते

    2. यहाँ सूरदास कहते वे सगुण को भजते इसका कारण भी बताते वे कहते —के बारे कोई कुछ भी कह सकते। वह तो गूँगे के मीठे फल के जसेै है, जो मीठा फल खाकर उसका रस

    अपने समेटता है, वैसे का भी का है तथा असीमसंतोष वाला भी है। मन और वाणी के एवं है तथा है। जो उसे

    कर लेता है, उसे जान पाता है।अपनी को वह तक पहँूचा कर सकता। ,गुण,आकार,तथा से है। इस होकर कहाँ दौड़े? अत: सब सोचने पर वह अगम है,ऐसा

    समझकर सूरदास अपने सगुण का गायन कर रहा है।से मतलब है जो याने है। उसका पहँूच

    साधारण संभव सूरदास सगुण को है। सगुण अपनीतक पहँूचा सकता है।

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    Literature in Hindi Page 7

    3. वधू-के एक है। छायावाद, , और

    के थे। बचपन से के पले थे, के बहुरंगीदेखने को । लोकायतन, , , ,गुंजन,यगुवाणी , , कला और बूढ़ा चाँद

    है। नामक नाटक और कहानी है-पाँच लोकायतन केअकादमी और के हुए है।

    को माँ, , तथा सखी के देखा है। भाषा सहज और है।, , , है। क वधू सहज एवं रोचक

    करके अपने घर एक का है। गाँव , सहजताइस है।

    सारांश--- अपने के घर जाती है। वेला है। वह अपनी माँ से है। माँ पररखकर वह जी भर रोती है। देखने का मन कातर हो जाता है।

    पर भीड लग गयी है। के रोदन के ऊँचे सुनकर गाडी के बैठे, सेबाहर झाँक है। पर से दबकर या कटकर कौन मर गया है,या को पकड-धर कर है।ऐसी ये आतुर हो के घर जाती है।

    वह अपनी ताई से गा-रोकर है। अपनी मौसी से वह आपा खोकर है। से रोते-और चुप होकर मवधू के घर जाती है।

    फुआ से वह हाहाकार करते हुए लेती है। अपनी से रो धो , से टूटती हुई सीरँभाकर वह लेती है। पने के घर जाती है।

    जाते माँ से कहती है हमेशा घर सँभालकर रखना। मौसी कहती है भर लाना यानेबनना। और कहती (भूल) न जाना। इस अनेक सुनकर के

    घर जाती है वह रोती है। आचँल आसँुओं से तर अपने के ( ) उसकाउतना कातर भी वह रोती है। वह रोने का अवसर है। के घर जाते समय वधू का रोना गाँव का एक

    या है।गाडी चल पडी। वह अपने से हँस हँसकर करने लगी। के नर- से भी वह कछ कहने

    लगी। यहाँ याने गाँव के समय रोना-धोना एक है। कोई उभर आता। जन जीन हर, से अपना बन जाता है। यह जीवन है। इस से जीवन बँधा हुआ है।

    Questions & answers.1. रचना है? ( , पंत, , )उ- पंत।

    2. पंत जी का पूरा नाम है?उ – पंत।

    3. पंत जी को कौन सी के हुआ?उ-

    4. कहाँ जाती है?उ- के घर।

    5. वह से रोती हुई लेती है?उ- माँ, ताई, मौसी, फुआ, , पडोसी से।

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    Literature in Hindi Page 8

    6. गाडी से बाहर झाँक ?उ- के रोदन सुनकर।

    1. रोना गाना यहाँ चलन भर,आता उसमे उभर न अतंर,

    जन ,जाती के घर।

    पंत जी के सुकुमार थे। के गोद पले पंत जी केके मनोहर का हुआ है। सरस भाषाऔर कोमलकांतभाग “ ” से है।पंत जी एक रचक रचना है। के बाद के घर का

    है। वधू बनकर के घर जे समय वह अपने - से रोते लेती है। वहसे बाहर तो वह रोती है। से वह बनने खुशी रहती है।

    गाँव के समय रोना एक है। इस से वहाँ का जीवन बंधा हुआ है। जब गाडीलगी तब से वह अपने से हँसते हुए करने लगी। जो आया है, उसी का यहाँ

    है।4.सं - -

    के एक है। बहुमुखी के है,छायावाद , , , के थे। और से वे थे। नाम के

    उनका भी था। ने भी तरह के कोदेखते थे। “बादल राग” बादल कोया का माना है। , भी का रहा है। , बेला,

    नये , , अपरा, , उनके - संकलन है। , सुकुल बीवी, चमारकहानी संकलन है। अलका, , पकड, है। भाट, ,

    , , संकलन है।जी “ ” एक है। को एक के

    है। भर काम करके होकर चाहनेवाले जगत को देने, करनेहै का आगमन ।

    का समय था। से भरे आसमान से एक जसैी धीरे धीरे उतर आ है।चंचलता का भी कोई आभास उसके अधर मधुर है। वह गंभीर है।

    भी हास- उसके घुँघराले काले गुँथा हुआ एक तारा हँसता है। वह अपने -राज रानीका करता है। अलसता लता के कोमलता है वह। नीरवता अपनी सखी के पर बाँहडालकर आकाश पथ से छाया तरह वह आ है।

    उसके कोई वीणा बजती थी। कोई अनरुाग –राग का आलाप भी होता। -झुनभी । आकाश , जगतीतल , सरोवर सोती के समूह , अपने के

    , के पर, ऊँची उछलती से , एक सा चुप-चुप गूँजरहा है। कोई ओर एक है।

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    Literature in Hindi Page 9

    वह तरह मादकता बहाती हुई (थके हुए ) कोका है। और जीव चेतना होकर गोद सो जाते और बीती घटनाओं सेअनेक देखते जब ओर आधी रात का जाता है तब वह हो जाती है। केभाव होता है और - राग के उसके कंठ से हो जाती है।

    यह के नामक संकलन है। नाद से यह एकहै। ने सेलेकर तक के : का , सजीव, भावमय

    है। चरण हो गयी है।Questions & answers.—

    1. रचना है?उ- जी

    2. का पूरा नाम है?उ-

    3. को ----------- भी कहते है।उ-

    4. कहाँ से उतर आ है?उ- मेघमय आसमान से।

    5. उसके पर गूँथा है?उ- एक तारा।

    6. थके हुए को वह है और कैसे है?उ- या का परम के जैसे।

    7. कब हो जाती है?उ- के समय।

    8. सखी कौन है?उ- नीरवता।

    9. के कंठ से कौन सा राग पडा?उ- एक राग।

    10. है?उ-

    5. - बोध- -बहुमुखी के का 15 1927 को िजले के

    गाँव हुआ। नाटक,कहानी के वे थे । तो भी वे मूल से है। को अपनी माँ सेथी। और नई के के समय

    था। तीसरे के व लेखक के अपनी पहचान बनायी।अनेक – का संपादन भी है। --- काठ , बाँस का पुल,

    कुआनो , एक सूनी नाव, पर टँगे लोग ( ), सडक, लडाई , सूने चौखटे, सोयाहुआ जल, , , अब हटाओ, नाटक, लाख नाक, बतूता का जतूा बाल रचनाएँ।

    पर टँगे लोग अकादमी है।

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    Literature in Hindi Page 10

    रचना - बोध जी आज के - बोध के तथा के बारेबताते आजकल के बोध का एक ढंग है। भी जी कहते है का - बोध

    बढ़ गया है।सारांश.---------अपने इस गटापारची बबएु के बाँधकर चौराहे पर खडा कर दो। और चुपचाप ढोल

    बजाते रहो। तो शायद पेट पल जायेगा। केवल कुतहूल है, चौराहेपर बाँधे हुए ढोल या बाजे के बजाने के अनसुार करते रहते है तो वहाँ से गुज़रने वालेउसके तो कुतहूल वश देखते । और शायद कभी कुछ देते भी मगर को कभीदेखते।

    भखूी तरह- जो अपने हाँडी फँसकर उससे बच पाने के हाथ – पैर पटकती रहती है-- हाथ- पैर पटकते रहो, से टकराते रहो और केवल छपटाते जाओ, तो शायद दया ल जाएग। तो शायद दयाजाएगा। कारण शोख़ के (अहंभाव से

    के) आसँू पसंद करती है । आम के हाँडी फँसे को देखकर लोग हँसते है,करनी को देखकर मज़ा लूटते है, पर को देखते वैसे आम जनता को भी शायद भूख केअपनी को हुए हँसी- खेल करना पडगेा।

    - हुई के जसेै पंख रंगकर छोड देने से हर को संवेदना जाएगा। तबउस लाश को हाथ उठा सकती है। मगर इस पर के के बाद पर एक

    भी रह जाएगा। है आजकल ऐसे करते है, िजससे अपने को नका गडबड नआ पहँूचे। वातावरण या कैसे भी हो ,उनका कोई मतलब

    आज ता, भूख, सब सजाकर रहने पर भी पहचानी जा सकती है। अगर कोई दकूानतो उसके भी या महँगी चीज़ भी न हो, तो भी वह दकूान टूट जाएगा। अगर

    मरने के पहले अपने फूल या कफन का कोई है तो शायद कल भी बनेगी।मतलब यह है िजसके पास या सब कुछ है, को है।

    कहते इतना सब कुछ है ,तो भी कहता हँू यह केवल ,उसका -बोध बढ़ गया है।Questions & answers.—1. -बोध है?उ-

    2.गटापारची बबएु को कैसे,कहाँ खडा करना है?उ- बाँधकर ,चौराहे पर खडा करना है।

    3. है?उ- कुतहूल।

    4. को आसँू पसंद है?उ- शोख़ के।

    5.इस कहना चाहते है?उ – के बदलते -बोध के बारे

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    Literature in Hindi Page 11

    Module -2.6.मुझे कदम कदम पर- गजानन माधव

    गजानन माधव का के सन ् 1917 को हुआ।( 13)।,सामािजक,और से अनेक को झेलना पडा।भी जीवन के तक अपराजेय से ओत- था उनका । ,

    वायुसेना, , पर काम है। के 1943 केके साथ हुई है। झलक पडती है। चाँद का मुख टेढ़ा है,खाक धूल, ,नामक ,कामायनी एक नामक आलोचना,सतह से उठता हुआ आदमी नामक कहानी

    रचनाएँसारांश- कहते है- मुझे हर कदम पर चौराहे जो फैलाए हुए पडे एक पैर रखता हँू तो सौ

    फूट पडती है। तो उन सब से गुज़रना चाहता हँू। उनके अनभुव और अपने सपने सब बहुत लगते औरसब भी लगते एक अजीब ता उभरती है। कुछ गहरे उतरना चाहता हँू । न जाने

    जाय।मुझे होता है हर चमकता , हर-एक छाती अधीरा है.

    सदा नीर (आसँू) है। और वाणी सी पीडा है। पल भर इन सब से गुज़रनाचाहता हँू। से पार करना चाहता हँू। इस तरह खुद को - घमूता- हँू। यह अजीब है।सब तरफ अपने को हँू। और मुझे यह देखकर बडा मज़ा आता है ठगा जाता हँू या होता जाता हँू।पाता हँू मेरे होकर एक बैठा है। हँसते हँसते भी हो जाता हँू और हो

    जाता हँू यह जगत या अपने अधीन हो जाता है।यहाँ ने धारण कर सामािजक को जानकर

    फलक पर रखा है। के को देखकर तरसता है। कभी कभी अपने को जाननेपर भी वे पीछे हटते।

    इन मुझे है। और यहाँ खडे होकर करते करते भी । द:ुखकथाएँ, तरह- तरह , अहंकार- , , ज़माने के व सब कुछ

    यहाँ है,लाग-डाँट करती है,और भी करती है। मरने और जीने जलती हुईचढ़ती । घबराये हुए को और को लेकर जब घर लौट आता हँू तो उपमाएँ

    पर आते कहते सौ और जीनाकहना चाहते जब को ढ़ँूढने लगता है तो समाज अनेक द:ुख

    ,पीडा, यत, , झगडा कथाएँ सुनने को है। कहानी , , केतो और को सुलझना भी वे चाहते वे समझ पाते अपने घर

    भी ये सब है।घर पर भी पग- पग पर चौराहे है। बाँ फैलाये हुए सौ रोज़ है। नव-नवीन - वाले सौ-

    सौ शाखा- रहती जो रोज़- रोज़ है। और सोच रहा हँू आजयह कमी है। वरन ् यह है का सताता है। और वह

    चुनाव कर पाता है।

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    Literature in Hindi Page 12

    यहाँ कहना चाहते आजकल के हो या समाज के के हो आगेबढ़ने के और सौ-सौ खुले हुए है। इन से तो ये चुन कर पाते येपड जाते है और ठगा जाते है।कई के दबाव और पडकर लोग चयन कर पाते।

    Questions & answers.—1. का पूरा नाम है?

    उ- गजानन माधव2. मुझे कदम- कदम पर हुई है?

    उ- गजानन मधव3. कदम- कदम पर को है?

    उ -4. उभरती है?

    उ- एक अजीब सी अकुलाहट।5. वाणी है?

    उ- पीडा।6. चौराहे पर खडे होकर करते को है?

    उ--

    लेकर औरमझुको कुछ देकर ये चौराहे फैलतेजहाँ खडे होकरकुछ करता हँू.......

    ..... जाते।के मतानुसार करनेवाले है। वे अपनी को समाज के

    खोजते चलते समय पग- पग पर चौराहे और फैलाए हुए सौ-सौ इन सबसे गुज़रते हुए पीडाएँ देखते हुए, चलत-े समय चौराहे पर खडे होकर करते करतेजाते

    मतलब यह है द:ुख लेकर चलते समय आगे उससे बढ़करजो से कम हर द:ुख, है।7. यमराज - देवताले.----

    के एक एवं देवताले पले-पडे उनका और के ताप तपकर है। का

    देता है। देवताले का के बैतलू िजले के एक छोटे-से गाँव जौलखेडा 7 नवंबर, 1936को हुआ। देवताले का सादगी,सरलता, ,कोमलता से के रखनेवाले एक

    का ,अनवुाद, ,संपादन अपनी लेखनी चलाई है।पर खून से, , उजाड , - और जीवन नामक

    है।

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    Literature in Hindi Page 13

    सारांश-- ने गाँव के के के बारे बताते वे कहते है- माँसे मुलाकात हुई है या इसके बारे मुझे कोई पता इसके बारे कुछ कहना है।

    वह जताती थी जसेै से बातचीत होती रहती है। उससे के अनसुार जीने और द:ुखकरने (सहने) के खोज लेती है।एक बार माँ ने मुझसे कहा तरफ पैर रखकर मत सोना वह है। और

    यमराज को करना बात तब छोटा था और यमराज के घर का पता पूछा था तो उसने बतायातमु जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा है यमराज का घर।

    माँ के समझा देने के बाद कभी भी पैर करके सोया। मुझे इतना फ़ायदाहुआ पहचानने मुझे कभी भी का समना करना पडा। दरू- दरू तक गया हैऔर मुझे हमेशा माँ या आयी। को लाँघ लेना संभव था। अगर के छोर तक पहँूच पाना संभव होता तोयमराज का घर देख लेता।

    आज िजधर भी पैर करके सोओ तो हो जाती है। सभी यमराज केमहल है। और वे सभी अपनी दहकती है।

    माँ अब रहा है। और वह यमराज भी जो माँ जानती थी।यह एक सरस है। यह है आजकल सब यमराज का शासन है। जहाँ

    देखो ,सब उनका शानदार या महल है। याने सब उनका राज है। पुराने ज़माने यमराज को एकथी। ज़माना बदल गया , , , सब हुए जसेै सब यमराजअपना शासन करते रहते

    Questions & answers.’’’

    1. यमराज है?उ- देवताले

    2. माँ बातचीत करती रहती?उ- से।

    3. यमराज को करना ?उ- यमराज दंड देता है।

    4. माँ व के मत खोजती रहती है?उ-जीने और दखु सहने के खोज लेती है।

    5. से माँ का उपदेश था?उ- पैर ओर करके मत सोना। वह यमराज है।यमराज को करनाबात

    8. धूल तरह सच- अशोक वाजपेयी..संगीत, , और गायन के जानकार , अशोक वाजपेयी का 1941हुआ। अकादमी और दयावती शेखर हुआ

    है। वे भारत भवन , गांधी अनेक के है। उनकेहै—शहर अब भी संभावना है, एक पतगं , अकेला ।

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    Literature in Hindi Page 14

    सारांश- यहाँ सच को ढोकर चलने के बारे बताते वे कहते है सच वह धूल तरह है जोसे पडा हुआ है और को साफ़ कर उस धूल को दरू करने कोई आता। वैसे सच

    का बोझ भी और कोई उठाएगा।कहते - हम जानते इतने सारे सच उठाये हम चल रहे अपने समय का सच, अपने

    समय आदमी गायब होने का सच, के मोह तथा लालच और जलन बढ़ जाने और जगह कम होते जाने कासच भी परेशान करता है। हर भरोसा न जाने का सच और चूहा दौड भाग लेकर हार हो जाने से

    का सच भी तगं करतेबडे सच के पडकर छोटे-छोटे सच के सहयोग को घरेू पर जाने का सच भी देता है।

    कई के बासी पानी को बदलने और घडे को पता भी न चलने का सच भी हमारे सामने पडता है।पुराने कमरे से पुराने पर जमी हुई धूल तरह यह सच हमारे ऊपर पडा है। उसी

    छाई तरह यह ( ) भी वाला इस धूल को साफ़ करने कोईआयेगा।

    यहाँ मानव के बरे बताते मानव अपने समाज पडने वालेसभी को बाहर कर पाता। वाणी दे पाता। वह अपने इतने सारे सच कोदबा देता है। और वह सच उसके बोझ बन पडता है।

    Questions & answers.1. धूल तरह सच है

    उ- अशोक2. हम उठाकर चल रहे

    उ- सच को।3. कब पैदा होता है

    उ- चूहादौड होकर हार जाने पर।4. सच अब हमारे ऊपर कैसे पडा है

    उ- पुराने पर जमी धूल तरह।5. यह ओर संकेत करती है

    उ- मानव बेबसी ओर।

    9. – उदय .उदय का सन ् 1952 के शहडोल िजले के सीतापरु गाँव हुआ।

    , के , संपादक, काम अनवुाद, पटकथा, कहानी,के अपनी का

    भगत भूषण , , ,अने से थे। सुनो , अबतूर-कबतूर, एक भाषा हुआ करती है,

    , घोडा, और , के द:ुख, कहानी , आखँ, नयी काहै।

    सारांश-- यह चाहते ज़माना कोई भी हो का जीवन एक द:ुखांतकहानी है। वैसी तसैी रह जाती है।

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    Literature in Hindi Page 15

    एक औरत से खुदरा नोट से अपने घर जाने का ले है। उसके साथ अभीज़रा देर पहले हुआ है। उसी बस औरत अपनी जसैी लाचार दो-तीन के साथऔर महँगाई के बारे कर उसके ने आज मेमो भेजा है।

    बने रहने जो औरत करवा चौथ का लेती है, वह अपने या सास के से मारेजाने से हई है। और सोती-सोती अचानक है। एक औरत,आधी रात बालकनी खडी हुई, अपनी जसैी

    और बेबस औरत के घर से लौटने वाले अपने शराबी का करती है।, और डर से हुई एक औरत अपने से पहले बहुत आवाज़ अपने से

    पूछती है आप के से के आधे से कहाँ हो गये?एक औरत अपने को नहलाती हुई फूट-फूटकर रोने लगती है और पागल जसैी बार-बार चूमती है। वह

    यह सोचकर द:ुखी हो जाती है उसके का कैसा होगा। एक औरत के हाथ तवे जल गये एक के ऊपरसे खौलता हुआ तेल गया है। हज़ार हुई औरत का कोयला अपने

    बयान कराता है उसे ने जलाया है, मगर उसके से के कारण फटगया है। अपने अलावा और का दोष सब है।

    एक औरत अपने नाक से बहता खून हुई बोलती है- कसम खाती हँू मेरे अतीत रथा, वहाँ एक , लंबा , आग जसैा धधकता था, आप के देहथी। एकऔरत ने जो संगमरमर जसेै सफ़ेद है, अपना द:ुख कह डाला उससे ज़ेवर खो गया है। और एक तो

    कडी अपना बाँध है. उसके ने उसके फोटो और करएकऔरत फोन पकडकर रोती है। एक अपने आप बोलती है। एकऔरत तो बाहर सड़क

    पर जाती है। कुछ बाल काढ़े और के, बस या पर खडी हुई पूछती हैगाडी बैठना है और इस संसार कहाँ जाना है।एक औरत हारकर कहती है तमु जो जी आये, कर लो मेरे साथ। पर मझेु तरह जीने दो। एक को

    सबेरे शहर के हुई पायी गयीहै। उसके शव के पास उसकाडेढ़ साल का बेटा बैठा रो रहा है।उसके झोले दधू बोतल, का छोटा –सा , और एक लाल- है। एक औरततेजाब ( ) से जल गयी है। पर एक बात ख़ुश करना है दायीं आखँ जलने से बच गयी है। एक औरततदंरू जलती हुई अपनी धीरे से है। वह यह जानना चाहती है बाहर अधेँरा है।

    एक लगा है। एक माँज है। एक कपडे कर है। एक तो को बोरे परसुलाकर सड़क पर रोडे है। एक धो है. साथ चैनल पर फैशन परेड देख है। एक औरत

    पढ है संसद तादाद बढ़ायी जायेगीएक औरत का कलेजा जो बोरे से बाहर गया है, कहता है- मुझे नाले

    लौट आना। को जाने के जगाना है। आटा गूँथ आयी थी । उससे बनाकरदे देना।राजधानी के थाने के गेट पर दो एक दसूरे को छूती हुई ज़मीन पर चुपचाप उनका

    हाहाकार समूचे गूँजता है। - इस लेने से इनकार करती हुई के अधेँरे छुपतीहै। वहाँ भी खोज लेती है। वहाँ भी कटार उतरती है।

    उदय यहाँ यह चाहते संसार का जीवन आज भी अनेकगुज़रता है। एक ओर लेखक गण, नेता लोग , , सब केबोलते के बारे घोषणा करते ,भाषण देते सब कुछ करते भी हर रोज़ न

    , घर , , सडक वैसे सब जाती है। तक को कोई बचावहै तो तक करते है, लोग। यह एक है ।

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    Literature in Hindi Page 16

    Questions & answers….1. रचना है

    उ- उदय ।2. अपने घर जाने के कौन ले है

    उ- एकऔरत , से।3. आधी रात बालकनी कौन कर है

    उ- एकऔरत अपने शराबी का।4. और महँगाई बारे कौन कह

    उ- बस दो-तीन5. अपने को नहलाते समय औरत फूट-फूटकर रोयी

    उ—उसके के बारे सोचकर।6. पडी लाश के पास कौन बैठा रो रहा है

    उ- उसऔरत का डेढ़ साल का बेटा।7. एकऔरत अपना बाँध है

    उ- उसके ने उसके फोटो और कर ।10. समय- जगूडी....

    मे जगूडी का सन ् 1944 (जलूाई-1)को केिजले के धंगण गाँव हुआ। दस घर – छोडकर चले गये, कई घमूते

    रहे। 1961 भारतीय थल-सेना हुई। भरत-चीन हुए थे। अपने के कारण वहाँरहे। इसके बाद

    , संपादक भी काम है। सब से होकर सजृन होगये। उनके है -- शंखमखुी पर,नाटक है, इस , राज अब भी मौजदू है, बची हुई

    मेरे नामक के रघुवीर सहाय , अकादमीहै। 2004 वे से अलंकृत हुए है ।

    समय आजकल के सामािजक वातावरण का है। वे कहते है आजसमय है । इससे बचकर जीवन है। तो भी वे बनना चाहते। मानव या आदमी

    अथवा बन कर जीना चाहतेवे कहते है—इस समय कोई बनना चाहता हँू। और न कोई चाकू या बनना

    चाहता हँू। इस समय अपने समय का कोई भी होना चाहता हँू। अगर ऐसा कुछ होना भीचाहँू तो एक का हुए रह भी सकता।

    अगर अपने समय का हो जाऊँ तो शायद मुझे यह कहना पडगेा हँू या मुसलमानहँू। ये तो कहना पडगेा एक गऊ आदमी हँू। या कहँूगा आदमी सुअर हँू। परंतु इस

    समय जानवर होकर भी घणृा का हुए ना रह पाऊँगा।कभी होकर मुझे करना पडगेा। या मुसलमान होकर मुसलमान का

    करना पडगेा। जो मुझे िजतनी बार आ-आकर उतनी बार मारा भी जाऊँगा। का

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    Literature in Hindi Page 17

    भरोसा इस समय सी या रहना चाहता हँू। एक रहने घररहते हुए कोई परंतु एक हँू।

    एक हँू, आदमी हँू, एक हँू। इस समय कोई हुए यह सब होसकता हँू? अगर तो हँू। हँू

    यहाँ , सामिजक या के के बारे बताते एक का दसूरेके से मुडभेड करते वैसे एक दल के दसूरे दल के से झगडा करते है। समाज के

    के साधारण पर करते आज कल सब राज इससे बच पानाहै। तो भी कहते वे मानव बनकर ,आदमी बनकर या बनकर जीना चाहते अगर ऐसा संभवतो उनका अपना जाएगा। भर उनके का हम कर सकते

    Questions & answers----1. समय रचना है?

    उ- जगूडी।2. होना चाहता है?

    उ— गुणडे का बनना चाहता।3. अपने बारे कहते है?

    उ कहते वे है, है,और भी है।4. इस समय जानवर होकर भी रहना चाहता। ?

    उ- जानवर होने पर घणृा का बनना पडगेा। ऐसा होने को चाहता।5. इस समय क25130001263हाँ रहना चाहता है

    उ- एक रहने घर रहना चाहता है।-----------------------------

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    Literature in Hindi Page 18

    Module-3prose text.

    1.नमक का दारोगा- –सारांश--लेखक - के के जाने जाते उनका सन ्1880 हुआऔर 1936 हुई। बचपन से तथा सकंट से गज़ुरना पडा था। ने

    तीन सौ सेवासदन, , , ,गबन,गोदान,के सभी रचनाओं भारतीय जीवन म जीवन

    रचनाओं और का हुआ है। भाषा, सरल एवं आम जनता के समझ तथा मुहावरेदार भाषा है।नमक का दारोगा एक कहानी है। इस कहानी के यह

    है धन को है। अगर धन चमक को सेकरते है तो भी उसका परदा हट जाता है और का हमारे सामने भी हो जाता है।यहाँ वशंीधर के और पर डालते हुए कहानीकार ने नव कोपालन पर डटे रहने का उपदेश भी है। वशंीधर के जैसे खाना और सेतक को खोना पडगेा , भी वरदात ऐसे को तरफ़ सेका और वशंीधर मैनजेर पर कहानीकार ने

    समझायी है। भाषा,भाव, से यह आ सकतीहै।

    सरकार ने नमक पर लगाया और नमक के लेने –देने भी रखभी कुछ लोग -चुपके नमक का कारबार करते रहे। नमक के को घूस केपसैा भी बहुत लगा। पढ़े- का मन पाने को ललचाने लगा।

    मुंशी वशंीधर पढ़े- , य युवक था। बडे का था। उसके हमेशा कहा करतेथे वह आय कोई ढँूढे। राय वतेन का चाँद था और आयबहता हुआ था। वशंीधर ने कई और उसे नमक , वहभी दारोगा के पद पर। यह सनुकर फूले न समाये।

    वशंीधर बेमरौवतत , कठोर था। एक आधी रात को मुंशी वशंीधरने अपने कमरे पर पड़े –पड़े पलु को पार खरखराहट सनुी। जाकर कोरोका और जाँच-पडताल ये याँ गाँव के धनी थी। नमक के बोरे से भरेथे। वशंीधर ने के पास आदमी भेजा।

    धन के नशे चूर थे। समझ बठैा था के सामने और सब कुछ हैऔर तथा भी के अधीन है। आलो वशंीधर के पास पहँूच,े औरचापलसूी करके उसे फुसलाना चाहा। अपने को वशंीधर का सेवक बता वशंीधर तो टससे मस न हुए। तब धन का लालच लग.े हज़ार,दो हज़ार,तीन हज़ार करके हज़ारतक पहँूच गये, वशंीधर तो अपने से हटनेवाला था। उसने जमादार बलुाकर

    के डलवायी.

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    Literature in Hindi Page 19

    अगले के मुँह बात थी। लोग उन पर कईकरते थे। पेशी का आया। कचहर हािज़र गये। व जो उनसेरखनेवाले थे, करने लगे। तो परैवी करने के से आगे आने लग।ेवशंीधर कोई पछूनेवाला था। उसके देनेवाला भी कोई था। गवाह केअभाव श ने मुकदमा कर जज ने तजबीज केगये उन जैसे से ऐसे ओछे काम हो भी सकता। दारोगा ने अपनी

    और के कारण को इतना है,आगे से ऐसे मामले सजगरहेगा।

    और के कोई सीमा न और वशंीधरऔर वशंीधर पर डालते थे। बला इतने से एक केका परवाना भी भेजा गया।

    वशंीधर के घर दशा और भी थी। झुँझलाये, माताजी द:ुखी थी और डी हुईथी। वशंीधर ओर से हो गये । ऐसे मे एक वशंीधर के घर के सामने एक सजीला रथ आकरगया। उस रथ से को उतरते देखकर वशंीधर के का कोई न रहा। उसने सोचाशायद के आये

    का तो हुआ। वशंीधर को के सामने डाँटने-फटकारने लगे तो ने बात काटकर कहा—“ ऐसै बेटा है,उस पर कर सकते ,ऐसे परायण संसार कम है। “ लगा हुआ कागज़ वशंीधर ओर बढ़ाते हुए कहा-आपइस पर उस ने वशंीधर को अपनी का मैनजेर बनाथा। छह हज़ार वेतन भी था । पढकर वशंीधर का और से भरगया। भी अपने को ऐसे ऊँचे पद बताकर टालने । परन ् अपनीबात दहुराते रहे. । कहा-“ हज़ार रईस देखे , से भी मेरा काम पडा है। औरको अपने धन का गलुाम बनाकर छोडा है.। आप ऐसे ले मेरे धन

    परवाह से है वह आप को सदैव के ,बेमुरौवत,,कठोर दारोगा बनाये रखे।“

    वशंीधर ने डबडबाती से ,एहसान के भार झुके से पर औरकर

    One word questions & answers.1. नमक का दारोगा रचना है? ( मोहन राकेश, यशपाल, , )

    उ-2. नमक का दारोगा रचना है? ( , , कहानी, )

    उ- कहानी।3. नमक का दारोगा के कौन है? ( , वशंीधर, , नौकर)

    उ- मुंशी वशंीधर।

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    Literature in Hindi Page 20

    4. एक पडने वाले के चाँद से तुलना गयी है?उ- वेतन .

    5. बहता हुआ है?उ- आय।

    6. मुंशी वशंीधर को कहा,ँकौन सी ?उ- नमक , दारोगा पद ।

    7. कौन है?उ-दातागंज के एक

    8. प.ं के मत ससंार भर और तक राज है?उ- (धन )

    9. मुंशी वशंीधर को अपने के कौन ?उ-दारोगा पद से

    10.अंत मुंशी वशंीधर को अपने परायणता का इनाम तो और कैसे?उ- प.ं से. उसके सारे जायदाद का मैनजेर के वशंीर को

    Short answer type (paragraph) questios & answers.

    1. ढँूढनेवाले वशंीधर को ने उपदेश ?उ-वशंीधर के अनुभवी ने को समझाते हुए कहा- बेटा,घर देख रहे हो। ऋण के बोझ से दबेहुए हो। है,वह घस-फूस तरह बढ़ती जाती कगारे का हो रहा हँू। न मालूम कबपडँू। अब घर का हो। ओहदे ओर मत देना। चढ़ावे और चादर पररखनी ऐसा काम ढँूढना जहाँ कुछ आय हो। आमदनी देता है इसी से

    होती है।2. मुंशी वशंीधर पर

    मुंशी वशंीधर एक था। इस संसार उसे अपना , अपना पथ , औरअपना सहायक था। जब सब लोग चाहनेवाले नमक का दारोगा पद होने पर भी

    उसने इन सब को छोडा .। नामक उस इलाके के ज़मांदार नमक के कई बोरे-चुपके ले गया तो परायण वशंीधर उसे हाख पकडकर ले चला । न ने

    पसेै का लोभ वह हज़ार तक देने तैयार हुआ। कुशल एवंवशंीधर भी पीछे मुडा। अदालत मे पसेै के कमाल से से बच गया औरबदले वशंीधर को भी न ये सब वशंीधर को भी हटने

    अंत परायण वशंीधर के आगे धन का अहं याने प.ं परािजतत हुआ. । वह उसेअपनी का मैनजेर बना वशंीधर एक दारोगा हुआ।

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    Literature in Hindi Page 21

    3. कौन है ? दारोगा वशंीधर उसे पकडकर ले चला?दातागंज के एक है। अपने इलाके बडी थी। वह

    का लेन-देन करनेवाला था। सब लोग ऋणी थे। उसका भी बडा लबंा-चौडा था। अफ़सरतक उसके मेहमान थे। एक बार - प.ं नमक के बोरे ले जाते थे वशंीधर नेउसे रोका। वह अपने को कहकर कृपा- रहने को कहा। यह भी हज़ार तक

    देने को भी तैयार हो गया। वशंीधर कठोर होकर उसे पकडकर ले चलने काहुकुमModel annotations.-

    1. तट पर आपने थी, आज करनी पडगेी।मानव जीवन का खींचने वाला -कहानीकार है। तीन सौ

    है। नमक का दारोगा एक रोचक कहानी है। वशंीधर नामक एकनव यवुक के का है। भाग इस कहानी का है।

    प.ं को करके उसपर वशंीधर ने मुकदमा दायर धन के बल सेवह उससे आसानी से बच पाया। यह भी का वशंीधर को के

    भी कुछ बाद एक समय आलोपीन वशंीधर के घर आ पहँूचा। इसने वशंीधर से ये । ने वशंीधर से यह अपनी

    जायदाद का मैनजेर बने।के तट से वशंीधर ने आलोपीन सुनी थी। अब मनैेजर का पद करने

    अपील है. । यहाँ वशंीधर के क को है।2. युग-मोहन राकेश.-सारांश-

    लेखक - मोहन राकेश के नाटककार, ,कहानीकार,औररहे तो भी नाटककार के है। उनके रचे तीन नाटक –आषाढ़ का एक

    , के राजहंस और आध-ेअधूरे –एक नाटककार के उनका सन ्1925 अमतृसर हुआ। और सन ् 1973 “‘ कमरे’,उनका है। के

    ,नये बादल, जानवर और जानवर ,एक और , रो , ”भावगत एवं से मोहन राकेश रचनाएँ तथा नवीन लेखन

    भी अपना छोडा है। युग इसका एक उदाहरण है।युग बढ़ती पन- हँसी उडायी है।

    युग हो है. - का एक साधन है,लेखक कहते आज का यगु का युग है। इस युग हर चीज़ का परक

    है । लेखक का कहना है हर का बन गयी है।लेखक के अब कोई गज़ल तो गज़ल ,कोई गीत, गीत रहा, सब न चीज़

    का बन गए अनेक से लेखक इसका करते

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    Literature in Hindi Page 22

    लेखक कहते रात को सोने तक और सबेरे उठने के साथ ओर से ,भजन,और गीत के साथ साथ चाय,तेल,और के सुनने पडते थे।सुनने का हो गया था हर गीत के साथ उनके – आपके है, सेछुटकारा पाइए। एक - गायब, गूँज उठते थे। गीत या भजन केसाथलेखक के का हो गया। वे कहते थे- अब मेरे कोई गीत गीतरहा, कोई गज़ल गज़ल ,सब न चीज़ बन गए उदाहरण के -रहनादेश है-गीत के साथ कंपनी के औषधी का का है.।

    लेखक आगे कहते है का यह - तक है। हरचीज़ पर का बन गयी है। आजकल हर चीज़ का एक नया उभर रहा है। कोई ऐसी चीज़जो न न चीज़ का न हो। उदाहरण के

    का केश- लेखक को तेल शीशी याद है.। का है औरउसके हाथ कंपनी के के पडते

    के के कारण का , और बदल रहा है। देश के परुाने, , , और सब को देने बने हुए है। और केतथा खजरुाहो के कमरे के मज़बतूी के सुषमा और

    वहाँ का भाव एक सफेद रंग के शह के का साधन महासागरजानेवाले अणुबम बीमा कंपनी याद है। तैयार कंपनी

    का सहारा लेती है। कशमीर सेब पदैा होता है।बहुत सी एक दसूरे का है। हर चीज़ ,हर जगह अपने अलावा और चीज़ व

    भी जगह का भी हो सकती है। उदाहरण गेहँू फ़सल कपडे का है।नई फ़सल से पसेै का एक उपयोग है उससे कपडा जाय। वसेै फूल शीशी का औरशीशी फूल का भी , साधन का तथा साधन, का है।

    उपदेशकता,आलोचकता, अपने आप बन दातेआजकल ऐसी बन पडी है हमारा जीवन उसे

    दाताओं के से िजया जा सकता है। घर, बाहर,सडक पर और बस हर कोई न कोईपडता है िजसका हमारे जीवन से सं होता होगा। अखबार और

    .। मोहन राकेश जी यह चतेावनी भी देते इन के धोखे पडना

    आज , , और इन सब का उपयोग कला होने लगा है।बहुत सी , का है। का के

    ( के) होता है। वसेै कई दानवीरता का बनता है।के संगमरमर और का , लाल हाथी का वाले से जोडा जाता है।

    पर साबनु ओर से ,ऐसै छपा होगा। नयीअपने का रास कोई साबनु होगा ,िजसका वह अपने से कहती होगी। नये

    सफलता का भी कंपनी को िजसने उसे हो।

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    Literature in Hindi Page 23

    –कला से सब का आपस है। जैसे दवाईके का तथा के दवाई का हो सकता है।

    के पर और के दे सकते बचत का जासकता है। रेल और हवाई के पर बीमा का भी हो सकता है। के

    का भी हो सकता है।लेखक आगे कहते अब हर देता है। हर चहेरे ,हर ,

    हर नाम का न के साथ जोड देते सबेरे चाय का नाम लेतेका आ जाता है, िजसका चहेरा देखा करते थे। के नाम से

    याद आती थी और तब एक राजपतु का चहेरा सामने लगता था।चाय लेनेवाले लडके सफेद दंत देखकर कंपनी याद आती थी और मन

    ऐसी होती थी उस लडके को उस कंपनी के हवाले कर वे चाहते थेकंपनी के काम आ और उसके का ससंार के सामने आ सके।लेखक को अब हर चीज़ चीज़ का करने सहायक होती थी। का

    मारकर हँसना के बेबी याद था। कोई , कैमरे याद था।के लाल को देखने से ऐसा लगता था मानो बी का चला आ रहा

    था। वसेै नई का समचूा कलेवर का सा होता था। अंतवे कहते है वे आइने के समने खडे होते तो लगता था का सामने खडा है. ।One word questions & answers.

    1. रचना है?( , मोहन राकेश, , )उ- मोहन राकेश।

    2 युग कौनसी है?( , नाटक कहानी, )उ—

    3. मोहन राकेश का नाम है?उ-मदन मोहन गुगलानी।

    4. लेखक को सुनने आदत कहाँ से हो गयी?उ- से

    5. गेहँू फसल है?उ- कपडे का।

    6. ----------- फूल का है।उ- शीशी।

    7. ------------ सहायता से हर चीज़ का नया उभर रहाहै।उ-

    8. -------- के से िजया जा सकता है।उ के।

    9. मे का जा सकते है?उ और रेस- के।

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    Literature in Hindi Page 24

    10. चायवाला लड़का लेखक को कैसे लगता है?उ- वह रहा है।

    11. खदु आइने के सामने खडे होते तो लेखक को कैसा होता है?उ- का खडा है. ।

    Short questions& answers (paragraph q.& a)1. -युग –लेख परउ- –युग नामक लेख के लेखक ने युग के कोहै। और का भी है। आज

    सफलता कंुजी बन गये है। रोचक और सरस लेखक कलाको करते हुए समाज और जीवन बदलती का ढंग से है।Model annotation—1.गोया आप है- उसे केवल इन के

    से िजया जा सकता है।उ- मोहन राकेश के हर अपनी सफलता से चलायी है। उनके हैअपने समाज के हर बदलती को भी अपनी का बनाया है।

    भाग उनके –युग का है। आजकल के कला बढ़तीके बारे रोचक है।

    राकेशजी कहते हम जहाँ जाए,ँ िजधर जाए,ँजहाँ , जैसे ,इन से बच सकते। घर बदंहोकर बठै जाएँ तो के से हवा तैरते आते . घर से तो हर दोराहे चौराहे औरसडक के खभें पर पडता। अखबार उठाए तो भी देखने को . । जीवनसफल बनाने का उपदेश, जीवन जीने का उपदेशजैसे सब कुछ से होता है। यह सब देखकर ऐसा लगता है मानो

    है- उसे केवल इन के से िजया जा सकता है।3.वह चीनी भाई- महादेवी - सारांश---लेखक - महादेवी का एक सन ् 1907 ई. के

    हुआ था। और 1987 ई. को हुआ। से वे थी। रचनाभी वे महादेवी जी मीरा नाम से भी जानी जाती थी। उनके सकंलन यामा,

    रचना है. । रचनाएँ है- -नीहार, ,नीरजा, , , ,अतीत के , , रेखाएँ के ,समाज भी अपने अपना या। ,

    , . भी वे गये।मूल से होने पर भी एक , ,और उससे ऊपर एक के

    महादेवी कमतर और इस के उदाहरण है। उनके‘ ’ िजस भावकु , और संवेदना के साथ गये है, वह है। ‘अतीत के

    और रेखाएँ ‘ इस से पठनीय

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    Literature in Hindi Page 25

    एक का द:ु मात-ृ र अपने बहन से हुए ‘वह चीनी भाई’महादेवीजी का एक है। िजस कौशल से और िजस से चीनी भाईमहादेवी रचनागत से होता है वह पट हो जाता है। इस चीनी भाईकथा है। और सात के सहारे छोडकर माँ का संसार से चलेजाना, करके घर माँ को ले आना, पाँच के होजाना , उसके बाद भाई- पर का जैसे को पढ़कर चीनी भाई केजो और संवेदना पदैा होती है वह महादेवी के है। चीनी भाई

    और को िजस भाषा अपनीका बयान करता है , बहुत सी महादेवी के समझ आती, उसे भी वे अपनी भाषाकरती है। वे कहती ---“ जो कथाएँ का बाँध तोडकर , को अपना देने के बहहै, वे : होती है और भाषा रहकर भी बोलने है। चीनी भाई

    कथा भी इसका अपवाद ।“के के बाद चीनी भाई का बहन थी। पर धीरे- धीरे माँ और

    बहन के बीच बढ़ने लगता है। माँ का भाई-बहन पर बढ़ जाता है। पसैै कमाने औरपाने के लालच बहन को के काम लगा देती है। एक न बहन रातइसी काम के घर से , पर लौटकर आई। चीनी भाई ने उसे बहुत ढँूढा, परंतु उसका पताचला। बहन को ढँूढत-े घूमते उसको और के ने पकड और

    व हुई। संयोग से एक उसके ता के एक ने उसे से अपने कपडेदकूान पर लगा अपनी और से उसने कर

    अब वह ,भारत कपडे लेकर जाने लगा। कपडे का थान उठाकर वह घूम-घूमकर बेचता। इसअब उसे दसूरा कोई रहने का उसका था – और बहन खोज।तो सके अपने वश बात थी, बहन को खोजना था। तक वह बहन को

    खोजता रहा। एक महादेवीजी को पत चला चीन से लडने के उसका बलुावा आया है ।महादेवीजी ने सोचने का अवकाश पाने के - तो कोई है , बलुावाभेजा? चीनी भाई से भरकर खलु गई-“हम कब बोला हमारा चाइना है? हम कब ऐसाबोला ?” इतने जीवन-यापन और जीवन- भी अपने देश के यहसचमुच हमारे सीखने चीज़ है।One word questions & answers-

    1. चीनी भाई रचना है?उ-महादेवी .

    2. महादेवी रचना है-चीनी भाई?उ-

    3. चीनीभाई के अपने वश थी?उ- और बहन खोज।

    4. के चंगुल से चीनीभाई को बचा ?उ- उसके के परुाने

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    Literature in Hindi Page 26

    5. बचपन लोग चीनी कहकर करते थे?उ--महादेवी को।

    6. चीनी भाई ने महादेवीजी को ?उ-

    7. चीनी भाई चैना लौट गया?उ- भाग लेने के

    8. चीनी भाई ने को कौनसा काम के ?उ- करने

    9. चीनी भाई कैसे के बीच फँस गया?उ- अपने खोज करते करते बालक चीनी भाई के बीच फँस गया।

    10. चीनी भाई को हुआ?उ- एक काया पलटकर बाहर गयी कभी लौट आयी।

    Short questions & answers-1. महादेवी ने चीनी भाई का कैसा ?

    उ- धूल सेमटमलेै सफेद के जूते छोटे परै, पतलून और पजैामा कापजैामा और कुरते तथा कौट के आधार पर कोट धडे हुए -से परुानेपनघोषणा करते हुएहैट से आधा माथा ढके , -मूँछ को महादेवी ने देखा।

    2. महादेवी जीको काउ— रंग के डोरे से भरे हुए का हर घुमाव और उसी रंग से बनेपखंडुी चीनी कोमल कर थी, जीवन के अभावकहानी भी कह थी।

    3. चीनीभाई को अपनी बहन कैसे हुआ?उ- चीनीभाई के के बाद उसके और का जीवन बहुत हो गया।को करवाने लगी। का कायापलट करके रंगीन सजाकर रात

    के बाहर ले जाती थी। बहुत बाद एक ।बहुत खोजने पर भी उसेका पता4.महादेवी ने कैसे समझ पाया चीनी भाई को अपने देश के था. ?उ- भारत रहकर के करते करते एक चीनीभाई को चीन से लडने बलुावाआया। यह जानकर महादेवी जी ने उससे पछूा तो वहाँ कोई है , बलुावा भेजा? यहसुनकर चीनीभाई से भर खलु गई। वह महादेवी से पछूने लगा- हम कब बोला हमाराचाइना है? हम कब ऐसा बोला ? उसका यह सवाल और उसके मुख का भाव से यह

    करता था इतने न जीवन-यापन और जीवन- भी चीनी भाई को अपने देशके अथाह था.

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    Literature in Hindi Page 27

    Modue-44.जहाँ आकाश देता- सारांश-

    लेखक — के बहुमुखीहै.।नाटक, ,कहानी, , जीवनी, के उनका अपना है। उनका

    सन ् 1912 ई. हुआ। बगंाल के कलाकार जीवनी- आवारा मसीहा-सभी रचनाएँ सामािजक से है। धरती अब भी घूम है ,नामकके बाद के का अनावरण है। लेख कलकता शहर के बारे

    है, जहाँ और आसमान को छू जानवेाले से आसमान देता।के आकाश पर ऐसे कुछ छाया रहता है िजसे कुहरा कह सकते असल धुआ.ँ, और

    शोर का एक इस युग तो भी है। सचमुच यह है जहाँ आकाशदेता और धरती पर न परै पड़ते है.। यह हबडा का पलु है और आयी है। नीचे गगंा है।

    भीड़ हर है.। आत-ेजाते लोग। सब अकेले के पीछे भागे जारहे यहाँ सब कुछ दौडता है।

    यह है पर भूख से तडपकर ने , िजसकेआकाश कला और मानदंड हुए ने नये को

    है । यह का नगर है। सभी तरह के - जैसे समाज सधुार,कला और संगीतऔर – है। यहाँ के भावकु लोग सगंीत और सगंीत

    वसेै वे उतनी कुशलता से 303 के चला सकतेसडक पर भीड उमड़ती है। सहसा कुछ गूँजते .। एक दसूरे को चीख चीखकर

    कोसते टकराती . । तभी न जाने कहाँ से हो जाते .। बटोरकर एकओर रख देती है। कुछ देर बाद होती इस नगर के केबीच एक अजनबी बनकर लेखक अपने को असहाय पाता है। वे कहते यह असहाय अकेलापन

    लगता है। लेखक गाडी से उतरकर भीड घुस जाते एकदम उनके पर कसी के हाथ कदबाव पाकर वे पडते है। मुडकर देखे तो पता चल परुना है। होटल मे ले चला।

    लगा अब आ गया है। सब कुछ राजसी और का सब कुछ, , , , बरेै और मोहक और इस सब को भोगने वाले देशी-

    ऊपर मंिजल के बालकनी के नीचे भीड है। बस के पर भी कई कई केवलआना- जाना ,और इसी आने-जाने के बीच - से लेकर जेब-कतराई तक, नेताओं के सेछुरेबाजी तक सभी कुछ होता है। एक ओर जीवन के वानदंड पनपते कला का घोषकरती है। ओर पर कुचलती है, , ऐसी तफूानी उनकेपरै

    के फुटपाथ है। काल से इन पर घर बनाकररहे खाना बनाते , पसारकर सो जाते , ,सब होता है। उन बगंालसे भाग आये ( ) है,और से तक बनकर रहनेवले भी है।वह एक है। का घोल है। और शरत, राममोहन और

    , और नतेाजी सुभाष, और राय ,इन सबके इस नगर सब कुछ होते है-जैसे नाटक, , बाढ़, , तक है। भावकुता है,आँसओुं का सैलाब है।

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    Literature in Hindi Page 28

    अनोखा नगर है। गोमुखी भागीरथी यहाँ बन गयी है। छाती परमचलती बडे बाज़ार और पर बठेै पसैा गढ़ते फुट- पर

    जाती और यह नगर उमडता रहत है जैसे से लावा उमड़ता है।आज भी धरती पर परै पड़त,े आज भी आकाश देता ।

    One word questions & answers.-1. जहाँ आकाश देता- रचना है?

    उ-2. यह रचना है?

    उ-3. नगर के बारे यहाँ हुआ है?

    उ- के बारे4. गोमुखी भागीरथी का नाम है?

    उ-5. -------------- का नगर है।

    उ- का।Short questions &answers.—

    1. है?उ- आकाश देता। वहाँ भीड रहती है। वहाँ परै

    सकता. । पर से तडपकर ने है। यहाँ के आकाश कला,और के मानदंड हुए है। यह का नगर है। यहाँ हर तरह के काहुआ है।2. के काउ- का नगर है। से यहाँ एक-न-एक नया उमडता आया

    है।समाज सुधार का , कला और सगंीत का , और का ,भखूऔर भाषा का और तक चलता है।3. के फुटपाथ है। ?उ- के फुटपाथ है। कई से यहाँ घर बनाकर रहता बगंालके के अलावा से तक यहाँ रहते यह भी क और

    पर और तक होता रहता है।5.भगत गत – परसाई । सारांश-लेखक - के परसाईजी का सन ्1924हुआ। अपने समाज के सभी पर-जैसे ,अनाचार, -

    कटु है। उनके —रानी नागफनी कहानी, और जल तथा तटखोज।हँसते रोते , जसेै उनके कहानी है। उनके है- तब बात और

    थी, भूत के पाँव पीछे, का जमाना और हुआ । भगत गत परसाई जी खाहुआ लेख है, अपने को बडे कहे जानेवाले हँसी उडायी है. इस लेख गयाहै जी भगवान थे. के बहाने पहँूचायाथा । अपने पाप के कारण भगत जी सी , भगवान ने नरक का दंड

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    Literature in Hindi Page 29

    परसाई जी कहते अपने के बडे कहे जानेवाले भगत जी हुई तो वेहुए , नरक डाल या गया है। अपने हुए पाप के कारण नरक का दंड

    था. ऐसे पाप थे नरक से संभावना था।भगत जी अपने आधीरात तक भजन करते थे। लाउड भी लगवाते थे.। कभी कभी

    याने – के भी होता था। ने भी था.भगत जी परवाह और पर लेने और देने के तुल हो गये।भगतजी हो गयी। वे सीधे के पर पहँूच।े वहां के भगत जी से( ) मागँा। भगतजी को आया। अभी तक देखन,े रेल- करने को

    । उनसे मागँा तो बरुा लग.। केकरना चाहा।भगतजी को धकेलकर आगे बढने लगे तो वह भीमाकाय बना और उसने भगतजी को

    उठाकर एक देवता के पर खडा कर देवता ने उससे नाम –धाम सब पछूकर कहामामला बडा पेचीदा है और या नरक दे इसका भगवान एक चपरासी

    भगवान के दरबार ले चला. ।भगतजी भगवान का भजन करता रहा और समीप आकर भगवान बडी

    भगतजी सनुकर भगवान को बोर हो गया और उनसे पछूा गया है। तबभगतजी भगवान से मुझे कोई सी जगह तो भगवान ने भगतजीसे पछूा ऐसा काम है। यह सुनकर भगतजी ने कहा- भजन करतारहा। भगवान ने भगतजी को समझा या पर भजन गाकर तुम ने बहुत बरुा है।भगवान तो है, कोई भगवान ने आगे कहा से तंग आकर लोग भगवान

    भी करने लगे थे.।भगवान सुनकर भगतजी ने कहा से भगवान का नाम सुनकर को

    अनायास जाता। भगवान को भगतजी परहँसी आयी। कहा बेवकूफतरह चापलसूी सुनकर खशु होनेवाला हँू , के पर देनेवाला हँू।

    भगतजी ने कहा कोई बरुा काम है। भगवान माननेवाले थे। भगवान ने भगतजीको कहा और भी पहले भगतजी के के रामनाथ को बलुाया औरपछूा कैसे हुई। तब ने सनुाया वह बीमार था , ने नींद और आरामलेने का उपदेश था। भगतजी के के कारण चैन से नींद और आरामउसका हालत गया और मर ग�