vlaHko Økafr vlaHko Økafr vlaHko Økafr vlaHko Økafr १. सय का ार मेरे य आमन् , एक साट एक दन सुबह अपने बगीचे म िनकला। िनकलते ह उसके पैर म कांटा गड़ गया। बहत पीड़ा उसे हई। और उसने सारे सााय म जतने भी वचारशील लोग थे ु ु , उह राजधानी आमंऽत कया। और उन लोग से कहा, ऐसी कोई आयोजना करो क मेरे पैर म कांटा न गड़ पाए। वे वचारशील लोग हजार क संया म महन तक वचार करते रहे और अंततः उहने यह िनणय कया क सार पृवी को चमड़े से ढांक दया जाए, ताक साट के पैर म कांटा न गड़े। यह खबर पूरे राय म फैल गई। कसान घबड़ा उठे। अगर सार जमीन चमड़े से ढंक द गई तो अनाज कैसे पैदा होगा? सारे लोग घबड़ा उठे--राजा के पैर म कांटा न गड़े , कहं इसके पहले सार मनुय जाित क हया तो नहं कर द जाएगी? यक सार जमीन ढंक जाएगी तो जीवन असंभव हो जाएगा। लाख लोग ने राजमहल के ार पर ाथना क और राजा को कहा, ऐसा न कर कोई और उपाय खोज। वान थे , बुलाए गए और उहने कहा, तब दसरा उपाय यह है क पृवी से ू सार धूल अलग कर द जाए, कांटे अलग कर दए जाएं , ताक आपको कोई तकलीफ न हो। कांट क सफाई का आयोजन हआ। लाख मजदर राजधानी के आसपास ु ू झाडुएं लेकर राःत को, पथ को, खेत को कांट से मु करने लगे। धूल के बवंडर उठे , आकाश धूल से भर गया। लाख लोग सफाई कर रहे थे। एक भी कांटे को पृवी पर बचने नहं देना था, धूल नहं बचने देनी थी, ताक राजा को कोई तकलीफ न हो, उसके कपड़े भी खराब न ह, कांटे भी न गड़। हजार लोग बीमार पड़ गए, इतनी धूल उड़। कुछ लोग बेहोश हो गए, यक चौबीस घंटा, अखंड धूल उड़ाने का बम चलता था। धूल वापस बैठ जाती थी, इसिलए बम बंद भी नहं कया जा सकता था। सार जा म घबड़ाहट फैल गई। लोग ने राजा से ाथना क यह या पागलपन हो रहा है। इतनी धूल उठा द गई है क हमारा जीना दभर हो गया ू , सांस लेना मुकल है। कृपा करके ये धूल के बादल वापस बठाए जाएं। कोई और राःता खोजा जाए। फर हजार मजदर को कहा गया क वे जाकर पानी भर और सार पृवी को सीच। नद ू और तालाब सूख गए। लाख िभतय ने सार राजधानी को, राजधानी के आसपास क भूिम को पानी से सींचा। कचड़ मच गई, गरब के झोपड़े बह गए। बहत मुसीबत खड़ हो ु गई। फर राजा से ाथना क गई क यह या हो रहा है--या आप हम जीने न दगे ? या Bookhindi.blogspot.com Bookhindi.blogspot.com Bookhindi.blogspot.com