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अनुमिणका अंक – बारहवां अैल -जून, 2015 1. जभाषा बंधी िवशेष उपलिधयां 2. संसदीय राजभाषा सिमित की दूसरी उप सिमित के िनरीण के दृय 3. मोहनदास करमचद गांधी 4. िडजीटल इंिडया की पिरकपना 5. रेलवे बोड राजभाषा कायावयन सिमित की 120वᱭ बैठक के दृय 6. लालबहादुर शाᳫी 7. डᱶगू - लण एवं बचाव 8. रेल का दद तथा रेलवे को समिपत कुछ पं ियां 9. राजभाषा पखवाड़ा- 2015 10. राजभाषा पखवाड़ा- 2015 के दौरान आयोिजत िविभन कायमᲂ के दृय 11. रेल अंचलᲂ मᱶ राजभाषा से संबंिधत गितिविधयां ए.के. िमतल अय, रेलवे बोड दीप कुमार सदय कािमक पता : राजभाषा िनदेशालय, रेल मंालय (रेलवे बोड), कमरा नं.544, रेल भवन, रेलवे बोड नई िदली - 110001. Email : [email protected] रािगनी यचुरी कायपालक िनदेशक (औ.सं.) के.पी. सयानंदन िनदेशक,राजभाषा नी पटनी उप िनदेशक,राजभाषा अमरीक लाल अनुभाग अिधकारी, राजभाषा िशव चरण गौड़, विरठ अनुवादक गौरव कालरा, किनठ अनुवादक ऐसे िजयो जैसे िकल मरने वाले हो, ऐसे सीखो की हमेशा के िलए जीने वाले हो. - महा×मा गांधी

12th edition 25 - Final - Indian Railway · के िलए तैयार रह v। गांधी जी ने न केवल युवा वगर्ुभाष च स

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    अनुकर्मिणका अंक – बारहवा ं अपर्लै -जून, 2015

    1. राजभाषा संबधंी िवशषे उपलिब्धया ं 2. ससंदीय राजभाषा सिमित की दसूरी उप सिमित के िनरीक्षण के दशृ् य 3. मोहनदास करमचन्द गाधंी 4. िडजीटल इंिडया की पिरकल् पना 5. रेलव ेबोडर् राजभाषा कायार्न् वयन सिमित की 120व बठैक के दशृ् य 6. लालबहादरु शा ी 7. डग ू- ल ण एव ंबचाव 8. रेल का ददर् तथा रेलव ेको समिपत कुछ पिंक्तया ं

    9. राजभाषा पखवाड़ा- 2015 10. राजभाषा पखवाड़ा- 2015 के दौरान आयोिजत िविभन् न

    कायर्कर्म के दशृ् य 11. रेल अचंल म राजभाषा स ेसबंिंधत गितिविधया ं

    ए.के. िमत् तल अध् यक्ष, रेलवे बोडर्

    पर्दीप कुमार सदस्य कािमक

    पता : राजभाषा िनदशेालय, रेल मंतर्ालय (रेलवे बोडर्),

    कमरा नं.544, रेल भवन, रेलवे बोडर् नई िदल् ली - 110001. Email : [email protected]

    रािगनी यचरुी

    कायर्पालक िनदशेक (औ.सं.)

    के.पी. सत्यानंदन िनदशेक,राजभाषा

    नीरू पटनी

    उप िनदशेक,राजभाषा

    अमरीक लाल

    अनुभाग अिधकारी, राजभाषा

    िशव चरण गौड़, विरष् ठ अनुवादक गौरव कालरा, किनष् ठ अनुवादक

     

    ऐसे िजयो जैसे िक तुम कल मरने वाले हो,  ऐसे सीखो की तुम हमेशा के िलए जीने वाले हो.                           - महा मा गांधी 

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    राजभाषा सबंधंी िवशेष उपलिब्धया ं

    14 िसतबंर, 2015 को िहदी िदवस समारोह 2015 म माननीय रा पित जी स े

    राजभाषा कीित परुस्कार गर्हण करते हुए अध्यक्ष रेलव ेबोडर्

    िहदी िदवस समारोह 2015 म माननीय रा पित जी स ेपसु् तक लखेन म पुरस्कार गर्हण करत ेहुए रेलव ेबोडर् के सवेािनवतृ् त अिधकारी शर्ी पर्मेपाल शमार्

    िहदी िदवस समारोह 2015 म माननीय रा पित जी स ेिहदी मौिलक पुस् तक लखेन के िलए परुस्कार गर्हण करत ेहुए रेलव ेकमर्चारी शर्ी अजुर्न पर्साद

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    ससंदीय राजभाषा सिमित की दसूरी उप सिमित ारा पि म रेलव ेएव ंराइट्स, मुंबई कायार्लय के िनरीक्षण के दशृ् य

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    भारत एवं भारतीय स्वतंतर्ता आंदोलन के एक पर्मुख राजनैितक एवं आध्याित्मक नेता थे। वे सत्यागर्ह ( ापक सिवनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के पर्ितकार के अगर्णी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की न व सम्पूणर् अिहसा के िस ान्त पर रखी गयी थी िजसन ेभारत को आजादी िदलाकर पूरी दिुनया म जनता के नागिरक अिधकार एवं स्वतन्तर्ता के पर्ित आन्दोलन के िलये पेर्िरत िकया। उन्ह दिुनया म आम जनता महात्मा गाधंी के नाम से जानती ह।ै संस्कृत भाषा म महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द ह।ै सुभाष चन्दर् बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेिडयो से गाधंी जी के नाम जारी पर्सारण म उन्ह रा िपता कहकर सम्बोिधत करते हुए आज़ाद िहन्द फौज़ के सैिनक के िलये उनका आशीवार्द और शुभकामनाएँ माँग थ । पर्ित वषर् 2 अक्टूबर को उनका जन्म िदन भारत म गाधंी जयंती के रूप म और पूरे िव म अन्तरार् ीय अिहसा िदवस के नाम से मनाया जाता ह।ै

    सबसे पहले गांधी न े पर्वासी वकील के रूप म दिक्षण अफर्ीका म भारतीय समुदाय के लोग के नागिरक अिधकार के िलये संघषर् हतेु रोजगार करना शुरू िकया। 1915 म उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्ह ने यहाँ के िकसान , मजदरू और शहरी शर्िमक को अत्यिधक भूिम कर और भेदभाव के िवरु आवाज उठाने के िलये एकजुट िकया। 1921 म भारतीय रा ीय कांगर्ेस की बागडोर संभालने के बाद उन्ह ने दशेभर म गरीबी से राहत िदलाने, मिहला के अिधकार का िवस्तार, धािमक एवं जातीय एकता का िनमार्ण व आत्मिनभर्रता के िलये अस्पृश् यता के िवरोध म अनेक कायर्कर्म चलाये। इन सबम िवदशेी राज से मुिक्त िदलाने वाला स्वराज की पर्ाि वाला कायर्कर्म ही पर्मुख था। गाँधी जी ने िबर्िटश सरकार ारा भारतीय पर लगाय ेगये नमक कर के िवरोध म 1930 म नमक सत्यागर्ह और इसके बाद 1942 म अंगर्जेो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी पर्िसि पर्ा की। दिक्षण अफर्ीका और भारत म िविभ अवसर पर कई वष तक उन्ह जेल म भी रहना पड़ा।

    मोहनदास करमचन्द गांधी (2 अक्टूबर 1869 - 30 जनवरी 1948)

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    गांधी जी न ेसभी पिरिस्थितय म अिहसा और सत्य का पालन िकया और सभी को इनका पालन करने के िलये वकालत भी की। उन्ह ने साबरमती आशर्म म अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी िजसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्ह ने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुि के िलये लम्बे-लम्बे उपवास रखे।

    पर्ारिम्भक जीवन मोहनदास करमचन्द गान्धी का जन्म पि मी भारत म वतर्मान गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर नामक स्थान पर 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था। उनके िपता करमचन्द गांधी सनातन धमर् की पसंारी जाित से सम्बन्ध रखते थ े और िबर्िटश राज के समय कािठयावाड़ की एक छोटी सी िरयासत (पोरबंदर) के दीवान अथार्त् पर्धानमन्तर्ी थे. उनकी माता पुतलीबाई परनामी वैश्य समुदाय की थ । पुतलीबाई करमचन्द की चौथी प ी थी। उनकी पहली तीन पि या ँपर्सव के समय मर गय थ । भिक्त करने वाली माता की दखेरेख और

    उस के्षतर् की जैन परम्परा के कारण युवा मोहनदास पर वे पर्भाव पर्ारम्भ म ही पड़ गये थ े िजन्ह ने आग ेचलकर उनके जीवन म महत्वपूणर् भूिमका िनभायी। इन पर्भाव म शािमल थे दबुर्ल म जोश की भावना, शाकाहारी जीवन, आत्मशुि के िलये उपवास तथा िविभ जाितय के लोग के बीच सिहष् णुता। कम आय ुम िववाह

    मई 1883 म साढे 13 साल की आयु पूणर् करते ही उनका िववाह 14 साल की कस्तूरबा माखनजी से कर िदया गया। प ी का पहला नाम छोटा करके कस्तूरबा कर िदया गया और उसे लोग प्यार से बा कहते थे। यह िववाह उनके माता िपता ारा तय िकया गया विस्थत बाल िववाह था जो उस समय उस के्षतर् म पर्चिलत था। लेिकन उस के्षतर् म यही रीित थी िक िकशोर दलु्हन को अपने माता िपता के घर और अपन ेपित से अलग अिधक समय तक रहना पड़ता था। 1885 म जब गांधी जी 15 वषर् के थ ेतब इनकी पहली सन्तान ने जन्म िलया। लेिकन वह केवल कुछ िदन ही जीिवत रही। और इसी साल उनके िपता करमचन्द गाधंी भी चल बसे। मोहनदास और कस्तूरबा के चार सन्तान हुईं जो सभी पुतर् थे। हरीलाल गान्धी 1888 म, मिणलाल गान्धी 1892 म, रामदास गान्धी 1897 म और दवेदास गाधंी 1900 म जन्मे। पोरबंदर से उन्ह न े िमिडल और राजकोट से हाई स्कूल िकया। दोन परीक्षा म शकै्षिणक स्तर वह एक औसत छातर् रह।े मैिटर्क के बाद की परीक्षा उन्ह ने भावनगर के शामलदास कॉलेज से कुछ परेशानी के साथ उ ीणर् की। जब तक वे वहाँ रह ेअपर्स ही रह े क्य िक उनका पिरवार उन्ह बैिरस्टर बनाना चाहता था।

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    िवदशे म िशक्षा व िवदशे म ही वकालत अपने 19व जन्मिदन से लगभग एक महीने पहले ही 4 िसतम्बर 1888 को गांधी यूिनविसटी कॉलेज लन्दन म कानून की पढाई करने और बैिरस्टर बनने के िलये इंग्लड चले गये। भारत छोड़ते समय जैन िभकु्ष बेचारजी के समक्ष िहन्दु को मांस, शराब तथा संकीणर् िवचारधारा को त्यागने के िलए अपनी अपनी माता जी को िदए गये एक वचन ने उनके शाही राजधानी लंदन म िबताये गये समय को काफी पर्भािवत िकया। इंग्लड और वेल्स बार एसोिसएशन म वापस बुलावे पर वे भारत लौट आये िकन्तु बम्बई म वकालत करने म उन्ह कोई खास सफलता नह िमली। बाद म एक हाई स्कूल िशक्षक के रूप म अंशकािलक नौकरी का पर्ाथर्ना पतर् अस्वीकार कर िदये जाने पर उन्ह ने जरूरतमन्द के िलये मुकदमे की अिजयाँ िलखने के िलये राजकोट को ही अपना स्थायी मुकाम बना िलया। परन्तु एक अगंर्ेज अिधकारी की मूखर्ता के कारण उन्ह यह कारोबार भी छोड़ना पड़ा। अपनी आत्मकथा म उन्ह ने इस घटना का वणर्न अपन ेबड़े भाई की ओर से परोपकार की असफल कोिशश के रूप म िकया ह।ै यही वह कारण था िजस वजह से उन्ह ने सन् 1893 म एक भारतीय फमर् से नेटाल दिक्षण अफर्ीका म, जो उन िदन िबर्िटश सामर्ाज्य का भाग होता था, एक वषर् के करार पर वकालत का कारोवार स्वीकार कर िलया।

    दिक्षण अफीर्का (१८९३-१९१४) म नागिरक अिधकार के आदंोलन

    दिक्षण अफर्ीका म गांधी को भारतीय पर भेदभाव का सामना करना पड़ा। आरम्भ म उन्ह पर्थम शर्ेणी कोच की वैध िटकट होने के बाद तीसरी शर्ेणी के िडब्बे म जाने से इन्कार करने के िलए टेर्न से बाहर फक िदया गया था। इतना ही नह पायदान पर शषे यातर्ा करते हुए एक यूरोिपयन यातर्ी के अन्दर आने पर चालक की मार भी झेलनी पड़ी। उन्ह ने अपनी इस यातर्ा म अन्य भी कई किठनाइय का सामना िकया। अफर्ीका म कई होटल को उनके िलए विजत कर िदया गया। इसी तरह ही बहुत सी घटना म से एक यह भी थी िजसम अदालत के न्यायाधीश ने उन्ह अपनी पगड़ी उतारने का आदशे िदया था िजसे उन्ह ने नह माना। ये सारी घटनाएँ गांधी के जीवन म एक मोड़ बन गईं और िव मान सामािजक अन्याय के पर्ित जागरुकता का कारण बन तथा सामािजक सिकर्यता की ाख्या करने म मददगार िस हुईं। दिक्षण अफर्ीका म भारतीय पर हो रह ेअन्याय को दखेते हुए गांधी न ेअंगर्ेजी सामर्ाज्य के अन्तगर्त अपने दशेवािसय के सम्मान तथा दशे म स्वयं अपनी िस्थित के िलए पर् उठाए। भारतीय स्वततंर्ता सगंर्ाम के िलए सघंषर् (१९१६ -१९४५) १९१५ म, गांधी दिक्षण अफर्ीका से भारत म रहने के िलए लौट आएं। उन्ह ने भारतीय रा ीय कांगर्ेस के अिधवेशन पर अपन े िवचार क्त िकए, लेिकन वे भारत के मुख्य मु , राजनीित तथा उस समय के कांगर्ेस दल के पर्मुख भारतीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले (Gopal Krishna Gokhale), जो एक सम्मािनत नेता थे पर ही आधािरत थे।

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    असहयोग आदंोलन

    गांधी जी ने असहयोग, अिहसा तथा शांितपूणर् पर्ितकार

    को अंगर्ेज के िखलाफ़ श के रूप म उपयोग

    िकया। पंजाब म अंगर्जेी फोज ारा भारतीय

    पर जिलयावाला नरसंहार िजसे अमृतसर नरसंहार के

    नाम से भी जाना जाता ह ै ने दशे को भारी आघात पहुचंाया िजससे जनता म कर्ोध और िहसा की ज्वाला भड़क उठी। गांधी जी ने िबर्िटश राज तथा भारतीय ारा

    पर्ितकारात्मक रवैया दोन की की। उन्ह ने िबर्िटश नागिरक तथा दगं के िशकार लोग के पर्ित संवेदना

    क्त की तथा पाट के आरंिभक िवरोध के बाद दगं की भत्सर्ना की। गांधी जी के भावनात्मक भाषण के बाद अपने िस ांत की वकालत की िक सभी िहसा और बुराई को न्यायोिचत नह ठहराया जा सकता ह।ै िकतु ऐसा इस

    नरसंहार और उसके बाद हुई िहसा स ेगाधंी जी ने अपना मन संपूणर् सरकार और भारतीय सरकार के कब्ज े वाली संस्था पर सपंणूर् िनयतंर्ण लाने पर किदर्त था जो जल् दी ही स्वराज अथवा संपूणर् िक्तगत, आध् याित्मक एवं

    राजनैितक आजादी म बदलने वाला था।

    स्वराज और नमक सत्यागर्ह (नमक माचर्)

    गांधी जी सिकर्य राजनीित से दरू ही रह ेऔर १९२० की अिधकांश अविध तक वे स्वराज पाट और इंिडयन नेशनल कांगर्से के बीच खाई को भरन े म लग े रह े और इसके अितिरक्त वे अस्पृश्यता, शराब, अज्ञानता और

    गरीबी के िखलाफ भी आंदोलन छेड़ते रह।े उन्ह ने पहले १९२८ म लौटे .एक साल पहले अंगर्जेी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व म एक नया संवैधािनक सुधार आयोग बनाया िजसम एक भी सदस्य भारतीय नह था।

    इसका पिरणाम भारतीय राजनैितक दल ारा बिहष्कार िनकला। िदसम्बर १९२८ म गांधी जी ने कलक ा म आयोिजत कागंर्ेस के एक अिधवेशन म एक पर्स्ताव रखा िजसम भारतीय सामर्ाज्य को स ा पर्दान करने के िलए कहा गया था अथवा ऐसा न करने के बदले अपने उ ेश्य के रूप म संपूणर् दशे की आजादी के िलए असहयोग आंदोलन का सामना करने के िलए तैयार रह। गांधी जी ने न केवल युवा वगर् सुभाष चदंर् बोस तथा जवाहर लाल नेहरू जैसे पुरूष ारा तत्काल आजादी की मागं के िवचार को फलीभूत िकया बिल्क अपनी स्वयं की मांग को दो साल की बजाए एक साल के िलए रोक िदया। अगंर्ेज ने कोई जवाब नह िदया। ३१ िदसम्बर १९२९, को लाहौर म भारत का झंडा फहराया गया था। २६ जनवरी १९३० का िदन लाहौर म भारतीय स्वतंतर्ता िदवस के रूप म इंिडयन नशेनल कांगर्ेस ने मनाया। यह िदन लगभग पर्त्येक भारतीय संगठन ारा भी मनाया गया। इसके बाद गांधी जी ने माचर् १९३० म नमक पर कर लगाए जाने के िवरोध म नया सत्यागर्ह आंदोलन चलाया िजसे १२ माचर् से ६ अपैर्ल तक नमक आंदोलन के याद म ४०० िकलोमीटर तक का सफर अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया तािक स्वयं नमक उत्प िकया जा सके। समुदर् की ओर इस यातर्ा म हजार की संख् या म भारतीय न ेभाग िलया। भारत म अंगर्जे की पकड़ को िवचिलत करने वाला यह एक सवार्िधक सफल आंदोलन था िजसम अंगर्जे ने ८०,००० से अिधक लोग को जेल भेजा।

    ि तीय िवश् व यु और भारत छोड़ो आदंोलन  

    ि तीय िव यु १९३९ म, गांधी जी ने अगंर्ेज के पर्यास को अिहसात्मक नैितक सहयोग दनेे का पक्ष िलया िकतु दसूरे कांगर्ेस के नेता ने यु म जनता के पर्ितिनिधय के परामशर् िलए िबना इसम एकतरफा शािमल िकए जाने का िवरोध िकया।

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    कांगर्ेस के सभी चयिनत सदस्य न े सामूिहक तौर पर अपने पद से इस्तीफा द ेिदया। लंबी चचार् के बाद, गांधी ने घोषणा की िक जब स्वयं भारत को आजादी से इंकार िकया गया हो तब लोकतांितर्क आजादी के िलए बाहर से लड़ने पर भारत िकसी भी यु के िलए पाट नह बनेगी। जैसे जैसे यु बढता गया गांधी जी ने आजादी के िलए अपनी मागं को अंगर्जे को भारत छोड़ो आन्दोलन नामक िवधेयक दकेर तीवर् कर िदया। यह गांधी तथा कांगर्ेस पाट का सवार्िधक स्प िवदर्ोह था जो भारतीय सीमा से अंगर्ेज को खदड़ेने पर लिक्षत था।

    गांधी जी और कांगर्से कायर्कारणी सिमित के सभी सदस्य को अगंर्ेज ारा मुबंई म ९ अगस्त १९४२ को िगरफ्तार कर िलया गया। गांधी जी को पुणे के आगां खां महल म दो साल तक बंदी बनाकर रखा गया। यही वह समय था जब गांधी जी को उनके िनजी जीवन म दो गहरे आघात लगे। उनका ५० साल पुराना सिचव महादवे दसेाई ६ िदन बाद ही िदल का दौरा पड़ने से मर गए और गांधी जी के १८ महीन े जेल म रहने के बाद २२ फरवरी १९४४ को उनकी प ी कस्तूरबा गांधी का दहेांत हो गया। इसके छ: स ाह बाद गांधी जी को भी मलेिरया का भयंकर िशकार होना पड़ा। उनके खराब स्वास्थ् य और जरूरी उपचार के कारण ६ मई १९४४ को यु की समाि से पूवर् ही उन्ह िरहा कर िदया गया। अंगर्जे उन्ह जेल म दम तोड़ते हुए नह दखेना चाहते थे िजससे दशे का कर्ोध बढ़ जाए। हालांिक भारत छोड़ो आदंोलन को अपने उ ेश्य म आिशक सफलता ही िमली लेिकन आंदोलन के िनष् ठुर दमन ने १९४३ के अंत तक भारत को संगिठत कर िदया। यु के अंत म, िबर्िटश ने स्प संकेत द ेिदया था िक स ा का हस्तांतरण कर उसे भारतीय के हाथ म स प िदया जाएगा। इस समय गाधंी जी ने आंदोलन को बंद कर िदया िजससे कांगर्ेसी नेता सिहत लगभग १००,००० राजनैितक बंिदय को िरहा कर िदया गया।

    स् वततंर्ता और भारत का िवभाजन

    गांधी जी ने १९४६ म कांगर्ेस को िबर्िटश केिबनेट िमशन (British Cabinet Mission) के पर्स्ताव को ठुकराने का परामशर् िदया क्योिक उस े मुिस्लम बाहुलता वाले पर्ांत के िलए पर्स्तािवत समूहीकरण के पर्ित उनका गहन संदहे होना था इसिलए गांधी जी ने पर्करण को एक िवभाजन के पूवार्भ्यास के रूप म दखेा। हालांिक कुछ समय से गांधी जी के साथ कांगर्ेस ारा मतभेद वाली घटना म से यह भी एक घटना बनी (हालांिक उसके नेत्त्व के कारण नह ) चंूिक नेहरू और पटेल जानते थे िक यिद कांगर्ेस इस योजना का अनुमोदन नह करती ह ै तब सरकार का िनयंतर्ण मुिस्लम लीग के पास चला जाएगा। १९४८ के बीच लगभग ५००० से भी अिधक लोग को िहसा के दौरान मौत के घाट उतार िदया गया। गांधी जी िकसी भी ऐसी योजना के िखलाफ थे जो भारत को दो अलग-अलग दशे म िवभािजत कर द।े भारत म रहने वाले बहुत से िहदु और िसक्ख एवं मुिस्लम का भारी बहुमत दशे के बंटवारे के पक्ष म था। इसके अितिरक्त मुहम्मद अली िज ा, मुिस्लम लीग के नेता ने, पि म पंजाब, िसध, उ र पि म सीमांत पर्ांत और पूव बंगाल म ापक सहयोग का पिरचय िदया। ापक स्तर पर फैलने वाले िहद ुमिुस्लम लड़ाई को रोकने के िलए ही कांगर्ेस नेता ने बंटवारे की इस योजना को अपनी मजंूरी द ेदी थी। कांगेस नेता जानत ेथे िक गांधी जी बंटवारे का िवरोध करगे और उसकी सहमित के िबना कांगर्ेस के िलए आगे बढ़ना असंभव था चूंिक पाट म गांधी जी का सहयोग और संपूणर् भारत म उनकी िस्थित मजबूत थी। गांधी जी के करीबी सहयोिगय ने बंटवारे को एक सव म उपाय के रूप म स्वीकार िकया और सरदार पटेल ने गांधी जी को समझाने का पर्यास िकया िक नागिरक अशांित वाले यु को रोकने का यही एक उपाय ह।ै मज़बूर गांधी ने अपनी अनमित दे दी।

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    जब यह मांग उठने लगी िक सभी मुिस्लम को पािकस्तान भेजा जाए और मुिस्लम और िहद ु नेता ने इस पर असंतोष क्त िकया और एक दसूरे के साथ समझौता

    करने से मना करने से गांधी जी को गहरा सदमा पहुचंा। उन्ह ने िदल्ली म अपना पहला आमरण अनशन आरंभ

    िकया िजसम साम्पर्दाियक िहसा को सभी के िलए तत्काल समा करने और पािकस्तान को 55 करोड़ रु. का भुगतान

    करने के िलए कहा गया था। गांधी जी को डर था िक पािकस्तान म अिस्थरता और असुरक्षा से भारत के पर्ित उनका गुस्सा और बढ़ जाएगा तथा सीमा पर िहसा फैल जाएगी। उन्ह आगे भी डर था िक िहद ुऔर मुिस्लम अपनी शतर्ुता को िफर से नया कर दग ेऔर उससे नागिरक यु हो जाने की आशंका बन सकती ह।ै जीवन भर गांधी जी का साथ दने े वाले सहयोिगय के साथ भावुक बहस के बाद गांधी जी ने इस बात को मानने से इंकार कर िदया और सरकार को अपनी नीित पर अिडग रहना पड़ा तथा पािकस्तान को भगुतान कर िदया। िहद ु मुिस्लम और िसक्ख समुदाय के नेता ने उन्ह िवश् वास िदलाया िक वे िहसा को भुला कर शांित लाएंगे। इन समुदाय म रा ीय

    स्वयंसेवक संघ और िहद ूमहासभा शािमल थे। इस पर्कार

    गांधी जी ने संतरे का जूस पीकर अपना अनशन तोड़

    िदया।

    हत् या ३० जनवरी, १९४८, गांधी की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वे नई िदल्ली के िबड़ला भवन (िबरला हाउस के मैदान म चहलकदमी कर रह ेथे। गांधी का हत्यारा नाथूराम गौड़से िहन्द ू रा वादी था िजसने गाधंी जी को पािकस्तान को भुगतान करन ेके मु े को लकेर भारत को कमजोर बनाने के िलए िजम्मदेार ठहराया था। गोड़से और उसके उनके सह ष ंतर्कारी नारायण आप्टे को बाद म केस चलाकर सजा दी गई तथा १५ नवंबर १९४९ को इन्ह फांसी द ेदी गई। राजधाट, नई िदल्ली, म गांधी जी के स्मारक पर "दवेनागरी म ह ेराम " िलखा हुआ ह।ै ऐसा ापक तौर पर माना जाता ह ै िक जब गांधी जी को गोली मारी गई तब उनके मुख से िनकलने वाले ये अंितम शब्द थे। गांधी जी की राख को एक अिस्थ- कलश रख िदया गया और उनकी सेवा की याद िदलाने के िलए संपूणर् भारत म ले जाया गया। इनम से अिधकांश को इलाहाबाद के संगम पर १२ फरवरी १९४८ को जल म िवसिजत कर िदया गया िकतु कुछ को अलग पिवतर् रूप म रख िदया गया। १९९७ म, तुषार गाँधी ने एक अिस्थ-कलश की कुछ सामगर्ी को अदालत के माध्यम से, इलाहाबाद म संगम नामक स्थान पर जल म िवसिजत कर िदया।

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    मोदी सरकार की पर्ाथिमक योजना म से एक िडजीटल इंिडया कायर्कर्म एक अम् बेर्ला पर्ोगर्ाम ह,ै िजसका उ ेश् य दशे के िविभन् न मंतर्ालय और सरकारी िवभाग को दशे की आम जनता से सीधे जोड़ना ह.ै िडजीटल इंिडया का उ ेश् य दशे की अथर्व् यवस् था को ज्ञान की अथर्व् यवस् था और भारतीय समाज को ज्ञान के समाज म तब् दील करना ह.ै िडजीटल इंिडया का आधार ह ै इंटरनटे से जनता को जोड़कर उस े ई-पर्शासन की सुिवधाएं और सूचनाएं पर्दान करना. िडजीटल इंिडया के नौ स् तम् भ ह जो उसे एक िविशष् ट रूप से खड़ा करते ह – बर्ॉडवड हाइवेज, सवर्तर् सुलभ मोबाइल कनिेक्टिवटी, इंटरनेट का स् वतंतर् रूप से पर्योग, ई-गवनस, ई-कर्ांित, सूचना पर्ौ ोिगकी, इलैक् टर्ॉिनक् स िविनमार्ण, रोजगार को सुलभ बनाना, अल हाबट कायर्कर्म.

    केन् दर् सरकार ारा 1 जलुाई, 2015 से शुरू हुए िडजीटल इंिडया कायर्कर्म के तहत दशे की आम जनता को ई-बिकग, ई-पर्शासन, ई-कॉमसर्, ई-िशक्षा स े जोड़ने की योजना ह.ै सरकार लोग को सुिवधाएं और सूचनाएं इंटरनेट पर उपलब् ध कराकर समय व दरूी की बचत करना चाहती ह.ै

    वतर्मान समय म भारत एक िवकासशील दशे ह िकतु अभी भी िवकिसत दशे की तुलना म पीछे ह.ै दशे को िवकास की गित दनेे के िलए इस तरह के कायर्कर्म की पिरकल् पना पहले कभी नह की गई थी. आज यिद िडजीटल इंिडया कायर्कर्म दशे म सफल होता ह ै तो वह िवकिसत दशे के काफी िनकट हो जाएगा.

    ल य एव ंकायर् योजना –

    कदर्ीय इलैक् टर्ोिनक् स एवं सूचना मंतर्ालय ने दशे के अन् य मतंर्ालय एवं िवभाग के साथ िमलकर िडजीटल

    इंिडया कायर्कर्म की रूपरेखा तैयार की ह.ै इसके तीन घटक ह –

    1.िडजीटल सेवा का ढाचंा तैयार करना. 2. सरकारी सेवा को इलैक् टर्ोिनक उपकरण ारा उपलब् ध कराना 3. रोजगार का िडजीटल सशिक्तकरण

    सरकार न े िजन तीन पर्मखु घटक को केन् दर् म रखते हुए िडजीटल इंिडया कायर्कर्म की योजना बनाई ह ैवे इसके सफल होने म महत् वपूणर् इकाई ह –

    पहला – सरकार को िडजीटल सेवा का ढांचा तैयार करना ह ैिजससे लोग इंटरनेट का सवर्तर् पर्योग कर सक.

    दसूरा – सरकारी सेवा को स् माटर्फोन और कंप् यूटर पर इंटरनेट के माध् यम से उपलब् ध कराकर समय व दरूी की बचत संभव ह.ै

    तीसरा – सरकार ने िडजीटल इंिडया कायर्कर्म म रोजगार का िडजीटल सशिक्तकरण भी एक मुख् य िबद ुके रूप म रखा ह.ै

    िडजीटल इंिडया कायर्कर्म केवल सरकारी सुिवधाएं और पर्शासिनक सूचना से ही नह जुड़ी अिपतु इससे िव ाथ , युवा घरेलू मिहलाएं भी लाभ उठा सकगी. अभी कुछ समय पूवर् ही फेसबुक, एक मशहूर और सवार्िधक पर्योग होने वाली सोशल नेटविकग साइट के मुख् य कायर्कारी अिधकारी न ेअपने भारत के दौरे के समय कहा था– ‘अभी भारत की केवल 23 करोड़ जनता ही इंटरनेट स ेजड़ुी ह.ै एक करोड़ जनता अगर इंटरनेट स ेजड़ुती ह ैतो दशे की तरफ अन् य दशे का रुझान स् वत: ही िखचगेा.’

    िडजीटल इंिडया की पिरकल् पना पुर कृत िनबंध 

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    य िप हो सकता ह ै िक उनकी ये पंिक्तया ं उनके व् यापार के िलए कही गई ह िकतु ये काफी हद तक व् यावहािरक भी ह.ै यिद दशे की बाकी एक करोड़ जनता भी इंटरनेट से जुड़ती ह ै तो पिरणाम अवश् य ही िवस् मयकारी ह गे. ये कल् पना मातर् ही रोमांिचत कर दतेी ह.ै सरकार ने 2017 तक 2.5 लाख लोग को इंटरनेट उपलब् ध कराने का ल य रखा ह ै वह इससे दगुने िव ालय को वाई-फाई युक् त बनाने की उनकी योजना ह.ै केवल लोग को इंटरनेट से जोड़ना और ई-पर्शासन व ई-कर्ांित को लागू करने का एकमातर् ल य नह ह ैबिल्क ई-िशक्षा भी िडजीटल इंिडया कायर्कर्म का एक महत् वपूणर् िबद ु ह.ै सरकार लोग को सामान् य फोन पर्योग करने के बजाए स् माटर्फोन इस् तेमाल करने पर जोर द ेरही ह ैिजससे स् माटर्फोन आसानी से उन् ह सूचनाएं उपलब् ध करा सक.

    इलैक् टर्ोिनक् स उपकरण के िलए सरकार आयात पर िनभर्र रहती ह.ै इस कायर्कर्म म सरकार दशे की आयात दर को शून् य करना चाहती ह.ै 2020 तक इलैक् टर्ोिनक् स उपकरण को दशे म ही िनमार्ण करने का सरकार का ल य ह.ै

    िडजीटल इंिडया कायर्कर्म के नौ स् तम् भ सरकार की पर्ाथिमक योजना को जोड़ने वाल े

    इस िडजीटल इंिडया के ये नौ स् तम् भ ह जो इस कायर्कर्म को मूल रूप पर्दान करते ह. िडजीटल इंिडया को सफल बनाने के िलए सरकार को इन सभी स् तम् भ पर कायर् करना ह.ै 1.बर्ॉडबड हाइवजे- इस स् तम् भ के अंतगर्त राजमागर् की तजर् पर दशे को इंटरनेट से जोड़ना ह.ै 2.सवर्तर् मोबाइल कनिेक्टिवटी – सरकार सभी को स् माटर्फोन से जोड़ने की तैयारी म ह.ै सामान् य फोन की

    अपेक्षा स् माटर्फोन सरकारी सुिवधा और पर्शासिनक सूचना को सरलता से उपलब् ध करा सकते ह. 3.इंटरनटे का सवर्तर् स् वततंर् पर्योग – सरकार दशे के हर घर को इंटरनेट से जोड़ना चाहती ह ैिजसके िलए वाई-फाई और हॉटस् पाट इस स् तम् भ का केन् दर् ह.ै 4.ई-पर्शासन -सरकारी िवभाग म पहले से ही इंटरनेट उपलब् ध ह ैिफर भी लोग पूरी तरह िडजीटल नह हुए थ.े अब सरकार िडजीटल कायर्कर्म के तहत सरकारी दस् तावेज को ऑनलाइन कर सरकारी िवभाग को पणूर् रूप से िडजीटल करना चाहती ह.ै 5.ई- कर्ािंत – इंटरनेट का सवर्तर् पर्योग ई-कर्ांित को जन् म दगेा. आम जनता अपने कायर् ऑनलाइन कर सकगे. िव ाथ ऑनलाइन ज्ञान अजर्न कर सकगे. 6.सचूना पर्ौ ोिगकी - सूचना पर्ौ ोिगकी एक ऐसा स् तम् भ ह ैजो सरकारी योजना एवं सुिवधा को इंटरनेट के माध् यम से आम जनता तक पहुचंाएगा. 7. इलकै् टर्ोिनक् स िविनमार्ण – सरकार दशे की आयात दर को शून् य करने के िलए इलैक् टर्ोिनक् स उपकरण का िनमार्ण अपने दशे म ही करेगी. 8. रोजगार को सलुभ बनाना – सरकार की ये योजना 18 लाख रोजगार पर्दान करेगी. संभवत: आन े वाले समय म इसके सफल पिरणाम के आंकड़ के साथ ही ये आंकड़ा भी बढ़ेगा. 9. अल हावट कायर्कर्म – सरकार इस कायर्कर्म म कई नई योजना को जोड़ रही ह ैजैसे ई-अस् पताल.

    इलैक् टर्ोिनक् स िविनमार्ण के के्षतर् म अगर ये कायर्कर्म सफल हुआ तो य े मेक इन इंिडया कायर्कर्म की रीढ़ की ह ी सािबत होगा, इसम आश् चयर् नह . िडजीटल इंिडया की पिरकल् पना य िप इससे पूवर् दशे की सरकारी योजना , सुिवधाओ, सेवा से आम जनता को इस तरह जोड़ने की पिरकल् पना भी नह की गई थी. मगर अब जब वतर्मान केन् दर् सरकार ने दशे को िवकास के

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    के्षतर् म तीवर्गित दनेे के िलए ये कायर्कर्म पेश िकया ह ैतो य ेन केवल सराहनीय ह ै अिपतु सभी को इस कायर्कर्म को सफल बनाने म आगे आना चािहए. सरकार ने इस कायर्कर्म पर व् यय कुल 4.5 लाख करोड़ रु. माना था िजसम एक लाख 13 हजार करोड़ रुपए केन् दर् सरकार व् यय करेगी. िरलायंस इस पर 325 लाख करोड़ रु. िनवेश करेगी. िडजीटल इंिडया पिरकल् पना के मुख् य िबद ु इस पर्कार ह जो इसके सफल होने की पूरी पूरी उम् मीद जताते ह – 1.िडजीटल ितजोरी - िडजीटल ितजोरी इंटरनेट पर उपलब् ध अपन ेआधार काडर् और पैन काडर् रखने का एक पर्ोगर्ाम ह.ै िजससे उसके हाडर्कापी रखने से बचा जा सकेगा. जरूरत पड़़ने पर कभी भी इसका सरलता से पर्योग िकया जा सकता ह.ै 2.ई-बगै की सिुवधा - ई-बैग की सुिवधा से तात् पयर् िव ािथय को भारी िकताब को साथ रखने की जरूरत नह पड़ेगी. वे अपनी जरूरत की िकताब को इंटरनेट के माध् यम से डाउनलोड कर ई-बैग अपन ेसाथ रख सकते ह. 3. ई-अस् पताल – दशे के िकसी भी कोने म रहकर आम जन अस् पताल म नंबर लगा व रिजस् टेर्शन करा सकते ह. डॉक् टर की सलाह भी ऑनलाइन ही ली जा सकेगी. 4.स् कॉलरिशप पोटर्ल – इस पोटर्ल के जिरए िव ाथ स् वयं अपना फामर् भरकर स् वयं के खाते म ऑनलाइन पैसा पर्ाप् त कर सकगे. 5. स् वच् छ भारत िमशन एप् लीकेशन एप – इस एप के जिरए आप िकसी भी भर्ष् टाचारी की करतूत को ऑनलाइन सरकार को उपलब् ध करा सकते ह. 6.वाई-फाई सिुवधा – सरकार दशे के हर कोने म लोग को इंटरनेट से जोड़ने के िलए वाई-फाई सुिवधा दगेी िजससे गर्ामीण लोग भी इंटरनेट का लाभ उठा सकगे.

    7.ई-गवनस - ई-गवनस के माध् यम से सरकार अपनी योजना को और सुिवधा को आम जनता तक पहुचंाना चाहती ह.ै

    8. हॉट-स् पॉट सिुवधा – वतर्मान समय म बीएसएनएल के 50 हॉट स् पॉट दशेभर म कायर् कर रह े ह. उन् ह ने आने वाल े समय म इस कायर्कर्म के तहत 250 जगह पर 2500 से अिधक हॉट-स् पॉट लगाने का ल य रखा ह.ै 9. एम-गवनस - एम-गवनस के माध् यम से कोई भी सरकारी दस् तावेज पर्ाप् त करने के िलए सरकारी दफ्तर के चक् कर नह लगाने पड़गे. जैसे कोई अपना डर्ाइिवग लाइसस एम-गवनस से ही पर्ाप् त कर सकता ह.ै 10. रोजगार पर्दान करना – इस कायर्कर्म के पिरणामस् वरूप दशे म 18 लाख से अिधक रोजगार उपलब् ध ह ग.े इलैक् टर्ोिनक् स िविनमार्ण म दशे के युवा को रोजगार िमलेगा. 11.कागज मकु् त कामकाज – सरकार सरकारी दफ्तर म कागज मुक् त कामकाज को लागू कर सभी कायर् इंटरनेट के माध् यम से कराना चाहती ह.ै िडजीटल इंिडया कायर्कर्म को चनुौितया ं–

    िडजीटल इंिडया कायर्कर्म से एक ओर दशे िवकास की तीवर्गित तो पकड़ेगा ही, िकतु सरकार के सामने इसके सफल रूप से लागू होने की बड़ी मुिश्कल ह. हमारे दशे म िकसी भी महत् वाकांक्षी पिरयोजना के सफल रूप से लागू होने म रुकावट न आए, ये हो नह सकता. सवर्तर् इंटरनेट और मोबाइल कनेिक्टिवटी के िलए सरकार को इतनी िबजली दनेी होगी िजसस ेसभी लोग इस सुिवधा का पूणर् पर्योग कर सक. िकतु अभी िबजली की पूित नह हो पा रही ह ै तो य ेकायर्कर्म कैसे लागू होगा.

    इसके बावजूद यिद िडजीटल इंिडया कायर्कर्म

    दशे म सफल होता ह ैतो दशे िवकिसत दशे की कगार म खुद को सािबत कर सकता ह.ै

    - सशुर्ी खशुब ूवाष् णय

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    रेलव ेबोडर् राजभाषा कायार्न् वयन सिमित की िदनांक 21.07.2015 को आयोिजत 120व बठैक के दशृ् य 

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    रेलव ेबोडर् राजभाषा कायार्न् वयन सिमित की िदनांक 21.07.2015 को आयोिजत 120व बठैक के दशृ् य 

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    लालबहादरु शा ी (जन्म: 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय - मृत्यु: 11 जनवरी 1966 ताशकन्द)

    लालबहादरु शा त्री जी भारत के ि तीय पर्धानमन्तर्ी थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्युपयर्न्त लगभग अठारह महीने भारत के पर्धानमन्तर्ी रह।े इस पर्मुख पद पर उनका कायर्काल अि तीय रहा। लालबहादरु शा ी का जन्म 1904 म मुगलसराय (उ र पर्दशे) म मुंशी शारदा पर्साद शर्ीवास्तव के यहाँ हुआ था। उनके िपता पर्ाथिमक िव ालय म िशक्षक थ ेअत: सब उन्ह मुंशीजी ही कहते थे। बाद म उन्ह ने राजस्व िवभाग म िलिपक (क्लकर् ) की नौकरी कर ली थी। लालबहादरु की माँ का नाम रामदलुारी था। पिरवार म सबसे छोटा होने के कारण बालक लालबहादरु को पिरवार वाले प्यार म नन्ह कहकर ही बुलाया करते थे। जब नन्ह अठारह महीने का हुआ दभुार्ग्य से िपता का िनधन हो गया। उनकी मा ँरामदलुारी अपने िपता हजारीलाल के घर िमज़ार्पुर चली गय । कुछ समय बाद उसके नाना भी नह रह।े िबना िपता के बालक नन्ह की परविरश करने म उसके मौसा रघुनाथ पर्साद ने उसकी माँ का बहुत सहयोग िकया। निनहाल म रहते हुए उसने पर्ाथिमक िशक्षा गर्हण की। उसके बाद की िशक्षा हिर न्दर् हाई स्कूल और काशी िव ापीठ म हुई। काशी िव ापीठ से शा ी की उपािध िमलते ही पर्बु बालक ने जन्म से चला आ रहा जाितसूचक शब्द शर्ीवास्तव हमेशा हमेशा के िलये हटा िदया और अपन ेनाम के आग े'शा ी' लगा िलया। इसके प ात् शा ी शब्द लालबहादर के नाम का पयार्य ही बन गया।

    1928 म उनका िववाह िमजार्पुर िनवासी गणेश पर्साद की पुतर्ी लिलता से हुआ। लिलता शा ी से उनके छ: सन्तान हुईं, दो पुितर्या-ँकुसुम व सुमन और चार पुतर्-हिरकृष्ण, अिनल, सुनील व अशोक।

    संस्कृत भाषा म ातक स्तर तक की िशक्षा समा करने के प ात् वे भारत सेवक संघ से जुड़ गये और दशेसेवा का वर्त लेते हुए यह से अपने राजनैितक जीवन की शुरुआत की। शा ीजी सच्चे गान्धीवादी थे िजन्ह ने अपना सारा जीवन सादगी से िबताया और उसे गरीब की सेवा म लगाया। भारतीय स्वाधीनता संगर्ाम के सभी महत्वपूणर् कायर्कर्म व आन्दोलन म उनकी सिकर्य भागीदारी रही और उसके पिरणामस्वरूप उन्ह कई बार जेल म भी रहना पड़ा। स्वाधीनता संगर्ाम के िजन आन्दोलन म उनकी महत्वपूणर् भूिमका रही उनम 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी माचर् तथा 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन उल्लेखनीय ह।

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    दसूरे िव यु म इंग्लैण्ड को बुरी तरह उलझता दखे जैसे ही नेताजी ने आजाद िहन्द फौज को "िदल्ली चलो" का नारा िदया, गांधी जी ने मौके की नजाकत को भाँपते हुए 8 अगस्त 1942 की रात म ही बम्बई से अँगर्ेज को "भारत छोड़ो" व भारतीय को "करो या मरो" का आदशे जारी िकया और सरकारी सुरक्षा म यरवदा पुणे िस्थत आगा खान पैलेस म चले गये। 9 अगस्त 1942 के िदन शा ीजी न े इलाहाबाद पहुचँकर इस आन्दोलन के गांधीवादी नारे को चतुराई पूवर्क "मरो नह , मारो!" म बदल िदया और अपर्त्यािशत रूप स े कर्ािन्त की दावानल को पूरे दशे म पर्चण्ड रूप द े िदया। पूरे ग्यारह िदन तक भूिमगत रहत े हुए यह आन्दोलन चलाने के बाद 19 अगस्त 1942 को शा ी जी िगरफ्तार हो गये।

    शा ीजी के राजनीितक िदग्दशर्क म पुरुषो म दास टंडन और पिण्डत गोिवद बल्लभ पंत के अितिरक्त जवाहरलाल नेहरू भी शािमल थे। सबसे पहले 1929 म इलाहाबाद आने के बाद उन्ह न ेटण्डनजी के साथ भारत सेवक संघ की इलाहाबाद इकाई के सिचव के रूप म काम करना शुरू िकया। इलाहाबाद म रहते हुए ही नेहरूजी के साथ उनकी िनकटता बढी। 

    इसके बाद तो शा ीजी का कद िनरन्तर बढता ही चला गया और एक के बाद एक सफलता की सीिढयाँ चढते हुए वे नेहरूजी के मंितर्मण्डल म गृहमन्तर्ी के पर्मुख पद तक जा पहुचँे। और इतना ही नह , नेहरू के िनधन के प ात भारतवषर् के पर्धान मन्तर्ी भी बने। पर्धान मतंर्ी उनकी साफ सुथरी छिव के कारण ही उन्ह 1964 म दशे का पर्धानमन्तर्ी बनाया गया। उन्ह ने अपने पर्थम संवाददाता सम्मेलन म कहा था िक उनकी शीषर् पर्ाथिमकता खा ा मूल्य को बढ़ने से रोकना ह ैऔर वे ऐसा करने म सफल भी रह।े उनके िकर्याकलाप सै ािन्तक न होकर पूणर्त: ावहािरक और जनता की आवश्यकता के अनुरूप थे। िनष्पक्ष रूप से यिद दखेा जाय ेतो शा ीजी का शासन काल बेहद किठन रहा। पँूजीपित दशे पर हावी होना चाहते थे और दशु्मन दशे पर आकर्मण करने की िफराक म थे। 1965 म अचानक पािकस्तान ने भारत पर सायं 7.30 बजे हवाई हमला कर िदया। परम्परानुसार रा पित ने आपात बैठक बुला ली िजसम तीन रक्षा अंग के पर्मखु व मिन्तर्मण्डल के सदस्य शािमल थे। संयोग से पर्धानमन्तर्ी उस बैठक म कुछ दरे से पहुचँे। उनके आते ही िवचार-िवमशर् पर्ारम्भ हुआ। तीन

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    पर्मुख न े उनसे सारी वस्तुिस्थित समझाते हुए पछूा:"सर! क्या हुक्म ह?ै" शा ीजी ने एक वाक्य म तत्काल उ र िदया: "आप दशे की रक्षा कीिजये और मुझे बताइये िक हम क्या करना ह?ै" शा ीजी ने इस यु म नेहरू के मुकाबले रा को उ म नेतृत्व पर्दान िकया और जय जवान-जय िकसान का नारा िदया। इससे भारत की जनता का मनोबल बढ़ा और सारा दशे एकजुट हो गया। इसकी कल्पना पािकस्तान ने कभी सपने म भी नह की थी।

    भारत पाक यु के दौरान ६ िसतम्बर को भारत की १५वी पैदल सैन्य इकाई ने ि तीय िव यु के अनुभवी मजेर जनरल पर्साद के ने ृत्व म इच्छोिगल नहर के पि मी िकनारे पर पािकस्तान के बहुत बड़ ेहमले का डटकर मुकाबला िकया। इच्छोिगल नहर भारत और पािकस्तान की वास्तिवक सीमा थी। इस हमले म खुद मेजर जनरल पर्साद के कािफले पर भी भीषण हमला हुआ और उन्ह अपना वाहन छोड़ कर पीछे हटना पड़ा। भारतीय थलसेना न ेअपनी दोगुनी शिक्त से पर्त्याकर्मण करके बरकी गाँव के समीप नहर को पार करने मे सफलता अिजत की। इससे भारतीय सेना लाहौर के हवाई अ ेपर हमला करने की सीमा के भीतर पहुचँ गयी। इस अपर्त्यािशत आकर्मण से घबराकर अमेिरका ने अपने नागिरक को लाहौर से िनकालने के िलये कुछ समय के िलये यु िवराम की अपील की।

    आिखरकार रूस और अमेिरका की िमलीभगत से शा ीजी पर जोर डाला गया। उन्ह एक सोची समझी सािजश के तहत रूस बुलवाया गया िजसे उन्ह ने स्वीकार कर िलया। हमेशा उनके साथ जाने वाली उनकी प ी लिलता शा ी को बहला फुसलाकर इस बात के िलये मनाया गया िक वे शा ीजी के साथ रूस की राजधानी ताशकन्द न जाय और वे भी मान गय । अपनी इस भूल का शर्ीमती लिलता शा ी को मृत्युपयर्न्त पछतावा रहा। जब समझौता वातार् चली तो शा ीजी की एक ही िजद थी िक उन्ह बाकी सब शत मजंूर ह परन्तु जीती हुई जमीन पािकस्तान को लौटाना हरिगज़ मजंूर नह । काफी ज ोजहद के बाद शा ीजी पर अन्तरार् ीय दबाव बनाकर ताशकन्द समझौते के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करा िलय ेगये। उन्ह ने यह कहते हुए हस्ताक्षर िकये थे िक वे हस्ताक्षर जरूर कर रह ेह पर यह जमीन कोई दसूरा पर्धानमन्तर्ी ही लौटाएगा, वे नह । पािकस्तान के रा पित अयूब ख़ान के साथ यु िवराम के समझौत ेपर हस्ताक्षर करने के कुछ घण्टे बाद 11 जनवरी 1966 की रात म ही उनकी मृत्यु हो गयी। यह आज तक रहस्य बना हुआ ह ै िक क्या वाकई शा ीजी की मौत हृदयाघात के कारण हुई थी? कई लोग उनकी मौत की वजह जहर को ही मानते ह। शा ीजी को उनकी सादगी, दशेभिक्त और ईमानदारी के िलये आज भी पूरा भारत शर् ापूवर्क याद करता ह।ै उन्ह मरणोपरान्त वषर् 1966 म भारत र से सम्मािनत िकया गया।

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    डगू की बीमारी एक संकर्ामक बीमारी की तरह फैलती जा रही ह।ै यह एक जानलेवा बुखार ह।ै िव स्वास् थ् य संगठन न भी अब इस बीमारी को संकर्ामक माना ह।ै अब तक यह 126 से भी अिधक दशे म फैल

    चुका ह।ै डगू से सबसे ज्यादा पर्भािवत एिशया और अिफर्का के दशे ह। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पूरे िव म 30 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस बीमारी से गर्िसत ह।

    डगू का बुखार सबसे तेजी से फैलता ह।ै यह बुखार एडीज मच्छर के काटने से होता ह।ै इस बुखार को ह ी तोड़ के नाम से भी जाना जाता ह।ै बच्च और बुजुग म डगू का बुखार ज्यादा खतरनाक होता ह।ैवैिदक वािटका आपको डग ू की बीमारी के लक्षण व इसके पर्कार के बारे म बताएगा साथ ही कैसे इस खतरनाक बीमारी से बचना ह ै इस बात की भी जानकारी दगेा।

    डग ूके पनपन ेके कारण डग ूमच्छर के फैलने की मखु्य वजह ह ैपानी का टक,

    टायर, गमले, और घर के आस-पास जमा गदंा पानी।

    इसिलए िचिकत्सक घर और घर के आसपास पानी न जमने की सलाह दते े ह। यिद सही समय पर इस बीमारी का इलाज न हुआ तो यह बुखार डगू शाक िसडर्ोम म बदल जाता ह ैजो िक जानलेवा होता ह।ै

    डग ूके पर्कार डगू वायरस 4 पर्कार का होता ह।ै डग ूवायरस डी-1,

    डी-2, डी-3 और डी-4 से फैलता ह।ै ये बीमारी केवल

    मच्छर के काटने से ही फैलती ह ैजो िक िदन म काटता ह।ै और डगू कभी भी िकसी मरीज से दसूरे को नह फैलता ह।ै

    डग ूके लक्षण इसका पहला लक्षण ह ैमरीज को तजे का बुखार आना और अिधक ठंड लगना। यह लक्षण शुरूआत के 5 िदन

    तक रह सकता ह।ै दसूरा लक्षण ह ैकमर व जोड़ म ददर् होना। िसरददर् व थकावट लगना और शरीर म कमजोरी महसूस होना आिद। डगू का तीसरा लक्षण ह ैगले म खराश, हल्की खांसी

    और उल्टी का होना। चौथा लक्षण शरीर पर लाल रंग के दान का होना व आंख के पीछे ददर् होना।

    डगू  ल ण एवं बचाव 

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    डग ूका हमेोरेिजक बुखार म बदलना

    इस बुखार के हमेोरेिजक बुखार म बदलने की अिधक

    संभावना होती ह।ै हमेोरेिजक बुखार म इंसान के मसूड़ ,

    नाक, दांत आिद से खून िनकलने लगता ह।ै शरीर म

    प्लेटलेट्स की कमी हो जाती ह।ै उल्टी व दस्त म खून का

    आना भी इस बुखार के लक्षण ह यिद समय पर इलाज न

    िमले तो रोगी की जान तक चली जाती ह।ै

    क्या ह ैडग ूस ेबचन ेका तरीका

    1. डगू बुखार का पता लगते ही मरीज को अच्छी तरह से आराम करना चािहए

    2. िजतना हो सके पानी का सेवन कर साथ ही फल का रस, नािरयल का पानी आिद बार-बार ल।

    3. खाली बतर्न को हमशा उल्टा करके रख।

    4. कचरे के िडब्बे को ढ़ककर रखना चािहए।

    5. घर की िखड़की के पास तुलसी का पौधा लगाना चािहए। यह मच्छर को पनपने से रोकने म सहायक होता ह।ै

    6. मच्छर को भगाने के िलए कपूर का इस्तेमाल कर। घर के दरवाज और िखड़िकय को बंद करके कपूर को जलाएं और 20 िमनट तक कमरे को बंद रख।

    7. पपीते के प को पीसकर पीने से डगू कुछ हद तक सही हो सकता ह ै क्य िक यह प्लेटिलटस की संख्या को लगातार बढ़ाता रहता ह।ै

    8. िगलो के प का काड़ा बनाकर पीने से डगू जैसे बुखार पर काबू पाया जा सकता ह।ै

    9. आम का रस या मगो िडर्क को लेने से शरीर म प्लेटिलटस की कमी को पूर िकया जा सकता ह।ै

    डगू बुखार खतरनाक जरूर ह ै पर लाइलाज

    नह ह।ै इस बीमारी से बचने का तरीका केवल

    जानकारी के अनुसार उसका पालन करना ह।ै इस

    बुखार की अभी कोई दवा नह बनी ह ैपर हाल ही म

    हुए पर्कािशत एक पितर्का साइंस के अनुसार डग ू से

    बचने के िलए एक दवा को िवकिसत िकया गया ह।ै

    बडरिबट यूिनविसटी के डा. जेम्स के अनुसार यह

    दवा डगू वायरस को रोकने के साथ इसको बढ़ने से

    भी रोकेगी।

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    कहते ह, पर्ांत पर्दशे के्षतर् जोड़ती रेल चली, और भाषा के भाव की इक लंबी बेल बढ़ी.

    मान, रेल की भाषा, मेल की भाषा, िहदी भाषा, पर, पर्दशे न चाह, के्षतर् न चाह, िहदी भाषा

    पर्ांत और पुिलस रेल की, मान अपनी भाषा, कैसे रेल चले, संग लेकर यह मेल की भाषा.

    सभी के्षतर्, न् यायालय की ह ैअपनी िनज भाषा, चाह, रेल अपनाए, उन सबकी भी भाषा.

    क् या रेल अकेली बाइस भाषा जान सकेगी, एक जुबां से सभी जुबान को बांध सकेगी. सम् मानजनक और समृ ह सारी भाषाए,ं एक सूतर्-भाषा म कब गथु सकगी ये भाषाएं.

    सब पर्ांत बीच संपकर् हतेु कब होगी इक भाषा, और संिवधान की कब पूरी होगी यह आशा.

    आओ सोच और िवचार, बात अपने दशे की, जग वाल को बतला द भाषा अपने दशे की.

    तभी चलेगी, सही चलेगी रेल, पेर्म और सदभाव की पूरब-पि म, उत् तर-दिक्षण, नदी बहगेी भाषाई भाव की. 

    - ी स यद्र िसहं,  पूवर् विर ठ राजभाषा अिधकारी 

    रेल का ददर् 

    जन-गण-मन की भाषा िहदी,

    मेहनतकश की भाषा िहदी. दशे जोड़ती िबना थके जो,

    िपर्य रेल की भाषा िहदी.  

    मन को बाधं ेरौनक लाए,

    खुिशय की पिरभाषा िहदी. संस् कार को िनत् य सहजे ेभारत की अिभलाषा िहदी.

    धन् य रेलव,े जन-गण वािहनी,

    िजसके तट गंगा सी िहदी हृदय पर्फुिल्लत, मस् तक ऊंचा,

    दखे िशखर पर गिवत िहदी.  

     

    - ी त ण िवजय,    माननीय ससंद सद य  एवं सद य, ससंदीय राजभाषा सिमित 

    रेलव ेको समिपत कुछ पिंक्तया ं

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    पर्त् येक वषर् की भांित, इस वषर् भी रेल मतंर्ालय (रेलवे बोडर्) म िदनांक 14 से 24 िसतंबर, 2015 तक िहदी िदवस के उपल