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Festivals Blogs By - Acharya V Shastri www.acharyavshastri.com 1 https://www.acharyavshastri.com/ रववार त वध वधान, रववार त पूजा वध, रववार त कथा, रववार क आरती, रववार त कैसे कर, रववार त के नयम, रववार त म ा खाएं, रववार त वध वधान, रववार त पूजा वध, रववार त कथा, रववार क आरती, रववार त कैसे कर, रववार त के नयम, रववार त म ा खाएं, रववार त उापन वध, सूयदेव क पूजा वध रववार त वध वधान साह के पहले वार यानी रववार (इतवार) के दन त रखने का वशेष मह होता है. जैसा क ‘रव’ नाम से ही वदत है इस दन सूय देवता के लए त रखा जाता है, उनक पूजा अराधना क जाती है और मंो का जप कया जाता है. ोतष शा के अनुसार यद कसी को कोई शारीरक पीड़ा (चम रोग, कु रोग, ने रोग आद) है तो उसे रववार का त जर करना चाहए. रववार का त करने व कथा सुनने से जीवन म सुख-समृ आती है, मान-सान म वृिद होती है, धन लाभ होता है, शुओं से रा होती है. भगवान सूय नारायण को सभी ह का ामी माना जाता है इसलए रववार के दन उपवास रखने से सभी ह आपके अनुकूल हो जाते ह. अगर आप भी रववार त करना चाहते ह तो यहां जानए रववार त कब से शु कर, पूजा वध, रववार त कथा- आरती और रववार त उापन समेत त से जुड़ी सारी जानकारी. कैसे द सूय को अ पौराणक धामक ंथ म भगवान सूय के अ दान का वशेष मह बताया गया है. तदन

रविवार व्रत विधि विधान, रविवार ......Festivals Blogs by - Acharya V Shastri रव व र व रत व ध व ध न, रव

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    रववार त वध वधान, रववार त पूजा वध, रववारत कथा, रववार क आरती, रववार त कैसे कर, रववार

    त के नयम, रववार त म ा खाएं,

    रववार त वध वधान, रववार त पूजा वध, रववार त कथा, रववार क आरती, रववार त कैसे कर,

    रववार त के नयम, रववार त म ा खाएं, रववार त उापन वध, सूयदेव क पूजा वध

    रववार त वध वधानसाह के पहले वार यानी रववार (इतवार) के दन त रखने का वशेष मह होता है. जैसा क‘रव’ नाम से ही वदत है इस दन सूय देवता के लए त रखा जाता है, उनक पूजा अराधना कजाती है और मंो का जप कया जाता है. ोतष शा के अनुसार यद कसी को कोई शारीरकपीड़ा (चम रोग, कु रोग, ने रोग आद) है तो उसे रववार का त जर करना चाहए. रववारका त करने व कथा सुनने से जीवन म सुख-समृ आती है, मान-सान म वृिद होती है, धनलाभ होता है, शुओ ंसे रा होती है. भगवान सूय नारायण को सभी ह का ामी माना जाता हैइसलए रववार के दन उपवास रखने से सभी ह आपके अनुकूल हो जाते ह. अगर आप भीरववार त करना चाहते ह तो यहां जानए रववार त कब से शु कर, पूजा वध, रववार तकथा- आरती और रववार त उापन समेत त से जुड़ी सारी जानकारी. कैसे द सूय को अपौराणक धामक ंथ म भगवान सूय के अ दान का वशेष मह बताया गया है. तदन

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    ात: काल म तांबे के लोटे म जल लेकर और उसम लाल फूल, चावल डालकर स मन से सूयमं का जाप करते ए भगवान सूय को अ देना चाहए. इस अदान से भगवान सूय सहोकर आयु, आरो, धन, धा, पु, म, तेज, यश, वा, वैभव और सौभा को दान करतेह. कतने रववार रख त? सूय देवता का त लगातार एक वष के सभी रववार, या फर 30 या 12 रववार तक करना चाहए.महलाएं मासक धम के दौरान त न रख और उसक गनती रववार त म न कर. उसके अगलेरववार को त रख. त पूरा होने के बाद त का उापन कर द | सूय पूजा म कर इन नयम का पालन

    रववार अथात सूयदेव के त म शुता व नयम का बेहद ान रखना होता है. रववार के त केएक दन पहले से ही नयम का पालन करना होता है |

    त के एक दन पहले से ही तामसक भोजन (मांसाहारी भोजन) का सेवन न कर |

    रववार के एक दन पहले यानी शनवार रात म श करके सोएं ताक मुंह म एक भी अ कादाना न रहे |

    रववार त के दन सूयदय से पहले ही उठकर ान कर ल . नहाने के पानी काला तल औरगंगा जल मलाना शुभ होता है |

    नहाने के बाद सूयनारायण को तीन बार अ देकर णाम कर. संा के समय फर से सूय कोअ देकर णाम कर |

    आद दय ोत का नयमत पाठ कर |

    ा लाभ क कामना, ने रोग से बचने एवं अंधेपन से रा के लए ‘चाुषोपनष’ कातदन पाठ करना चाहए. नीचे वडयो देखे |

    रववार त पूजा वध

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    रववार को सूयदय से पहले उठकर ान आद से नवृ होकर लाल रगं के व पहन.सबसे पहले एक लोटे म जल, चंदन, चावल (अत) और लाल पु डालकर सूय देवता को अद. इसके बाद घर के ईशान कोण (उर-पूव) म एक चौक पर भगवान सूय क मूत, च या सूयमं ापत कर. इस त को शु करने से पहले सूयदेव का रण कर संक ल क - हे सूयदेवता म आने वाले 12 या 30 रववार तक त करने का संक लेती ं, अत: मेरी यह त पूजाीकार कर. इसके बाद आप अपने त क शुआत कर |

    सबसे पहले जल, कुमकुम, चंदन पु से छटे देकर सूय को ान कराएं. इसके बाद सूय भगवानको कसी ऋतु फल का भोग लगाएं. सूय देव का रण करते ए ‘ॐ ां स: सूयाय नम:’ इसमं का 12 या 5 अथवा 3 माला जप कर. रववार त कथा सुन और आरती कर |

    शाम म सूया के समय भी एक बार फर से लोटे म जल, चंदन, चावल (अत) और लाल पुडालकर सूय देव को अ द.

    रववार त म ा खाना चाहए रववार त म सूया के बाद ही भोजन कर और इसम गें क रोटी, दलया, दधू, दही और घी औरचीनी आद का सेवन कर. दन म फलाहार का सेवन कर सकते ह. रववार त के दन नमक नहखाएं. रववार त क पौराणक कथा ाचीन काल म एक बुढ़या रहती थी। वह नयमत प से रववार का त करती। रववार के दनसूयदय से पहले उठकर बुढ़या ानाद से नवृ होकर आंगन को गोबर से लीपकर करती, उसके बाद सूय भगवान क पूजा करते ए रववार त कथा सुनकर सूय भगवान का भोगलगाकर दन म एक समय भोजन करती। सूय भगवान क अनुकंपा से बुढ़या को कसी कारक च ता एवं क नह था। धीर-ेधीर ेउसका घर धन-धा से भर रहा था।

    उस बुढ़या को सुखी होते देख उसक पड़ोसन उससे जलने लगी। बुढ़या ने कोई गाय नह पालरखी थी। अतः वह अपनी पड़ोसन के आंगन म बंधी गाय का गोबर लाती थी। पड़ोसन ने कुछसोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दया। रववार को गोबर न मलने से बुढ़या अपनाआंगन नह लीप सक। आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़या ने सूय भगवान को भोग नह

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    लगाया और उस दन यं भी भोजन नह कया। सूया होने पर बुढ़या भूखी-ासी सो गई।

    ातःकाल सूयदय से पूव उस बुढ़या क आंख खुली तो वह अपने घर के आंगन म सुंदर गाय औरबछड़े को देखकर हैरान हो गई। गाय को आंगन म बांधकर उसने जी से उसे चारा लाकरखलाया। पड़ोसन ने उस बुढ़या के आंगन म बंधी सुंदर गाय और बछड़े को देखा तो वह उससे औरअधक जलने लगी। तभी गाय ने सोने का गोबर कया। गोबर को देखते ही पड़ोसन क आंख फटग।

    पड़ोसन ने उस बुढ़या को आसपास न पाकर तुरतं उस गोबर को उठाया और अपने घर ले गई तथाअपनी गाय का गोबर वहां रख आई। सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दन म धनवान हो गई।गाय त दन सूयदय से पूव सोने का गोबर कया करती थी और बुढ़या के उठने के पहलेपड़ोसन उस गोबर को उठाकर ले जाती थी।

    बत दन तक बुढ़या को सोने के गोबर के बार ेम कुछ पता ही नह चला। बुढ़या पहले क तरहहर रववार को भगवान सूयदेव का त करती रही और कथा सुनती रही। लेकन सूय भगवान कोजब पड़ोसन क चालाक का पता चला तो उने तेज आंधी चलाई। आंधी का कोप देखकरबुढ़या ने गाय को घर के भीतर बांध दया। सुबह उठकर बुढ़या ने सोने का गोबर देखा उसे बतआय आ।

    उस दन के बाद बुढ़या गाय को घर के भीतर बांधने लगी। सोने के गोबर से बुढ़या कुछ ही दन मबत धनी हो गई। उस बुढ़या के धनी होने से पड़ोसन बुरी तरह जल-भुनकर राख हो गई औरउसने अपने पत को समझा-बुझाकर उसे नगर के राजा के पास भेज दया। सुंदर गाय को देखकरराजा बत खुश आ। सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आय का ठकाना न रहा।

    उधर सूय भगवान को भूखी-ासी बुढ़या को इस तरह ाथना करते देख उस पर बत कणाआई। उसी रात सूय भगवान ने राजा को म कहा, राजन, बुढ़या क गाय व बछड़ा तुरतं लौटादो, नह तो तुम पर वपय का पहाड़ टूट पड़ेगा. तुारा महल न हो जाएगा। सूय भगवान के से बुरी तरह भयभीत राजा ने ातः उठते ही गाय और बछड़ा बुढ़या को लौटा दया।

    राजा ने बत-सा धन देकर बुढ़या से अपनी गलती के लए मा मांगी। राजा ने पड़ोसन औरउसके पत को उनक इस दुता के लए दंड दया। फर राजा ने पूर े रा म घोषणा कराई कसभी ी-पुष रववार का त कया कर। रववार का त करने से सभी लोग के घर धन-धा

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    से भर गए, राजतय म चार ओर खुशहाली छा गई। ी-पुष सुखी जीवन यापन करने लगे तथासभी लोग के शारीरक क भी दरू हो गए। सूय मं ानसूय नाम मंसूय ोकी सूयनारायण आराधना सूय मं सूय नमार रववार को त करने के फायदेये सूय देव का दन होता है इस दन उनक आराधना क जाए तो वशेष लाभ मलता है।सूय क कृपा से समाज म मान-सान ा होता है।भाोदय होता है और नौकरी संबंधी सम परशेानयां दरू होती है।सूय देव स हो जाए तो सम अशुभ फल भी शुभ म परवतत हो जाते है।सूय नमार कर, इससे बु, वा, वैभव, तेज, ओज और पराम आता है।

    रववार को ये काय ना कर तेल, नमक, मांस या मदरा का सेवन ना कर।बाल न कटाएं और तेल क मालश भी ना कर।तांबे क धातु से बनी वु ना खरीद और ना ही बेचे।नीला, काला और े रगं के कपड़े ना पहने, और यद जरी ना हो तो जुते पहनने से भी बच।ऐसा कोई काम ना कर जसम दधू कसी भी कार से जलाया जाए।

    रववार त क उापन वधएक चौक पर लाल रगं का कपड़ा बछाकर कमल का फूल ापत कर. कमल के म म जलसे भरा कलश रख. कलश के ऊपर एक पा म सूय तमा या यं ापत कर. इसके बादभगवान पर फूल से गंगा जल मला आ जल छड़क . इसके बाद भगवान सूय से ाथना कर कआपने संपूण पूजा वध से रववार के सभी त पूण कर लए ह, आज आप त का उापन करनेजा रही ह. इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश का तलक कर, पूजा कर और साद चढ़ाएं. अब

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    सूयदेव को तलक लगाएं, पूजा कर पु चढ़ाएं, धूप, दीप दखाकर व अपत कर. उनको सादचढ़ाएं. इसके बाद हवन कर. अब सूय नारायण से मनोकामना पूत क ाथना कर और मा मांगे|

    सूय देव आद दय ो चाुषोपनष ोत पाठ

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    शनवार त : कैसे रख

    Shanivar Vrat, जानए पूजन

    वध, कथा, आरती और लाभ

    शनवार त कथा एवंम वध: |

    यह पूजा और त शनदेव को

    स करने हेतु होता है।

    Kumbh Mela 2021 in

    Haridwar

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