ब क स रस द ह , दश न मन अिभलाष | प ण लोक ममथ रटण, क ज सदन िनज बास || याम वरण िगरवरधरण, गोपीजन िचचोर | जराजक वर िजय म बसो , स दर न दकशोर || ीगोवध नवासी सा वर लाल त म िबन रो न जाय, जराज लड त लािडल हो . त म िबन रो न जाय || ब क िचत म सकायकलाल, स दर वदन दखाय | लोचन तलफमीन य लाल, पल िछन कप िवहाय हो || सक वर ब धान सो लाल, मोहन व ण बजाय | स रत स हाई बा िधकन क मध र मध र वर गाय हो || रिसक रसीली बोलनी लाल, ि गर चढ़ ग या ब लाय | ग ग ब लाई ध मरी न कऊ िच ट र स नाय हो || द ि परी जा दवस त लाल , तब त च नह आन | रजनी नद न आवही मोह िवसय भोजन पान हो || दश न को न ना तप लाल, बचन स नन को कान | ि मलव को िहयरो तप म र िजय कजीवनाणहो || मन अिभलाषा ह रही लाल, लगत न नयन िनम ष | ईक टक द ख आवतोयारो , नागर नटवर भ ख हो || प रण शिश म ख द खकलाल िच चोो वाही ठोर | प स धारसपानकलाल सादर च चकोर हो || लोक लाज क ल व द क लाल छा ो सकल िवव क | कमल किल रिवयबढलाल, ण ण ीत िवश ष हो || ममथ कोटक वारन लाल द खत डगमगी चाल | य वती जन मन फ दना लाल, अ ब ज नयन िवशाल हो || यह रट लागी लािडल लाल, ज स चातक मोर |