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Samas(Compound)(समास)
समास(Compound) की प�रभाषा-दो या अिधक श�ो ं(पदो)ं का पर�र संब� बतानेवाले श�ो ंअथवा ��यो ंका लोप होने पर उन दो या अिधक श�ो ंसे जो एक �त� श� बनता है, उस श� को सामािसक श� कहते है और उन दो याअिधक श�ो ंका जो संयोग होता है, वह समास कहलाता है।
दूसरे अथ� म�- कम-से-कम श�ो ंम� अिधक-से-अिधक अथ� �कट करना 'समास' कहलाता है।
समास म� कम-से-कम दो पदो ंका योग होता है। वे दो या अिधक पद एक पद हो जाते है: 'एकपदीभावः समासः'। समास म� सम� होनेवाले पदो ंका िवभ��-��य लु� हो जाता है। सम� पदो ंके बीच स�� की ��थित होने पर स�� अव� होती है। यह िनयम सं�ृत त�म म� अ�ाव�क है।
समास के भेदसमास के मु� सात भेद है:- (1) त�ु�ष समास ( Determinative Compound) (2)कम�धारय समास (Appositional Compound) (3)ि�गु समास (Numeral Compound) (4)ब��ीिह समास (Attributive Compound) (5)�� समास (Copulative Compound) (6)अ�यीभाव समास(Adverbial Compound) (7)नञ समास
पदो ंकी �धनता के आधार पर वग�करण
पूव�पद �धान- अ�यीभाव उ�रपद �धान- त�ु�ष, कम�धारय व ि�गु दोनो ंपद �धान- �� दोनो ंपद अ�धान- ब��ीिह (इसम� कोई तीसरा अथ� �धान होता है )
(1)त�ु�ष समास :- िजस समास म� बाद का अथवा उ�रपद �धान होता है तथा दोनो ंपदो ंके बीच का कारक-िच� लु� हो जाता है, उसे त�ु�ष समास कहते है। जैसे-
तुलसीकृत= तुलसी से कृत शराहत= शर से आहत राहखच�= राह के िलए खच� राजा का कुमार= राजकुमार
त�ु�ष समास म� अ��म पद �धान होता है। इस समास म� साधारणतः �थम पद िवशेषण और ि�तीय पद िवशे� होता है। ि�तीय पद, अथा�त बादवाले पद के िवशे� होने के कारण इस समास म� उसकी�धानता रहती है।
त�ु�ष समास के भेद
त�ु�ष समास के छह भेद होते है- (i)कम� त�ु�ष (ii) करण त�ु�ष (iii)स�दान त�ु�ष (iv)अपादान त�ु�ष (v)स�� त�ु�ष (vi)अिधकरण त�ु�ष
(i)कम� त�ु�ष (ि�तीया त�ु�ष)-इसम� कम� कारक की िवभ�� 'को' का लोप हो जाता है। जैसे-
सम�-पद िव�ह
�ग��ा� �ग� (को) �ा�
क�ाप� क� (को) आप� (�ा�)
आशातीत आशा (को) अतीत
गृहागत गृह (को) आगत
िसरतोड़ िसर (को) तोड़नेवाला
िचड़ीमार िचिड़यो ं(को) मारनेवाला
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सम�-पद िव�ह
िसरतोड़ िसर (को) तोड़नेवाला
गगनचंुबी गगन को चूमने वाला
यश�ा� यश को �ा�
�ामगत �ाम को गया �आ
रथचालक रथ को चलाने वाला
जेबकतरा जेब को कतरने वाला
(ii) करण त�ु�ष (तृतीया त�ु�ष)-इसम� करण कारक की िवभ�� 'से', 'के �ारा' का लोप हो जाता है। जैसे-
सम�-पद िव�ह
वा�ु� वाक् (से) यु�
आचारकुशल आचार (से) कुशल
तुलसीकृत तुलसी (से) कृत
कपड़छना कपड़े (से) छना �आ
मँुहमाँगा मँुह (से) माँगा
रसभरा रस (से) भरा
क�णागत क�णा से पूण�
भयाकुल भय से आकुल
रेखांिकत रेखा से अंिकत
शोक�� शोक से ��
मदांध मद से अंधा
मनचाहा मन से चाहा
सूररिचत सूर �ारा रिचत
(iii)स�दान त�ु�ष (चतुथ� त�ु�ष)-इसम� सं�दान कारक की िवभ�� 'के िलए' लु� हो जाती है। जैसे-
सम�-पद िव�ह
देशभ�� देश (के िलए) भ��
िव�ालय िव�ा (के िलए) आलय
रसोईघर रसोई (के िलए) घर
हथकड़ी हाथ (के िलए) कड़ी
राहखच� राह (के िलए) खच�
पु�शोक पु� (के िलए) शोक
�ानघर �ान के िलए घर
य�शाला य� के िलए शाला
डाकगाड़ी डाक के िलए गाड़ी
गौशाला गौ के िलए शाला
सभाभवन सभा के िलए भवन
लोकिहतकारी लोक के िलए िहतकारी
देवालय देव के िलए आलय
(iv)अपादान त�ु�ष (पंचमी त�ु�ष)- इसमे अपादान कारक की िवभ�� 'से' (अलग होने का भाव) लु� हो जाती है। जैसे-
सम�-पद िव�ह
दूरागत दूर से आगत
ज�ा� ज� से अ�
रणिवमुख रण से िवमुख
देशिनकाला देश से िनकाला
कामचोर काम से जी चुरानेवाला
ने�हीन ने� (से) हीन
धनहीन धन (से) हीन
पापमु� पाप से मु�
जलहीन जल से हीन
(v)स�� त�ु�ष (ष�ी त�ु�ष)-इसम� संबंधकारक की िवभ�� 'का', 'के', 'की' लु� हो जाती है। जैसे-
सम�-पद िव�ह
िव�ा�ास िव�ा का अ�ास
सेनापित सेना का पित
पराधीन पर के अधीन
राजदरबार राजा का दरबार
�मदान �म (का) दान
राजभवन राजा (का) भवन
राजपु� राजा (का) पु�
देशर�ा देश की र�ा
िशवालय िशव का आलय
गृह�ामी गृह का �ामी
(vi)अिधकरण त�ु�ष (स�मी त�ु�ष)-इसम� अिधकरण कारक की िवभ�� 'म�', 'पर' लु� जो जाती है। जैसे-
सम�-पद िव�ह
िव�ा�ास िव�ा का अ�ास
गृह�वेश गृह म� �वेश
नरो�म नरो ं(म�) उ�म
पु�षो�म पु�षो ं(म�) उ�म
दानवीर दान (म�) वीर
शोकम� शोक म� म�
लोकि�य लोक म� ि�य
कला�े� कला म� �े�
आनंदम� आनंद म� म�
(2)कम�धारय समास:-िजस सम�-पद का उ�रपद �धान हो तथा पूव�पद व उ�रपद म� उपमान-उपमेय अथवा िवशेषण-िवशे� संबंध हो, कम�धारय समास कहलाता है। दूसरे श�ो ंम�-कता�-त�ु�ष को ही कम�धारय कहते ह�।
पहचान: िव�ह करने पर दोनो ंपद के म� म� 'है जो', 'के समान' आिद आते है।
िजस त�ु�ष समास के सम� होनेवाले पद समानािधकरण हो,ं अथा�त िवशे�-िवशेषण-भाव को �ा� हो,ं कता�कारक के हो ंऔर िलंग-वचन म� समान हो,ं वहाँ 'कम�धारयत�ु�ष समास होता है।
सम�-पद िव�ह
नवयुवक नव है जो युवक
सम�-पद िव�ह
पीतांबर पीत है जो अंबर
परमे�वर परम है जो ई�वर
नीलकमल नील है जो कमल
महा�ा महान है जो आ�ा
कनकलता कनक की-सी लता
�ाणि�य �ाणो ंके समान ि�य
देहलता देह �पी लता
लालमिण लाल है जो मिण
नीलकंठ नीला है जो कंठ
महादेव महान है जो देव
अधमरा आधा है जो मरा
परमानंद परम है जो आनंद
कम�धारय त�ु�ष के भेद
कम�धारय त�ु�ष के चार भेद है- (i)िवशेषणपूव�पद (ii) िवशे�पूव�पद (iii) िवशेषणोभयपद (iv)िवशे�ोभयपद
(i)िवशेषणपूव�पद :- इसम� पहला पद िवशेषण होता है। जैसे- पीत अ�र= पीता�र परम ई�र= परमे�र नीली गाय= नीलगायि�य सखा= ि�यसखा
(ii) िवशे�पूव�पद :- इसम� पहला पद िवशे� होता है और इस �कार के सामािसक पद अिधकतर सं�ृत म� िमलते है। जैसे- कुमारी (�ाँरी लड़की) �मणा (सं�ास �हण की �ई )=कुमार�मणा।
(iii) िवशेषणोभयपद :-इसम� दोनो ंपद िवशेषण होते है।जैसे- नील-पीत (नीला-पी-ला ); शीतो� (ठ�ा-गरम ); लालिपला; भलाबुरा; दोचार कृताकृत (िकया-बेिकया, अथा�त अधूरा छोड़ िदया गया); सुनी-अनसुनी; कहनी-अनकहनी।
(iv)िवशे�ोभयपद:- इसम� दोनो ंपद िवशे� होते है। जैसे- आमगाछ या आ�वृ�, वायस-द�ित।
कम�धारयत�ु�ष समास के उपभेद
कम�धारयत�ु�ष समास के अ� उपभेद ह�- (i) उपमानकम�धारय (ii) उपिमतकम�धारय (iii) �पककम�धारय
िजससे िकसी की उपमा दी जाये, उसे 'उपमान' और िजसकी उपमा दी जाये, उसे 'उपमेय' कहा जाता है। घन की तरह �ाम =घन�ाम- यहाँ 'घन' उपमान है और '�ाम' उपमेय।
(i) उपमानकम�धारय- इसम� उपमानवाचक पद का उपमेयवाचक पद के साथ समास होता ह�। इस समास म� दोनो ंश�ो ंके बीच से 'इव' या 'जैसा' अ�य का लोप हो जाता है और दोनो ंही पद, चँूिक एक हीकता�िवभ��, वचन और िलंग के होते है, इसिलए सम� पद कम�धारय-ल�ण का होता है। अ� उदाहरण- िव�ुत्-जैसी चंचला =िव�ु�ंचला।
(ii) उपिमतकम�धारय- यह उपमानकम�धारय का उ�ा होता है, अथा�त इसम� उपमेय पहला पद होता है और उपमान दूसरा। जैसे- अधरप�व के समान = अधर-प�व; नर िसंह के समान =नरिसंह।
िक�ु, जहाँ उपिमतकम�धारय- जैसा 'नर िसंह के समान' या 'अधर प�व के समान' िव�ह न कर अगर 'नर ही िसंह या 'अधर ही प�व'- जैसा िव�ह िकया जाये, अथा�त उपमान-उपमेय की तुलना न कर उपमेयको ही उपमान कर िदया जाय- दूसरे श�ो ंम�, जहाँ एक का दूसरे पर आरोप कर िदया जाये, वहाँ �पककम�धारय होगा। उपिमतकम�धारय और �पककम�धारय म� िव�ह का यही अ�र है। �पककम�धारय के अ� उदाहरण- मुख ही हैच� = मुखच�; िव�ा ही है र� = िव�ार� भा� (�ा�ा) ही है अ�� (समु�)= भा�ा��।
(3)ि�गु समास:-िजस सम�-पद का पूव�पद सं�ावाचक िवशेषण हो, वह ि�गु कम�धारय समास कहलाता है। जैसे-
सम�-पद िव�ह
स�िसंधु सात िसंधुओ ंका समूह
दोपहर दो पहरो ंका समूह
ि�लोक तीनो ंलोको का समाहार
ितरंगा तीन रंगो ंका समूह
दुअ�ी दो आनो ंका समाहार
ि�गु के भेद
इसके दो भेद होते है- (i)समाहारि�गु और (ii)उ�रपद�धानि�गु।
(i)समाहारि�गु :- समाहार का अथ� है 'समुदाय' 'इक�ा होना' 'समेटना'। जैसे- तीनो ंलोको ंका समाहार= ि�लोक पाँचो ंवटो ंका समाहार= पंचवटी पाँच सेरो ंका समाहार= पसेरी तीनो भुवनो ंका समाहार= ि�भुवन
(ii)उ�रपद�धानि�गु:-उ�रपद�धान ि�गु के दो �कार है-(a) बेटा या उ�� के अथ� म�; जैसे -दो माँ का- �ैमातुर या दुमाता; दो सूतो ंके मेल का- दुसूती; (b) जहाँ सचमुच ही उ�रपद पर जोर हो; जैसे- पाँच�माण (नाम) =पंच�माण; पाँच ह�ड़ (है��ल)= पँचह�ड़।
���- अनेक ब��ीिह समासो ंम� भी पूव�पद सं�ावाचक होता है। ऐसी हालत म� िव�ह से ही जाना जा सकता है िक समास ब��ीिह है या ि�गु। यिद 'पाँच ह�ड़ है िजसम� वह =पँचह�ड़' िव�ह कर� , तो यहब��ीिह है और 'पाँच ह�ड़' िव�ह कर� , तो ि�गु।
त�ु�ष समास के इन सभी �कारो ंम� ये िवशेषताएँ पायी जाती ह�- (i) यह समास दो पदो ंके बीच होता है। (ii) इसके सम� पद का िलंग उ�रपद के अनुसार ह�। (iii) इस समास म� उ�रपद का ही अथ� �धान होता ह�।
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Samas(Compound)(समास)
(4)ब��ीिह समास:- समास म� आये पदो ंको छोड़कर जब िकसी अ� पदाथ� की �धानता हो, तब उसे ब��ीिह समास कहते है। जैसे- दशानन- दस मुहवाला- रावण।
िजस सम�-पद म� कोई पद �धान नही ंहोता, दोनो ंपद िमल कर िकसी तीसरे पद की ओर संकेत करते है, उसम� ब��ीिह समास होता है। 'नीलकंठ', नीला है कंठ िजसका अथा�त िशव। यहाँ पर दोनो ंपदो ंनेिमल कर एक तीसरे पद 'िशव' का संकेत िकया, इसिलए यह ब��ीिह समास है।
इस समास के समासगत पदो ंम� कोई भी �धान नही ंहोता, ब�� पूरा सम�पद ही िकसी अ� पद का िवशेषण होता है।
सम�-पद िव�ह
�धानमं�ी मंि�यो म� �धान है जो (�धानमं�ी)
पंकज (पंक म� पैदा हो जो (कमल)
अनहोनी न होने वाली घटना (कोई िवशेष घटना)
िनशाचर िनशा म� िवचरण करने वाला (रा�स)
चौलड़ी चार है लिड़याँ िजसमे (माला)
िवषधर (िवष को धारण करने वाला (सप�)
त�ु�ष और ब��ीिह म� अ�र- त�ु�ष और ब��ीिह म� यह भेद है िक त�ु�ष म� �थम पद ि�तीय पद का िवशेषण होता है, जबिक ब��ीिह म� �थम और ि�तीय दोनो ंपद िमलकर अपने से अलग िकसीतीसरे के िवशेषण होते है। जैसे- 'पीत अ�र =पीता�र (पीला कपड़ा )' कम�धारय त�ु�ष है तो 'पीत है अ�र िजसका वह- पीता�र (िव�ु)' ब��ीिह। इस �कार, यह िव�ह के अ�र से ही समझा जा सकता है िक कौन त�ु�ष है औरकौन ब��ीिह। िव�ह के अ�र होने से समास का और उसके साथ ही अथ� का भी अ�र हो जाता है। 'पीता�र' का त�ु�ष म� िव�ह करने पर 'पीला कपड़ा' और ब��ीिह म� िव�ह करने पर 'िव�ु' अथ� होताहै।
ब��ीिह समास के भेद
ब��ीिह समास के चार भेद है- (i) समानािधकरणब��ीिह (ii) �िधकरणब��ीिह (iii) तु�योगब��ीिह (iv)�ितहारब��ीिह
(i) समानािधकरणब��ीिह :- इसम� सभी पद �थमा, अथा�त कता�कारक की िवभ�� के होते है; िक�ु सम�पद �ारा जो अ� उ� होता है, वह कम�, करण, स�दान, अपादान, स��, अिधकरण आिदिवभ��-�पो ंम� भी उ� हो सकता है।
जैसे- �ा� है उदक िजसको =�ा�ोदक (कम� म� उ�); जीती गयी इ��याँ है िजसके �ारा =िजते��य (करण म� उ�); द� है भोजन िजसके िलए =द�भोजन (स�दान म� उ�); िनग�त है धन िजससे =िनध�न (अपादान म� उ�); पीत है अ�र िजसका =पीता�र; मीठी है बोली िजसकी =िमठबोला; नेक है नाम िजसका =नेकनाम (स�� म� उ�); चार है लिड़याँ िजसम� =चौलड़ी; सात है ख� िजसम� =सतख�ा (अिधकरण म� उ�)।
(ii) �िधकरणब��ीिह :-समानािधकरण म� जहाँ दोनो ंपद �थमा या कता�कारक की िवभ�� के होते है, वहाँ पहला पद तो �थमा िवभ�� या कता�कारक की िवभ�� के �प का ही होता है, जबिक बादवालापद स�� या अिधकरण कारक का �आ करता है। जैसे- शूल है पािण (हाथ) म� िजसके =शूलपािण; वीणा है पािण म� िजसके =वीणापािण।
(iii) तु�योगब��ीि�:--िजसम� पहला पद 'सह' हो, वह तु�योगब��ीिह या सहब��ीिह कहलाता है। 'सह' का अथ� है 'साथ' और समास होने पर 'सह' की जगह केवल 'स' रह जाता है। इस समास म� यह �ान देने की बात है िक िव�ह करते समय जो 'सह' (साथ) बादवाला या दूसरा श� �तीत होता है, वहसमास म� पहला हो जाता है। जैसे- जो बल के साथ है, वह=सबल; जो देह के साथ है, वह सदेह; जो प�रवार के साथ है, वह सप�रवार; जो चेत (होश) के साथ है, वह =सचेत।
(iv)�ितहारब��ीिह:-िजससे घात-�ितघात सूिचत हो, उसे �ितहारब��ीिह कहा जाता है। इ समास के िव�ह से यह �तीत होता है िक 'इस चीज से और इस या उस चीज से जो लड़ाई �ई'। जैसे- मु�े-मु�े से जो लड़ाई �ई =मु�ा-मु�ी; घँूसे-घँूसे से जो लड़ाई �ई =घँूसाघँूसी; बातो-ंबातो ंसे जो लड़ाई �ई =बाताबाती। इसी �कार, खीचंातानी, कहासुनी, मारामारी, ड�ाड�ी, लाठालाठी आिद।
इन चार �मुख जाितयो ंके ब��ीिह समास के अित�र� इस समास का एक �कार और है। जैसे-
�ािदब��ीिह- िजस ब��ीिह का पूव�पद उपसग� हो, वह �ािदब��ीिह कहलाता है। जैसे- कु��त है �प िजसका = कु�प; नही ंहै रहम िजसम� = बेरहम; नही ंहै जन जहाँ = िनज�न।
त�ु�ष के भेदो ंम� भी '�ािद' एक भेद है, िक�ु उसके दोनो ंपदो ंका िव�ह िवशेषण-िवशे�-पदो ंकी तरह होगा, न िक ब��ीिह के ढंग पर, अ� पद की �धानता की तरह। जैसे- अित वृि�= अितवृि�(�ािदत�ु�ष) ।
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���- (i) ब��ीिह के सम� पद म� दूसरा पद 'धम�' या 'धनु' हो, तो वह आकारा� हो जाता है; जैसे- ि�य है धम� िजसका = ि�यधमा�; सु�र है धम� िजसका = सुधमा�; आलोक ही है धनु िजसका = आलोकध�ा। (ii) सकारा� म� िवक� से 'आ' और 'क' िक�ु ईकारा�, उकारा� और ऋकारा� समासा� पदो ंके अ� म� िन��चत�प से 'क' लग जाता है। जैसे- उदार है मन िजसका = उदारमनस, उदारमना याउदारमन�; अ� म� है मन िजसका = अ�मना या अ�मन�; ई�वर है कता� िजसका = ई�वरकतृ�क; साथ है पित िजसके; स�ीक; िबना है पित के जो = िव�ीक।
ब��ीिह समास की िवशेषताएँब��ीिह समास की िन�िल�खत िवशेषताएँ है-
(i) यह दो या दो से अिधक पदो ंका समास होता है। (ii)इसका िव�ह श�ा�क या पदा�क न होकर वा�ा�क होता है। (iii)इसम� अिधकतर पूव�पद कता� कारक का होता है या िवशेषण। (iv)इस समास से बने पद िवशेषण होते है। अतः उनका िलंग िवशे� के अनुसार होता है। (v) इसम� अ� पदाथ� �धान होता है।
(5)��� समास :- िजस सम�-पद के दोनो ंपद �धान हो तथा िव�ह करने पर 'और', 'अथवा', 'या', 'एवं' लगता हो वह ��� समास कहलाता है।
पहचान : दोनो ंपदो ंके बीच �ायः योजक िच� (Hyphen (-) का �योग होता है।
��� समास म� सभी पद �धान होते है। ��� और त�ु�ष से बने पदो ंका िलंग अ��म श� के अनुसार होता है।
��� समास के भेद
��� समास के तीन भेद है- (i) इतरेतर ��� (ii) समाहार ��� (iii) वैक��क ���
(i) इतरेतर ���-: वह ���, िजसम� 'और' से सभी पद जुड़े �ए हो और पृथक् अ��� रखते हो,ं 'इतरेतर ���' कहलता है।
इस समास से बने पद हमेशा ब�वचन म� �यु� होते है; �ोिंक वे दो या दो से अिधक पदो ंके मेल से बने होते है। जैसे- राम और कृ� =राम-कृ�, ऋिष और मुिन =ऋिष-मुिन, गाय और बैल =गाय-बैल, भाई और बहन =भाई-बहन, माँ और बाप =माँ-बाप, बेटा और बेटी =बेटा-बेटी इ�ािद। यहाँ �ान रखना चािहए िक इतरेतर ��� म� दोनो ंपद न केवल �धान होते है, ब�� अपना अलग-अलग अ��� भी रखते है।
(ii) समाहार ���-समाहार का अथ� है समि� या समूह। जब ��� समास के दोनो ंपद और समु�यबोधक से जुड़े होने पर भी पृथक-पृथक अ��� न रख�, ब�� समूह का बोध कराय�, तब वह समाहार ���कहलाता है।
समाहार ��� म� दोनो ंपदो ंके अित�र� अ� पद भी िछपे रहते है और अपने अथ� का बोध अ��� �प से कराते है। जैसे- आहारिन�ा =आहार और िन�ा (केवल आहार और िन�ा ही नही,ं ब�� इसी तरह की और बात� भी); दालरोटी=दाल और रोटी (अथा�त भोजन के सभी मु� पदाथ�); हाथपाँव =हाथ और पाँव (अथा�त हाथऔर पाँव तथा शरीर के दूसरे अंग भी )। इसी तरह नोन-तेल, कुरता-टोपी, साँप-िब�ू, खाना-पीना इ�ािद।
कभी-कभी िवपरीत अथ�वाले या सदा िवरोध रखनेवाले पदो ंका भी योग हो जाता है। जैसे- चढ़ा-ऊपरी, लेन-देन, आगा-पीछा, चूहा-िब�ी इ�ािद।
जब दो िवशेषण-पदो ंका सं�ा के अथ� म� समास हो, तो समाहार ��� होता है। जैसे- लंगड़ा-लूला, भूखा-�ास, अ�ा-बहरा इ�ािद। उदाहरण- लँगड़े-लूले यह काम नही ं� सकते; भूखे-�ासे को िनराश नही ंकरना चािहए; इस गाँव म� ब�त-से अ�े-बहरे है।
���- यहाँ यह �ान रखना चािहए िक जब दोनो ंपद िवशेषण हो ंऔर िवशेषण के ही अथ� म� आय� तब वहाँ ��� समास नही ंहोता, वहाँ कम�धारय समास हो जाता है। जैसे- लँगड़ा-लूला आदमी यह काम नही ंकर सकता; भूखा-�ासा लड़का सो गया; इस गाँव म� ब�त-से लोग अ�े-बहरे ह�- इन �योगो ंम� 'लँगड़ा-लूला', 'भूखा-�ासा' और 'अ�ा-बहरा' ��� समास नही ंह�।
(iii) वैक��क ���:-िजस ��� समास म� दो पदो ंके बीच 'या', 'अथवा' आिद िवक�सूचक अ�य िछपे हो,ं उसे वैक��क ��� कहते है।
इस समास म� ब�धा दो िवपरीताथ�क श�ो ंका योग रहता है। जैसे- पाप-पु�, धमा�धम�, भला-बुरा, थोड़ा-ब�त इ�ािद। यहाँ 'पाप-पु�' का अथ� 'पाप' और 'पु�' भी �संगानुसार हो सकता है।
(6) अ�यीभाव समास:- अ�यीभाव का ल�ण है- िजसमे पूव�पद की �धानता हो और सामािसक या समास पद अ�य हो जाय, उसे अ�यीभाव समास कहते है। सरल श�ो म�- िजस समास का पहला पद (पूव�पद) अ�य तथा �धान हो, उसे अ�यीभाव समास कहते है।
इस समास म� समूचा पद ि�यािवशेषण अ�य हो जाता है। इसम� पहला पद उपसग� आिद जाित का अ�य होता है और वही �धान होता है। जैसे- �ितिदन, यथास�व, यथाश��, बेकाम, भरसक इ�ािद।
पहचान : पहला पद अनु, आ, �ित, भर, यथा, यावत, हर आिद होता है।
अ�यीभाववाले पदो ंका िव�ह- ऐसे सम�पदो ंको तोड़ने म�, अथा�त उनका िव�ह करने म� िह�ी म� बड़ी किठनाई होती है, िवशेषतः सं�ृत के सम� पदो ंका िव�ह करने म� िह�ी म� िजन सम� पदो ंम�ि����मा� होती है, वहाँ िव�ह करने म� केवल दोनो ंपदो ंको अलग कर िदया जाता है। जैसे- (सं�ृत) �ितिदन- िदन-िदन यथािविध- िविध के अनुसार; यथा�म- �म के अनुसार; यथाश��- श�� के अनुसार; आज�- ज� तक
पूव�पद-अ�य + उ�रपद = सम�-पद िव�ह
�ित + िदन = �ितिदन ��ेक िदन
आ + ज� = आज� ज� से लेकर
यथा + संभव = यथासंभव जैसा संभव हो
अनु + �प = अनु�प �प के यो�
भर + पेट = भरपेट पेट भर के
हाथ + हाथ = हाथो-ंहाथ हाथ ही हाथ म�
(7)न� समास:- इसमे नही ंका बोध होता है। जैसे - अनपढ़, अनजान , अ�ान ।
सम�-पद िव�ह
अनाचार न आचार
अनदेखा न देखा �आ
अ�ाय न �ाय
अनिभ� न अिभ�
नालायक नही ंलायक
अचल न चल
ना��क न आ��क
अनुिचत न उिचत
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Samas(Compound)(समास)
समास-स��ी कुछ िवशेष बात�-(1)एक सम� पद म� एक से अिधक �कार के समास हो सकते है। यह िव�ह करने पर �� होता है। िजस समास के अनुसार िव�ह होगा, वही समास उस पद म� माना जायेगा। जैसे- पीता�र- (i) पीत है जो अ�र (कम�धारय), (ii)पीत है अ�र िजसका (ब��ीिह); िनडर- िबना डर का (अ�यीभाव ); नही ंहै डर िजसे (�ािद का नञ ब��ीिह); सु�प - सु�र है जो �प (कम�धारय),सु�र है �प िजसका (ब��ीिह); च�मुख- च� के समान मुख (कम�धारय); बु��बल- बु�� ही है बल (कम�धारय);
(2) समासो ंका िव�ह करते समय यह �ान रखना चािहए िक यथास�व समास म� आये पदो ंके अनुसार ही िव�ह हो। जैसे- पीता�र का िव�ह- 'पीत है जो अ�र' अथवा 'पीत है अ�र िजसका' ऐसा होना चािहए। ब�धा सं�ृत के समासो,ं िवशेषकर अ�यीभाव, ब��ीिह और उपपद समासो ंका िव�ह िह�ी के अनुसार करनेम� किठनाई होती है। ऐसे �थानो ंपर िह�ी के श�ो ंसे सहायता ली जा सकती है। जैसे- कु�कार =कु� को बनानेवाला; खग=आकाश म� जानेवाला; आमरण =मरण तक; �थ� =िबना अथ� का; िवमल=मल सेरिहत; इ�ािद।
(3)अ�यीभाव समास म� दो ही पद होते है। ब��ीिह म� भी साधारणतः दो ही पद रहते है। त�ु�ष म� दो से अिधक पद हो सकते है और ��� म� तो सभी समासो ंसे अिधक पद रह सकते है। जैसे- नोन-तेल-लकड़ी, आम-जामुन-कटहल-कचनार इ�ािद (���)।
(4)यिद एक सम� पद म� अनेक समासवाले पदो ंका मेल हो तो अलग-अलग या एक साथ भी िव�ह िकया जा सकता है। जैसे- च�पािणदश�नाथ�-च� है पािण म� िजसके= च�पािण (ब��ीिह); दश�न के अथ� =दश�नाथ� (अ�यीभाव ); च�पािण के दश�नाथ� =च�पािणदश�नाथ� (अ�यीभाव ) । समूचा पद ि�यािवशेषण अ�य है,इसिलए अ�यीभाव है।
�योग की �ि� से समास के भेद-�योग की �ि� से समास के तीन भेद िकये जा सकते है- (1)संयोगमूलक समास (2)आ�यमूलक समास (3)वण�नमूलक समास
(1)सं�ा-समास :- संयोगमूलक समास को सं�ा-समास कहते है। इस �कार के समास म� दोनो ंपद सं�ा होते है। दूसरे श�ो ंम�, इसम� दो सं�ाओ ंका संयोग होता है।जैसे- माँ-बाप, भाई-बहन, माँ-बेटी, सास-पतो�, िदन-रात, रोटी-बेटी, माता-िपता, दही-बड़ा, दूध-दही, थाना-पुिलस, सूय�-च� इ�ािद।
(2)िवशेषण-समास:- यह आ�यमूलक समास है। यह �ायः कम�धारय समास होता है। इस समास म� �थम पद िवशेषण होता है, िक�ु ि�तीय पद का अथ� बलवान होता है। कम�धारय का अथ� है कम� अथवावृि� धारण करनेवाला। यह िवशेषण-िवशे�, िवशे�-िवशेषण, िवशेषण तथा िवशे� पदो ं�ारा स�� होता है। जैसे-
(क) जहाँ पूव�पद िवशेषण हो; यथा- क�ाकेला, शीशमहल, महरानी। (ख)जहाँ उ�रपद िवशेषण हो; यथा- घन�ाम। (ग़)जहाँ दोनो ंपद िवशेषण हो;ं यथा- लाल-पीला, ख�ा-मीठा। (घ) जहाँ दोनो ंपद िवशे� हो;ं यथा- मौलवीसाहब, राजाबहादुर।
(3)अ�य समास :- वण�मूलक समास के अ�ग�त ब��ीिह और अ�यीभाव समास का िनमा�ण होता है। इस समास (अ�यीभाव) म� �थम पद साधारणतः अ�य होता है और दूसरा पद सं�ा। जैसे- यथाश��,यथासा�, �ितमास, यथास�व, घड़ी-घड़ी, ��ेक, भरपेट, यथाशी� इ�ािद।
स�� और समास म� अ�र
स�� और समास का अ�र इस �कार है- (i) समास म� दो पदो ंका योग होता है; िक�ु स�� म� दो वण� का। (ii) समास म� पदो ंके ��य समा� कर िदये जाते है। स�� के िलए दो वण� के मेल और िवकार की गंुजाइश रहती है, जबिक समास को इस मेल या िवकार से कोई मतलब नही।ं (iii) स�� के तोड़ने को 'िव�ेद' कहते है, जबिक समास का 'िव�ह' होता है। जैसे- 'पीता�र' म� दो पद है- 'पीत' और 'अ�र' । स��िव�ेद होगा- पीत+अ�र; जबिक समासिव�ह होगा- पीत है जो अ�र या पीत है िजसका अ�र = पीता�र। यहाँ �ान देने की बात है िक िहंदी म� स�� केवल त�म पदो ंम� होती है, जबिक समास सं�ृत त�म, िह�ी, उदू� हर �कारके पदो ंम�। यही कारण है िक िहंदी पदो ंके समास म� स�� आव�क नही ंहै। संिध म� वण� के योग से वण� प�रवत�न भी होता है जबिक समास म� ऐसा नही ंहोता।
कम�धारय और ब��ीिह समास म� अंतर
इन दोनो ंसमासो ंम� अंतर समझने के िलए इनके िव�ह पर �ान देना चािहए। कम�धारय समास म� एक पद िवशेषण या उपमान होता है और दूसरा पद िवशे� या उपमेय होता है। जैसे-'नीलगगन' म� 'नील'िवशेषण है तथा 'गगन' िवशे� है। इसी तरह 'चरणकमल' म� 'चरण' उपमेय है और 'कमल' उपमान है। अतः ये दोनो ंउदाहरण कम�धारय समास के है।
ब��ीिह समास म� सम� पद ही िकसी सं�ा के िवशेषण का काय� करता है। जैसे- 'च�धर' च� को धारण करता है जो अथा�त '�ीकृ�' । नीलकंठ- नीला है जो कंठ- कम�धारय समास। नीलकंठ- नीला है कंठ िजसका अथा�त िशव- ब��ीिह समास। लंबोदर- मोटे पेट वाला- कम�धारय समास। लंबोदर- लंबा है उदर िजसका अथा�त गणेश- ब��ीिह समास।
ि�गु और ब��ीिह समास म� अंतर
ि�गु समास का पहला पद सं�ावाचक िवशेषण होता है और दूसरा पद िवशे� होता है जबिक ब��ीिह समास म� सम� पद ही िवशेषण का काय� करता है। जैसे- चतुभु�ज- चार भुजाओ ंका समूह- ि�गु समास। चतुभु�ज- चार है भुजाएँ िजसकी अथा�त िव�ु- ब��ीिह समास। पंचवटी- पाँच वटो ंका समाहार- ि�गु समास। पंचवटी- पाँच वटो ंसे िघरा एक िनि�त �थल अथा�त दंडकार� म� ��थत वह �थान जहाँ वनवासी राम ने सीता और ल�ण के साथ िनवास िकया- ब��ीिह समास।
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दशानन- दस आननो ंका समूह- ि�गु समास। दशानन- दस आनन ह� िजसके अथा�त रावण- ब��ीिह समास।
ि�गु और कम�धारय म� अंतर
(i) ि�गु का पहला पद हमेशा सं�ावाचक िवशेषण होता है जो दूसरे पद की िगनती बताता है जबिक कम�धारय का एक पद िवशेषण होने पर भी सं�ावाचक कभी नही ंहोता है। (ii) ि�गु का पहला पद ही िवशेषण बन कर �योग म� आता है जबिक कम�धारय म� कोई भी पद दूसरे पद का िवशेषण हो सकता है। जैसे- नवर�- नौ र�ो ंका समूह- ि�गु समास चतुव�ण�- चार वण� का समूह- ि�गु समास पु�षो�म- पु�षो ंम� जो है उ�म- कम�धारय समास र�ो�ल- र� है जो उ�ल- कम�धारय समास
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Samas(Compound)(समास)
सामािसक पदो ंकी सूचीत�ु�ष समास (कम�त�ु�ष)
पद िव�ह पद िव�ह
गगनचु�ी गगन (को) चूमनेवाला पािकटमार पािकट (को) मारनेवाला
िचड़ीमार िचिड़यो ं(को) मारनेवाला गृहागत गृह को आगत
कठखोदवा काठ (को) खोदनेवाला िगरहकट िगरह (को) काटनेवाला
मँुहतोड़ मँुह (को) तोड़नेवाला �ग��ा� �ग� को �ा�
अनुभव ज� अनुभव से ज� आपबीती आप पर बीती (स�मी त�ु�ष)
उ�ोगपित उ�ोग का पित (मािलक) गुणहीन गुणो ंसे हीन
घुड़दौड़ घोड़ो ंकी दौड़ ज�ांध ज� से अंधा
देशाटन देश म� अटन (�मण) दानवीर दान म� वीर
देशवासी देश का वासी अमृतधारा अमृत की धारा
अछूतो�ार अछूतो ंका उ�ार आ�िव�ास आ�ा पर िव�ास
ऋिषक�ा ऋिष की क�ा क�सा� क� से होने वाला
हरघड़ी घड़ी-घड़ी या ��ेक घड़ी गु�दि�णा गु� के िलए दि�णा
गृह�वेश गृह म� �वेश गोबर गणेश गोबर से बना गणेश
दहीबड़ा दही म� डूबा �आ बड़ा अकाल पीिड़त अकाल से पीिड़त
गोशाला गौओ ंके िलए शाला गंगाजल गंगा का जल
घुड़सवार घोड़े पर सवार जीवनसाथी जीवन का साथी
जलधारा जल की धारा देशभ�� देश की भ��
पँूजीपित पँूजी का पित भयभीत भय से भीत (डरा)
ह�िल�खत हाथ से िल�खत पथ�� पथ से ��
देशभ� देश का भ� च�र�िच�ण च�र� का िच�ण
दानवीर दान देने म� वीर (स�मी त�ु�ष) युिधि�र यु� म� ��थर
पण�शाला पण�िनिम�त शाला पु�षो�म पु�षो ंम� उ�म
नराधम नरो ंम� अधम ने�हीन ने� से हीन
राहखच� राह के िलए खच� शरणागत शरण म� आगत
िव�ासागर िव�ा का सागर आकशवाणी आकाश से वाणी
आन�ा�म आन� का आ�म आकशवाणी आकाश से वाणी
कम�हीन कम� से हीन (पंचमी त�ु�ष) कम�िनरत कम� से िनरत (स�मी त�ु�ष)
किव�े� किवयो ंसे �े� कु�कार कु� को करने (बनाने)वाला (उपपद त�ु�ष)
का�कार का� की रचना करनेवाला (उपपद त�ु�ष) कृिष�धान कृिष म� �धान(स�मी त�ु�ष)
�ि�याधम �ि�यो ंम� अधम(स�मी त�ु�ष) कृ�ाप�ण कृ� के िलए अप�ण (चतुथ� त�ु�ष)
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पद िव�ह पद िव�ह
�ामो�ार �ाम का उ�ार (ष० त�ु�ष) िगरहकट िगरह को काटनेवाला (ि� त�ु�ष)
गृह�थ गृह म� ��थत (उपपद त�ु�ष) च�ोदय च� का उदय (ष० त�ु�ष)
जीवनमु� जीवन से मु� (ष० त�ु�ष) ठाकुरसुहाती ठाकुर (मािलक) के िलए �िचकर बात�
ितलच�ा ितल को चाटनेवाला दयासागर दया का सागर
दुखसंत� दुःख से संत� देशगत देश को गया �आ
धनहीन धन से हीन धम�िवमुख धम� से िवमुख
नरो�म नरो ंम� उ�म पददिलत पद से दिलत
पद�ुत पद से �ुत परी�ोपयोगी परी�ा के िलए उपयोगी
पादप पैर से पीनेवाला (उपपद त�ु�ष) पु�शोक पु� के िलए शोक
पु�कालय पु�क के िलए आलय मनमौजी मन से मौजी
मनगढ़� मन से गढ़ा �आ (तृ० त�ु�ष) मदमाता मद से माता (तृ० त�ु�ष)
मालगोदाम माल के िलए गोदाम रसोईघर रसोई के िलए घर
रामायण राम का अयन (ष० त�ु�ष) राजक�ा राजा की क�ा (ष० त�ु�ष)
िव�ाथ� िव�ा का अथ� (ष० त�ु�ष)
करणत�ु�ष
पद िव�ह पद िव�ह
�ेमािस� �ेम से िस� जलिस� जल से िस�
रसभरा रस से भरा मदमाता मद से माता
मेघा�� मेघ से आ�� रोगपीिड़त रोग से पीिड़त
रोग�� रोग से �� मँुहमाँगा मँुह से माँगा
दुःखात� दुःख से आत� मदा� मद से अ�
देहचोर देह से चोर पददिलत पद से दिलत
तुलसीकृत तुलसी �ारा कृत दुःखस�� दुःख से स��
शोकाकुल शोक से आकुल क�णापूण� क�णा से पूण�
अकालपीिड़त अकाल से पीिड़त शोक�� शोक से ��
शोकात� शोक से आत� �मजीवी �म से जीनेवाला
कामचोर काम से चोर मँुहचोर मँुह से चोर
स�दान त�ु�ष
पद िव�ह पद िव�ह
िशवाप�ण िशव के िलए अप�ण रसोईघर रसोई के िलए घर
सभाभवन सभा के िलए भवन लोकिहतकारी लोक के िलए िहतकारी
माग��य माग� के िलए �य �ानघर �ान के िलए घर
मालगोदाम माल के िलए गोदाम डाकमहसूल डाक के िलए महसूल
साधुदि�णा साधु के िलए दि�णा देशभ�� देश के िलए भ��
पु�शोक पु� के िलए शोक �ा�णदेय �ा�ण के िलए देय
राहखच� राह के िलए खच� गोशाला गो के िलए शाला
देवालय देव के िलए आलय िवधानसभा िवधान के िलए सभा
पद िव�ह पद िव�ह
परी�ा भवन परी�ा के िलए भवन रसोईघर रसोई के िलए घर
अपादान त�ु�ष
पद िव�ह पद िव�ह
बलहीन बल से हीन धनहीन धन से हीन
पद�� पद से �� �थान�� �थान से ��
माया�र� माया से �र� पापमु� पाप से मु�
ऋणमु� ऋण से मु� ई�वरिवमुख ई�वर से िवमुख
�थान�ुत �थान से �ुत लोको�र लोक से उ�र (परे)
ने�हीन ने� से हीन श��हीन श�� से हीन
पथ�� पथ से �� जल�र� जल से �र�
�ेम�र� �ेम से �र� �यमु� �य से मु�
धम�िवमुख धम� से िवमुख पद�ुत पद से �ुत
धम��ुत धम� से �ुत मरणो�र मरण से उ�र
देश िनकाला देश से िनकाला ज�ांध ज� से अंधा
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Samas(Compound)(समास)
स�� त�ु�ष
पद िव�ह पद िव�ह
अ�दान अ� का दान �मदान �म का दान
वीरक�ा वीर की क�ा ि�पुरा�र ि�पुर का अ�र
राजभवन राजा का भवन �ेमोपासक �ेम का उपासक
आन�ा�म आन� का आ�म देवालय देव का आलय
रामायण राम का अयन खरा�र खर का अ�र
गंगाजल गंगा का जल रामोपासक राम का उपासक
च�ोदय च� का उदय देशसेवा देश की सेवा
च�र�िच�ण च�र� का िच�ण राजगृह राजा का गृह
अमरस आम का रस राजदरबार राजा का दरबार
सभापित सभा का पित िव�ासागर िव�ा का सागर
गु�सेवा गु� की सेवा सेनानायक सेना का नायक
�ामो�ार �ाम का उ�ार मृगछौना मृग का छौना
राजपु� राजा का पु� पु�कालय पु�क का आलय
रा�� पित रा�� का पित िहमालय िहम का आलय
घुड़दौड़ घोड़ो ंकी दौड़ सेनानायक सेना के नायक
यथाश�� श�� के अनुसार राजपु�ष राजा का पु�ष
राजमं�ी राजा का मं�ी
अिधकरण त�ु�ष
पद िव�ह पद िव�ह
पु�षो�म पु�षो ंम� उ�म पु�षिसंह पु�षो ंम� िसंह
�ामवास �ाम म� वास शा��वीण शा�ो ंम� �वीण
आ�िनभ�र आ� पर िनभ�र �ि�याधम �ि�यो ंम� अधम
शरणागत शरण म� आगत हरफनमौला हर फन म� मौला
मुिन�े� मुिनयो ंम� �े� नरो�म नरो ंम� उ�म
�ानम� �ान म� म� किव�े� किवयो ंम� �े�
दानवीर दान म� वीर गृह�वेश गृह म� �वेश
नराधम नरो ंम� अधम सव��म सव� म� उ�म
रणशूर रण म� शूर आन�म� आन� म� म�
आपबीती आप पर बीती
कम�धारय समास
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पद िव�ह पद िव�ह
नवयुवक नव युवक छुटभैये छोटे भैये
कापु�ष कु��त पु�ष कद� कु��त अ�
िनलो�ल नील उ�ल महापु�ष महान पु�ष
स�ाग� सत् माग� पीता�र पीत अ�र
परमे�वर परम् ई�वर स�न सत् जन
महाका� महान् का� वीरबाला वीर बाला
महा�ा महान् है जो आ�ा महावीर महान् वीर
अंधिव�ास अंधा है जो िव�ास अंधकूप अंधा है जो कूप (कुआँ)
घन�ाम घन के समान �ाम नीलकंठ नीला है जो कंठ
अधपका आधा है जो पका काली िमच� काली है जो िमच�
दुरा�ा दुर (बुरी) है जो आ�ा नीला�र नीला है जो अंबर
अकाल मृ�ु अकाल (असमय) है जो मृ�ु नीलगाय नीली है जो गाय
नील गगन नीला है जो गगन परमांनद परम् है जो आनंद
महाराजा महान है जो राजा महादेव महान है जो देव
शुभागमन शुभ है जो आगमन महाजन महान है जो जन
नरिसंह नर �पी िसंह चं�मुख चं� के समान मुख
�ोधाि� �ोध �पी अि� �ेता�र �ेत है जो अ�र
लाल टोपी लाल है जो टोपी सदधम� सत है जो धम�
महािव�ालय महान है जो िव�ालय िव�ाधन िव�ा �पी धन
करकमल कमल के समान कर मृगनयन मृग जैसे नयन
खटिम�ा ख�ा और मीठा है नरो�म नरो ंम� उ�म ह� जो
�ाणि�य �ाण के समान ि�य घन�ाम घन के समान �ाम
कमलनयन कमल सरीखा नयन परमांनद परम आनंद
च�मुख चाँद-सा सु�र मुख च�वदन च� के समान वदन (मुखड़ा)
घृता� घृत िमि�त अ� महाका� महान है का� जो
धम�शाला धमा�थ� के िलए शाला कुसुमकोमल कुसुम के समान कोमल
कपोता�ीवा कपोत के समान �ीवा गगनांगन गगन �पी आंगन
चरणकमल कमल के समान चरण ितलपापड़ी ितल से बनी पापड़ी
दहीबड़ा दही म� िभंगोया बड़ा पकौड़ी पकी �ई बड़ी
परमे�र परम ई�र महाशय महान आशय
महारानी महती रानी मृगनयन मृग के समान नयन
लौहपु�ष लौह स�श पु�ष
िवशे�पूव�पदकम�धारय
पद िव�ह पद िव�ह
कुमार�वणा कुमारी (�ांरी) मदनमनोहर मदन जो मनोहर है
�ामसु�र �ाम जो सु�र है जनकखेितहर जनक खेितहर (खेती करनेवाला)
िवशेषणोभयपदकम�धारय
पद िव�ह पद िव�ह
नीलपीत नीला-पीला (दोनो ंिमले) कृताकृत िकया-बेिकया
शीतो� शीत-उ� (दोनो ंिमले) कहनी-अनकहनी कहना-न-कहना
िवशे�ोभयपदकम�धारय
पद िव�ह पद िव�ह
आ�वृ� आ� है जो वृ� वायसद�ित वायस है जो द�ित
उपमानकम�धारय
पद िव�ह पद िव�ह
िव�ु�ेग िव�ुत के समान वेग शैलो�त शैल के समान उ�त
कुसुमकोमल कुसुम के समान कोमल घन�ाम घन-जैसा �ाम
लौहपु�ष लोहे के समान पु�ष (कठोर)
उपिमतकम�धारय
पद िव�ह पद िव�ह
चरणकमल चरण कमल के समान मुखच� मुख च� के समान
अधरप�व अधर प�व के समान नरिसंह नर िसंह के समान
पद पंकज पद पंकज के समान
�पकम�धारय
पद िव�ह पद िव�ह
पु�षर� पु�ष ही है र� भा�ा�� भा� ही है अ��
मुखच� मुख ही है च� पु�र� पु� ही है र�
अ�यीभाव समास
पद िव�ह पद िव�ह
िदनानुिदन िदन के बाद िदन ��ंग अंग-अंग
भरपेट पेट भरकर यथाश�� श�� के अनुसार
िनभ�य िबना भय का उपकूल कूल के समीप
��� अि� के सामने िनधड़क िबना धड़क के
बखूबी खूबी के साथ यथाथ� अथ� के अनुसार
��ेक एक-एक मनमाना मन के अनुसार
यथाशी� िजतना शी� हो बेकाम िबना काम का
बेलाग िबना लाग का आपादम�क पाद से म�क तक
��ुपकार उपकार के �ित परो� अि� के परे
बेफायदा िबना फायदे का बेरहम िबना रहम के
�ितिदन िदन िदन आमरण मरण तक
अनु�प �प के यो� यथा�म �म के अनुसार
बेखटके िबना खटके वे (िबन) यथासमय समय के अनुसार
आज� ज� से लेकर एकाएक अचानक, अक�ात
िदनोिंदन कुछ (या िदन) ही िदन म� यथोिचत िजतना उिचत हो
पद िव�ह पद िव�ह
रातोरंात रात-ही-रात म� आजीवन जीवन पय�त/तक
गली-गली ��ेक गली भरपूर पूरा भरा �आ
यथािनयम िनयम के अनुसार �ितवष� वष�-वष�/हर वष�
बीचोबंीच बीच ही बीच म� आजकल आज और कल
यथािविध िविध के अनुसार यथा�थान �थान के अनुसार
यथासंभव संभावना के अनुसार �थ� िबना अथ� के
रातभर भर रात अनुकूल कुल के अनुसार
अनु�प �प के ऐसा आसमु� समु�पय��
पल-पल हर पल बार-बार हर बार
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Samas(Compound)(समास)
ि�गु कम�धारय (समाहारि�गु)
पद िव�ह पद िव�ह
ि�भुवन तीन भुवनो ंका समाहार ि�काल तीन कालो ंका समाहार
चव�ी चार आनो ंका समाहार नव�ह नौ �हो ंका समाहार
ि�गुण तीन गुणो ंका समूह पसेरी पाँच सेरो ंका समाहार
अ�ा�ायी अ� अ�ायो ंका समाहार ि�पाद तीन पादो ंका समाहार
पंचवटी पाँच वटो ंका समाहार ि�लोक, ि�लोकी तीन लोको ंका समाहार
दुअ�ी दो आनो ंका समाहार चौराहा चार राहो ंका समाहार
ि�फला तीन फलो ंका समाहार नवर� नव र�ो ंका समाहार
सतसई सात सौ का समाहार पंचपा� पाँच पा�ो ंका समाहार
चतुभु�ज चार भुजाओ ंका समूह चारपाई चार पैरो ंका समाहार
ितरंगा तीन रंगो ंका समाहार अ�िस�� आठ िस��यो ंका समाहार
चतुमु�ख चार मुखो ंका समूह ि�वेणी तीन वेिणयो ंका समूह
नविनिध नौ िनिधयो ंका समाहार चव�ी चार आनो ंका समाहार
दोपहर दो पहरो ंका समाहार पंचतं� पाँच तं�ो का समाहार
स�ाह सात िदनो ंका समूह ि�ने� तीनो ंने�ो ंका समूह
दुराहा दो राहो ंका समाहार चतुव�द चार वेदो ंका समाहार
उ�रपद�धानि�गु
पद िव�ह पद िव�ह
दुपहर दूसरा पहर शतांश शत (सौवाँ) अंश
पंचह�ड़ पाँच ह�ड़ (है��ल) पंच�माण पाँच �माण (नाप)
दुसूती दो सूतोवंाला दुधारी दो धारोवंाली (तलवार)
ब��ीिह (समानािधकरणब��ीिह)
पद िव�ह पद िव�ह
�ा�ोदक �ा� है उदक िजसे द�भोजन द� है भोजन िजसे
पीता�र पीत है अ�र िजसका िजते��य जीती है इ��याँ िजसने
िनध�न िनग�त है धन िजससे िमठबोला मीठी है बोली िजसकी (वह पु�ष)
चौलड़ी चार है लिड़याँ िजसम� (वह माला) चतुभु�ज चार है भुजाएँ िजसकी
िदग�र िदक् है अ�र िजसका सह�कर सह� है कर िजसके
व�देह व� है देह िजसकी ल�ोदर ल�ा है उदर िजसका
दशमुख दश है मुख िजसके गोपाल वह जो, गौ का पालन करे
सतसई सात सौ का समाहार पंचपा� पाँच पा�ो ंका समाहार
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पद िव�ह पद िव�ह
चतुव�द चार वेदो ंका समाहार ि�लोचन तीन है लोचन िजसके अथा�त िशव
कमलनयन कमल के समान है नयन िजसके अथा�त िव�ु िग�रधर िग�र (पव�त) को धारण करने वाला �