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  • डेली यूज़ (05 Nov, 2019)drishtiias.com/hindi/current-affairs-news-analysis-editorials/news-analysis/05-11-2019/print

    रा ीय जलमाग-2

    ी ल सी ल स केके लयेलये:भारत म रा ीय जल माग, भारतीय अंतदशीय जलमाग ाधकरण

    मु यमु य परी ापरी ा केके लयेलये:भारत और बां लादेश के बीच अंतदशीय जल पारगमन और यापार तथा इस संदभ म रा ीय जलमाग-2 का मह व, भारत तथाबां लादेश के बीच अंतदशीय जल पारगमन और यापार संबधंी नयाचार

    चचाचचा मम यय ?4 नवंबर, 2019 को पहले कंटेनर काग क खेप ह दया डॉक कॉ े स (Haldia Dock Complex-HDC) से देश केअंतदशीय जलमाग ाधकरण (Inland Waterways Authority of India-IWAI) ट मनल के लये गुवाहाटी के पांडु मरवाना हुई।

    मुखमुख बदुबदु12-15 िदन क यह समु ी या ा रा ीय जलमाग -1 (गगंा नदी), रा ीय जलमाग-97 (सुंदरबन), भारत-बां लादेशोटोकॉल (Indo-Bangladesh Protocol-IBP) माग और रा ीय जलमाग-2 ( पु नदी) के रा ते एक एक कृतआईड यूटी आवाजाही होगी।इस अंतदशीय जल प रवहन (Inland Water Transport-IWT) माग पर यह पहला कंटेनरीकृत काग आवाजाहीह।ैइस 1425 िकलोमीटर लबंी आवाजाही से इन िविवध जलमाग का उपयोग करके IWT मोड क तकनीक औरवाण यक यवहायता थािपत िकये जाने क उ मीद ह,ै साथ ही इस भू-भाग पर अ गामी आवाजािहय क एकृखंला क योजना भी बनाई गई ह।ै

    इस नवीनतम IWT आवाजाही का उ े य क े माल और तयैार माल के प रवहन के लये एक वकै पक माग खोलने केारा उ र पूव े के औ ोिगक िवकास को बढ़ावा दान करना ह।ै

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  • रा ीय जलमाग-1 पर IWT ारा जल माग िवकास प रयोजना के तहत गगंा क नेिवगेशन मता म संवधन म अ छीवृ देखी गई हैरा ीय जलमाग-1 पर यातायात 2017-18 के 5.48 िम लयन टन से बढ़कर 2018-19 म 6.79 िम लयन टन तकपहँुच गया ह।ैरा ीय जलमाग-1 पर 6.79 िम लयन टन के कुल टैिफ़क म से, लगभग 3.15 िम लयन टन भारत बां लादेश ोटोकॉल(IBP) माग का उपयोग करके भारत और बां लादेश के बीच ए जम यापार ह।ै

    रा ीयरा ीय जलमागजलमाग 21988 म धुबरी से सिदया तक 891 िकमी. तक को रा ीय जलमाग सं या-2 घोिषत िकया गया। धुबरी पु नदीपर पहला बड़ा ट मनल ह।ैरा ीय जलमाग अधिनयम (National Waterways Act), 2016 के लागू होने के साथ देश म रा ीय जलमाग ककुल सं या 111 हो गई ह। परतंु अभी भी इस संबधं म घाट के िनमाण, ट मनल और नेिवगेशन चैनल जसैी बुिनयादीढाँचागत सुिवधाएँ उपल ध कराने क िदशा म चुनौतयाँ बनी हुई ह।रा ीय जलमाग-2 म पांडु बदंरगाह सबसे बड़ा एवं सबसे मह वपूण बदंरगाह ह।ै

    भारतभारत केके अ यअ य 3 मुखमुख रा ीयरा ीय जलमागजलमागराष्राष्टीयटीय जलमागजलमाग संख्संख्याया 1: इलाहाबाद-ह दया जलमाग को भारत म रा ीय जलमाग सं या-1 का दजा िदया गया ह।ैयह जलमाग गगंा-भागीरथी-हुगली नदी तं म थत ह।ै इस जलमाग पर थत मुख शहर इलाहाबाद, वाराणसी,मुगलसराय, ब सर, आरा, पटना, मोकामा, बाढ, मुगेंर, भागलपुर, फर ा, कोलकाता तथा ह दया ह।ैरा ीयरा ीय जलमागजलमाग सं यासं या 3: उ ोग मडंल और चंपकारा नहर के साथ प मी समु तट नहर (को ापुरम से कोल्लम) केबीच थत ह।ैरा ीयरा ीय जलमागजलमाग सं यासं या 4: गोदावरी और कृष्णा नदी से लगा काक नदा-पु चेुरी नहर (1078 िकलो मीटर) को 2008 मराष्टीय जलमाग- 4 घोिषत िकया गया ह।ै

    स मस म जलजल- प रवहनप रवहन केके आव यकआव यक त वत वपया गहराई व चौड़ाई वाला जलमाग।चौबीस घटें नौवहन लायक सुिवधाएँ।सभी साजोसमान से लसै ट मनल।

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  • पया सं या म उ मता वाले जलयान।

    जलजल-प रवहनप रवहन केके समसम मुखमुख चुनौतीचुनौतीनिदय म भारी गाद भरना तथा वष भर जल क समुचत मा ा का आभाव।माल प रवहन के लये जलयान क भारी कम ।फेयरवे बेहतर बनाने के लये उचत ट मनल और रप का आभाव।ट मनल पर मकैिनकल हडलग का आभाव।

    भारतभारत औरऔर बां लादेशबां लादेश केके बीचबीच अतंदशीयअतंदशीय जलजल पारगमनपारगमन एवंएवं यापारयापार

    (Protocol on Inland Water Transit and Trade-PIWTT)

    भारत और बां लादेश के बीच अंतदशीय जल पारगमन और यापार (PIWTT) पर नयाचार दोन देश के पोत ारादोन देश के बीच माल क आवाजाही हेतु अपने जलमाग के उपयोग के लये पार प रक प से लाभकारी यव थाक अनुमत देता ह।ैIBP मागमाग रा ीय जलमाग-1 पर कोलकाता (भारत) से रा ीय जलमाग-2 (नदी पु ) पर ■सलघाट (असम) औरकरीमगजं (असम) पर रा ीय जलमाग-16 (बराक नदी) पर फैला हुआ ह।ैबां लादेश के अंतदशीय जलमाग के IBP माग पर दो भू-भाग नामत: ■सराजगजं-दाइखवा और आशूगजं-जािकगजं मागका िवकास कुल 305.84 करोड़ पए क लागत से 80:20 लागत साझाकरण के आधार पर (भारत ारा 80% औरबां लादेश ारा 20% वहन िकया जा रहा ह)ै िकया जा रहा ह।ैइन दोन खंड के िवकास से IBP माग के रा ते जलमाग के ज रये उ र पूव भारत को िनबाध नेिवगेशन दान िकयेजाने क उ मीद ह।ै अपे त गहराई हा■सल करने और बनाए रखने के लये दो िह स पर डे↓जग के अनुबधं िदए गए ह।

    उपरो के अलावा, भारत और बां लादेश ने हाल के िदन म जलमाग के उपयोग को बढ़ाने के लये बड़े कदम उठाए ह। इनमभारत म कोलाघाट म PIWTT, धु लयान, माया, सोनमुरा और बां लादेश म चलमारी, राजशाही, सु तानगजं, दौखंडी मअत र पोट ऑफ कॉल क घोषणा पर समझौता शािमल ह।ै

    दोनदोन देशदेश नेने िन न ल खतिन न ल खत परपर भीभी सहमतसहमत जताईजताई:1. करीमगजं (असम, भारत) के िव ता रत पोट ऑफ कॉल के प म बदरपुर और बां लादेश म आशूगजं का घोरासल2. कोलकाता, भारत के िव ता रत पोट ऑफ कॉल के प म िटबेनी और बां लादेश म पनगाँव का मु ारपुर3. ोटोकॉल ट नबंर 5 और 6 यानी राजशाही-गोडागरी-धु लयान को अ रचा (बां लादेश) तक िव ता रत िकया जाएगा।4. नये ट न बर 9 और 10 के प म गुमटी नदी पर दाउदखंडी-सोनमुरा खंड का समावेश।

    बां लादेश म चटगाँव और म गला बदंरगाह के ज़ रये भारत से माल क आवाजाही को सुगम बनाने के लये एक मानक संचालनि या (Standard Operating Procedure-SOP) पर दोन देश ारा 5 अ ू बर, 2019 को ह ता र िकये गए ह। इनदोन बदंरगाह क िनकटता से संभारतं लागत म कमी आएगी और उ र पूव रा य क यापार त प ा म सुधार होगा।

    भारतीयभारतीय अतंदशीयअतंदशीय जलमागजलमाग ाधकरणाधकरण

    (Inland Waterways Authority of India-IWAI)3/19

  • अंतदशीय जलमाग के िवकास और िविनयमन हेतु भारतीय अंतदशीय जलमाग ाधकरण (IWAI) क थापना 27अ ू बरअ ू बर, 1986 को क गई।IWAI जहाज़रानीजहाज़रानी मं ालयमं ालय (Ministry of Shipping) केके अधीनअधीन एक सांिवधकसांिवधक िनकायिनकाय ह।ैयह जहाज़रानी मं ालय से ा अनुदान के मा यम से रा ीय जलमाग पर अंतदशीय जल प रवहन अवसंरचना केिवकास और अनुर ण का काय करता ह।ैाधकरण का मु यालयमु यालय नोएडानोएडा (New Okhla Industrial Development Authority-NOIDA) म, े ीयकायालय पटना, कोलकाता, गुवाहाटी और कोची म तथा उप-कायालय यागराज (पूव म इलाहाबाद), वाराणसी,भागलपुर, र ा और को म म ह।रा ीयरा ीय जलमागजलमाग अधिनयमअधिनयम, 2016 के अनुसार अभी तक 111 जलमागजलमाग कोको रा ीयरा ीय जलमागजलमाग घोिषतघोिषत िकया गया ह।ैवष 2018 म IWAI ने काग मा लक एवं लॉ■ज ट स संचालक को जोड़ने हेतु सम पत पोटल ‘फोकलफोकल’ (Forumof Cargo Owners and Logistics Operators-FOCAL) लॉ च िकया था जो जहाज़ क उपल धता केबार ेम रयल टाइम डेटा उपल ध कराता ह।ै

    ोतोत: PIB

    RCEP म शािमल नह होगा भारत

    ी ल सी ल स केके लयेलयेRCEP

    मे समे स केके लयेलयेभारत-आ■सयान संबधंी मु े

    चचाचचा मम यय ?भारत सरकार ने 16 सद य देश वाले े ीय यापक आथक भागीदारी (Regional Comprehensive EconomicPartnership-RCEP) समूह म शािमल न होने का िनणय लया ह।ै

    गौरतलब ह ैिक RCEP से जुड़ी भारत क चताओं को तमाम वाताओं के बाद भी दरू नह िकया जा सका, ■जसकेकारण भारत को यह िनणय लेना पड़ा।यात य ह ैिक भारत के अत र अ य सभी 15 देश वष 2020 तक मु यापार समझौते पर ह ता र करगे।

    याया हैहै RCEP?े ीय यापक आथक भागीदारी या RCEP एक मु यापार समझौता ह,ै जो िक 16 देश के म य िकया जा रहा था।िविदत हो िक भारत के इसम शािमल न होने के िनणय के प ात् अब इसम 15 देश शेष ह।

    इसम 10 आ■सयान देश तथा उनके FTA भागीदार- भारत, चीन, जापान, को रया, ऑ टे लया और यूज़ीलडशािमल थे।

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  • इसका उ े य यापार और िनवेश को बढ़ावा देने के लये इसके सद य देश के बीच यापार िनयम को उदार बनानाएवं सभी 16 देश म फैले हुए बाज़ार का एक करण करना ह।ैइसका अथ ह ैिक सभी सद य देश के उ पाद और सेवाओं का संपूण े म पहँुचना आसान होगा।इसक औपचा रक शु आत नवंबर 2012 म कंबोडया म आयो■जत आ■सयान शखर स मेलन म क गई थी।RCEP को टांस-प■ैसिफक भागीदारी के एक िवक प के प म भी देखा जाता रहा ह।ैयिद भारत सिहत यह समझौता संप होता तो यह वै क सकल घरलेू उ पाद के 25 तशत और वै क यापार के30 तशत का तिनध व करता।

    साथ ही यह तकरीबन 5 अरब लोग क आबादी के लहाज़ से सबसे बड़ा यापार लॉक भी बन जाता।RCEP समझौते म व तुओं एवं सेवाओं का यापार, िनवेश, आथक और तकनीक सहयोग, बौ क संपदा, त प ा,िववाद िनपटान तथा अ य मु े शािमल ह।

    याया हैहै सम यासम या?भारत के अत र RCEP म भाग लेने वाले अ य सभी 15 सद य ने मु यापार समझौते पर ह ता र करने कािनणय लया ह।ै इस समझौते के वष 2020 तक संप होने क उ मीद ह।ैदसूरी ओर भारत ने कुछ अनसुलझे मु के कारण इस समझौते म शािमल न होने का िनणय लया ह।ैिनणय क घोषणा करते हुए भारतीय धानमं ी ने कहा िक “RCEP अपने मूल उ े य को त बिबत नह करता एवंइसके प रणाम न तो उचत ह और न ही संतु लत।”RCEP वाता के दौरान कई भारतीय उ ोग समूह ने इस समझौते पर ह ता र करने को लेकर चता जताई थी।उ ह ने तक िदया था िक कुछ घरलेू े अ य तभागी देश के स ते िवक प के कारण भािवत हो सकते ह।

    उदाहरण के लये समझौते के फल व प देश के डेयरी उ ोग को ऑ टे लया और यूज़ीलड से कड़ीत प ा का सामना करना पड़ेगा। इसी कार देश के इ पात और कपड़ा उ ोग को भी कड़ी त प ा कासामना करना पड़ेगा।

    अनसुलझेअनसुलझे मु ेमु ेकई भारतीय उ ोग ने चता ज़ािहर क थी िक यिद चीन जसेै देश के स ते उ पाद को भारतीय बाज़ार म आसानपहँुच ा हो जाएगी तो भारतीय घरलेू उ ोग पूणतः तबाह हो जाएगा।

    यात य ह ैिक भारत ऐसे ऑटो-िटगर तं क मांग कर रहा था जो उसे ऐसे उ पाद पर शु क बढ़ाने कअनुमत देगा जहाँ आयात एक िन त सीमा को पार कर चुका हो।

    भारत पहले से ही 16 RCEP देश के साथ यापार घाटे क थत म ह।ै अपने बाज़ार को और अधक मु बनाने सेथत और िबगड़ सकती ह।ै गौरतलब ह ैिक चीन के साथ भारत का कुल यापार 50 िब लयन डॉलर से भी अधक

    का ह।ैइस यापार संध म शािमल होने क भारत क अिन छा इस अनुभव से भी े रत ह ैिक भारत को को रया, मलेशयाऔर जापान जसेै देश के साथ मु यापार समझौत का कोई लाभ ा नह हुआ ह।ैसमझौत का काया वयन शु होने के बाद इन देश से भारत के आयात म तो वृ हुई लेिकन भारत से िनयात म उसगत से वृ नह हुई और इससे देश का यापार घाटा बढ़ा।गरै टै रफ बाधाओं संबधंी भारत क चता और बाज़ार तक अधक पहँुच क मांग को लेकर भी भारत को कोईिव सनीय आ ासन नह िदया गया।भारत ने कई बार उ पाद पर टै रफ को कम करने अथवा समा करने के संबधं म अपना डर ज़ािहर िकया था।

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  • RCEP म ‘ स ऑफ ओ र■जन’ (Rules of Origin) के दु पयोग से संबंधत भारतीय चताओं को भी सही ढंग सेसंबोधत नह िकया गया।

    िकसी उ पाद के रा ीय ोत को िनधा रत करने के लये उपयोग िकये जाने वाले मानदडं को ‘ स ऑफओ र■जन’ कहा जाता ह।ै

    RCEP समझौते म टै रफ घटाने के लये वष 2013 को आधार वष के प म चुनने का ताव िकया गया ह,ै परतंुभारत इसके िवरोध म ह ै य िक बीते कुछ वष म कपड़ा और इले टॉिनक जसेै कई उ पाद पर आयात शु क बढ़ा हैऔर इस लये भारत चाहता ह ैिक वष 2019 को आधार वष के प म चुना जाए।

    ोतोत: इंडयनइंडयन ए स ेसए स ेस

    सामा■जक-आथक संकेतक

    ी ल सी ल स केके लयेलये:रा ीय तदश सव ण कायालय

    मे समे स केके लयेलये:सामा■जक आथक संकेतक के आधार पर मु लम यवुाओं क थत से संबंधत मु े

    चचाचचा मम यय ?हाल ही म इं टी ूट फॉर टडीज़ इन इडं टयल डेवलपमट िद ी ारा काशत एक लेख म रा ीय तदश सव णकायालय (National Sample Survey Office-NSSO) क आवधक म बल सव ण रपोट, 2018 [PeriodicLabour Force Survey (PLFS) Report, 2018] तथा इ ॉयमट-अनइ ॉयमट सव, 2011-12 (EmploymentUnemployment Survey (EUS), 2011-12) के आँकड़ के आधार पर मु लम यवुाओं क सामा■जक-आथक थतपर काश डाला गया ह।ै

    मु यमु य बदुबद:ु■जस कार लोकसभा-चुनाव 2019 के प रणाम म संसद के िनचले सदन म मु लम सांसद क सं या काफ कमहोने से मुसलमान के राजनीतक प से हाशये पर आने क पुनः पुि हुई ह ैउसी कार मु लम समुदाय सामा■जक-आथक प से भी हाशये पर ह।ैPLFS रपोट, 2018 तथा EUS, 2011-12 के आँकड़ का योग करके इस लेख म मु लम यवुाओं तथा अ य वगके यवुाओं क सामा■जक-आथक थत क तुलना क गई ह।ैयह रपोट उन 13 रा य से संबंधत आँकड़ से तयैार क गई ह ैजो वष 2011 क जनगणना म उप थत 17 करोड़मु लम क सं या के 89% का तिनध व करते ह।

    मु लममु लम यवुाओंयवुाओं कक सामा■जकसामा■जक-आथकआथक थतथत जाननेजानने केके लयेलये तीनतीन वगवग बनाबनाएए गएगए हह-

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  • नातकनातक उपाधउपाध ाा यवुायवुा:नातक क उपाध ा कर चुके यवुाओं को श ा ा यवुाओं क ेणी म रखा गया ह।ैवष 2017-18 के दौरान श ा ाि का अनुपात मु लम यवुाओं म 14%, द लत समुदाय म 18%, िह दूओबीसी वग म 25% तथा हद ूउ जातय म 37% ह।ैवष 2011-12 म मु लम वग तथा अनुसूचत वग के यवुाओं के बीच श ा ाि का अंतर केवल 1% का थाजो िक वष 2017-18 के दौरान बढ़कर 4% हो गया, इसी कार वष 2011-12 म मु लम समुदाय तथा हदूओबीसी वग के यवुाओं के बीच यह अंतर 7% का था जो िक वष 2017-18 के दौरान बढ़कर 11% हो गया,वह वष 2011-12 के दौरान कुल हद ूऔर मु लम वग के यवुाओं के बीच यह अंतर 9% का था जो िक वष2017-18 के दौरान बढ़कर 11% हो गया।हदी-भाषी रा य म वष 2017-18 के दौरान श त यवुा मु लम क सबसे कम सं या (3%) ह रयाणारा य म ह।ै यह सं या राज थान, उ र देश म मशः 7% तथा 11% ह।ै हदी-भाषी रा य म म य देशअकेला रा य ह ैजहाँ मु लम समुदाय के श त यवुाओं क सं या (17%) अनुसूचत वग के यवुाओं कसं या क तुलना म अधक ह।ैवष 2011-12 म ह रयाणा और राज थान म अनुसूचत वग तथा मु लम समुदाय के श ा ा यवुाओं कसं या म अंतर 12% का था, वह उ र देश म यह अंतर 7 तशत का था।पूव भारतीय रा य म िबहार, प म बगंाल तथा असम म श त मु लम यवुाओं क सं या मशः 8%, 8%और 7% ह,ै जबिक इ ह रा य म अनुसूचत वग के श त यवुाओं क सं या मशः 7%, 9% और 8% ह।ैप मी भारत म श त मु लम यवुाओं क सं या के आँकड़े बेहतर हुए ह लेिकन ये आँकड़े हद ूओबीसी वगऔर अनुसूचत वग क तुलना म मह वपूण सुधार को त बिबत नह करते ह। वष 2017-18 म गुजरात केमु लम समुदाय तथा अनुसूचत वग के श त यवुाओं क सं या म 14% का अंतर था जो िक वष 2011-12म केवल 8 तशत था।वष 2011-12 म महारा रा य के श त मु लम यवुाओं क सं या अनुसूचत वग के यवुाओं क सं या से2% अधक थी जो िक अब तुलना मक प से 8% कम हो गई ह।ैतिमलनाडु 36% नातक उपाध ा यवुा मु लम समुदाय के साथ भारत म सव े थान पर ह,ै वह केरल,आं देश और कनाटक म यह अनुपात मशः 28%, 21% और 18% ह।ैतिमलनाडु और आं देश म अनुसूचत वग तथा मु लम समुदाय के यवुाओं के बीच जहाँ करीबी त प ाह ैवह केरल म मु लम समुदाय काफ पीछे ह।ैद ण के रा य म मु लम समुदाय क इन उपल धय को रा य के इनके त सकरा मक ि कोण के संदभम भी देखा जाना चािहए।

    वतमानवतमान मम िकसीिकसी शै णकशै णक सं थानसं थान मम नामांिकतनामांिकत यवुायवुा (15-24 वषवष):जब हम वतमान म शै णक सं थान से जुड़े मु लम यवुाओं से संबंधत आँकड़ का अ ययन करते ह तबसामा■जक-आथक संकेतक पर मु लम यवुाओं का हाशये पर होना और अधक प हो जाता ह।ैवतमान म शै णक सं थान म वेश लेने वाले यवुाओं म मु लम यवुाओं का तशत सबसे कम ह।ैमु लम समुदाय के 15-24 वष क आय ुवग के केवल 39% यवुा शै णक सं थान म नामांिकत ह, वहअनुसूचत वग के 44%, हद ूओबीसी वग के 51%, हद ूउ जातय के 59% यवुा शै णक सं थान मनामांिकत ह।

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  • श ाश ा, रोज़गाररोज़गार औरऔर श णश ण सेसे वंचतवंचत यवुायवुा:यवुाओं क इस ेणी को NEET (Not in Employment, Education or Training) ेणी म रखा गयाह।ै मु लम यवुाओं क एक बड़ी सं या इस ेणी म आती ह।ैमु लम समुदाय के 31% यवुा इस ेणी म आते ह जो िक देश के िकसी भी समुदाय के यवुाओं से अधक ह,वह अनुसूचत वग के 26% यवुा, हद ूओबीसी वग के 23% यवुा तथा हद ूउ जातय के 17% यवुा इसेणी के अंतगत आते ह।

    यह वृ हदी-भाषी रा य म अधक देखी गई ह।ै राज थान, उ र देश, ह रयाणा और म य देश ममु लम समुदाय के मशः 38%, 37%, 37% और 35% यवुा इस ेणी के अंतगत आते ह।द ण भारत के रा य म आनुपातक प से बेहतर थत ह।ै तेलगंाना, केरल, तिमलनाडु और आं देश ममु लम समुदाय के मशः 17%, 19%, 24% और 27% यवुा इस ेणी के अंतगत आते ह।

    रा ीयरा ीय तदशतदश सव णसव ण कायालयकायालय

    (National Sample Survey Office-NSSO):

    NSSO का काय िवभ सामा■जक-आथक िवषय को लेकर रा यापी तर पर घर का सव ण, वा षक औ ोिगकसव ण कर आँकड़े एकि त करना ह।ैNSSO का मुख एक महािनदेशक होता ह ैजो अ खल भारतीय तर पर तदश सव ण के लये िज़ मेदार होता ह।ैNSSO िकसी यि के रोज़गार और बेरोज़गार होने क थत को तीन आधार पर प करता ह:ै

    रोज़गार ा यिरोज़गार के लये उपल धरोज़गार के लये उपल ध नह

    ोतोत- दद इंडयनइंडयन ए स ेसए स ेस

    लाइफोसेट

    ी ल सी ल स केके लयेलयेलाइफोसेट या ह?ै

    मे समे स केके लयेलयेकृिष म खरपतवारनाशी के योग का जवै-पा र थतक पर भाव

    चचाचचा मम यय ?हाल ही म जमनी क फामा कंपनी बायेर (Bayer) के एक खरपतवारनाशी उ पाद के खलाफ अमे रका म हजार लोग नेमुक़दमा दायर िकया ह ैतथा तक िदया जा रहा ह ैिक यह उ पाद कसर का कारक ह।ै

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  • वतमानवतमान संदभसंदभ :कृिष तथा बागवानी काय के लये अमे रका म बहुतायत म इसका योग िकया जाता ह।ै वष 2015 म िव वा यसंगठन (WHO) ारा िकये गए एक शोध से यह पता चला ह ैिक लाइफोसेट संभवतः मानव म कसर का कारक(Carcinogenic) ह ै■जसक वजह से वहाँ लाइफोसेट आधा रत उ पाद का िवरोध िकया जा रहा ह।ैलाइफोसेट के वा तिवक भाव के संबधं म अभी भी िन त तौर पर कुछ कहना मु कल ह,ै साथ ही WHO ने इसेकसर के कारक के प म संभािवत तौर पर ही माना ह।ै इस वजह से जहाँ ाँस, इटली तथा िवयतनाम नेखरपतवारनाशी म इसके योग पर पाबदंी लगाई ह ैवह अमे रका, चीन, ाज़ील तथा कनाडा इसका समथन करते ह।भारत म इसका योग िपछले दो दशक म काफ बढ़ा ह।ै पहले इसका योग ■सफ असम तथा बगंाल के चाय बागान मिकया जाता था लेिकन अब इसका सवाधक योग महारा म ग ा, म ा तथा फल जसेै-अंगूर, केला, आम व संतरेको उगाने म िकया जाता ह।ैभारतीय कृिष अनुसंधान प रषद (Indian Council of Agricultural Research-ICAR) के अनुसार, भारत मलाइफोसेट का योग िवशेषकर राउंडअप, लाईसेल तथा ेक नामक खरपतवारनाशी दवाओं म होता ह।ै

    लाइफोसेटलाइफोसेट याया हैहै?लाइफोसेट एक खरपतवारनाशी ह ैतथा इसका IUPAC नाम N-(phosphonomethyl) Glycine ह।ै इसकासव थम योग 1970 म शु िकया गया था। फसल तथा बागान म उगने वाले अवांछत घास-फूस को न करने केलये इसका यापक पमैाने पर उपयोग होता ह।ैयह एक कार का गरै-चयना मक (Non-Selective) खरपतवारनाशी (Herbicide) ह ैजो कई पौध को न करदेता ह।ै यह पौध म एक िवशेष कार के ोटीन के िनमाण को रोक देता ह ैजोिक पौध के िवकास के लए सहायकहोते ह।लाइफोसेट िम ी को कसकर बांधे रखता ह,ै इस वजह से यह भूजल म भी नह िमलता। यह िवशेष प र थतय म 6महीने तक िम ी म बना रह सकता ह ैतथा िम ी म बै टी रया ारा इसका अपघटन होता ह।ैहालाँिक शु लाइफोसेट जलीय या अ य व यजीव के लये हािनकारक नह ह,ै लेिकन लाइफोसेट यु उ पाद,उनम मौजूद अ य अवयव के कारण िवषा हो सकते ह। लाइफोसेट अ य प से पा र थतक को भािवत करसकता ह ै य िक पौध के न होने से व यजीव के ाकृतक आवास पर नकारा मक भाव पड़ेगा।इसंान के लाइफोसेट के बाहरी संपक म आने से उनक वचा या आँख म जलन हो सकती ह।ै इसको िनगलने से मुँहतथा गले म जलन, उ टी, डाय रया आिद ल ण हो सकते ह।

    IUPAC (International Union for Pure and Applied Chemistry) रसायन िव ान से संबंधत एक अंतरा ीयाधकरण ह ैजो आवत सारणी म उप थत रासायिनक त व को नाम दान करने, उनके यमान सं या आिद को िनधा रतकरने के लये एक मानक तय करता ह।

    ोतोत : इंडयनइंडयन ए स ेसए स ेस

    हाइिगया: सौर मंडल का छठा बौना ह

    ी ल सी ल स केके लयेलये:हाइिगया के बार ेम, बौना ह घोिषत िकये जाने हेतु मापदडं, हमार ेसौरमडंल म बौने ह, अंतरा ीय खगोलीय संघ

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  • चचाचचा मम यय ?वेरी लाज टेली कोप (Very Large Telescope-VLT) म यूरोिपयन पेस ऑगनाइजेशन (European SpaceOrganisation) के SPHERE इं टमट के मा यम से िकये गए अवलोकन क सहायता से खगोलिवद ने यह दावा िकया हैिक Hygiea संभवतः एक बौना ह हो सकता ह।ै

    मुखमुख बदुबदु

    अब तक आधका रक प से हमारी सौर णाली म पाँच बौने ह ह।सबसे ■स बौना ह ूटो ह,ै वष 2006 म इसे ह क ेणी से हटाते हुए बौना ह घोिषत िकया गया था। अ य चारबौने ह ह: ए रस (Eris), मेकमेक (Makemake), हुमा (Haumea) और सेरसे (Ceres)।नासा के अनुसार, Hygiea एक ऐसे ु ह बे ट का िह सा ह,ै ■जसम 1.1 से लेकर 1.9 िम लयन क सं या म बड़ेु ह (1 िकमी. या 0.6 मील से अधक यास वाले) के साथ ही लाख अ य छोटे छु ह भी मौजूद ह।संभवतः Hygiea क उ प भी सेरसे (Ceres) नामक छु ह के साथ 2 िब लयन वष पहले हुई थी। लगभग 431िकमी. के यास के साथ यह आकार म छोटा ह।ै यह लगभग साढ़े पाँच साल म सूय के चार और अपनी प र मा पूरीकरता ह ैतथा अपने अ /धुरी (Axis) पर एक घूणन पूरा करने म इसे 27.6 िदन का समय लगता ह।ैइस ु ह क खोज वष 1849 म क गई थी, इसका नामकरण शुचता और व छता क ीक देवी (Greekgoddess) के नाम पर िकया गया था।इस बे ट के मौजूदा पड म सेरसे एकमा बौना ह ह ैजो आंत रक सौर णाली म उप थत ह ैसाथ ही यह सौरणाली के अब तक ात सभी बौने ह म सबसे छोटा ह।ै

    बौनेबौने हह हेतुहेतु मानदडंमानदडं

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    http://drishtiias.com/hindi/images/uploads/1572953785_dwarf planet.jpg

  • अंतरा ीय खगोलीय संघ (International Astronomical Union) ने एक बौने ह के लये चार मानदडं िनधा रतिकये ह, Hygiea इनम से तीन मानदडं को पहले ही पूरा कर चुका ह:ै

    यह सूय के चार ओर प र मा करता हो,यह चं मा न हो, औरइसने अपनी क ा के चारो-ओर के े क प र मा न क हो।

    चौथी आव यकता यह ह ैिक उसका यमान कम-से-कम इतना हो िक अपने गु वाकषण के कारण उसका आकारलगभग गोल हो गया हो तथा वह अपने पड़ोसी िप ड क क ा को न लांघता हो।।

    अतंरा ीयअतंरा ीय खगोलीयखगोलीय संघसंघयह पेशेवर खगोलिवद का एक संगठन ह,ै ■जसक थापना वष 1919 म क गई थी।इसका क ीय सचवालय पे रस म ह।ैइस वष यानी वष 2019 म यह संघ अपनी थापना क 100व वषगाँठ मना रहा ह।ैइस संघ का उ े य खगोलशा के े म अनुसंधान और अ ययन को अंतरा ीय तर पर बढ़ावा देना ह।ैजब भी ांड म कोई नई व तु पाई जाती ह ैतो खगोलीय संघ ारा िदये गए नाम ही अंतरा ीय तर पर मा य होते ह।अंतरा ीय खगोलीय संघ (IAU) का उ े य खगोलीय िव ान को बढ़ावा देना ह।ैअंतरा ीय खगोलीय संघ क महासभा क बठैक तीन वष म एक बार क जाती ह।ै िपछली बार इसक बठैक काआयोजन ऑ टया के िवएना म वष 2018 म िकया गया था। IAU क आगामी बठैक का आयोजन वष 2021 मद ण को रया के बुसान म िकया जाएगा।

    ोतोत: इंडयनइंडयन ए स ेसए स ेस

    क ट के तर ा तर म वृ

    ी ल सी ल स केके लयेलयेबीटा-ओसीमीन, लनालूल

    चचाचचा मम यय ?बगलू थत रा ीयरा ीय जीवजीव िव ानिव ान कक (National Centre for Biological Sciences, Bengaluru) केअनुसंधानक ाओं ने पौधे क वा पशीलता (Plant volatiles) का कृिमय के तर ा तर पर पड़ने वाले भाव का पतालगाया ह।ै

    मुखमुख बदुबदु

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  • इस अनुसंधान म वन पत, परजीवी एवं परभ ी क ट के म य संबधं का अ ययन िकया गया।इस अनुसंधान को कपास के पौधे पर िकया गया ■जसमे इस पौधे क वा पशीलता का पोडो टेरापोडो टेरा लटूरालटूरा(Spodoptera Litura) नामक कृिमय के तर ा तर पर भाव एवं परभ ी क ट/बर यानी ोकेनोकेन ेिवको नसेिवको नस(Bracon brevicornis) के म य संबधं को पता लगाया गया ह।ैजब कृमी कपास के पौधे क प य को खाता ह ैतो प यां सुगंधत और वा पशील वा प को वातावरण म िवमोचतकरती ह यह सुगंधत वा प परभ ी क ट एवं बर/ततयैा आिद को आक षत करती ह।ैये परभ ी क ट, पोडो टेरा लटूरा क वचा पर अंडे देते ह तथा इन अंडो से िनकला लावा इस कृमी के शरीर का हीभ ण करता ह ैजो इसक मृ य ुका कारण बनता ह।ैइस कृमी क वचा पर अंडे देने के लये पहले परभ ी क ट डंक से जहरीले पदाथ को कृमी पोडो टेरा लटूरा के शरीरम पहँुचा कर उसे गतहीन कर देता ह ैएवं त प ात इसके शरीर पर अंडे देता ह।ैइस योग म बीटा-ओसीमीन और लनालूल जसेै छह पादप वा पशील का उपयोग िकया गया और येक का कपासक प ी के कृमी क तर ा णाली पर अलग-अलग भाव पड़ा।पादप वा पशील पदाथ बीटाबीटा-ओसीमीनओसीमीन (Beta-Ocimene) को प य पर छडकने पर कृिम के तर ा तं मसुधार होता ह ै■जससे परभ ी क ट के डंक से कृिम गतहीन नह होता ह।ै इस थत म कृिम के गतशील होने केकारण परभ ी इसके शरीर पर अंडे नही दे पाते ह।पादप वा पशील पदाथ लनालूललनालूल (Linalool) को प य पर छडकने के कारण कृिमय म बै टी रया व रोगजनकके िव बेहतर तर ा तं उ प होता ह।ैबीटा-ओसीमीन आधा रत तर ा प रवतन कृिमय /शाकभ य क परजीिवय के त तर ा को सु ढ़ करता हैकृिमय /शाकभ य क के तर ा म सुधार परभ ी क ट के लावा को िनयिं त करने के थान पर इनके यवुायवुा(Pupal) के आकार म कमी व इनक य क परभ ी क ट के जीवनकाल म कमी के कारण होता ह।ै

    पौधेपौधे केके वा पशीलवा पशील पदाथपदाथ (Plant volatiles)पौधे िवभ र ा मक तं के मा यम से परजीवी कृिमय के त तर ा करते ह।ये पदाथ पौध ारा इनके ऊतक क त होने पर िवमोचत िकये जाते ह।

    बीटाबीटा-ओसीमीनओसीमीनयह एक काबिनक यौिगक ह ैइसका रसायिनक सू C H ह।ैयह पौध प और फूल से िवमोचत होने वाला वा पशील पदाथ ह।ैइसका योग खा पदाथ े वर व सौ दय साधन म सुंगधं के लए िकया जाता ह।ै

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  • लनालूललनालूलयह एक काबिनक यौिगक ह ैइसका रसायिनक सू C H O ह।ैपौध के मेटाबोलाइट, वा पशील तेल घटक, रोगाणरुोधी एजट और सुगधं के प म इसक मह वपूण भूिमका ह।ैइसका उपयोग इ , साबुन, और खा साम ी म िकया जाता ह।ै

    ोतोत: दद हदूहदू

    रज़व बक के NBFCs के लये नए तरलता िनदश

    ी ल सी ल स केके लयेलये :NBFC, HQLA,

    मे समे स केके लयेलये :भारतीय अथ यव था म नॉन- ब कग फाइन■सयल क पनीज का योगदान और सुधार

    चचाचचा मम यय ?हाल ही म रज़व बक ने नॉन- ब कग फाइन■सयल कंपिनय (Non Banking Financial Companies) पर भावी संपदेयता बधंन (Asset Liability Management) के मानक को सु ढ़ करने के लये तरलता जो खम बधंन (LiquidityRisk Management) पर मौजूद िदशा-िनदश को संशोधत िकया ह।ै

    मुखमुख बदुबद:ुभारतीय रज़व बक ने तरलता अंतर के संदभ म नकारा मक संप देयताओं (Negative Assets liabilities) कएक िवशेष सीमा िनधा रत क ह,ै साथ ही साथ तरलता कवरजे अनुपात (Liquidity Coverage Ratio- LCR)बनाए रखने का िनदश िदया ह।ैसंरचना मक तरलता (Structural Liquidity) को बनाए रखने के लये देनदा रय हेतु 1 से 30 िदन के समयअंतराल (Time Bucket) को,1 से 7 िदन, 8 से 14 िदन और 15 से 30 िदन के समय अंतराल म बाँट िदया गया ह।ैनए िनयम के अनुसार उपयु समय अंतराल म शु संचयी अंतर (Net Commulative Mismatch) 1 से 7 िदनके समय अंतराल के लये 10%, 8 से 14 िदन के लये 10% और 15 से 30 िदन के समय अंतराल के लये संचयीनकद बिह वाह (Commulative Cash Outflow) के 20% से अधक नह होना चािहए।इन अवधय के पीछे मूल िवचार यह ह ैिक लघु अवध म बक म नकद का बिह वाह (Outflow), नकद के अंत वाह(Inflow) से अधक नह होना चािहए। उदाहरण के लये पहले समय अंतराल म नकद बिह वाह अपे त अंत वाह के10% से अधक नह होना चािहये।रज़व बक के अनुसार, NBFCs को एक तरलता बफर, तरलता कवरजे अनुपात (Liquidity Coverage Ratio)के प म बनाये रखना चािहए, ■जससे आव यकता पड़ने पर या जो खम के समय ये सुिन त िकया जा सके िक बकके पास अगले 30 िदन के लये उ गुणव ा वाली तरल संप (High Quality Liquidity Asset-HQLA) ह ै।

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    https://www.drishtiias.com/hindi/daily-updates/daily-news-editorials/crisis-in-nbfc-sector-could-hurt-economic-growth

  • NBFCs के लये 1 िदसंबर 2020 से LCR का 50% HQLA के प म और 1 िदस बर 2024 से इसे 100% बनाएरखने का ावधान ह।ैLCR का मुख उ े य तरलता जो खम (Liquidity Risk) क थत से िनपटने के लये बक के पास उ गुणव ावाली तरल संप य का होना सुिन त करना ह।ैइन ावधान के अंतगत ऐसी नॉन ब कग फाइन■सयल कंपनीज आती ह ■जनका संप आकार 100 करोड़ पए सेअधक हो।टाइप I - NBFC-ND (Non Deposit Taking) इकाइयाँ LCR मानदडं के अंतगत नह आती ह।टाइप I - एनबीएफसी-एनडी इकाइयाँ वे इकाइयाँ होती ह जो सावजिनक जमाओं को वीकार नह करत ।

    संपसंप देयतादेयता बधंनबधंन-संप देयता बधंन के अंतगत बक ारा तरलता या याज दर म प रवतन के कारण संप और दाय व के बीच अंतर सेउ प जो खम का पता चलता ह।ै

    उउ गुणव ागुणव ा वालीवाली तरलतरल संपसंप

    (High Quality Liquidity Asset-HQLA)

    उन संप य को उ गुणव ा वाली तरल संप माना जाता ह ैजो आसानी से और संप के मू य म अपे ाकृत कमया िबना िकसी ास के नकदी म प रवतत हो सकती ह।इसके अंतगत नकद, सरकारी तभूतयां और िवदेशी िव ीय सं थाओं ारा तभूतयाँ शािमल ह। ये संप याँ िकसीभी िव ीय देयता से मु होनी चािहये।

    ोतोत-दद हदूहदू

    आइसडैश एवं अतथ

    ी ल सी ल स केके लयेलये:आइसडैश एवं अतथ पहल, क ीय अ य कर एवं सीमा शु क बोड

    मे समे स केके लयेलये:आइसडैश तथा अतथ पहल से लाभ

    चचाचचा मम यय ?हाल ही म िव मं ालय ारा ‘आइसडैश’ (ICEDASH) तथा ‘अतथ’ (ATITHI) नामक दो नई सूचना तकनीक पहल शुक गई ह।

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  • मु यमु य बदुबद:ुिव मं ालय ारा क ीय अ य कर एवं सीमा शु क बोड (Central Board of Indirect Taxes &Customs- CBIC) के अंतगत भारतीय बदंरगाह तथा हवाई-अ पर आयातत व तुओं के ‘क टम ि यरस’(Custom Clearance) को गत दान करने तथा उसक िनगरानी करने के लये ‘आइसडैश’ नामक ऑनलाइनडैशबोड तथा भारत म आने वाले अंतरा ीय याि य क सुिवधा के लये ‘अतथ’ नामक मोबाइल एप लॉ च िकयागया।

    ‘आइसडैशआइसडैश’ तथातथा इसकेइसके लाभलाभ:‘आइसडैश’ सीमा शु क िवभाग ारा भारत म कारोबार क सुगमता क िनगरानी करने के लये CBIC के अंतगत शुिकया गया एक ऑनलाइन डैशबोड ह।ैइस पहल क सहायता से आयातक तथा सामा य लोग यह देख सकगे िक देश के िकस बदंरगाह अथवा हवाई-अ े परआयातत सामान के ‘क टम ि यरस’ क या थत ह।ैCBIC ने रा ीय सूचना िव ान क (National Informatics Center- NIC) के साथ िमलकर इस डैशबोड कोिवक■सत िकया ह।ै‘आइसडैश’ के मा यम से ‘क टम ि यरस’ संबधंी ि याओं म पारदशता के साथ-साथ ह त ेप म कमी आएगी।

    ‘अतथअतथ’ तथातथा इसकेइसके लाभलाभ:अतथ के मा यम से अंतरा ीय पयटक अि म प से सीमा शु क िवभाग को यह जानकारी दे सकगे िक वे अपने साथकौन-कौन सी कर यो य व तु तथा िकतनी मु ा लेकर आ रहे ह।‘अतथ’ एप ारा अंतरा ीय पयटक को हवाई अ पर सीमा शु क िवभाग ारा व रत ि यरस और सुगम आगमनक सुिवधा दी जाएगी ■जससे हमार ेहवाई-अ पर अंतरा ीय पयटक तथा अ य आगतंुक क सं या म वृ होगी।‘अतथ’ एप ारा भारतीय सीमा शु क िवभाग क िव म ‘टेक सेवी’ [(Tech Savvy) तकनीक ेमी ] छिव बनेगी,■जसके मा यम से भारत म पयटन और यापार या ाओं को ो साहन िमलेगा।

    क ीयक ीय अ यअ य करकर एवंएवं सीमासीमा शु कशु क बोडबोड

    (Central Board of Indirect Taxes & Customs- CBIC):

    क ीय अ य कर एवं सीमा शु क बोड िव मं ालय के अधीन राज व िवभाग का एक अंग ह।ैयह बोड सीमा शु क, क ीय उ पाद शु क, क ीय व तु एवं सेवा कर और IGST (Integrated Goods andService Tax) का उ हण तथा सं ह का काय करता ह।ैसीमा शु क, क ीय उ पाद शु क, क ीय व तु एवं सेवा कर और IGST तथा नारकोिट स से जुड़े त करी तथाशासन संबधंी मु े CBIC के िव तार े के अंतगत आते ह।पूव म इसका नाम क ीय उ पाद एवं सीमा शु क बोड था।

    ोतोत- PIB

    EIU क िव ीय समावेशन रपोट15/19

  • EIU क िव ीय समावेशन रपोट

    ी ल सी ल स केके लयेलये:इकोनॉिमक इटें लजस यूिनट, िव ीय समावेशन रपोट

    मे समे स केके लयेलये:िव ीय समावेशन से संबंधत मु े

    चचाचचा मम यय ?हाल ही म दद इकोनॉिम सइकोनॉिम स इटें लजसइटें लजस यूिनटयूिनट (The Economist Intelligence Unit- EIU) ने ‘ लोबललोबल माइ ो कोपमाइ ो कोप2019: दद एनेबलगएनेबलग ए वायरनमटए वायरनमट ऑनऑन फाइनशयलफाइनशयल इं ूज़नइं ूज़न रपोटरपोट’ (Global Microscope 2019-The EnablingEnvironment On Financial Inclusion) जारी क ।

    िन कषिन कष:उपयु रपोट के अनुसार, भारत िव ीय समावेशन हेतु अनुकूल वातावरण दान करने के मामले म िव के शीष देशम शािमल ह।ैभारत िव ीय समावेशन के लये अनुकूल वातावरण दान करने क ि से 5व थान पर ह।ैइस सूची म शीष पर कोलिंबया ह,ै इसके अलावा दसूर,े तीसर ेऔर चौथे थान पर मशः पे , उ वे और मे सकोह।55 देश क इस सूची म सबसे नीचे डेमो े िटक रप लक ऑफ़ कांगो (Democratic Republic of Congo) ह।ैात य ह ैिक इन सभी मानदडं पर ■सफ 4 देश को पूर ेअंक िमले, इनमे भारत, कोलिंबया, ज़मकैा और उ वे शािमल

    ह।

    रपोटरपोट केके बारेबारे मम:इस रपोट म 55 देश और 5 े क को शािमल िकया गया ह:ै

    1. शासन और नीत समथन2. उ पाद और िनगम3. थरता और अखंडता4. उपभो ा संर ण5. आधारभूत ढाँचा

    उपयु रपोट म ड■जटल िव ीय समावेशन के अंतगत िन न ल खत 4 मानदडं को शािमल िकया गया:गरै-ब कग े को ई-मनी जारी करने क अनुमत।िव ीय सेवा एजट क मौजूदगी।आनुपातक आधार पर ाहक क जाँच-परख।भावी उपभो ा संर ण।

    रपोट के इस सं करण म िव ीय समावेशन के े म ी और पु ष दोन क भागीदारी सुिन त करने के लये 11लग-आधा रत संकेतक भी जोड़े गए।

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  • भारतभारत केके संदभसंदभ मम:रपोट के अनुसार, भारतीय रज़व बक ने अथ यव था के डिज़टलीकरण के लये म यम अवध क रणनीत तयैारकरने हेतु उ तरीय सिमत का गठन िकया ह।ैअग त 2019 म रज़व बक ने एक रगेुलेटरी सडबॉ स (Regulatory Sandbox- RS) के लये े मवक जारी िकयाह।ै रगेुलेटरी सडबॉ स, िव , औ ोिगक और टाटअ स (Startups) को नई तकनीक एवं सेवाओं के परी ण केलये आधार उपल ध कराएगा।

    रगेुलेटरीरगेुलेटरी सडबॉ ससडबॉ स:सडबॉ स एक बुिनयादी ढाँचा ह ैजो बक ारा िफनटेक कंपनी को उपल ध कराया जाता ह ैतािक उ पाद या सेवाओंके तयैार होने के बाद एवं बाज़ार म आने से पहले उनका परी ण िकया जा सके।

    िफनटेकिफनटेक याया हैहै?िफनटेक (FinTech) Financial Technology का सं प ह।ै िव ीय काय म ौ ोिगक के उपयोग कोिफनटेक कहा जा सकता ह।ैदसूर ेश द म यह पारपं रक िव ीय सेवाओं और िवभ कंपिनय तथा यापार म िव ीय पहलुओं के बधंन मआधुिनक तकनीक का काया वयन ह।ैपहले बक म िकसी िववरण को र■ज टर पर लखा जाता था ■जसम काफ समय भी लगता था। वतमान म अब ब कगणाली म ौ ोिगक के योग से कोर ब कग ■स टम चलन म आ गया ह ैऔर इससे ब कग णाली आसान हो गईह।ै इस कार क िव ीय ौ ोिगक को िफनटेक कहा जाता ह।ैबक ारा िफनटेक के मा यम से मोबाइल वॉलेट स वस तथा UPI और भीम एप लॉ च करके ब कग णाली कोआसान बनाया जा रहा ह।ैिफनटेक बक के लये भुगतान, नकद ह तांतरण जसैी सेवाओं म काफ मददगार सािबत हो रहा ह,ै साथ ही यह देश केदरूदराज़ के इलाक तक ब कग सेवाएँ भी उपल ध करा रहा ह।ै

    ोतोत-दद िह दूिह द ूिबज़नेसिबज़नेस लाइनलाइन

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    http://drishtiias.com/hindi/images/uploads/1572958563_India's Performance.jpg

  • िव यापार संगठन और स सडी मु ा

    ी ल सी ल स केके लयेलये:िव यापार संगठन, SCM

    मे समे स केके लयेलये:स सडी से संबंधत मु े

    चचाचचा मम यय ?हाल ही म िव यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) के िववाद िनपटान पनैल (DisputeSettlement Panel) ने भारत म दी जाने वाली िनयात स सडी पर आप जताई ह।ै

    पनैल के अनुसार, भारत क िनयात ो साहन योजनाओं ने िव यापार संगठन के स सडी और काउंटरवेलगमानक (Subsidies and Countervailing Measures- SCM) से संबंधत समझौते के कई ावधान काउ ंघन िकया ह।ै

    SCM:

    SCM समझौता दो मु से संबंधत है

    1. पहला बहुप ीय स सडी के ावधान का िविनयमन।2. स सडी वाले आयात के कारण होने वाली हािन से संबंधत काउंटरवेलग उपाय।

    बहुप ीय स सडी के ावधान के तहत ही िकसी देश ारा िनयात स सडी लगाई जाती ह।ैइसके िवपरीत यिद कोई प इस िनयात स सडी से भािवत हो रहा ह ैतो वह SCM समझौते म िनधा रत मापदडं केतहत काउंटरवेलग ूटी लगा सकता ह।ै

    पनैल ने फैसला सुनाया िक भारत िनयात दशन पर आक मक स सडी दान करने का हकदार नह ह ै य िकभारत का त यि सकल रा ीय उ पाद 1,000 डॉलर तवष से अधक हो गया ह।ैिव यापार संगठन के SCM समझौते के अनु छेद 3।1 के तहत तवष 1,000 डॉलर के त यि सकल रा ीयउ पाद वाले िवकासशील देश को िनयात स सडी दान करने का अधकार नह ह।ैSCM समझौते के अनु छेद 4।7 के अनुसार, यिद िनिष व तुओं पर स सडी का उठता ह ैतो पनैल स सडीदेने वाले देश से व रत प से स सडी वापस लेने क अनुशसंा कर सकता ह।ैपनैल के अनुसार, भारत क िनयात ो साहन स सडी को SCM समझौते के अनु छेद 3।1(a) और 3।2 से असंगतपाया गया ह।ैपनैल ने फैसला सुनाया ह ैिक भारत को 90-120 िदन क समयावध के भीतर SCM समझौते से असंगत सभीयोजनाओं को वापस लेना चािहये।

    इसइस कारकार केके फैसलेफैसले काका भारतभारत परपर भावभाव:18/19

  • इस कार के फैसले के बाद भारत सरकार ारा चलाई जा रही कई िनयात-स सडी योजनाएँ गभंीर प से भािवतह गी। इन योजनाओं म शािमल ह:

    1. इले टॉिन स हाडवेयर टे नोलॉजी पाक क म, बायो-टे नोलॉजी पाक क म2. मचडाइज़ ए सपो स ॉम इंडया क म3. ए सपोट मोशन कैिपटल गु स क म4. िवशेष आथक े (Special Economic Zone)

    भारत तवष 7 िब लयन डॉलर (5।4 िब लयन पाउंड) से अधक क स सडी िवभ उ पाद जसेै- इ पात,फामा यूिटक स, रसायन, आईटी और व आिद पर देता ह।ै

    भारतभारत केके लयेलये िनयातिनयात स सडीस सडी काका मह वमह व:भारत अभी भी िवकासशील देश क ेणी म ह।ै भारत क आय म जो वृ हुई ह ैउसम िनयात से यादा योगदान सेवाे का ह ैइस लये भारत के इस कार के ावधान अ ासंिगक तीत होते ह, यात य ह ैिक भारत काफ समय से इसकार के ावधान के अंतगत िवशेष छूट क मांग कर रहा ह।ैवतमान समय म वै क तर पर संर णवाद और अ य भावी कारक के कारण भारत क अथ यव था परनकारा मक भाव पड़ा ह,ै इस लये ऐसे समय म भारत जसेै िवकासशील देश को इन ावधान से िवशेष छूट िमलनीचािहये।भारत का ब कग और उ ोग े क इस समय मदंी से घरा हुआ ह,ै इस लये िवशेष ो साहन के िबना अथ यव था मउ पादन बढ़ाना आसान काय नह ह।ै

    ोतोत: इकोनॉिम सइकोनॉिम स टाइ सटाइ स

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    डेली न्यूज़ (05 Nov, 2019)राष्ट्रीय जलमार्ग-2प्रीलिम्स के लिये:मुख्य परीक्षा के लिये:चर्चा में क्यों?प्रमुख बिंदुराष्ट्रीय जलमार्ग 2भारत के अन्य 3 प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्गसक्षम जल- परिवहन के आवश्यक तत्त्वजल-परिवहन के समक्ष प्रमुख चुनौतीभारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार(Protocol on Inland Water Transit and Trade-PIWTT)दोनों देशों ने निम्नलिखित पर भी सहमत जताई:भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण(Inland Waterways Authority of India-IWAI)स्रोत: PIB

    RCEP में शामिल नहीं होगा भारतप्रीलिम्स के लियेमेन्स के लियेचर्चा में क्यों?क्या है RCEP?क्या है समस्या?अनसुलझे मुद्देस्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

    सामाजिक-आर्थिक संकेतकप्रीलिम्स के लिये:मेन्स के लिये:चर्चा में क्यों?मुख्य बिंदु:मुस्लिम युवाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिये तीन वर्ग बनाए गए हैं-वर्तमान में किसी शैक्षणिक संस्थान में नामांकित युवा (15-24 वर्ष):राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय(National Sample Survey Office-NSSO):स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस

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    विश्व व्यापार संगठन और सब्सिडी मुद्दाप्रीलिम्स के लिये:मेन्स के लिये:चर्चा में क्यों?SCM:इस प्रकार के फैसले का भारत पर प्रभाव:भारत के लिये निर्यात सब्सिडी का महत्त्व:स्रोत: इकोनॉमिक्स टाइम्स


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