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kola-sahith
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नवाब अब्दरु्रहीम खान खाना मध्यकालीन भार्त केकुशल र्ाजनीततवेत्ता, वीर्- बहादरु् योद्धा और् भार्तीयसाांस्कृततक समन्वय का आदशर प्रस्तुत कर्ने वालेममी कवव माने जाते हैं। उनकी गिनती ववित चार्शताब्ब्दयों से ऐततहाससक पुरुष के अलावा भार्त माताके सच्चे सपूत के रुप में ककया जाता र्हा है। आपकेअांदर् वह सब िुण मौजूद थे, जो महापुरुषों में पायेजाते हैं।
र्हीम कहते हैं कक पे्रम का नाता नाजुक होता है । इसेझटका देकर् तोड़ना उगचत नहीां होता ।
पे्रम से भर्ा रर्श्ता कभी ककसी छोटी सी बात पर्बबना सोचे समझे नही तोड़ देना चाहहए ।
यहद यह पे्रम का धािा एक बार् टूट जाता है तो किर्इसे समलाना कहिन होता है और् यहद समल भी जाएतो टूटे हुए धािों के बीच में िााँि पड़ जाती है.
र्हीम कहते हैं कक बड़ी वस्तुको देख कर् छोटी वस्तु कोिें क नहीां देना चाहहए. जहाांछोटी सी सुई काम आती है,
वहााँ तलवार् बेचार्ी क्या कर्सकती है ?
इस दोहे में र्हीम ने पानी को तीन अथों में प्रयोि ककया है।पानी का पहला अथर मनुष्य के सांदभर में है जब इसका मतलब ववनम्रता से है। र्हीम कह र्हे हैं कक मनुष्य में हमेशा ववनम्रता (पानी) होना चाहहए।पानी का दसूर्ा अथर आभा, तेज या चमक से है ब्जसके बबना मोती का कोई मूल्य नहीां।पानी का तीसर्ा अथर जल से है ब्जसे आटे (चून) से जोड़कर् दशारया िया है।र्हीम का कहना है कक ब्जस तर्ह आटे का अब्स्तत्व पानी के बबना नम्र नहीां हो सकता और् मोती का मूल्य उसकी आभा के बबना नहीां हो सकता है, उसी तर्ह मनुष्य को भी अपने व्यवहार् में हमेशा पानी (ववनम्रता) र्खना चाहहए ब्जसके बबना उसका मूल्यह्रास होता है।